Part 51: Awani ki koshish
योगींद्र जी ( पवन के पापा)पवन को लेकर आते हैं उनके साथ अवनी भी होती है, जब वह पवन को घर की तरफ लेकर आ रहे होते हैं,
माया जी ( पवन की मां) बाहर गार्डन में पेड़ों को पानी दे रही होती हैं वह देखती हैं,की पवन इस हालत में तो, वह दौड़ती हुए उनके पास जाती है और योगींद्र जी से पूछती है,
माया जी (घबरा कर)-क्या हुआ पवन को ??थोड़ी देर पहले तो सही सलामत था, इसे क्या हुआ अचानक से??
योगींद्र जी-अरे घबराने वाली कोई बात नहीं है तुम शांत हो जाओ और अंदर चल कर बात करते हैं,फिर मैं तुम्हें सब बताता हूं!!
पवन को अंदर लेकर जाते हैं उसके कमरे में,
माया जी-अब तो बता दो आप की पवन को क्या हुआ हैं??
योगींद्र जी माया जी को सारा सच बताते हैं कि कैसे अवनी ने पवन को बचाया और उन्होंने कैसे अनुज को पुलिस के हवाले किया सब जानकर माया जी के होश उड़ जाते हैं।
माया जी-मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है,मैं अपने ही बेटे को पहचान नहीं पाई! मुझे कैसे पता नहीं चला कि वह मेरा बेटा नहीं है बल्कि कोई और है, यह सब सुनकर वह निराश हो जाती है तो अवनी उन्हें समझाते हुए कहती है,
अवनी-आंटी जी आप परेशान मत हो हम सब को भी एक पल के लिए धोखा हो गया था तो आप तो मां है,और उस टाइम सबको ऐसा लग रहा था कि शायद हमने पवन को खो दिया है और अचानक से जब अनुज आपके सामने आया तो आप अनुज को देखकर इतनी खुशी हुई कि आपने ध्यान नहीं दिया और आपने उसे अपना बेटा मान लिया इसके लिए अपने आप को दोष मत दीजिए आंटी जी.
योगींद्र जी-माया अवनी बिल्कुल सही कह रही है तुम खामखा अपने आप को दोष दे रही हो.
तभी कमरे में डॉक्टर आ जाता है वह उन का family डॉक्टर होता है।
डॉक्टर (योगींद्र जी से कहता है)-जब आपने मुझे पवन के बारे में बताया तो मुझे सुनकर बहुत बुरा लगा बस मैं तो अपने सारे काम छोड़ कर पवन को देखने आ गया,
डॉ (पवन से पूछते हैं)-अब कैसा महसूस कर रहे हो पवन बेटा???
पवन-थोड़ा अच्छा महसूस कर रहा हूं पर थकावट बहुत ज्यादा है और सर में भी बहुत दर्द होता रहता है और बस नींद आती रहती है.
पवन और डॉक्टर आपस में बात करते रहते हैं, तभी योगींद्र जी माया जी को अपने साथ लेकर बाहर आ जाते हैं, पर अवनी वही पवन के साथ कमरे में ही होती है।
योगींद्र जी-देखो माया सब कुछ ठीक है पर एक छोटी सी problem हो गई है???
माया जी-कैसी problem?
योगींद्र जी-पवन को पिछली कुछ बीती हुई बाते याद है, पर उसे अवनी याद नहीं और नाही अवनी के घर वाले,मैंने उसे याद दिलाने की कोशिश की उसे बताया अवनी के बारे में और ये भी बताया कि बहुत जल्द तुम्हारी शादी भी होने वाली थी,
तो यह सुनकर वह थोड़ा नाराज तो हो गया था, और किसी वंशिका नाम की लड़की का बार-बार नाम लें रहा था, यही कह रहा था कि वो उससे प्यार करता है मैंने डॉक्टर को ये सब बताया तो उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ बातें याद है और वह कुछ भूल गया है थोड़ा वक्त लगेगा पर उसे सब याद आ जाएगा.
