Meri Dusri Mohabbat - 66 in Hindi Love Stories by Author Pawan Singh books and stories PDF | मेरी दूसरी मोहब्बत - 66

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 66

Part 66: India Return

अवनी - पवन हम जैक को ऐसे नहीं छोड़ सकते हैं। मैं इसे अपने साथ इंडिया लेकर जाऊँगी।

पवन - अरे। बेबी इसके लिए हमें leagly गोद लेना होगा। पेपर वर्क पूरा करना होगा। मैं किसी हिंदुस्तानी राजदूत से बात करता हूँ।

पवन हिंदुस्तानी राजदूत आफिस का पता निकाल कर आफिस जाता है । हिंदुस्तानी राजदूत का नाम मुस्तफा है।

पवन - हेलो I am Pawan from India.

मुस्तफा - hello sir how can I help you?

पवन - एक बच्चा है जैक जिसके mother father की हादसे में मौत हो गई है। मैं और मेरी वाइफ उसे गोद लेना चाहते हैं। हमें क्या करना होगा।

मुस्तफा - ok sir, आप दोनों की आई डी प्रूफ और 3-3 फ़ोटो ग्राफ।

पवन - ok आ जाएंगे। जैक को भी लाना है ना

मुस्तफा - जी बिल्कुल सर । बच्चे के finger prints और साथ में फोटो भी खिचेगी।

पवन - fine कल‌ मिलते‌ हैं।

उधर अवनी और जैक बाहर घूमने जाते हैं।

अवनी - देखो जैक आज हम पहले zoo में जाएंगे फिर माल में शापिंग करेंगे। आपके लिए सुन्दर सुन्दर कपड़े खरीदेंगे।

जैक हाँ में बस सिर ही हिलाता है। वह अभी भी सदमे में हैं। उसे अपने मम्मी पापा की बहुत याद आती है।

यादों में जैक खो सा जाता है ।

माँ - जैक देखो मैंने तुम्हारे मनपसंद आलू के परांठे बनाए हैं। जल्दी आ जाओ । ठण्डे हो जाएंगे। जैक आँख मलते मलते उठता और खाने बैठ जाता था। तभी माँ डाँटती जा पहले‌ फैशन हो ब्रुश कर तब कुछ मिलेगा।

आलू के परांठे की सुगंध उसे कुछ ना करने देती। जल्दी जल्दी फ्रैश होकर आता और मज़े से आलू के परांठे खाता। हमेशा कहता - "माँ तेरा जवाब नहीं। तेरे आलू के परांठे का हिसाब नहीं।" दोनों हँस पड़ते थे.....

अचानक - आलू के परांठे की दुकान देखकर आलू के परांठे....

अवनी को समझ आ जाता है कि जैक को आलू परांठे बहुत पसंद है। चलो जैक आलू के परांठे खाते हैं। यहाँ के परांठे फेमस हैं। मैंने और पवन ने पिछली बार यहाँ नाश्ता किया था।

जैक हाँ कर देता है।

दोनों कुर्सी पर जाकर बैठ जाते हैं, अवनी दो प्लेट आलू के परांठे का आर्डर देती है।

परांठे आते हैं । परांठे लाने वाला वेटर जैक को जानता था।

वेटर - अरे! जैक तुम यहाँ कैसे।

ओह तुम मैडम के गाइड हो। मैडम ये छोटा बेशक है‌ लेकिन बहुत होशियार है। आपको अच्छी तरह शहर की सैर करा देगा।

जैक - बिल्कुल गुमसुम है.....

अवनी - हाँ .... झिझकते हुए...

वेटर - अरे तुम तो हमारे परांठे कभी नहीं खाते । आज कैसे ।

तुम हमेशा कहते हो - मेरे माँ के जैसे परांठे नहीं है। मैं नहीं खाऊँगा...

वेटर की बातें सुनकर जैक की आँखों में आँसू आ जाते हैं

अवनी वेटर को पूरी घटना के बारे में बताती है। वेटर भी जैक को सारी बोलते हुए उदास मन से चला जाता है। अब अवनी और जैक मॉल में कुछ कपड़े खरीदने चले जाते हैं।

अवनी - देखो ! कितनी सुन्दर येलो टी शर्ट, तुम बहुत सुंदर लगोगे। ठीक है ।

जैक ( हल्की सी मुस्कान में ) ठीक है।

अवनी - भैया ये येलो टी शर्ट और पेंट भी दिखा दो।

दुकानदार - जी मैडम । देखिए...

अवनी - जैक साइज़ चैक करो।

जैक चैक करता है तभी उसे एक गाइड दोस्त रोजर मिलता है। वह उम्र में ‌जैक से बहुत बड़ा है लेकिन एक साथ काम करने के दोनों एक दूसरे के बेस्ट फ्रैंड बन जाते हैं।

रोजर - अरे। जैक तुम यहाँ ‌। सारी फ्रैंड तुम्हारे मम्मी-पापा के बारे में ‌पता चला । मेरे uncle aunty भी वहीं रहते थे‌। वो‌ भी नहीं रहे।

मैं भी अकेला हो गया हूँ। लेकिन मेरी एक कंपनी में नौकरी लग गई है। वो ही रहने का रूम देंगे। जैक तू मेरे पास रह ले।

जैक - thanks my best friend. देखता हूं ....

