Part 67: Family Photo
अवनी को जैक की उदास रहने पर बहुत फिक्र हुई। समझ नहीं आ रहा था क्या किया जाए। कैसे जैक को उसकी पुरानी यादों से बाहर निकाला जाए। अवनी इस बारे में पवन से बात करती है।
पवन - तुम चिंता मत करो समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। कुछ समय दो उसे।
रात का समय है पवन अपने माता-पिता के कमरे में जाता और उनसे जैक के बारे में बात करता है।
पवन - माँ पिताजी आप दोनों के अपनेपन से जैक जल्दी ठीक हो जाएगा। पुरानी यादों से बाहर आ जाएगा।
माँ - ठीक है बेटा मैं और तेरे पिताजी भी जैक पूरा ध्यान रखेंगे। जब तुम दोनों ने उसे बेटा माना है तो हम भी मन से पोते जैसा प्यार ही देंगे। तुम और अवनी चिंता मत करो जल्दी ही वो हमसे घुल मिल जाएगा।
पवन - ठीक है माँ । माँ क्यों न हम जैक के लिए एक पार्टी रखें।
माँ - अच्छा सुझाव है। उसे अच्छा लगेगा।
पिताजी - ठीक है पूरी तैयारी करो और रिश्तेदारों को invite करो।
माँ बेटा बातें ही करते रहोगे। अब सो जाओ कल से तैयारी करनी है।
पवन - (खुश होते हुए) ठीक है पिताजी, You are the best, I love you.
पिताजी - love you too beta.
माँ - हाँ अब देर नहीं हो रही। चलो दोनों बापू बेटा सो जाओ।
पिताजी - जैसा आपका आदेश पत्नी जी।
तीनों हँसते हुए चले जाते हैं।
पवन गुनगुनाते हुए अपने कमरे में आता है।
अवनी अवनी ओ my dear wife, oh my lovely wife, कहाँ हो तुम।
अवनी - अरे! बड़े खुश दिख रहे हो क्या हुआ है।
पवन - Surprise ! Surprise ! अच्छा पहले बताओ, जैक सो गया, उसने कुछ खाया।
अवनी - हाँ बहुत मुश्किल से थोड़े से चावल ही खाये ।
पवन - कोई नहीं सब ठीक हो जाएगा। एक खुशखबरी है my darling.
अवनी - क्या? बताओ जल्दी! जल्दी !
पवन - (गाना गुनगुनाते हुए)
अभी तो पार्टी शुरू हुई है।
पार्टी - पार्टी - पार्टी
अवनी - पार्टी किसकी, पूरी बात बताओ या गाते ही रहोगे।
पवन - हमारी पार्टी डियर जैक के लिए।
अवनी - oh that's great news. जैक खुश हो जाएगा।
पवन - चलो हम दोनों भी सो जाते हैं सुबह पार्टी की तैयारियां करनी हैं।
दोनों सोने कीकोशिश तो करते है पर सो नहीं पाते है ।
अवनी - पवन मुझे तो नींद ही नहीं आ रही। पार्टी के बारे में सोचें जा रही हूँ। कबकी party decide की है।
पवन - कल सुबह पंडित जी पूछकर सही दिन बताएंगी।
सुबह पूजा पाठ हवन कराएंगे शाम को cake ceremony करेंगे। सब कुछ होगा dear...
अवनी - ok good night.
दोनों सो जाते हैं। अगली सुबह सभी नाश्ते की टेबल पर बैठे हैं ।
माँ - पवन और अवनी मैंने पंडित जी बात की है। दो दिन बाद पूर्णिमा का दिन शुभ है।
अवनी - ठीक मम्मी जी। हम तैयारी करते हैं।
माँ - अवनी और पवन तुम दोनों पहले लिस्ट बनाओ । एक मेहमानों की और दूसरी पार्टी के सामान की ।
पवन और पवन हाँ में हाँ मिलाते नाश्ता करके चले जाते हैं। अभी जैक नाश्ता कर रहा है।
माँ - अरे ! जैक नाश्ता कर लिया। तुमने जूस तो पिया नहीं।
जैक - जी मेरा मन नहीं है।
माँ - बेटा मैं तेरी दादी हूँ तुम दादी माँ कहा करो। ये तुम्हारे दादाजी
जैक (उनकी ओर देखते हुए) - जी ठीक है।
माँ - फिर जी...
जैक - जी दादी जी, दादा जी।
पिताजी - चलो जैक हम नाश्ते के बाद बाहर की बगीचे में चलते हैं बहुत से पेड़ पौधे लगाए हुए हैं हमने । अभी माली काका भी वहीं होंगे।
जैक - (खुश होते हुए) जी दादाजी चलिए।
जैक और पिताजी दोनों बगीचे की ओर जाते हैं बगीचा बंगले से बाहर निकलते ही है।
पिताजी - देखो जैक ये हैं गुलाब के फूल। सब तरह के गुलाब हैं हमारे यहाँ।
ये देखो ये गुड़हल, सदाबहार, कचनार के पौधे।
ये आगे पाम, नागफनी, मनी प्लांट के पौधे हैं।
तभी किशन माली को आवाज़ लगाते हैं। किशन ओ किशन कहाँ हो भाई..
