भाग 111
बाहर अमन गाड़ी में बैठा पूर्वी का इंतजार कर रहा था। जैसा पूर्वी बाहर दिखी कार का हॉर्न बजा कर अपनी ओर आने का इशारा किया। पूर्वी अमन का इशारा समझ कर उस ओर बढ़ गई।
अमन ने आगे का दरवाजा खोल दिया। पूर्वी आ कर बैठ गई। अमन ने कार आगे बढ़ा दी।
करीब दस मिनट बाद कार अमन के बंगले के पोर्च में खड़ी थी।
गाड़ी का हॉर्न सुन कर नौकर बाहर आया। अमन ने उससे पूर्वी का बैग उतार कर गेस्ट रूम में रखने को कहा।
अमन बड़े ही प्यार से पूर्वी का हाथ पकड़ कर घर के अंदर आवाज लगाते हुए घुसा,
"आंटी…! आंटी…! जरा देखिए तो मैं किसे साथ ले कर आया हूं।"
अमन की आवाज सुन कर वैरोनिका छड़ी के सहारे धीरे धीरे आई साथ ही बोलते भी रही थी,
"अमन..! तुम कभी बड़े होंगे या नहीं…? जानते हो कि तुम्हारी आंटी चल नही पाती। पर घोड़े पर सवार हो जाते हो.. आंटी… आंटी करके। आ रही हूं देखती हूं किसे साथ लाए हो…।"
फिर पूर्वी पर नजर पड़ते ही आश्चर्य से भर उठी और पास आ कर उसे छू कर टटोल कर ठीक से देखा और गले लगा लिया।
"ओह…! माई गॉड..! ये पुरवा की बेटी है ना। बिलकुल उसकी परछाई। आ बेटा…! आ बैठ।"
फिर नौकर से चाय और कुछ खाने के लिए लाने को बोला।
खुद पूर्वी को अपने बगल में बिठा कर पुरवा के तबियत के बारे में पूछने लगी। बिगड़ती तबियत के बारे में जान कर वो बोली,
"बेटा…! वो ऊपर वाले ने शायद तुम्हें ही मध्यम चुना है। इसलिए तुम विवान को ले कर पुरवा से मिलवाने गई। और सब सच तुम्हारे सामने आ गया। वरना ये अधूरी कहानी तो दफन ही हो गई थी।"
चाय पीने के बाद वैरोनिका ने पूर्वी को गेस्ट रूम में जा कर चेंज कर के हाथ मुंह धोने को कहा।
रात को डिनर के टेबल पर अमन, विवान, पूर्वी और वैरोनिका बैठे खाना खा रहे थे। वैरोनिका मुस्कुराते हुए बोली,
"विवान, पूर्वी…! बेटा .. जानते हो तुम दोनो। ये अमन और पुरवा मुझे बिल्कुल बेवकूफ ही समझते थे। ये यही सोचता था कि मुझे इसके और पुरवा के बारे में कुछ नही पता..! मैं नही जानती कि ये क्यों अपने घर वालों के इतने दबाव के बाद भी शादी क्यों नही की। पुरवा को छोड़ने ये इतनी दूर इसके गांव तक बस.. ऐसे ही चला गया था। मैं क्या जानूं..? मुझे तो ना कुछ दिखता था ना समझ आता था। ये दोनो ऐसा समझते थे।"
अमन बच्चों के आगे इस तरह अपना राज फाश होने से झेंप रहा था। वो बोला,
"आंटी… आप खाओ ना। क्या बच्चों को फालतू की बात बताते में अपना और उनका समय जाया कर रही हो।"
पूर्वी बोली,
"नही अंकल..! कोई समय जाया नही जो रहा है हमारा। हमें अपने पैरेंट्स के अतीत के बारे में जानना ही चाहिए। अब मैं और विवान अब तक इस लिए ही शादी नहीं पाए क्योंकि मेरे पापा को दूसरे धर्म में मेरा शादी करना मंजूर नहीं है। तो फिर मुझे भी उनके पसंद के लड़के के साथ जीवन बिताना पसंद नही है। नही करेंगे शादी हम। ऐसे ही एक दूसरे के संबल बने सुख दुख के साथी बने रहेंगे।"