उस बिल्डिंग की दुर्घटना ने हम सबका बहुत नुकसान किया है ...

हम सब अकेले हो गए ।

रोजर - तुम अब क्या करोगे??? बोलो ना....

जैक - पता नहीं।

तभी अवनी वहां आ जाती है देखो जैक कितनी सुन्दर dress .  हम ये भी लेंगे।

जैक - ये मेरा फैंड रोजर है।

अवनी - हैलो रोजर ।

हम जैक को लीगली addopt कर रहे हैं। इसे कोई परेशानी नहीं होगी। बिल्कुल मैं अपने बच्चे की तरह ‌रखूगीं। इसी काम के लिए पवन अभी embassy आफिस गए हैं। तुम जैक की चिंता मत करो । कोई tention की बात नहीं। सब ठीक हो जाएगा। God की मर्जी के आगे हम कुछ नहीं कर सकते।

रोजर - so nice of you ma'am . आप मुझे ‌अपना फोन नम्बर दे दो। जैक मेरा बैसट फ्रैंड है। कभी कभी मैं इंडिया में बात कर लूंगा।

If you don't mind.

अवनी - oh ! No problem at all. जैक के फ़्रेंड्स  का इंडिया में हमेशा वैलकम है।

अवनी अपना फोन नंबर रोजर को देती है। रोजर और जैक एक दूसरे को गुडबाय कहते हैं। अब अवनी होटल पहुंच जाती है।

थोडी देर में ही ‌पवन भी होटल पहुंच ‌जाता है। सब मिलकर डिनर करते हैं।

पवन‌ दूत आफिस की सब बातें अवनी को बताता है। सब बातें सुनकर जैक और भी उदास हो जाता है। दो दिन बाद ही वह इटली से चला जाएगा...... हमेशा के लिए।

अगला दिन

पवन‌, जैक, अवनी गाड़ी से दूत आफिस पहुंचते हैं।

मुस्तफा - most  welcome . all of you .

पवन - thanks मुस्तफा जी । meet my wife अवनी।

मुस्तफा - welcome ma'am .

Hello जैक.

अवनी - thanks मुस्तफा जी ।

जैक एक शब्द भी नहीं बोलता और चुपचाप कुर्सी पर बैठ जाता है।

मुस्तफा सभी के साथ् फिंगर प्रिंट लेता है । एक साथ फोटोग्राफ लेता है। सभी फार्मेमेलिटीस को पूरा करता है। पवन और अवनी पेपर्स साइन करते हैं।

मुस्तफा - पवन सर ये आपके सभी पेपर्स । many many congratulations all of you.

पवन - thanks alot मुस्तफा जी ने। आपने आसानी से सब काम करा दिया। thanks again.

मुस्तफा - always welcome sir . आप दोनों बहुत नेक काम कर रहे हैं।

पवन, अवनी और जैक वापिस होटल आ जाते हैं।

सभी फ्रैश होकर डीनर करते हैं।

पवन - congratulations अवनी । आपकी इच्छा पूरी हो गई। जैक अब लीगली हमारा बेटा है।

अवनी - आपको भी। अब सो जाओ मैं जैक को सुला देती हूँ।

आओ जैक यहाँ सो जाओ। जैक चुपचाप सो जाता है।

अगला दिन सुबह

अवनी और पवन सारा सामान पैक करते हैैं। होटल से चैक आउट कर एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं।

अब तीनों पवन के घर पहुँच जाते है ।

सभी पवन और अवनी के साथ एक अनजान बच्चे को देखकर हैरान हो जाते हैं। सब कानाफूसी करने लगते हैं ये दोनों तो हनीमून के लिए गए थे, वहाँ ये बच्चा कहाँ से मिल गया।

पवन सभी घरवालों को सारी बात बताता है।

पिताजी - ठीक है, अब इनको आराम करने दो। बहुत देर हो गई है । इतनी दूर के सफर से आए हैं थके होंगे।

पवन अवनी और जैक अपने रूम में चले जाते हैं। सभी फैश़ होते हैं। जैक बिल्कुल गुमसुम सा किसी से बात नहीं करता।

अवनी - पवन जैक बोल ही नहीं रहा न उसने खाना खाया है कैसे करुँ । समझ नहीं आ रहा। उसको खुश कैसे रखूँ। उसकी उदासी मुझे परेशान कर रही है। वो रह तो पाएगा ना इंडिया में.......

पवन - यार उसके माँ बाप नहीं रहे । उदास तो रहेगा ही। समय के साथ सब ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो.....