Is janm ke us paar - 18 in Hindi Love Stories by Jaimini Brahmbhatt books and stories PDF | इस जन्म के उस पार - 18

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इस जन्म के उस पार - 18

( कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े 🙏🏻🙏🏻)


यहां सुबह वरदान और अयंशिका धर्म और चपला के साथ निकल पड़ते है।काफ़ी दूर तक आके वो सितारा एक जंगल मे एक ख़डीत दीवार के पास रुक गया.!!

धर्म :- यहां तो कुछ नहीं सिर्फ एक दीवार है.!!

चपला :- बात कुछ और है वरना ये सितारा यहां नहीं रुकता.!!तभी अयंशिका उस दीवार को छुति है तो वो चमक उठती है वरदान जट से अयंशिका को पीछे खींच लेता है..

तभी उस दीवार पर एक पहली दिखती है.. "वो जो कल था आज भी है और हमेशा रहेगा.!!"

सब सोच मे पड़ जाते है की वो हो क्या सकता है..? चपला :- भगवान जी.!!

धर्म :- नहीं.. वो तो हर युग के अनुसार बदलते है.!

वरदान :- तो फिर जवाब क्या हो सकता है.??

अयंशिका कुछ सोचकर :- समय.!!हा समय.. क्युकी वक़्त हमेश के लिए अटल है वो हमेशा रहता है युग बनकर, याद बनकर हमेशा.!!वो जोर से बोलती है सही जवाब है समय.!!

तभी वो दीवार आईने मे तब्दील हो जाती जिसमे से आवाज आती है.'आपका स्वागत है अद्रोना.. सही जवाब यहां से पूर्ब की और चले जाइये आपको अगला रास्ता वही मिलेगा.!!इसी के साथ दीवार गायब हो जाती है।

धर्म :- वाह अंशि..!!अब चलते है।

वरदान भी मुस्कुराते हुए अयंशिका का हाथ पकड़ चल पड़ता है।आगे चल के वरदान, "बस कुछ देर रुकते है..!"

चपला :- हा मुझे तो बड़ी जोर की भूख लगी है..!

धर्म :- हा वैसे भी रात भी हो जाएगी यही पड़ाव डाल देते है।

सब वैसे ही करते है चपला खाना बनाती है.. वही अयंशिका उस काले जादू की किताब को उलट पलट रही थी।वरदान उसको देख, "उसे छोड़ो चलो खाना खा लो.!!"

अयंशिका 😤:- पता नहीं कौन सी उठपटांग सी किताब है ना खुलती है ना पढ़ी जाती है.!!

वरदान हस के 😄' एक काम क्यों नहीं करती आप उसे भी धमकी दीजिए... देखना जल्द खुल जाएगी.. बेचरी किताब की इतनी मजाल की राजकुमारी की बात को नकारे.!"

अयंशिका 😤😤:- आप हमारा मजाक उड़ा रहे है.!!

वरदान :- नहीं तो.!!हम ऐसे क्यों करेंगे.!!वो प्यार से अयंशिका को खाना खिलाने लगता है अब भी अयंशिका का ध्यान किताब पर ही था.. वो गुस्से से उस किताब को जोर से अपने सर पर मारती है और जैसे ही फेकती है वो किताब चमकने लगती.!!

वरदान हल्के गुस्से से उसके सर पर हाथ फेर :- अयंशिका क्या था ये.. लग जाती ना आपको.!!तभी अयंशिका उस किताब को देखते हुए 'वरदान वहा देखिए.!'

वरदान देखता है की किताब खुल गई थी.. धर्म और चपला भी देख रहे थे.. धर्म का ध्यान अयंशिका के सर पर जाता है जहाँ हल्की चोट के वजह से खून जम गया था.. धर्म, "ये अद्रोना के खून की वजह से खुली है.!"

अयंशिका उसे पढ़ने के लिए उठती है..वरदान भी साथ मे देखता है.. पर उसे वो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। तभी अयंशिका पढ़ती है, "आमीने आमंते.. कोजाप नहीं.. लातूके.!"

वरदान :- मतलब.??

अयंशिका :- अर्थात की जिसे जगाया गया है वो तबाही के लिए बुलाया गया है. पर ज़ब छुएगा अतीत वो उसे जो वापस भेज देगा उसे नर्क मे.!!

वरदान 😲😲😲:- आप ने कैसे.?

अयंशिका डर के, "पता नहीं.बस आ गया.!"

धर्म :- इसलिए क्युकी आप एक आद्रोना है.. और इसका मतलब है जिस मुर्दे को उस अघोरी ने जिन्दा किया है वो आपको अपने बस मे करने की कोशिश करेगा पर उससे पहले आपको अपनी शक्तिओ का उपयोग शिकाना है क्युकी सिर्फ आप ही है जो उसे वापस भेज देंगी !!

वरदान :- पर कैसे.?? और ये अतीत का क्या मांझारा है.? और अयंशिका को कैसे पता चलेगा उनकी शक्तियों के बारे मे.?

