Is janm ke us paar - 17 in Hindi Love Stories by Jaimini Brahmbhatt books and stories PDF | इस जन्म के उस पार - 17

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इस जन्म के उस पार - 17

( कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर padhe🙏🏻🙏🏻)


वरदान का आज युवराज के तोर पर राज्याभिषेक होना था और दूसरी और शाम को अयंशिका के जन्मोत्सव की तैयारी भी चल रही थी.. ज़ब से वरदान ने अयंशिका से उसकी पायल ली थी वो बहुत नाराज़ थी उससे इसलिए वो उसे अनदेखा कर रही थी।

बड़े जोरो सोरो से चुनारगढ़ सजा हुआ था.. पर आने वाले वक़्त से सब अनजान थे..

शाम को ज़ब वरदान युवराज के पद पर घोषित हुआ उसने अपनी शपथ ग्रहण की तो सब बहुत ख़ुश थे.. अब बारी अयंशिका के जन्मोत्सव की थी.. पर तभी अचानक वातावरण पलट गया.. शांत हवाएं तूफानी बन गई.!!अंधेरा और भयानक और गहरा हो गया। तभी महागुरु आके, "महाराज राय वो आ गया.!!"

महाराज राय और महाराज अराविदु दोनों डर गए.. महाराज अराविदु ने सबको अंदर जाने को कहा और खुद महाराज राय के साथ महागुरु को ले कक्ष मे चले गए.. वरदान को कुछ अजीब लगा वो भी उनके पीछे चला गया.. वही अयंशिका, चपला और धर्म भी उनके पीछे ही चले गए.!!

कक्ष महाराज राय :- वो कैसे जिन्दा हो सकता है.. आज अयंशिका के जन्मदिन पर.. कैसे.??

महाराज अराविदु :- शांत हो जाइये हम बात कर रहे है.ना.!!

वरदान :- कौन जिन्दा हो गया.. और अयंशिका के उनसे क्या लेना देना.??

महाराय अराविदु और महाराज राय हैरान हो कर वरदान को देखते है की महागुरु, "राजकुमार वरदान ही रक्षक है.!!"

महाराज राय :- क्या.??

महागुरु :- हा मेने अपनी शक्तियों से देखा था इन्हे.!!

महाराज अराविदु :- हम आपको सब बता ते है वरदान.!!दरसल बात अयंशिका की है.. अयंशिका एक साधारण मनुष्य नहीं बल्कि एक "आद्रोना "है। आद्रोना का मतलब है की स्वयं माता आदिशक्ति के नक़्शेत्रो के साथ जन्म लेना.. उसकी खासियत ये है की वो ह्रदय से बहुत प्यारी और मासूम होती है.. इसलिए ही उनके पास कुछ पवित्र शक्तिया आती है.. अयंशिका वही है.. पर कहते है ना अच्छाई के साथ बुराई का पुराना रिश्ता रहा है ऐसे ही किसी ने अयंशिका के रक्त से किसी बुरी आत्मा को जागृत कर दिया है। और वो अब मानवो के लिए कहर बन के आ गयी है।

'उसे सिर्फ अयंशिका ही रोक सकती है क्युकी उतनी शक्ति सिर्फ एक आद्रोना के पास है परन्तु.!!"पीछे से धर्म ने आके कह।

वरदान :- परन्तु क्या धरम्.??

महागुरु :- परन्तु राजकुमारी खुद अपनी शक्तियों से अनजान है.!!और ऐसे मे उनका कुछ भी करना उल्टा भी पड़ सकता है.. क्युकी वो बहुत पवित्र है अगर किसी बुरी शक्ति के स्पर्श भी हुआ तो वो उससे भी भयानक बन सकती है।

वरदान :- कोई दूसरा रास्ता नहीं है.??

धर्म :- है ये किताब.!!वो एक किताब निकाल के रखता है।

महागुरु :- ये तो काले जादू की किताब है .!!

धर्म :- हा महागरु ये उस अघोरी के पास थी.. और हो सकता है इससे ही वो बुरी शक्ति खत्म होने का रास्ता मिले.!!

महागुरु 😔:- इस किताब को भी आद्रोना ही पढ़ पायेगी.!!

'तो हम पड़ेंगे और उस बुरी शक्ति को नष्ट भी करेंगे.!!'पीछे आ के अयंशिका ने कहा।

महाराज राय :-नहीं पुत्री आप.!!

