Wo Nigahen - 12 in Hindi Fiction Stories by Madhu books and stories PDF | वो निगाहे.....!! - 12

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वो निगाहे.....!! - 12


निगाहे बेचैन हो गई
उनकी एक झलक पाने को!!




शाम वक़्त वो जल्दबाजी में प्रोग्राम का सामान ला रही थी कि रोड क्रास करते वक़्त राँग साइड से आ रहे ट्रक से टक्कर इतनी जोरो कि हुई उसके हाथ का सामान बिखर गया वो सीधा हवा में उछलती हुई गिरी पूरी खून से लथपथ !

श्री काम कर रही थी कि उसे अचानक बेचैनी लगने लगी l वो उठकर पानी पीने लगी कि तब तक उसका फोन बजा देखा धानी का काल थी झट से उसने फोन उठाया हा धानी कहा हो अभी l

हैलो किसी अजनबी कि आवाज से श्री चौक पडी l
ये जिनका भी फोन उनका एक्सिदेन्ट हो गया हम लोग उन्हें होस्पिटल ले कर जा रहे है आप लोग तुरन्त आ जाईये l

श्री लडखडा गई अवाक सी रह गई उसका गला चोक गया कुछ बोलते ना बना टेबेल का सहारा ना लेती तो गिर हि पडती l

श्री वर्कर को बता वो बताय हुये एड्रेस पर धानी से मिलने के लिये निकल पडी l

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वहा उन लोगों ने हास्पिटल में भर्ती कर दिया l तब तक श्री भी पहुच गई थी सारी धानी को ठीक होने के लिये प्रक्रिया भी चालू हो गई थी l

श्री ने धानी कि घरवालो को भी बता दिया था l

वो बेचैनी से इधर से उधर चक्कर पर चक्कर काटने लगी l
तभी डाक्टर आये बोले मरीज का खून काफ़ी बह गया हमे खून कि जरुरत है उनका ब्लड ग्रूप भी बहुत रेअर है यहा ब्लड बैक में नहीं पोसिबल है मिलना l

श्री खुद को संयत कर डाक्टर क्या है धानी का ब्लड ग्रुप ह... हम अभी इंतजाम करते है l

AB पोस्टिव .....जल्दी करियेगा हमारे पास ज्यादा वक़्त नहीं है !

जी हम कुछ करते है तब तक आप आगे का तो प्रक्रिया करिये हाथ जोड कर आपसे निवेदन है l

धानी के मम्मी पापा भी आ गये थे उनका भी ब्लड ग्रुप मैच नहीं करा l

श्री दर्द से आँखें मीच लि... कुछ उसे याद फ़ौरन हि नम्बर लगाया कहा हो तुम

दि मै घर हि जा रहा हूँ बडी बेचैनी सी लग रही है मै आधे रास्ते से हि लौट आया हूँ l

ठीक तुम घर ना जाकर यहा होस्पिटल आओ l

ठीक आता हूँ!

कुछ वक़्त बाद....

क्या हुआ दि आप तो ठीक हो ना...
हा हम ठीक है तुम्हारा AB पोस्टिव ब्लड ग्रुप है ना?

हा दी पर हुआ क्या बड़ी बेचैनी लिये हुये बोला l

बाद में बताते है तुम पहले ब्लड डोनेट करो श्री सीधा उसे डाक्टर के पास ले गये बताया l

मायूर का जांच हुई सब सही था उसके बाद धानी को ब्लड देने के लिए डाक्टर धानी के रुम में ले गये एक दुसरे बेड पर लिटा उसका ब्लड धानी को चढने लगा l

मायूर देखा जब कमरे गया देखा कोई लडकी आक्सिजन लगाय बेसुध सी लेटी थी उसको देख पता नहीं क्यों धानी याद आ गई l फिर तेजी से अपना सिर झटका मन में बोला इस वक़्त तो अपने घर पर होगीl मै पता नहीं क्या सोचे जा रहा हूँ कहकर अपने सिर पर चपत धर दिया l फिर भी उसका मन काफ़ी बेचैन था!

मायूर जाकर ब्लड देने लगा l

श्री बाहर हि बेचैनी से टहल रही थी l एक बार भी उसके कदम नहीं रुके थे धानी कि मम्मी का रो रो बुरा हाल था पापा भी नम आंखों से ऑपरेशन रूम को देखे जा रहे थे l

श्री हास्पिटल के मंदिर जाकर हाथ जोडकर नम आंखों से खड़ी हो गई उसके होठ हिल रहे थे वो साथ हि मंत्र भी पढती जा रही थी l

कुछ वक़्त बाद किसी ने उसके कन्धे पर हाथ रखा l

पलट देखा तो वो चौक पडी!

जारी है...!!