Part - 42 Asliyat
अवनी के दिमाग में बहुत सारे सवाल चल रहे होते हैं उसे कुछ समझ नहीं आ रहा होता है ।
अवनी- आखिर ऐसा कैसा हो सकते हैं माना कि दो लोगों की शक्ल एक जैसी हो सकती है पर दोनों की बीच एक जैसी similarities कैसे हो सकती है? मुझे एक बार अनुज की आई से बात करनी होगी वही मुझे इसके बारे में बता सकती हैं।
(अवनी अनुज कि आई से मिलने उनके चॉल में जाती है)
अवनी (बाहर दरवाजे पर) - क्या कोई घर पर है?
अनुज की आई अरे अपनी मैडम आप आइए ना अंदर आइए!
(अवनी घर के अंदर जाती हैं)
अवनी -मैं तो बस ऐसे ही है आपसे मिलने के लिए आ गई वो क्या हैं ना कि पूरा दिन office में बैठे-बैठे में bore हों जाती हूं, फिर सोचा की आपसे आकर थोड़ी सी बातें कर लूंगी तो मेरा भी मन बहल जाएगा।
अनुज की आई – अवनी मैडम ऐसा कह कर आपने गरीबों का मान बढ़ा दिया आप बेफिक्र हो के कभी भी घर में आ सकती है आप इसे अपना ही घर समझो।
आपके लिए कुछ लाऊँ? एक काम करती हूं चाय बना कर लाती हूं आपके लिए?
अवनी- अरे आई इन सब चीजों की कोई जरूरत नहीं है बस मेरे साथ बैठो आप मुझे आपसे कुछ पूछना है?
अनुज की आई- हां पूछिए ना इसमें इतनी सोचने वाली क्या बात है?
अवनी- मैंने आपसे एक बात छुपाई थी? मैंने सोचा था कि सही समय आने पर मैं आपको बता दूंगी, दरअसल बात यह है कि अनुज की शक्ल मेरे मंगेतर से मिलती हैं। क्या आपका कभी कोई जुड़वा बेटा था?
ये इसलिए मैं आपसे पूछना चाहती हूं क्योंकि जब पहली मैने अनुज को देखा था तो मुझे लगा की वो मेरा मंगेतर हैं,पर जब मैंने उससे बात की तो उसकी बोल चाल मेरे मंगेतर जैसी नही थी। क्या सच में आपका एक ही बेटा है?
अनुज की आई -अवनी मैडम सच बताऊं तो हमारा कोई बेटा नहीं है अनुज तो हमें सड़क पर मिला था बहुत बुरी हालत में। मैं और अनुज के पापा उस दिन रात को कहीं से लौट रहे थे,
तो हमने उससे जा कर पूछा कि तुम ऐसी हालत में यहाँ क्या कर रहे हो पर वो कुछ बोल नहीं रहा था। हमने उससे बहुत पूछने कि कोशिश कि पर वो कुछ नहीं बोल रहा था। फिर वह रोने लगा और अजीब सी हरकतें करने लगा हमें लगा शायद इसे डॉक्टर की जरूरत हैं ।हमने सोचा की इसे अपने साथ ले चलते हैं, और पता करते हैं कि यह है कौन??
