prisoner in Hindi Short Stories by सीमा books and stories PDF | बन्दिनी

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बन्दिनी

आरती आज अपनी सजा पूरी कर जेल से रिहा होने वाली है।
 
वैसे तो सजा अभी दो साल और बाकी है पर उसके अच्छे स्वभाव और शांत व्यवहार से दो साल सजा कम हो गई उसकी।
 
आज सुबह से ही जेल में बंद सब महिला कैदियों की आंखे नम थी आखिर इतनी प्यारी बच्ची आज उन्हें छोड़ कर जा रही थी पर साथ साथ खुशी भी थी आज ये बच्ची बिना गलती के भोग रही सालो की सजा से आज आजाद हो जाएगी।
 
जेलर साहब की आंखों के सामने आज 8 साल पहले का वाक्या घूम रहा था, जब आरती को इस जेल में एक कैदी की तरह ले आए थे।
 
18 साल की मासूम बच्ची, आंखो में डर के साथ आंसू , जैसे ही मैं उसके पास गया वो डर के मारे कांपने लगी। उसकी हालत देख मेरी आंखे भी नम हो गई हालाकि मैं एक जेलर हूं मुझे किसी भी कैदी को देखकर ऐसे कमजोर नही होना चाहिए पर इस बेगुनाह लड़की को सजा काटते देख और मेरे हाथ बंधे देख खुद ही आंखे नम हो गई।
 
मैने भी अपने स्तर पर बहुत कोशिश की थी कि इस बच्ची को न्याय मिले पर कानून सबूत देखता है जो मैं साबित नही कर पाया। फिर मैने ये कोशिश की कि इस बच्ची से यहां इस जेल में किसी भी तरह कोई गलत बर्ताव न हो और भगवान का शुक्र है उसमे मैं कामयाब रहा।
 
वही आरती को देखो तो आज भी शांत और स्थिर बैठी अपने अतीत को याद कर रही थी 18 साल की मां पापा की प्यारी बच्ची, देखने में भी बहुत सुंदर, पढ़ाई में भी बहुत होशियार, सबको लगता वो आगे पढ़ लिख कर बहुत नाम कमाएगी।
 
मां घर में सिलाई का काम करती और पापा ऑटो चलाते दोनो बहुत मेहनती पर मुझे हर सुख दिया, पर कहते है ना वक्त हमेशा एक जैसा नही रहता तो मेरा कैसे रहता मेरे मोहल्ले में एक नया परिवार रहने आया उनका परिवार बहुत रौबदार था, बात बात में गलियां बकना, धमकाना उनके लिए आम बात थी।
 
उनके घर के बेटे की नज़र मुझ पर पड़ी और फिर मेरी जिंदगी की बरबादी शुरू हो गई, मैं स्कूल जाऊ तो रास्ते मे परेशान करना, ट्यूशन जाऊ तो रास्ता रोकना, घर में घुसकर आ जाना और गंदी बाते करना, मां पापा को धमकाना।
 
आए दिन उनकी इन बातो से हमारी हालत खराब होती गई और कोई उनको कुछ कह भी नही पाता था क्योंकि वो लोग बहुत ताकतवर थे।
 
एक रात वो मुझे उठाकर मेरे साथ दरिंदगी करना चाहता था पर मैं चिल्लाने लगी तो मां पापा उठ गए और उन्होंने मुझे बचाने की हर कोशिश की पर उस राक्षस पर हैवानियत भरी हुई थी तो उसने सबसे पहले पापा का गला काट दिया, फिर मां के कपड़े उतारने लगा मेरी मां ने उस समय खुद की परवाह ना की और मुझे कमरे में बंद कर दिया। इस राक्षस से मेरी मां की इज्जत तार तार कर उन्हे भी मार दिया और फिर वो मेरी ओर बढ़ा जैसे जी उसने कमरे का दरवाजा तोड़ा मैने उसके सिर पर मां की रखी सिलाई मशीन दे मारी और वो वही ढेर हो गया।
 
अपने बेटे की मौत को उसके घरवाले बर्दाश्त नही कर पाए और मुझ पर गलत आरोप लगा दिए। मैं रोई चिल्लाई पर अदालत ने मेरी बात सुनी ही नहीं किसी पड़ोसी ने भी गवाही नही दी और आखिर मुझे एक न किए गुनाह की सजा मिल गई।
 
मुझ पर ये इल्जाम लगा कि मैं उस लड़के से प्यार करती थी और उसके साथ भागना चाहती थी मेरे मां पापा ये नही चाहते थे इसलिए उन्होंने इस लड़के को मां डाला और मैने गुस्से में अपने मां पापा को मार दिया।
 
क्या करूंगी बाहर जाकर, किसके पास जाऊंगी, कहा रहूंगी।
 
बाहर की दुनियां से अच्छी तो ये दुनियां है जहां भले मैं एक बंदिनी हूं पर सुरक्षित तो हूं।