चपला सर पकड़ :- हें महादेव सिर्फ प्रश्न ही प्रश्न है। कोई जवाब नहीं है।

सब खाना खा के सो जाते है पर अयंशिका सो नहीं पाती वरदान उसको देखता तो उठ जाता है और उसके पीछे नदी के किनारे आ जाता है।

अयंशिका उसे महसूस कर के, "उस किताब मे ये भी लिखा था की अगर आद्रोना अपने आपे से बाहर हो जाती है तो.. तबाही मचा देती है।"

वरदान उसे अपनी तरफ घुमा के, "तो. ऐसा तब होगा ज़ब आपको आपकी शक्तियों का ज्ञान हो.. पर ऐसा नहीं है ना.!"

अयंशिका :- नहीं ऐसा जरुरी नहीं.. बुरी ताकतें हमें अपने वश मे कर सकती है। 🥺

वरदान उसका हाथ पकड़ जाते हुए :- तब की तब देखेंगे अभी चलिए और सो जाइये.!!

अयंशिका वहा से नहीं हिलती तो वरदान पीछे मूड उसे देखता है.. अयंशिका, "आप हमसे एक वादा करेंगे.?"

वरदान उसका चेहरा हाथ मे थाम के, "केसा वादा.?'

अयंशिका उसके हाथ पर हाथ रख.,"अगर हम आपे से कभी भी बाहर हो जाये तो आप.. तो आप हमें जान से मार देंगे.!!"

वरदान 😠:- अयंशिका....!!!!वो अयंशिका के मुँह पर हाथ रख देता है।अयंशिका उसका हाथ हटा के अपने सर पर रख देती है। "आपको हमारी कसम 🥺 वरदान.!"

वरदान उसे गले लगा के :- चुप चुप... एक दम चुप. आप को कुछ नहीं होगा.. हम होने ही नहीं देंगे.!!हम है ना आपके साथ. अयंशिका.!!वरदान की धड़कन बहुत तेजी से धड़क रही थी जिसे अयंशिका साफ सुन पा रही थी.. वरदान उसे खुद से दूर कर "आज बोल दिया है आपने आगे मत बोलिएगा.. आप जानती नहीं इस ख्याल से भी हम डर जाते है.!मन मे आप तो बोल देती है अयंशिका पर हम मर जाते है.. कैसे बताये आपको की नहीं जी सकते आपके बिना..!"

अयंशिका उसके गले लग जाती है.😭. "हमें माफ कर दीजिये पर हम खुद बहुत डरे हुए है वरदान.. हम समझ नहीं पा रहे है की.!"

वरदान कुछ देर उसे रोने देता है फिर खुदसे दूर कर, "अच्छा अब रोना बंद कीजिये.. वरना महाराज राय हमें सूली पर चढ़ा देंगे.!"अयंशिका मुस्कुरा देती है. तो वरदान वही बैठ जाता है अयंशिका को लेकर.!!अचानक वातावरण बादल जाता है. वहा धुआँ आ जाता है.. उस कोहरे मे कुछ नहीं दिखाई दे रहा था की वरदान,"अयंशिका.!"

अयंशिका भी वरदान को ही ढूंढ रही थी.. तभी कोई उसे खींच लेता है.. और एक अनजान सी जगह फेक देता है।अयंशिका ख़डी हो के, "कौन है.. किसने हमला किया हम पर कौन है.!!"

तभी आवाज आती :- ये लड़की तुजे पढ़ना आता है ना.!!

अयंशिका को आवाज आ रही थी पर कुछ दिख नहीं रहा था.. वो पूछती है, "कौन हो सामने आओ.!!"

आवाज :- तुझे उस महल मे जाना है और कुछ पढ़ना है.!!

अयंशिका को ना तो कोई महल दिख रहा था नहीं ये बोलता हुआ इंसान.!!तभी एक तेज रौशनी दिखाई देती है आकार मे बड़ा दरवाजे जैसा ही था. की वो आवाज, "जाओ अंदर और हा वहा एक गायबो के दिखने वाला मंत्र होगा उसे ही पढ़ना. अब जाओ. वरना तुम्हारे मित्रो को मरना पड़ जायेगा.!!"

अयंशिका अंदर चली जाती है.. यहां कोहरा हट चूका था पर वरदान बहुत ज्यादा परेशान था.. वो धर्म और चपला को बताता है.!!सब उसे ढूंढ़ने मे लग जाते है।



(:वीर - ये अयंशिका थोड़ी बेवकूफ नहीं है क्या.?उसके ऐसे कहने पर तीनो उसे बुरी तरह घूर ने लगते है तभी यस्वी 😏, "बोल भी कौन रहा है खुद उल्लू का पठा किसी और को कह रहा है.!"वीर 😲 - तुमने मुझे उल्लू कहा। यस्वी 😜,"उपस.. नहीं नहीं उल्लू तो समझदार होते है तुम तो गधे हो. 😤!"वीर कुछ कहता उससे पहले ही सूर्यांश इसे डांट के,"चुप भी हो जा.. अपनी ये बकवास बाद मे कर अभी देखने दे.!!")



................ बाकि अगले भाग मे....!!!आपका अभिप्राय जरूर दीजिएगा.!!🙏🏻🙏🏻