वह कम से कम 1 हफ्ते तक चुप रहा कुछ नहीं बोला हमने इसका बहुत इलाज कराया फिर एक दिन उसने हमसे पूछा कि मैं कहां हूं? फिर मैंने उसे बताया कि तुम हमें सड़क पर मिले थे जब मैंने उससे उसका नाम पूछा उसे अपना नाम तक नहीं पता था,
फिर हमने सोचा कि इसे अपने साथ रख लेते हैं जब तक इसके परिवार वाले इसे ढूंढ नहीं लेते, हमने police को भी खबर की ताकि जल्द से जल्द उसके घर वाले मिल जाए पर कुछ खबर नही मिली उसके बाद हमने उम्मीद ही छोड़ दी,
हमने सोचा शायद भगवान भी ये ही चाहता है की ये हमने पास थे हमने अकेले पन का सहारा बने, मुझे औलाद नसीब नहीं हुई तो मैंने तब से इसे अपना बेटा मान लिया और इसका नाम भी मैंने ही रखा और इसे एक नई पहचान दी,
और फिर हमें पता ही नहीं चला कि कब हमारा दिल का टुकड़ा बन गया, तुम्हें पता है पूरी शॉल वाले अनुज को बहुत पसंद करते हैं वह पूरी चाल वालों का मन लगाकर रखता है, हर किसी की मदद करना हर किसी को खुश करना, जो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे उन्हें पढ़ाता था।
English भी बहुत अच्छी बोलता है बस उसे एक अच्छी job नहीं मिल रही थी, फिर आप हमारी जिंदगी में आप आई और आपने तो हमारी जिंदगी बदल ही बदल दी अवनी मैडम अपने अनुज को job दे कर उसकी जिंदगी बना दी।
वैसे हमें भी इस से बहुत लगाव हो गया हैं, पर मैं अपने मतलब के चक्कर में इसे इसके परिवार वालों से दूर नहीं रख सकती।
अवनी जब ये सब सुनती है तो उसकी आंखों से आंसू आ जाते हैं और समझ जाती हैं की वह पवन ही है,
अवनी-आप नहीं जानती आपने क्या किया है आप जैसे लोग इस दुनिया में बहुत कम होते हैं जो दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं,
आपका मुझे पर बहुत बड़ा एहसान है मैं अनुज को उसके परिवार वालों के पास ले जाऊंगी शायद वहां जाकर उसे सब कुछ याद आ जाए,
अच्छा मैं अब चलती हूं मुझे अनुज से बात करनी होगी क्या पता मैं उसे पुरानी चीजें याद करवाऊं तो उसे याद आ जाए??
अनुज की आई-ये तो बहुत अच्छी बात हैं,हम तो चाहते हैं कि उसे सब कुछ याद आ जाए ।पर मुझे पता है जब उसे याद आ जाएगा तो वो हमें भूल जाएगा पर कोई बात नहीं वो हमेशा मेरे लिए मेरा अनुज ही रहेगा ये कहते वक्त वह रोने लगती है
अवनी-ऐसी बात नहीं है आई वो तो बहुत खुशनसीब है जो उसे दो मां मिली एक वो जिसने उसे जीवन दिया और एक आप हैं जिसकी वजह से उसे दोबारा नया जीवन मिला तो वो आपको कैसे भूल सकता है।
अवनी वहा से चली जाती है और अनुज को फोन लगाती है और उससे कहती है कि वह coffie cafe day में मिलना चाहती है।
अनुज थोड़ी देर कॉफी कैफे day में पहुंचता है और अवनी से कहता है,
अनुज- क्या हुआ आपने मुझे अचानक बुलाया? और आप आज ऑफिस भी नहीं आई??
अवनी-मुझे तुमसे कुछ बात करनी है तुम्हारे बारे में?
मैं तुम्हारे आज घर गई थी तुम्हारी आई ने मुझे बताया कि तुम उन्हें रोड पर मिले थे एक बुरी हालत में और तुम्हें कुछ याद नहीं था क्या यह बात सच है?
अनुज-हां यह बात सच है पर एक बात बताओ?
आप अपुन कि जासूसी कर रही हो? अनुज ने (हंसते हुए कहा)!!!
अवनी-तुम्हारी जासूसी नहीं बल्कि तुम्हें सच बताना चाहती हूं कि तुम कौन हों?
अनुज- ये आप कैसी बाते कर रही है आप ठीक तो हैं ना?
अवनी- अरे बाबा मैं बिल्कुल ठीक हूं, और ठीक तो तुम्हें होना है क्योंकि सब भूल चुके हो की तुम असलियत मैं हो कौन?
