Meri Dusri Mohabbat - 44 in Hindi Love Stories by Author Pawan Singh books and stories PDF | मेरी दूसरी मोहब्बत - 44

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 44

Part - 44 Wajirabaad

अवनी और अनुज वजीराबाद के लिए निकल जाते हैं अवनी मन ही मन उम्मीद करती है, कि वजीराबाद पहुंच कर पवन को सब याद आ जाये और सब सही हो जाए, अवनी पूरे रास्ते यही सोच कर निकाल देती है वह दोनों वजीराबाद के पुल पर पहुंच जाते हैं दोनों गाड़ी से बाहर निकलते है।

अनुज जब वहां पहुंचता है तो वो उस जगह को देखकर कहीं खो सा जाता है।

अवनी-क्या हुआ पवन तुम रुक क्यों गए आगे चलो ना??

अनुज – अपुन को यहां आ कर ऐसा लगा रेला हैं अपुन पहली बार यहां नही आया, बहुत जाने पहचाने से जगह लग रही है।

अवनी - मुझे पता था तुम इस जगह को देखोगे तो तुम कुछ तो याद आएगा मैं तुम्हे यहां जानबूझकर लाई हूं ताकि तुम्हे कुछ याद आ जाए।

( फिर अवनी अनुज को वो जगह दिखाती है जहां पर पवन ने अवनी को पहली बार देखा था।)

अवनी-यहाँ आओ पवन यह देखो मैं यहां पर खड़ी थी सुसाइड करने के लिए और तुम उस बेंच के पास खड़े थे, और फिर तुमने ही मुझे पीछे से आवाज दी थी,फिर मैंने तुम्हारी तरफ मुड़ कर देखा,फिर तुम मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे याद करो अनुज अच्छे से याद करने की कोशिश करो?

अनुज-जगह जाने पहचाने से लग रही है पर अपुन को कुछ ठीक से याद नहीं आ रहा??

अवनी-हां यह जगह तुम्हें जानी पहचानी लग रही है ना?? बस थोड़ा सा और दिमाग पर जोर डालो तुम्हें सब याद आ जाएगा याद करने की कोशिश करो,

याद करो मैं दुल्हन के लिबास में थी ठीक रात के 1:00 बजे मैं इसी पुल पर खड़ी थी,और तभी तुमने मुझसे कहा था कि इतनी रात को पुल पर हवा खाने का सही टाइम नहीं है नीचे उतर जाओ,

और तुम्हें पता है इस पर मैं गुस्सा भी हो गई थी फिर हमारे बीच थोड़ी कहासुनी हो गई,तुमने कैसे भी करके मुझे मना लिया और फिर इस बेंच पर बैठकर हमने घंटों बातें की थी याद करो प्लीज पवन।

(तभी अवनी का पैर फिसल जाता है अनुज अचानक अवनी का हाथ पकड़ के उसे गिरने से बचा लेता है।)

अनुज (अचानक बोलता है) - मुझे सब याद आ गया तुम ही मेरी अवनी हो, और मुझे ये भी याद आ गया कि उस रात मैं बेहोश हो गया था accident के बाद,फिर किसी ने मुझे अस्पताल भर्ती करा दिया था, और मैं वहां से भाग गया था और सड़कों पर घूम रहा था,तभी वह दोनों मुझे ले कर अपने घर चले गए मुझे सब कुछ याद आ गया..

( अवनी यह सुनकर बहुत खुश हो जाती है और दोनों एक दूसरे को गले लगा लेते हैं।)

अवनी-मुझे पूरा भरोसा था कि तुम्हे सब याद आ जाएगा मेरा भरोसा जीत गया और तुम्हे सब याद आ गया अब सब सही हो जाएगा पवन।

अनुज-हां अवनी अब सब कुछ सही हो जाएगा अब मैं तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा।

अवनी-पवन घर चलते हैं और सबको बताते हैं कि तुम्हें सब कुछ याद आ चुका है वह भी सुनेंगे तो बहुत खुश हो जाएंगे।

अनुज-हां अवनी घर चल के सब को सरप्राइज देते हैं कि मुझे सब कुछ याद आ गया है।

दोनों घर की ओर निकल पड़ते हैं वहां पहले से ही पवन के माता पिता उन दोनों का इंतजार कर रहे थे,