माया जी-यह क्या हो गया, यह सब सुनकर पता नहीं अवनी पर क्या बीती होगी उस बेचारी के साथ सब कुछ सही होने वाला होता है तभी कुछ ना कुछ गलत हो जाता है।
तभी डॉक्टर कमरे से बाहर आता है और योगींद्र जी से कहता है- मुझे बस एक बार city scan करना पड़ेगा और रिपोर्ट आने पर पता चलेगा कि वह कितने में टाइम रिकवर हो सकता है, इसलिए कल आप उसे मेरे क्लिनिक ले आना याद से और अब मैं चलता हूं.
जोगींद्र जी डॉक्टर को बाहर तक छोड़ने जाते हैं।
वहा कमरे में अवनी पवन से बात करने की कोशिश करती हैं,
देखना पवन तुम बहुत जल्दी ठीक हो जाओगे जैसे पहले हुआ करते थे!!
पवन-चाहता तो मैं भी हूं कि मैं जल्दी से ठीक हो जाऊँ.
फिर अवनी पवन के करीब जाकर बैठ जाती है और उसे थोड़ा मज़ाक करती है,
अवनी-तुम्हारे face पर से कुछ गायब है!!
पवन अपने चेहरे को हाथ लगा कर कहते हैं क्या बात कर रही हो मेरे चेहरे पर सब कुछ सही सलामत हैं, और face से कुछ गायब कैसे हो सकता है??( पवन ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा.)
अवनी नहीं मैं कह रही हूं ना कुछ गायब है,देखो सामने शीशा है ना वहां जाकर देखो और ध्यान से देखना फिर तुम्हें पता चलेगा कि क्या गायब है?
पवन अपना चेहरा शीशे में देखता है, सब कुछ तो सही है पता नहीं तुम ऐसा क्यों लग रहा है?
अवनी-चलो मैं बता देती हूं कि तुम्हारे चेहरे से क्या गया हुआ हैं, तुम्हारे चेहरे से वो मुस्कुराहट गायब जो तुम्हारे चेहरे पर बहुत अच्छी लगती थीं,वो चमक गायब है जो तुम्हें मुझे देख कर आती थी, मैं वापस से अपना वही पवन चाहती हूं जो मुझे देख कर खुश हो जाए करता था.
पवन-देखो यह सब बातें तुम मेरे साथ मत करो, मैं तुम्हें बता चुका हूं कि मैं वंशिका से प्यार करता हूं, और मुझसे थोड़ी दूरी बना कर रखा करो मेरे इतने करीब मत आया करो,
और मुझे अभी दवाई लेनी है, क्योंकि मेरा सर दुख रहा है मैं थोड़े देर अकेला रहना चाहता हूं क्या तुम मुझे थोड़ा अकेला छोड़ दोगी?
अवनी-हां हां तुम आराम करो मैं अब घर के लिए निकलती हूं काफी देर हो गई है तुम सो जाओ.
अवनी को पवन की बेरुखी बर्दाश्त नहीं होती और वह चुपचाप वहां से चली जाती है।
दूसरी तरफ योगींद्र जी के पास एक फोन आता है वह फोन पवन के दोस्त का होता है,
विशाल पवन का दोस्त (फोन पर)-हेलो अंकल जी दरअसल मुझे पवन से बात करनी थी बहुत टाइम से उसका फोन मिला रहा हूं,उसका फोन switch off जा रहा है सब ठीक तो है ना?
योगींद्र जी विशाल को बताते हैं कि उसका एक्सीडेंट हो गया था पर वह अब ठीक है और घर पर ही है।
विशाल उनसे पूछता है कि क्या वे पवन से मिल सकता है तो योगींद्र जी उसे कहते हैं कि तुम आकर उससे मिल लेना वह अब ठीक है।
और दूसरी तरफ अवनी जब घर पहुंचती हैं वह बहुत परेशान सी होती है, सुरेश जी सोफे पर बैठे टीवी देख रहे होते हैं अवनी को आता देख उसे बुलाते हैं अपने पास।
सुरेश जी-अवनी कैसी रही तुम्हारी दोस्त की बर्थडे पार्टी अच्छे से enjoy किया ना??
अवनी यह सुनकर कुछ जवाब नहीं देती और सीधा अपने कमरे की तरफ जाती है, सुरेश जी को यह देख कर अजीब सा लगता है और वह उसके पास जाते हैं
बेटा कहां खोई हुई है मैं तुमसे बात कर रहा हूं जवाब तो दो?
