Kon ho Tum - 2 in Hindi Short Stories by rubA books and stories PDF | कौन हो तुम - 2

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कौन हो तुम - 2

   भाग -2

(  जोरों की बारिश शुरू हो गई थी।बारिश इतनी तेज थी कि उसने आशी और राधिका को वही रूकने को मजबूर कर दिया ।।।)

अब आगे  .........

राधिका ने आशी को एक शेड के निचे खड़ा किया ,और उसे अपना जैकेट देते हुए कहा ...... आशी तुम यहीं रुको मैं किसी से लिफ्ट मांगती हूँ ।

आशी-तुम्हें इस वक़्त कौन लिफ्ट देगा, सड़क सुनसान है कोई भी नहीं है यहाँ  । यहीं रुको और बारिश रुकने  का इंतजार करते हैं।। तभी गाड़ी  की लाइट्स जलती है ।।।राधिका खुशी से- लगता है कोई आ रहा है, मैं मदद मांगती हूं तुम यहीं रुको ।।राधिका सड़क  पर जाकर गाड़ी को रुकने का  इशारा  करती है ।।।।।

 

 

 गाड़ी थोड़ी दूर जाके आगे रूकती है ।राधिका गाड़ी के रूकते ही दौड़कर जाकर गाड़ी के  window पर नाॅक करती है ।।  तभी गाड़ी की window थोड़ी सी निचे होती है । राधिका बिना कुछ देखे और सुने एक साँस  में ही कहना शुरू करती है ।।

"सर, हम यहीं पास में ही रहते हैं बारिश के  कारण हमें कोई आटो नहीं मिल रहा है ।मेरी  बहन की तबियत खराब हो रही है,  क्या आप हमें घर तक छोड़ देंगे ......please ।

 

(राधिका इतनी हड़बड़ाहट में थी कि उसने यह भी नहीं देखा कि कार में आखिर है कौन ?)

राधिका ने देखा कि कार के अंदर बैठा शख्स उसे अपनी गहरी निगाहों से देख रहा था ।राधिका को यह बात बहुत अजीब लगी, लेकिन उस वक्त उसके लिए घर पहूँचना ज्यादा जरूरी था तो उसने इसे नजरअंदाज करते हुए फिर से कहा- please, हमें घर तक छोड़ देंगे क्या आप ।बारिश तेज़ हो रही है ।

उस आदमी ने शेड की तरफ अपने कार के  अंदर से ही झांक कर देखा,जहाँ आशी खड़ी थी।फिर राधिका की तरफ देखते हुए  ठोस लहजे में कहा- ठीक  है,  जल्दी से आ जाओ।।

राधिका को उस आदमी का इस तरह आशी को देखना अजीब लगा, लेकिन उसने कुछ भी नहीं  कहा । उस वक्त राधिका को आशी को घर  लेके जाना ज्यादा जरूरी लगा ।

वह जल्दी से शेड के पास गई,  और आशी को अपने साथ लेकर कार के पास आ गई । कार के अंदर बैठा शख्स अभी भी आशी को ही देख रहा था यह बात राधिका ने महसूस की। मानो जैसे उसने एक पल के लिए भी आशी को अपने नजरों से  ओछल ही नहीं होने दिया हो।राधिका के लिए यह सब बहुत अजीब था, लेकिन राधिका को यह भी पता था कि अभी उसका हर हाल में घर पहूँचना सबसे ज्यादा जरूरी है । 

राधिका और आशी कार के पास जैसे ही पहूँचे उस आदमी ने कार का डोर ओपेन किया । दोनों कार के अंदर बैठ गए ।

बिना अपने आवाज़ में कोई बदलाव के उस आदमी ने निरस स्वर में कहा- कहाँ जाना है ? राधिका ने उसे घर का पता बताया और उसने गाड़ी आगे बढाया ।

लेकिन इस आवाज़ ने आशी के अंदर कुछ हलचल पैदा कर दी। अभी तक आशी अपने होश में नहीं थी, हर बारिश की तरह इस बारिश ने भी उसकी वही हालत कर दी  थी। लेकिन फिर भी आशी ने अपनी आँखों को खोलकर उस शख्स को देखने की कोशिश की।।

वह शख्स कोई 25-26 साल का लड़का था । शायद उसने काले रंग की कोई कपड़े पहन रखे हो, क्योंकि आशी को अंधेरे में कोई और रंग दिखा नहीं था, या शायद वह देख ही नहीं पाई थी । उसने पहन क्या रखा था आशी ने नाहि गौर किया और नाहि अंधेरे में  उसे दिखा ही । लड़के ने अपने चेहरे को एक कपड़े से ढंक रखा था, सिर्फ उसकी नीली- नीली आँखें ही दिख रही थीं।।।

आशी इस समय कुछ भी सोचने की सलाहियत में नहीं थी, वह लगभग बेहोश ही थी। राधिका आशी को होश में रखने की कोशिश कर रही थी ।।

रास्ते में राधिका ने यह महसूस किया की वह लड़का अभी भी आशी को ही देख रहा था । यह बात राधिका को बडी अजीब लग रही थी कि आखिर ये है कौन???

पुरे रास्ते उस लडके ने एक लफ्ज़ भी  नहीं कहा ।और न ही राधिका ने ।   घर के गली में पहूँचते ही राधिका ने कहा, "हमें यहीं उतरना है । आप कार यहीं रोक दिजीए ।"

लड़के ने कार रोक दी । राधिका ने आशी को सहारा देते हुए कार से बाहर उतारा। बारिश अभी भी हो रही थी, या ये कहें कि जैसे-जैसे ये रात बढ रही थी, बारिश भी बढती ही जा रही थी ।

राधिका ने लड़के को थैंक्स कहा, और आशी को लेके जाने लगी।

राधिका ने उस लडके को फिर से आशी को देखते या यूँ कहे कि घूरते हुए महसूस किया ।।बिना अपने चेहरे पर किसी भी प्रकार के भाव को लाए।

राधिका ने पिछे मुडकर देखा, उसके देखते ही लड़के ने कार स्टाट॔ की और वहाँ से  निकल गया । मानों उसने राधिका के शक भरी निगाहों को भांप लिया हो।

     

                         to be continued.........

  

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