राधिका ,राधिका वापस आओ।।
बारिश होने वाली है, हमें घर चलना चाहिए ।देखो मौसम कितना खराब हो रहा है और तुम हो कि भीगने जा रही हो।
आशी ने अपने बैग से छाता निकालते हुए राधिका की ओर देखते हुए कहा ।
राधिका- तुम्हें तो सिर्फ बोरिंग कामों में ही मजा आता है, देखो न कितना अच्छा मौसम हो रहा है ।ठंडी-ठंडी हवा, आसमान में काले-काले बादल, हल्की-सी बारिश और साथ में चाय ।।।।।।वाह चाय ! मजा आ जाएगा ।अरे वो देखो चाय की दुकान, चलो न चाय पीते हैं और फिर घर चलेंगे आशी ।वैसे भी कौन सा पहाड़ तोड़ना है हमें घर पर।।
(राधिका और आशी दोनों दोस्त हैं ।दोनों एक साथ ही काम करती हैं और दोनों ने साथ ही अपनी पढ़ाई भी पूरी की है ।।।)
राधिका की बात सुनते ही आशी ने कहा-तुम्हें तो पता है न मैं इस वक़्त बाहर नहीं रह सकती ।मुझे बारिश पसंद नहीं, मुझे डर लगता है............इस बारिश से । ये कहते हुए आशी राधिका का हाथ पकड़ लेती है और कहती है, "चलो घर चलते हैं ।अगर बारिश शुरू हो गई तो फिर हम घर कैसे पहुंचेगे ।
अपने हाथ में बंधी घड़ी की ओर इशारा करते हुए आशी ने राधिका से कहा- देखो दस बजने को है और हम अब तक घर से बाहर ही हैं ।माँ परेशान हो रही होंगी ।
लेकिन राधिका ने तो जैसे मौसम की पहली बारिश का लुत्फ उठाने का मन ही बना लिया था । वो आशी के बार-बार कहने के बाद भी बीच सड़क पर बारिश का इंतजार करने लगी।
तभी आशी का फोन बजा, आशी ने फोन उठाया ही था कि दुसरी तरफ से आवाज़ आयी .......
कहाँ हो तुम दोनों, तुम्हें पता है न इस वक़्त तुम्हें घर पर होना चाहिए और ऊपर से बारिश भी होने वाली है ।आशी कुछ कह पाती इससे पहले ही उधर से फिर आवाज़ आई- तुम दोनों आ पाओगी या मैं आऊँ ..... आशी ने बात को बीच में ही काटते हुए कहा, नहीं माँ आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है हम पहूँच जाएंगे ।दरअसल हम आ ही रहे थे, लेकिन राधिका को रास्ते में कुछ काम था जिस वजह से हमें देरी हुई ।और अब उसे बारिश में भीगना है ।आप फिक्र मत कीजिए हम बस घर पहूँच ही रहे हैं ।यह कहते हुए आशी ने फोन रखा और राधिका का हाथ पकड़ कर घर की तरफ चलने लगी।
राधिका समझ गई कि जरूर आशी की माँ से बात हुई है ।राधिका ने भी प्यार से आशी के गले में हाथ डालते हुए शरारत भरी नजरों से आशी की ओर देखते हुए कहा "डर तो नहीं लग रहा"। आशी ने कुछ भी नहीं कहा ।।राधिका ने फिर से आशी को चिढाते हुए कहा - अगर डर लगे तो मेरा हाथ पकड़ लो, इतना कहते हुए राधिका ने आशी की ओर इशारा किया, आशी ने मुस्कुराते हुए कहा - अच्छे से जानती हूँ मैं तुम्हें । तुम चाहे कुछ भी कर लो ,तुम्हारा हाथ तो मैं घर जाकर ही छोड़ने वाली हूँ।
तभी बादलों की तेज घरघराहट के साथ बारिश शुरू हो गई।झम-झम करती मौसम की पहली बारिश राधिका की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा। लेकिन अगले ही पल राधिका की सारी खुशी गायब हो गई, क्योंकि उसके साथ आशी भी थी।।।।
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