अनुज-पापा मुझे सब याद आ गया,,मां सुना अपने मुझे सब याद आ गया हैं मैं ठीक हो गया हूँ मां,

यह सुनकर पवन के माता पिता अनुज को गले लगा लेते, और बहुत खुश होते हैं खुशी के मारे वह रोने लग जाते हैं।

अनुज-अब आप मत रो में ठीक हो गया हूं ना अब सब सही हो चुका हैं,और ये सब अवनी की वजह से हुआ हैं।

पवन के पापा-थैंक यू सो मच बेटा तुम्हारी वजह से आज मेरा बेटा ठीक हो गया??

पवन की मां-हां बेटा तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया!!

अवनी-यह आप क्या कह रहे हैं अंकल आंटी पवन मेरे लिए सब कुछ है वह मेरी जिंदगी है उसके बिना रह नहीं सकती मैं,

वह तकलीफ में होता है तो मैं तकलीफ में होती हूँ शुक्रिया अदा तो हमें भगवान का करना चाहिए उनकी कि ही वजह से सही वक्त सब कुछ सही ही गया।

पवन की मां-हां बेटा भगवान की कृपा है जो मेरा बेटा ठीक हो गया।

तभी अनुज अपने पापा से बोलता है- मुझे उनसे मिलने जाना है जिन्होंने मेरी जान बचाई थी मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं अगर वह नहीं होते तो आज मैं जिंदा भी नहीं होता पता नहीं कहां भटक रहा था??

पवन के पापा- हां बेटा जरूर जाओ एक काम करते हैं हम सब चलते हैं हम सब जाकर उन्हें शुक्रिया कह कर आते हैं आखिर उन्होंने हमारे बेटे की जान बचाई है!!

अनुज- पापा मैं चाहता हूं कि मैं अभी उनसे जाकर मिल लूँ उसके बाद मैं उन्हें लेकर आऊंगा आप सब से मिलवाने उन्हें भी अच्छा लगेगा।

अवनी- पवन ठीक कह रहा हैं, अंकल जी पवन को जाने दीजिए जब वो सुनेंगे तो वह भी बहुत खुश हो जाएंगे।

पवन के पापा पवन को अनुज को इजाजत दे देते हैं और वह कार में बैठकर उनसे मिलने के लिए निकल जाता है वह थोड़ी दूर आगे जाता है, और गाड़ी रोक कर एक घर की तरफ बढ़ता है वो घर एक जंगल जैसी जगह पर होता है,बिल्कुल सुनसान सा आसपास वहा कोई नही होता, वह वहा जाकर गेट खटखटाता हैं,

( फिर गेट खुलता है और वह अंदर चला जाता है और उस घर में उसके माता-पिता होते हैं)।

अनुज की आई-तुम्हीं कुठे‌ होता अनुज? मुझे लगा तू नही आएगा?

अनुज- तू कसा बोलत आहेस? आप दोनो ने तो मेरी जान बचाई है,मैं आपसे मिले कैसे नहीं आता अगर आप दोनों नहीं होते तो मैं आज जिंदा ही नहीं होता।

यह सुनकर तीनों जोर-जोर से हंसने लगते हैं

अनुज- क्या एक्टिंग करती आई तू, तूने कैसे उस लड़की का बेवकूफ बनाया मान गया मैं आई तुझे??

अनुज की आई- अगर मैं अच्छी एक्टिंग नहीं करती तो उसे यकीन कैसे दिलाती कि तू ही पवन हैं, पर एक बात बताऊं मुझे ज्यादा एक्टिंग करने नहीं पड़ी उस लड़की ने मेरी बातों पर बहुत जल्दी यकीन कर लिया।

अनुज के पापा- अब हमने कहानी इतनी शानदार बनाई थी कि उस पर कोई शक कर ही नहीं सकता था, और वैसे भी कितने लोगों का पहले भी हमने बेवकूफ बनाया हैं यह तो कुछ भी नहीं यह कहकर अनुज के पापा मुस्कुराने लगते हैं

अनुज-बाबा इस बार तो हाथ बहुत बड़ा मारा है, गृह मंत्री का बेटा है अब पैसे के साथ पावर भी मिलेगी जो उसके बेटे का था सब कुछ मेरा होगा।