किशन काका - जी बाबू जी आया । जी ... बोलिए
पिताजी - किशन ये जैक है हमारा पोता । अब रोज़ हमारे साथ आएगा। तुम इसे पूरा दिखाओ। कुछ पसंद हो तो तोड़कर दे देना।
जैक हमारे बगीचे आम अमरूद और जामुन के पेड़ भी हैं।
जैक - अच्छा, वाह मुझे आम बहुत पसंद हैं।
किशन काका - चलो जैक बाबा आपको बगीचा दिखाता हूँ।
जैक घूमना फिरना और नई - नई जानकारी लेना तो बहुत पसंद है।
जब उसकी मनपसंद बात हो तो खुश होना तो बनता है दोस्तों । वो भी फूलों के बीच, हरियाली में ऐसा सुंदर माहौल किसे अच्छा नहीं लगता। जैक को तो इटली में भी घूमना फिरना खूब भाता था।
इस समय बगीचे में घूमते हुए वह अपने माता-पिता के ग़म को भूल सा गया था।
माली काका - ये देखो जैक बाबा अमरूद के पेड़।
जैक - अरे! काका अमरूद तो खूब आए हुए हैं। मैं तोड़ सकता हूँ।
किशन काका - हाँ बिल्कुल ये सभी पेड़ आपके बगीचे के हैं। आपके हैं।
काका की अपनेपन की बातें जैक को अच्छी लगीं। वह अब खुश है।
जैक अमरूद तोड़ता है।
किशन काका - बाबा चलों नल पर धोकर खाना।
जैक - अरे वाह ! काका अपने तो बगीचे में सब इंतजाम किया हुआ है।
किशन काका - हाँ जैक बाबा । बाबू जी को अपने बगीचे से बहुत प्यार है । रोज़ आते हैं वो यहाँ।
जैक - अच्छा फिर तो मैं भी आऊँगा। काका अमरूद बहुत मीठा है । ताज़े अमरूद का taste अलग ही होता है।
किशन काका - हाँ ये तो है। और भी बहुत कुछ है हमारे बगीचे में। बैंगन, घीया, टमाटर, तोरी की बेलें लगाई हुई हैं। धनिया पालक मेथी के पौधे भी हैं।
चलों बाबा चलते हैं बाकि का बगीचा कल देख लेना । बाबू जी आपका इंतजार कर रहे होंगे।
जैक और काका वापिस पिताजी के पास आ जाते हैं।
पिताजी - और जैक बच्चे मज़ा आया ।
जैक - जी दादा जी।
पिताजी - चलो अब घर चलते हैं।
घर पहुँचने पर पवन की माँ बोलती है
माँ - अरे! आप दोनों आ गए । आज तो बहुत घूमे।
जैक - हाँ जी .... दादी जी, खूब मज़ा आया बगीचे में। अमरूद भी खाया।
माँ - ओह ! अच्छा चलो ठीक है ऐसे ही खुश रहा करो। मैंने दर्जी को बुलाया है। तुम्हारी नयी dress बनवानी है।
जैक - क्या हुआ कुछ special है दादी जी।
माँ - हाँ बेटा परसों तुम्हारी पार्टी है। हम सभी ने तुम्हारे आने की खुशी में पार्टी राखी है। तुम हमारे पोते हो भई...
जैक (खुश होते हुए) दादी से चिपट जाता है खूब रोता है। तभी इसी माहौल में अवनी भी आ जाती है।
अवनी - क्या हुआ जैक? क्यों रो रहे हो? बताओ तो....
जैक - मुझे आप सभी माफ़ कर दो कितना प्यार करते हो आप सभी। लेकिन अभी तक आपको अपना नहीं मान पाया था। अब आप ही मेरे सबकुछ हैं।
अवनी - कोई नहीं बेटा। रोने से मन हल्का हो गया। अब तुम खुश रहो । चलो अब अपनी dress का नाप दो।
जैक के लिए सुंदर शेरवानी बनवायी जाती है। घर में पार्टी का माहौल है। रिश्तेदार आने लगें हैं। जैक को सभी से मिलवाया जाता है। जैक सभी को प्रणाम करता है। पूर्णिमा के दिन सुबह हवन होता है । शाम को cake ceremony चल रही है।
पवन - पिताजी, माँ आप दोनों जैक पास आओ। अवनी आओ। चलो केक काटते हैं।
अवनी - चलो बच्चों सभी आ जाओ।
सभी बच्चे मिलकर जैक के लिए welcome song गाते हैं।
पार्टी खूब जोरों शोरों से चल रही है। अब जैक बहुत खुश है। खुशी के माहौल में अपने दर्द को भूल जाता है।
पिताजी - चलो भई अलग-अलग तो बहुत फोटो हो गए। पवन अब एक फैमिली फोटो क्लिक कराओ।
अब पिताजी माँ अवनी पवन और जैक सभी मिलकर फैमिली फोटो क्लिक कराते हैं। अब जैक पूरी तरह से फैमिली में घुल मिल जाता है। सब खुश हैं।