Meri Dusri Mohabbat - 56 in Hindi Love Stories by Author Pawan Singh books and stories PDF | मेरी दूसरी मोहब्बत - 56

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 56

Part 56: Pawan ki zidd

अब अवनी के पास कोई और रास्ता नहीं बचा था,क्योंकि पवन दिन-रात वंशिका को याद करता रहता था और वो नहीं चाहती थी पवन की और हालत बिगड़े इसलिए उसने एक फैसला लिया और ये फैसला था वंशिका को चिट्ठी लिखना,

अवनी (वंशिका को चिट्ठी लिखती है)- हाय !!मेरा नाम अवनी है, और मैं दिल्ली शहर की रहने वाली हूं, मैं जानती हूं कि तुम्हारा नाम वंशिका हैं, अब तुम्हें इस बात की हैरानी हो रही होगी कि मुझे तुम्हारा नाम कैसे पता,

दरअसल मैं और पवन एक दूसरे से प्यार करते हैं,और हमारी जल्द शादी भी होने वाली थी, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, हमारी शादी के कुछ दिन पहले ही पवन का एक्सीडेंट हो गया और उसकी याददाश्त चली गई वो अपना present भूल चुका है, उससे सिर्फ अपना past याद है,

जिस मैं नही तुम हो और अब वो तुम्हें पागलों की तरह याद करता है क्योंकि कभी वो तुमसे प्यार करता था, वो बात अलग हैं कि तुमने उसके प्यार को समझा नही, पर अब शायद भगवान ने तुम्हे एक chance दिया है,अब उसके लिए कुछ करने का बस मैं यह चाहती हूं,

तुम पवन की याददाश्त वापस लाने में मेरी मदद करो तुम्हें जल्दी ही सिकर आना होगा पवन के घर, तुम्हारे आने से पवन ठीक हो सकता हैं, बस एक ही ज़िद पकड़ के बैठा हैं कि वो तुमसे मिलना चाहता है, किसी की नही सुन रहा बस दिन रात तुम्हें याद करता रहता हैं, मैं आशा करती हूं कि तुम मेरी बात को समझ को समझो और इंडिया आ जाओ मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करूंगी.

अवनी वह चिट्ठी post office जाकर पोस्ट कर देती है और रोज हर एक नई उम्मीद में होती है उसकी चिट्ठी का जवाब आएगा वह रोज गेट की तरफ देखती है कि कोई पोस्टमैन उसकी छुट्टी उसे देकर जाए पर ऐसा नहीं होता,

काफी दिन बीत जाते हैं पर उस चिट्ठी का कोई जवाब नहीं आता फिर वह खुद post office जाकर वहां पूछती है कि क्या उसकी लंदन से कोई चिट्ठी आई है?? पर वहां पर भी कुछ पता नहीं चल पाता वह बहुत निराश हो जाती है उसे समझ नहीं आता कि अब वह क्या करेगी??

फिर एक दिन योगेंद्र जी का अवनी को फ़ोन आता हैं,

योगेंद्र जी (परेशान हो कर)-अवनी तुम कहाँ हों?? तुम जल्दी से घर आ जाओ पवन की हालत खरब होती जा रही हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूँ??

अवनी (घबरा कर)- आप चिंता मत कीजिए मैं बस वहाँ आती हूँ और पवन से बात करती हूँ.

अवनी पवन के घर के लिए निकल जाती हैं।

जब अपनी पवन के घर पहुंचती हैं तो वह देखती है कि योगेंद्र जी और माया जी एक कोने में बैठे होते हैं, अवनी‌ को वह दोनों बहुत परेशान लग रहे होते हैं अवनी उनके पास जाती है।

अवनी- अंकल,आंटी क्या हुआ सब ठीक तो है ना?

माया जी (परेशान हों कर )- कुछ ठीक नहीं है अवनी बेटा उसने तो ज़िद पकड़ ली कि जब तक वंशिका से नहीं मिलेगा, और अब सो उसने दवाइयां भी छोड़ दी, तुम ही बताओ बेटा अगर वह दवाईया‌ नहीं लेगा तो ठीक कैसे होगा,

अब हम वंशिका को कहां से ढूंढ कर लाए वह इस बात को समझने के लिए तैयार ही नहीं है, मेरा तो दिल बैठा जा रहा है इन सब चक्कर में कहीं मैं अपने बेटे को ही ना खो दूं,

हमें समझ नहीं आ रहा कि हम उसे कैसे समझाएं ना कुछ खा रहा है ना ढंग से हम से बात कर रहा हैं बस एक ही नाम है जुबान पर वंशिका! वंशिका!.

योगेंद्र जी- हां बेटा माया बिल्कुल ठीक कह रही है अब हम हिम्मत हार रहे हैं बेटा हम उसे से घर से बाहर नहीं जाने दे सकते उसकी हालत ठीक नहीं है पर वो यह बात सुनने को तैयार नहीं है, कहता हैं कि हमने उसे घर में कैद करके रखा है अब हम उसे कैसे बताएं कि हमें उसकी कितनी चिंता है, उसे हम नहीं बस वो लड़की दिख रही है जिसके लिए वह अपनी जिंदगी दाऊ पर लगाने के लिए तैयार हैं, अवनी बताओ बेटा हम क्या करें?

