Meri Dusri Mohabbat - 58 in Hindi Love Stories by Author Pawan Singh books and stories PDF | मेरी दूसरी मोहब्बत - 58

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 58

Part 58: Life Partner

वंशिका और पवन घर की तरफ वापस निकलते हैं वंशिका एक गहरी सोच में डूबे अपने आप से बातें कर रही होती है,

वंशिका खुद से (बात करते हुए)-अभी बहुत अच्छा मौका है पवन को वापस अपना बनाने का और अब एक बात तो मुझे पता चल गई कि पवन जितना प्यार मुझे करता है, और कोई नहीं कर सकता वह जितना मेरे लिए पागल हो सकता है और कोई नहीं हो सकता,

इससे अच्छा life partner कहां मिलेगा मैं ही पागल थी जो पहले नहीं समझ पाई पर अब वो गलती में दोबारा नहीं करूंगी, पवन को अपने प्यार में इतना पागल कर दूंगी कि वह मेरे बगैर एक पल भी नहीं रह पाएगा,‌ हां मैं अवनी की मदद जरूर करूंगी पवन की याददाश्त वापस लाने में नहीं बल्कि उसे कुछ याद ही ना आए,

ऐसा ही कुछ करना होगा मुझे नहीं तो अगर पवन को सब कुछ याद आ गया तो फिर वो अवनी का हो जाएगा और मेरा chapter फिर से close ho जाएगा और मैं ऐसा होने नहीं दूंगी!!

पवन- तुम्हें कबसे बुला रहा हूं,तुम किस सोच में डूबी हुई हो घर पहुंच गए हैं अब चलो आओ अंदर चलते हैं.

वंशिका-तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी मुझे पता ही नहीं चला कि घर कब आ गया हां चलो चलते हैं.

पवन के माता-पिता वंशिका और पवन को मुस्कुराते हुए देखते हैं,

योगेंद्र जी-देखो माया कितने दिनों बाद हमने पवन को हस्ते हुऐ देखा है पर उसे अभी ये पता नहीं है,कि असली खुशी उसकी वंशिका के साथ ही अवनी के साथ है,

पर देखना बहुत जल्द इस बात का एहसास होगा पवन को और उसे सब कुछ याद आ जाएगा कि वंशिका उसके लिए नही बनी।

माया जी-ठीक कह रहे हैं बस मैं तो उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब उसको सब कुछ याद आएगा, और अवनी घर में बहू बनकर आएगी, उस दिन हमारी खुशियां सच में लौट आएंगी!

योगेंद्र जी-पर हमें एक बात का ध्यान रखना होगा की हमें वंशिका के साथ अच्छे से व्यवहार करना है और उसके साथ अच्छे से रहना है और उसे इस बात का एहसास नहीं होना चाहिए कि हम उससे ज्यादा अवनी को पसंद करते हैं क्योंकि वो यहां हमारे बेटे के लिए आई है, तो कुछ दिनों के लिए उसके साथ हमे प्यार का नाटक करना पड़े तो करना होगा।

माया जी-हां नहीं तो अगर उसे शक हो गया कि हम सिर्फ अपने बेटे की वजह से ये सब कर रहे हैं, तो शायद वो हमारी फिर मदद ना करें इसलिए उसे अपनापन दिखाना ही होगा!

(दूसरी तरफ सुरेश जी और अवनी आपस में बात करते हुए)

सुरेश जी-बेटा जो तुमने यह सब कुछ किया है, मैं जानता हूं कि तुमने यह सब कुछ पवन के लिए किया है, तुम पवन को तकलीफ में नहीं देख सकती और उसके लिए तुम कुछ भी कर सकती हो, पर यह ध्यान रखना कि वो लड़की पवन की दिल में और प्यार ना पैदा कर दे??मुझे पता है तुमने उसे मदद के लिए बोला है, पर तुम यह बात मत भूलो कि वो पवन का कभी प्यार थी, और तब वह भी उससे प्यार करती थी, और अगर दोबारा उसके दिल में पवन के लिए प्यार जाग गया तो तुम्हारे लिए मुसीबत हो सकती हैं, बाकी तुम समझदार हो जो करोगी सोच समझ के ही करोगी मुझे तुम पर भरोसा है।