अनुज- अपुन को ना आज आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही? आप एक काम करो आप घर जाकर मस्त आराम करो और office की tension बिल्कुल नहीं लेने का अपुन सब संभल लेगा।
अवनी- तुम मेरी बात ध्यान से सुनो,तुम्हारा नाम अनुज नही है बल्कि पवन जिसे मैं प्यार करती हूं और हमारी शादी होने वाली थी,पर अचानक तुम्हारा accident हों गया था और Accident के बाद तुम्हारी कोई खबर नहीं मिली, तुम्हारे घर वालों ने तुम्हें बहुत ढूंढा और मैंने भी तुमको ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की पर तुम्हारे बारे में कुछ पता नहीं चल पाए।
तुमसे अलग होने के बाद मेरा मन Delhi में नहीं लगा इसीलिए मैं मुंबई आ गई। और फिर मैंने तुम्हे देखा मुझे लगा तुम पवन हो, पर जब तुमने मुझे पहचाना नहीं तो ये बात मुझे अजीब लगी और तुम्हारी बोल चाल भी अलग थी। पर मुझे सच पता करना था इसलिए तुम्हारे बारे में मैंने जाना चाहा।
पर अब मैं सच जान चुकी हूं की तुम कौन हों अब मैं तुम्हें तुम्हारे घर ले जाना चाहती हूं। और मैं पूरी कोशिश करूंगी कि तुम्हे सब कुछ याद आ जाए और जब तुम्हारे घर वालों को पता चलेगा कि तुम मुझे मिल गए हो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा।
अनुज-क्या अपुन आपसे एक बात पूछ सकता है?
अवनी-हां बिल्कुल पूछो?
अनुज- क्या आप फिल्में ज्यादा देखती हैं क्योंकि आप जो भी अपुन को बता रेली हैं ना ये सब अपुन ने फिल्मों में देखा है, क्योंकि असल जिंदगी में ना ऐसा होता इच नहीं हैं, वैसे आप acting अच्छी कर लेती हों आप film City में जा कर audition क्यों नहीं दे देती, आई शापात बहुत अच्छा रोल मिलेगा आपको।
(अनुज हस्ते हुए कहता है)
अवनी( गुस्से से)-तुम्हें क्या लग रहा है यह सब मैंने तुम्हें बताया है, यह सब मैं एक्टिंग कर रही हूं? कोई फिल्म की स्टोरी सुना हूं?
ऐसा नहीं है मैंने तुमसे जो कुछ भी कहा है वह बिल्कुल सच है, अगर तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो तुम मेरे साथ राजस्थान चलो तुम्हारे घर मुझे पता है जब तुम अपने घर अपने मां पिता को देखोगे तो तुम्हें याद आएगा कि तुम कौन हो तुम्हारी पहचान क्या है?
अनुज (समझाते हुए)- अवनी मैडम आपने अपुन की बहुत मदद की है आपने अपुन को अच्छी job दी अच्छी salary दी अपुन आपका बहुत कर्जदार है, पर अपुन आपको एक बात बताना चाहता हैं कि अपुन आपके साथ कहीं नहीं जा सकता अपने आई बाबू को छोड़कर, आपको जरूर कुछ गलतफहमी हुई है अपुन का नाम अनुज है और मैं इसी चाल का रहने वाला हूं।
अवनी-मैं जानती हूं जब किसी से हमें लगाव हो जाता है और फिर दूर जाना पड़ता है तो कैसा महसूस होता है ।पर तुम्हें ये करना ही होगा,क्या हुआ अगर वो तुम से दूर है?
पर वो हमेशा तुम्हारे दिल में रहेंगे उन्हें वैसे ही प्यार करना जैसे अपने मां-बाप से करते थे, और तुम इस बात की tension मत लो की तुम्हारे आई बाबा को ये सब सुन कर अच्छा लगेगा या नहीं क्योंकि तुम्हारी आई ने खुद कहा है तुम्हे घर ले जाने को।
बस एक बार तुम मेरे साथ चलो मैं वादा करती हुं की मैं साबित करके दिखूंगी की मैं सच बोल रही हूं बाद एक बार मेरी बात पर भरोसा करो मैं तुम्हारे सामने हाथ जोड़ती हूं।
(अवनी रोते हुए कहती है)
अनुज-अरे अवनी मैडम आप बच्चों के माफिक ऐसे क्यों रो रही है ?और हाथ मत जोड़िए आप अपुन को ये सब बिल्कुल नहीं पसंद, ठीक है अपुन आपके साथ चलने के लिए तैयार हैं बताइए कब जाना है।
क्या अवनी पवन को घर ले जाकर सब कुछ याद दिलाने में कामयाब हो जाएगी?