अवनी( गुस्से से)- आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए मैं भी जाकर बात करती हूं कि वह यह सब जो कर रहा है ना ना यह उसके लिए ठीक है और ना ही हम सबके लिए ठीक है उसे समझाना बहुत जरूरी है मैं बस अभी आती हूं।

अवनी पवन के कमरे में जाती है जब कमरे में पवन को देखती है तो वह सोफे पर बैठी आंखें मीचे एक गहरी सोच में खोया हुआ होता हैं अवनी जब उसे देखती है तो उसका गुस्सा शांत हो जाता है।

अवनी- पवन?

अवनी उसे धीरे से पुकारती है,

पवन अपनी आंखें खोलता है और अवनी की तरफ देखता है,

पवन – अब तुम यहां क्या कर रही हो तुम भी मुझे समझाने आई हो क्या? मैं किसी की नहीं सुनने वाला और तुम्हारी तो बिल्कुल भी नहीं मुझे वंशिका से मिलना है जब तक मैं वंशिका से नहीं मिल लेता, मैं कोई दवाई नहीं खाऊंगा चाहे कुछ भी हो जाए इसलिए तुम अपना time मत खराब करो और यहां से चली जाओ मुझे कुछ नहीं सुनना,

अवनी- देखो मैं जानती हूं कि तुम वंशिका से बहुत प्यार करते हो उससे मिलना चाहते हो उससे बात करना चाहते हो पर अभी वह यहां नहीं है,और तुम उसके लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हो कम से कम अपने मां बाप के बारे में तो सोचो तो तुमसे कितना प्यार करते हैं,पहले जैसे कि उन्होंने तुम्हें खो ही दिया था,पर वो दुबारा तुम्हें खोना नहीं चाहते इसलिए तुम्हें वह कहीं जाने नहीं दे रहे हैं, पर एक बार उनकी तरफ देखो और उनकी तरह सोचो तब तुम्हें पता चलेगा कि वह अपनी जगह सही है, इसलिए कह रही हो please यह दवाइयां खा लो, और रही वंशिका की बात तो मैं तुम्हें बता दूं वो तुमसे अब प्यार नहीं करती हैं मैंने उसे चिट्ठी लिखी थी तुम्हारी हालत के बारे में बताया फिर भी उसने मेरी चिट्ठी को कोई जवाब नहीं दिया, वह अपनी लाइफ में आगे बढ़ चुकी है फिर तुम क्यों पीछे पड़े हो ?

एक बार अपने मां बाप के बारे में सोच कर देखो वो तुमसे बहुत प्यार करते हैं उनसे ज्यादा प्यार तुम्हें कोई और नहीं कर सकता वो लड़की भी नहीं, अगर उसे तुम्हारी फिक्र होती तो तुमसे मिलने जरूर आती पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, मेरी बात मान जाओ यह दवाई ले लो और अपना ध्यान रखो पवन.

पवन को अवनी की बातें सुनकर उस पर गुस्सा आता है अवनी का हाथ पकड़ के बाहर की और लाता है।

पवन (गुस्से से)- यह मनगढ़ंत कहानियां बनाना बंद करो और मुझे वंशिका के खिलाफ भड़काना भी,तुम्हें क्या पाता कि वो मुझसे कितना प्यार करती थी, अच्छा अब समझ में आया कि तुम यह सब मुझसे क्यों कह रही हो मैं बर्दाश्त नहीं हो रहा ना तुम्हें जलन हो रही है कि कि मैं तुमसे नहीं उससे प्यार करता हूं मुझे नहीं पता कि तुम कौन हो क्या हमारे बीच क्या था वह मुझे कुछ भी याद नहीं और ना ही मैं याद करना चाहता हूं मुझे सिर्फ वंशिका से प्यार है और मैं उसी के साथ अपनी जिंदगी जीना चाहता हूं, इसलिए अपनी बकवास बंद करो और यहां से चली जाओ और अब दुबारा वंशिका के खिलाफ एक word भी बोला ना तो मुझसे बुरा और कोई नहीं होगा,

अवनी (रोते हुए)- मेरा यकीन करो मैं सच कह रही हूं मैंने उससे मदद मांगी थी पर उसने कोई जवाब नहीं दिया मैं सच बोल रही हूं, अच्छा तुम यह चाहते हों ना कि मैं यहां से चली जाऊं तो ठीक है मैं चली जाऊंगी पर तुम दवाइयां खा लो प्लीज मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं.

पवन (चिढ़ते हुए)- यह सब नाटक मेरे सामने मत करो मुझे कोई दवाई नहीं खानी जब तक मैं वंशिका से नहीं मिलूंगा, और मैं इतना कमजोर नहीं हूं कि कुछ दिन दवाइयां नहीं खाऊंगा तो मर जाऊं मैं अपने आप को संभाल लूंगा तुम्हें मेरी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,

पवन अवनी की हाथ से दवाइयां फेंक देता है, ये सब कुछ पवन के मां-बाप देख रहे होते हैं, और वह दवाइयां जाकर बाहर खड़ी दरवाजे पर एक लड़की के पैरों पर जाकर गिरती है,

पवन जब उस लड़की की तरफ देखता है तो चिल्ला कर कहता है वंशिका??? वह उसे देखकर अपने होश खो देता है और तेजी से उसकी तरफ आगे बढ़ता है और उसे गले लगा लेता है

अवनी जब वंशिका को देखती है तो उसे थोड़ी राहत मिलती है वह सोचती हैं शायद अब पवन ठीक हो जाएगा, अवनी को इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थीं की अब उसका क्या होगा? क्योंकि वह सिर्फ पवन को ठीक करना चाहती थी

क्या वंशिका सच में अवनी की मदद करने के लिए आई है या उसके पीछे कोई उसका मकसद है???