अवनी-ऐसा कुछ नहीं है पापा वो सिर्फ यहां मेरी मदद करने के लिए आई है ताकि पवन को जल्द से जल्द सब कुछ याद आ जाए वो तो अपनी जिंदगी में बहुत आगे बढ़ चुकी है ऐसा कुछ नहीं होगा और अभी आपने कहा ना आपको मुझ पर भरोसा है तो बस आप बेफिक्र हो जाइए पवन को बहुत जल्द सब कुछ याद आ जाएगा।

वंशिका पूरी कोशिश करती है कि वह पवन के माता-पिता के दिल में अपनी जगह बना ले सारा दिन वो पवन की मां के साथ समय बिताती है उनकी help करती है उनके कामों में ये सब देखकर माया जी को भी अच्छा लगता है।

माया जी-मुझे पता नहीं था तुम्हें यह सब घर के काम भी आते हैं मुझे लगा था तुम लंदन में रहने वाली लड़की हो कहां यह सब कुछ जानती होंगी, पर तुम्हें तो बहुत अच्छे से सब कुछ आता है.

वंशिका-हां जी आंटी जी मुझे सब कुछ आता है लंदन में भी kitchen का सारा काम मैं ही करती थी और पैदा तो इंडिया में हुई हूं बस शादी के बाद लंदन चली गई थी।

माया जी-मैं तुमसे एक बात पूछूं अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो?

वंशिका-बिल्कुल आंटी आप बेझिझक पूछ सकती हैं??

माया जी-तुमने यह बहुत अच्छा किया कि तुम मेरे बेटे के लिए यहां पर आई, क्या तुम्हारे husband ने तुम्हें रोका नहीं तुम उसे सब बता कर तो आई हो ना या बिना बताए आ गई?? देखो हम नहीं चाहते कि हमारी वजह से तुम्हारे रिश्ते में कोई problem आए हमें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा.

वंशिका-वह क्या है ना नीचे की अब मैं लंदन में अकेली रहती क्योंकि मेरा divorce हो चुका है।

माया जी (हैरान होकर)-क्या divorce हो गया है?? ऐसा क्या हो गया था?? बेटा अगर तुम नहीं बताना चाहती तो तुम्हारी मर्जी है मैं force नहीं करूंगी तुम्हे?

वंशिका-आप मेरी मां जैसी है तो आपसे क्या छुपाना, हमारे बीच कुछ समय से अच्छा नहीं चल रहा था,बहुत लड़ाई झगड़े होने लगे थे उसको मुझ पर भरोसा ही नहीं होता था, पर मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की मैंने अपना रिश्ता संभालने की भी बहुत कोशिश की पर बात हाथ से निकल थीं, और आखिरकार मैंने divorce लेना ही जरूरी समझा,

घुट घुट कर एक रिश्ते में जीने से अच्छा है, की अकेले खुश रहो और मैं अब खुश हूं।

माया जी-कोई बात नहीं बेटा जो होता है ना अच्छे के लिए होता है क्या पता वह इंसान तुम्हारे लिए ठीक ही नहीं था? तो तुमने बिल्कुल सही किया.

तभी एक नौकर माया जी को बोलता है-मैडम आपको साहब बुला रहे हैं बाहर किसी काम से??

माया जी-अच्छा हां मैं आती हूं तुम चलो,, वंशिका बेटा तुम किचन में सब संभाल लोगी ना ? मैं बस थोड़ी देर में आती हूं।

वंशिका-हम मैं सब संभाल लूंगी आंटी जी आप जाइए।

माया जी वहा से चली जाती है और वंशिका को किचन में अकेली होती है, पवन वंशिका को किचन में अकेला पाकर उसे पीछे से आकर hug कर लेता है।

पवन-क्या बना रही ही मैडम?