अयंशिका :- आपने हम से इतनी बड़ी बात छुपाई क्यों पिताश्री.?

महाराज राय :- नहीं वो..!!

अयंशिका :- महागुरु आप बताइये हमें क्या करना है.?

महागुरु :- राजकुमारी आप.!!

अयंशिका :- हम तैयार है महागुरु.!!बताइये.!!

वरदान अयंशिका की एक तरफ उसका हाथ पकड़ :- हम भी.!!और दूसरी तरफ धर्म अयंशिका का हाथ पकड़ :- मे भी.. मे वादा करता हु अपनी बहन पर एक खरोच नहीं आने दूंगा.!!

महागुरु और दोनों महाराज ख़ुश हो जाते है.. अयंशिका अपने पिताश्री के पास आके, "अपनी पुत्री पर भरोसा कीजिए पिताश्री.!!"

महाराज राय उसके सर पर हाथ फेर , "खुद से ज्यादा भरोषा है हमें आप पर.!!"

महागुरु :- आपको उस बुरी शक्ति को वही खत्म करना है जहाँ उसका जन्म हुआ था.. और बो बात आपको ये चमकता सितारा बताएगा..महागुरु एक चमकती हुई गोल चीज को दिखा के बोलते है.. याद रहे राजकुमारी आप अगर बुरी शक्ति के बस मे हो गई तो आपको कोई नहीं रोक पायेगा.. याद रखना.. जाइये तैयारी कीजिए महादेव आपकी रक्षा करे 🙏🏻.!!

वरदान, धर्म, चपला और अयंशिका तैयारी कर चुके थे रात को अयंशिका आसमान देख रही थी की वरदान उसके पास आके, "क्या हुआ अयंशिका.?"

अयंशिका जट से उसके सीने लिपट के 😭रोने लगती है, "हम.. हमारे साथ ही क्यों. हमने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा वरदान.. फिर क्यों.?"

वरदान उसकी हालत समझ रहा था. वो अयंशिका को शांत करवाता है.!!उसे बैठा के, "इसलिए क्युकी आप खास है.. सबसे खास.!!"

अयंशिका :- हम्म.!!

वरदान :- वैसे आपने अभी क्या किया.?

अयंशिका 🤨:- क्या किया.?

वरदान :- आपने हमारा नाम लिया.!!

अयंशिका ना जाने क्यों शर्मा जाती है.. वरदान उसके चेहरे को पकड़, "अयंशिका हमारा नाम लीजिए.!!"

अयंशिका मुँह फेर के ख़डी हो जाती है.. वरदान उसे पीछे से अपनी बाहो मे भर के, "कहिये ना.. हमें सुनना है हमारा नाम आपके मुँह से.!!"

अयंशिका उसे धका दे, "क्यों जाइये ना अपनी उस पायल वाली से सुनिय आपका नाम वो लेगी.!"अयंशिका जाने को होती है की वरदान उसका हाथ पकड़ जोर अपनी तरफ खिंचता है जिससे वो वरदान के सीने से जा लगी.. उसकी धड़कन बेतथाशा धड़क उठी.!वरदान के हाथ ज़ब उसकी कमर को छू गए तो एक एहसास से अयंशिका की आंखे बंद हो गई.!!

वरदान 😠,"आज बोला है आइंदा ऐसा कहा ना तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा.!"

अयंशिका की आवाज अटक रही थी, "वो.. हम ने. झूठ क्या कहा. आप ने ही बताया था की.!"

वरदान उसे बैठा के उसके पेरो के पास बैठ जाता है और वो पायल उसे पहनाके उसके पेरो को चूमते हुए,'आप की ही है बस जन्मदिन की बधाई के साथ आपको देना चाहते थे।'

वरदान उठ के अयंशिका के सर को चुम लेता है.. की अयंशिका उसके सीने से लग जाती है... वरदान ऐसे ही उसके पास बैठ जाता है.. और अयंशिका ऐसे ही सो जाती है।

वरदान मन मे :- कैसे बताये आपको अयंशिका आप हमारा क्या है.?? आप सब कुछ है हमारी.. पर पहले इस विनाश को रोक ले फिर बताये आपको की ना जाने कब आप हमारी जिंदगी बन गई.!!"वो भी अयंशिका के सर को चुम लेटा है और सो जाता है।



.............. बाकि अगले भाग मे...!!