Wo Nigahen - 13 in Hindi Fiction Stories by Madhu books and stories PDF | वो निगाहे.....!! - 13

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वो निगाहे.....!! - 13

भीगी निगाहो से जब उन्होने देखा
उसका दिल कचोट सा गया!



श्री हास्पिटल के मंदिर जाकर हाथ जोडकर नम आंखों से खड़ी हो गई उसके होठ हिल रहे थे वो साथ हि मंत्र भी पढती जा रही थी l

कुछ वक़्त बाद किसी ने उसके कन्धे पर हाथ रखा l

पलट कर देखा चौक पडी l भगवान जी के हाथ जोडकर वो श्री को अपने साथ ले जाकर किनारे पर खड़ा हो गया l

श्री कि आंखें आन्सुओ से सरोबार थी l उसने श्री को बिन पूछे गले से लगा लिया l गले लगते ही श्री का सब्र का बांध टूट गया वो उसके लगते ही बिलख पडी l अपनी टूटी फ़ूटी आवाज से ते....तेज जी अ.. अपनी ध..धानी l

(हा ये तेज था जो किसी काम से होस्पिटल आया था उसकी निगाह जब श्री पर पडी फ़ौरन हि हो लिया)

श्श्श....श्री को अपने में कस कर भीच लिया उसके रुदन से तेज की भी आंखे भीग गई थी l श्री कि सिर सहलाने लगा l श्री तेज के गले लगी रही कुछ वक़्त बाद वो सम्भली l फिर तेज को पूरी बात बताई l

तेज श्री कि भीगे आंखों को पोछा उसे साथ लेकर सबके पास गया जहा धानी कि मम्मी पापा थे l

जैसे ही वो पहुचे उसी वक़्त मयूर भी ब्लड देकर निकला l धानी के मम्मी पापा को देख वो ठिठक गया l अवाक सा उन्हे देखने लगा l श्री तेजी से मयूर के पास आई l

यहा तू आ बैठ वो वो जिसे तू ब्लड देकर आया है वो अपनी धानी है उसका मेजर एक्सिडेन्ट हो गया था l
इतना सुनते हि मयूर अचम्भे से अपनी दि को देखने लगा उसका पूरा चेहरा रोने से लाल पडा था l

मयूर को ऐसा लगा जैसे उसका जिस्म से किसी ने रुह निकाल दि हो वो अपनी दि के सामने कमजोर नहीं पडा क्योंकि कोई भी उसके जज्बात नहीं जानता था उसका ज्यादा पैनिक करना ठीक ना था खुद को सम्भाला दि से बोला l ठीक हो जायेगी धानी परेशान मत हो दि l
खमोशी छा गई थी सभी डाक्टर का आने का इंतजार करने लगे एक दूसरे को ढान्ढस बंधा रहे थे l

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डाक्टर ओटी से निकलकर आय ऑपरेशन सक्सेसफ़ुल हुआ है l उन्हें सुबह तक होश आ जायेगा l

सभी को सुनकर शरीर में जान सी पडी l

श्री और उसकी मम्मी अस्पताल में रुक गये l सभी लोग चले गये दूसरे दिन आने के लिए l

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तेज घर पहुंचा थका थका सा था सीधे जाकर सोफ़े पर पसर गया l माँ पापा उसके अभी आय ना थे वेद और वामा हि घर पर ठहरे थे l

भाई आप कब आये ? आप बैठो काफ़ी लेकर आती हूँ l किचन कि ओर चली गई तब तक वेद भी आ गया था l

तू इतनी देर से क्यों आया मै कब से इंतजार कर रहा था काल भी किया तेरा फोन बन्द बता रहा था l

हा वो होस्पिटल में था श्री कि दोस्त धानी उसका मेजर एक्सिडेन्ट हो गया था फ़िलहाल उसका ऑपरेशन हो गया है सुबह तक होश आ जायेगा l

हम्म! वेद

काफ़ी लेकर वामा भी आ गई l तीनो मिलकर पीने लगे l
अब धानी कैसी है भाई

"सुबह तक होश आ जायेगा " तेज बोला l

भाभी से मिले थे कि नहीं आप l

हा मिला था तुम्हारी भाभी का रो रो कर बुरा हाल था उसे सम्भाला तब जाकर वो सम्भली l

भाई अपनो के आगे अकसर इंसान टूट हि जाता है l ये बात वामा वेद को देखकर बोली थी l

"तू इतनी समझदार कबसे हो गई "महोल हल्का करने के लिए वेद बोला l

मै तो बचपन सी थी घूर कर बोली वामा l

तू जाकर बढिया सा कुछ बना भूख लगी है वेद बोला l

तुम लोग बाते करो मै जरा फ़्रेश हो लू l तेज बोला l

जा तू मै वामा कि हेल्प करा देता हूँ तू जल्दी से आ जाना l

तेज अपने कमरे चला गया l

वेद और वामा किचेन l

वेद तहरी बना लेते है जल्दी बन जायेगी l वामा बोली l वैसे खाने के नाम पर वामा तहरी खिचड़ी नूडल्स चाय काफ़ी बना लेती थी l

वेद उसे चिढाने के लिये बोला तू बना लेती है पता कही जला वला रख दि तो कहकर आंख मार दि l

हाथ में पकडी करछुल से वामा ने उसके पीठ पर धर दिया l

अरे यार मै तो मजाक कर रहा था तुम्हें कुछ कह दो तो तुम मारने पर लग जाती हो l मासूम इंसान को भला कोई मारता है मासूम सा फ़ेस बनाकर बोला l

तुम और मासूम आईने में शक्ल देखो अपनी बड़े आय मासूम l

मी तो रोज देखता हूँ कितना सा तो मासूम हूँ l तुम्ह हि हो जालिम लडकी झूठ गुस्सा करता हुआ बोला l

हा मै हूँ जालिम मुह सिकोडते हुये बोली l

दोनों हि मजाक मस्ती करते हुये बनाने लगे l

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तेज फ़्रेश होकर आया श्री को फोन लगा दिया
श्री कुछ खा लो आन्टी को भी खिला दो वक़्त हो गया है खाने ताकत भी तो होनी चाहिए मुश्किलों से लडने के लिये!

श्री हम्म आन्टी को खिला दिये है l

और आपने?

.......

कुछ पूछा है हमने आपसे!

नहीं मन नहीं है हमारा!

प्लीज श्री कुछ खा लिजिये नहीं तो धानी कहेगी हमने आपका ध्यान नहीं रखा l

ठीक है खा लेगे l

नहीं खाईये जाकर खा लेगे नहीं खाईये जाकर l

अच्छा जा रहे है आपने खाया कि नहीं l

नहीं वामा बना रही है l हम खा लेगे आप प्लीज खा लिजिये ख्याल रखना अपना आन्टी का भी!

हा आप भी!

कहकर फोन रख दिया l

हम जानते है आप परेशान है तक़्लीफ़ में है हम अभी रुक नहीं सकते थे आपके पास अफ़सोस से रह गया l

सीधे जाकर बेड पर आंखें बन्द कर हाथ माथे पर धरे लेट गया l

जारी है!