वंशिका पवन को अपने इतने करीब देखकर घबरा जाती है।

वंशिका ( घबराकर)-अरे क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे ??कोई आ जाएंगे और यह सब देख लेंगे ना तो गुस्सा करेंगे तुम पर।

पवन-मुझे फर्क नहीं पड़ता गुस्सा करें तो करने दो बस मुझे तो तुम्हें hug करके रखना है थोड़ी देर?

वंशिका-ठीक कर लेना hug पर अभी मैं busy हूं, और अगर मैंने तुम पर ध्यान दिया ना तो मेरी सब्जी जल जाएगी कृपया करके आप मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दीजिए पवन जी!

पवन-कोई बात नहीं मैं साइड में खड़ा हो जाता हूं तुम खाना बनाओ और मैं तुम्हें देखता रहूंगा?

वंशिका पवन(छेड़ते हुए )-तुम मुझे ऐसे ही देखते रहोगे तो मैं खाना नहीं बना पाऊंगी और अगर खाना नहीं बना तो अंकल आंटी क्या सोचेंगे की इससे एक काम दिया था और वो भी नही कर पाई,फिर मुझे अच्छा नहीं लगेगा और क्या फिर तुम्हें अच्छा लगेगा की सब भूखे रह जाए मेरी वजह से अब तुम देख लो तुम्हारे romance के चक्कर में कितना काम खराब हो सकता है?

पवन-अब यार तुम emotional Blackmail करोगी तो फिर मुझसे romance कहा हो पाएगा, चलो ठीक है तुम आराम से अपना खाना बनाओ और थोड़ा वक्त निकाल लेना मेरे लिए तुम से ढेर सारी बातें करनी है??

वंशिका-पक्का promise अब तुम जाओ?

पवन वहां से चला जाता है और वंशिका को यह सब देख कर बहुत अच्छा लगता है वह मन ही मन मुस्कुराती है।

फिर सब खाने की टेबल पर बैठे एक दूसरे से बातें करते हैं पवन के माता पिता भी वंशिका से काफी घुल मिल जाते हैं, तभी पवन बोलता है,

पापा वंशिका ने कितनी जल्दी घर संभाल लिया ना? और खाना कितना अच्छा बनाया हैं,सच में तुम्हारे हाथों का अभी भी वही teste हैं जैसा पहले हुआ करता था, आप को खाना कैसा लगा पापा मम्मी?

माया जी- हां खाना तो बहुत अच्छा बनाया है वंशिका ने और सारे घर के काम भी अच्छे से कर लेती है, आज इसने मेरी काफी help की घर के कामों में,(माया जी खुश होकर सबको बताती है)

योगेंद्र जी- खाना तो सच में बहुत अच्छा बना है, अवनी भी बहुत अच्छा खाना बनती है,वो सब अच्छे से सब संभाल लेती थी,

ये सुन कर वंशिका को बुरा लगता है पवन ये देख कर समझ जाता है फिर वो अपने पापा को समझता है,

पवन-पापा यहां बात वंशिका की चल रही है आप खामखा अवनी को बीच में ला रहे हैं, पवन अपने पापा से नाराज़ हो कर कहता है।

योगेंद्र जी-अरे बेटा इस में नाराज़ होने के क्या बात है मैं तो बस बता रहा था, चलो ठीक है नही करते उसे बारे में बात चलो अब सब खाना खाओ।

वंशिका( खुद से बात करते हुए) ये अवनी नाम का कांटा पता नहीं हार बार बीच मैं आ जाता है मुझे जल्दी ही सबको अपने काबू में करना होगा ताकि ये सब जल्दी ही अवनी को भूल जाए।

क्या वंशिका अवनी को सब दिलो से निकालने में कामियब हों जाएगी???