अवनी पापा की तरफ देखती है और उनके गले लग जाती है और रोने लगती है,
सुरेश जी (घबरा कर)-क्या हुआ बेटा तुम ऐसे क्यों रो रही हो बताओ मुझे क्या हुआ किसी ने कुछ कहा है??
अवनी बस गले लग कर रोती ही जाती है, थोड़ी देर बाद अवनी सब कुछ सच बताती है कि वह बर्थडे पार्टी में नहीं पवन के पास गई थी और कैसे उसने नकली पवन का भांडा फोड़ा और कैसे योगींद्र जी ने उसे पुलिस के हवाले किया, और यह भी बताती हैं कि वो उसे भूल चुका है और आप लोग भी उसे याद नहीं बस पुरानी बाते याद है जिस में हम सब नहीं थे.
सुरेश जी जब ये सुनते हैं तो अपना सर पकड़ के सोफे पर बैठ जाते हैं,
सुरेश जी- इतनी बड़ी बात हो गई बेटा और तुमने मुझे बताना जरूरी नहीं समझा, और तुम्हें कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता है तुमने सोचा?
अवनी-मैं आप सब को परेशान नहीं करना चाहती थी, इसलिए सब अकेले ही किया पवन के लिए और अब पवन को मैं ही याद नहीं हूं पापा.
सुरेश जी-तुम दिल छोटा मत करो बेटा उसका अच्छे से अच्छा इलाज होगा और वह बहुत जल्द ठीक हो जाएगा उसे सब कुछ याद आ जाएगा बेटा तुम रोना बंद करो, और हिम्मत रखो तुम उसके साथ रहो ज्यादा से ज्यादा और याद दिलाओ कि तुम उसके लिया क्या मायने रखती थीं.
अवनी-हां पापा मैं हार नहीं मानने वाली मैं पवन को सब कुछ याद करवाऊंगी.
सुरेश जी-मुझे पता था मेरी बेटी बहुत हिम्मत वाली है शाबाश बेटा.
वहा विशाल और उसका एक और दोस्त आते हैं पवन से मिलने।
विशाल-भाई तू कैसा है?? अंकल ने बताया तेरे बारे में मुझे मैं तो सुनकर डर ही गया था, फिर भागा भागा तेरे से मिलने आ गया यार.
पवन-अरे!! तू इतना मत खबरा बस एक छोटा सा aacident हुआ था और अब मैं ठीक हूं, वैसे कितने दिनों के बाद मिल रहे हैं ना??कॉलेज के बाद शायद आज तुम दोनों को देख रहा हूं मैं.
सचिन-हां भाई कॉलेज के बाद से तो कम ही मिलना होता था, मुझे तो आज भी वह सब मौज मस्तियां याद आती है जो हम कॉलेज में किया करते थे, क्या दिन थे वह भी, पता है जब भी मैं याद करता हूं ना वह सब तो बहुत खुश हो जाता हूं.
तभी विशाल की नजर पवन के पास पढ़े एक पेपर पर पड़ती है वह उस पेपर को उठा कर देखता है तो उसने किसी लड़की की तस्वीर बनाई होती है।
विशाल-लड़की की फोटो तो तूने बहुत सुंदर बनाई है,
पर यह चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लग रहा है??
पवन-अरे भाई तुम लोग कैसे भूल गए यह वंशिका है कॉलेज में मेरी गर्लफ्रेंड थी,मुझे आज भी उससे प्यार है कुछ पता है उसके बारे में कहां है वो अब?
सचिन-हां भाई तुम दोनों की लव स्टोरी कैसे भूल सकते हैं, मैंने सुना है कि वह आजकल लंदन में है!!
पवन-लंदन में?? पर क्यों?
सचिन-पता नहीं यार शायद अपनी फैमिली के साथ शिफ्ट हो गई है वहां पर मैंने तो यही सुना है,बाकी तो मुझे नहीं पता.
विशाल-तू बस अपना ख्याल रख छोड़ इन सब बातों को पहले ठीक हो जा, और अभी तेरे से ज्यादा बात करना ठीक नहीं है तू आराम कर और हम दोनों चलते हैं हम तुझसे मिलने आते रहेंगे।
क्या अब दुबारा पवन अपनी एक हो पाएंगे??