[ Janed ganj Hospital, Firozpur, Punjab, India ]
[ राजेश - मां ऐसे कैसे हो गया, मतलब बल्लू और दिव्या दोनों तुम्हारे साथ थी तो बल्लू कैसे ट्रक से टकरा गई, मतलब मां ये कैसे हो गया, दिव्या रोओ मत बेटा। ]
[ राजेश की मां - अरे बेटा मैंने बताया तो कि दिव्या थक गई थी तो वो बैठ गई थी और बल्लू और मैं आइस्क्रीम लेने के लिए रोड पार कर रहे थे तभी अचानक यह बल्लू तोड़ी और अचानक से ट्रक के नीचे आ गयी। तुम्हें मुझपर पर शक ना ? । ]
[ राजेश - सच कहूं मां मुझे तुम पर शक है भी और नहीं भी, शक इसलिए है क्योंकि तुम पहले भी इतनी बार बल्लू को मारने की कोशिश कर चुकी हो और शक इसलिए नहीं है क्योंकि मेरी माता श्री इतनी घटिया नहीं हो सकती। अब तुम देखलो। ]
[ डाक्टर - राजेश जी बल्लू के अंदरूनी हिस्सों मे कॉफी गहरे घाव है, अभी हम कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। ]
[ राजेश - मां, अगर मेरी बल्लू को कुछ भी हुआ ना, तो मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगा। ]
[ राजेश की मां - बेटा देख, पहली बात तो मैंने उसे धक्का दिया नहीं और दूसरी बात अगर वो मर भी गई तो अच्छी बात होगी, कब तक नाजायज को पालोगे। ]
[ राजेश - ( ऊंची आवाज में ) - चुप रहो मां। एक शब्द भी बोली तो भूल जाऊंगा मैं । ]
[ दिव्या - पापा,पापा। दीदी को क्या हो गया है,वो कब आएगी, वो अंदर क्यों है। ]
[ राजेश - वो जल्दी आ जाएगी बेटा, तुम चिंता मत करो, जाओ और खाना खा लो। ]
[ बबीता - राजेश, बल्लू की तबीयत काफी serious है। भगवान ना करे उसे कुछ हो गया तो सुनीता हमारा जीना हराम कर देगी, हमे उसे इसकी खबर दे देनी चाहिए। ]
[ राजेश - हां बबीती, मैं अभी सुनीता को सुचना दे देता हुँ। एक बार मिल लेगी वो । ]
[ सुनीता - मनीष, राजेश का फोन आया था, बल्लू का Accident हो गया है, serious है। मैं फिरोजपुर बल्लू से मिलने जा रही हुँ। तुम अपना ख्याल रखना, ठीक है? ]
[ राजेश की मां - अरे हो सुनीता हरामजादी, तुम यहां कैसे आई। वैसे आ गई तो ये अच्छा है। अब तु भी अपनी नाजायज औलाद को अपने आँखो के सामने मरता देखेगी। ]
[ सुनीता - राजेश बल्लू कैसी है? क्या कहा डॉक्टर ने , वो जल्दी स्वस्थ तो हो जाएगी ना? ]
[ राजेश - पता नही, डाक्टर अपनी कोशिश कर रहे है, अभी कुछ कहना मुमकिन नही है। ]
[ सुनीता - राजेश , तुम बल्लू से नफरत करते थे, ये तो पता था, लेकिन उसकी जान लेने की कोशिश करोगे , मैंने इसकी कदापि कल्पना नही की थी, मै तुम्हे छोडूंगी नहीं । ]
[ राजेश - सुनीता देखो तुम्हारा गुस्सा जायज है लेकिन अब सच में मै भी बल्लू को पूरी तरह से अपना चुका था। वो मेरी दिव्या जितनी ही प्रिय है और हमेशा रहेगी । ]
[ रोजेश - सुनीता, चलो GARDEN चलो, तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है, चलो PLZ ]
[ रोजेश - सुनीता, देखो तुमे इस मामले मे साजिश दिखती है, सच में बहुत बड़ी साजिश है, लेकिन इस साजिश के पिछे मै नही, मेरी मां और शायद बबीता है। ]
[ सुनीता - क्या, मै तुम्हारी मां और उस बबीता को छोडूंगी नही राजेश , समझे। ]
[ राजेश - सुनीता , देखो मुझे माफ कर दो । मुझे अपने कर्मो पर बहुत पछतावा है। मैने जो तुम्हारे साथ किया, उसके लिए मैं तुमसे क्षमा मांगता हुं। सुनीता मेरी पहली और आखरी महोबत, तुम हो । इंसान कभी कभी अपनी नैतिक भूलों के कारण पूरी जिंदगी खो देता है। यही मेरे साथ हुआ है। मेरी तुम पर शक करने की एक भूल ने मुझे तुमसे खो दिया और आज बल्लू के साथ ये हो गया। बबीता के साथ समय व्यतीत हो जाएगा, ये सही है परंतु तुम्हारे साथ जो जिंदगी थी ना सुनीता , वो अब नही है। सुनीता, मै जानता हुँ कि अब तुम भी शादी - शुदा हो ऐसा कहना लाजमी नहीं, लेकिन सुनीता मै आज नही कह पाया तो कभी नहीं कह पाऊंगा । सुनीता, मेरी जिदंगी मे वापस आ जाओ PLZ मै मनीष से बात कर लुगा सुनीता, सब ठीक हो जाएगा सुनीता, PLZ सुनीता। बल्लू व दिव्या भी तुम्हे बहुत याद करते है, उनकी भी जिंदगी बेहद संवर जाएगी। ]
[ सुनीता - राजेश , अब बहुत देर हो चुकी है। वक्त भी नहीं लौटता । और अब वैसे भी मै मनीष की पत्नी हुं और शायद मुझे बच्चा भी है। राजेश , तुम्हारी भुल का पछतावा तुम्हे है, मुझे इसकी बहेद खुशी है, लेकिन इस भूल का अब कोई समाधान नही बचा है। ]