अनुज की मां (घबराते हुए) -आपण काय बोललात गृहमंत्री का बेटा??अगर हमारी चोरी पकड़ी गई ना कोई नहीं बचा सकता हमें बहुत सावधान रहना होगा।

अनुज - तू इतकी चिंता का करतोस? कुछ नहीं होगा उसकी शक्ल हूबहू अपुन से मिलती है, और अपुन को पता था एक ना एक दिन इसका कोई जाने वाला हम तक जरूर पहुंचेगा, और वैसा ही हुआ वो लड़की मुझसे टकरा गई अपुन देखकर जब उसने पवन बोला अपुन समझ गया, की कोई उसकी जाने वाली है पर वह तो उसकी item।निकली, बस तभी से अपुन ने सब प्लान बनाया और आपको बताया सब कुछ हमारे प्लान के मुताबिक हुआ,

फिर अपुन ने उससे दोस्ती बढ़ाई और नाटक करता रहा कि अपुन को कुछ भी याद नहीं है और उसके साथ ही कंपनी में काम करने लगा, मैंने फिर ऐसी कुछ हरकतें करनी शुरू कर दी जिससे कि उसे मुझ पर शक हो और वह आप लोगों के पास आकर आपसे बात करें आपको तो मैंने सब कुछ पहले से बता रखा था,

अभी तो अपुन लोग प्लान में कामयाब हो गए हैं पर अब एक मुसीबत है, कि मुझे बिल्कुल पवन के माफिक बनना होगा अपुन को उसकी लाइफ के बारे में थोड़ा जानना पड़ेगा ।

अभी तक तो सब सही चल रहा था, क्योंकि अपुन नाटक कर था, पर अब जब अपुन ने उन्हें बता दिया है कि अपुन को सब याद आ चुका है,तो बिल्कुल पवन के जैसे करना होगा, नहीं तो उन्हें हम पर शक हो सकता हैं और वो उसकी item बहुत शानी है, हमें बहुत सावधान रहना पड़ेगा।

(और दूसरी तरफ घर में सब खुश होते हैं अवनी अपने पापा को फोन करके बताती है,)

अवनी-पापा पवन को सब कुछ याद आ गया हैं मैं उसे वजीराबाद के पुल पर ले गई थी जहां पर हम पहली बार मिले थे, मैंने उसे वह सब पुरानी बातें याद करवाई और उसे सब कुछ याद आ गया,

सुबह मैं आप लोग के पास वापस आती हूँ वो भी पवन के साथ उसे भी आप लोगों से मिलकर बहुत अच्छा लगेगा।

सुरेश जी- बेटा तुम नहीं जानती यह बात सुनकर मुझे इतनी खुशी हुई कि पवन ठीक हो गया वो बहुत अच्छा लड़का है, और उसके साथ कभी कुछ गलत नहीं हो सकता था,

तुम सुबह उसके साथ यहां आना हम फिर से वही सब मस्ती मजाक करेंगे जैसे पहले किया करते थे,

अवनी- हां पापा बहुत टाइम हो गया मानो जैसे कि खुशियों ने हम से मुंह मोड़ लिया था पर अब सब कुछ ठीक हो गया है वहीं खुशियां वापस आ चुकी हैं,

हम कल आपसे मिलने आते हैं पापा आप जाकर मां को और बाकि सब को भी बता दीजिए,

(अवनी अपने पापा से बात करते हुए बहुत खुश होती है)

सुरेश जी- हां हां मैं जाकर सब को बताता हूं ठीक है तुम अपना ध्यान रखना और पवन का भी और अपने होने वाले सास ससुर का भी??

अवनी (मुस्कुराते हुए) हां पापा समझ गई मैं।

(और वहां दूसरी तरफ वह लोग आगे की प्लानिंग करते हैं)।

अनुज- हमारा प्लान तो सफल रहा,अब यह बताइए कि पवन को होश आया कि नहीं!

अनुज की आई-मुलगा नाही, अभी तक तो नहीं आया अभी तक कोमा में ही है?

क्या अवनी को सच का पता चल पाएगा कि वह पवन नहीं बल्कि अनुज है??