फिर कुछ रुक कर पुरवा बड़े ही संजीदा स्वर में बोली,
" मेरी मम्मी के जीवन के बहुत ही कठिन समय में उनकी शादी हुई थी। उन्होंने पापा की खुशी में अपनी खुशी ढूंढ ली और सब कुछ पिछला भुला दिया। पापा भी ने शुरू में मम्मी को बहुत प्यार दिया। पर अब उम्र के इस मोड़ पर, इस हालत में जब मम्मी को उनकी सबसे ज्यादा सपोर्ट की जरूरत थी तब वो पैसा और पद के पीछे ऐसा भाग रहे हैं कि उनको मम्मी की परवाह ही नही है। बस पैसे और सुविधा दे कर कर्तव्य की पूर्ति नहीं हो जाती। शायद इसी लिए मम्मी जीवन से इतनी निराश हो गई हैं और अब वो ठीक होना भी नही चाहती।"
अमन और वैरोनिका पूर्वी की बातें बड़े ही गौर से सुन रहे थे। पुरवा की मनः स्थिति का अंदाजा वो लगा पा रहे थे।
सभी लोग खाना खा चुके थे। अमन उठते हुए बोला,
"विवान..! पूर्वी..! बेटा तुम दोनों के लिए कमरे तैयार करवा दिए हैं। विवान तुम मेरे कमरे में और पूर्वी तुम उधर गेस्ट रूम में सो जाओ। जाओ तुम लोग भी लंबा सफर करके आए हो थके होगे आराम करो। अब मेरी भी शिफ्ट शुरू होने वाली है। मैं चलता हूं। सुबह मिलूंगा।"
इतना कह कर अमन हॉस्पिटल चला गया।
पर पूर्वी गेस्ट रूम में नही गई। वो वैरोनिका से बोली,
"आंटी..! मैं अकेले नही सोऊंगी। अगर आपके साथ सोऊं तो आपको कोई परेशानी तो नहीं होगी।"
वैरोनिका बोली,
"मुझे तो नही बेटा पर तुम्हें ही परेशानी होगी। क्योंकि मैं बहुत बुरे बुरे खर्राटे लेती हूं। तुम सो नही पाओगी।"
पूर्वी बोली,
"आंटी मुझे तो आपसे मम्मी और अमन अंकल के बारे से बातें करनी है। बहुत सी बातें जाननी हैं। आप मेरे सोने की चिंता मत करिए।"
पूर्वी वैरोनिका के साथ उसके बिस्तर में लिपट कर लेती और मम्मी के बारे बातें करते .. पूछते कब सो गई उसे पता ही नही चला। वैरोनिका ने उसके सो जाने पर चादर ओढ़ा दी और माथे पर प्यार से किस किया और खुद भी सो गई।
इधर अमन हॉस्पिटल आया।
उसने एक राउंड ले कर एडमिट गंभीर मरीजों को देखा और फिर अपने चेंबर में आ गया।
कुछ देर बाद पुरवा के कमरे में नर्स को भेजा ये देखने की वो सोई है या नही।
नर्स ने आ कर बताया वो रेडियो पर धीमी आवाज में गाना सुन रही हैं।
अमन बोला, "ठीक है वो मेरे परिचय में है। मैं जा कर मिल लेता हूं। तुम परेशान मत होना। मैं देख भाल भी कर लूंगा और मुलाकात भी कर लूंगा।"
इतना नर्स से कह अमन पुरवा के रूम की ओर चल दिया।
अमन ने धीरे से दरवाजा खोला,
कमरे में गाना बज रहा था,
मेरी जफाओं का है सिला है मुझे मिला,
मेरी तन्हाइयों से नही है मुझे कोई गिला।
रहे न रहे हम.. महका करेंगे…
पुरवा को लगा नर्स होगी, वही बार बार आ जा रही है। वो आंखे बंद किए गाना सुनती रही।