Meri Dusri Mohabbat - 40 in Hindi Love Stories by Author Pawan Singh books and stories PDF | मेरी दूसरी मोहब्बत - 40

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 40

Part - 40 Mumbai

अवनि अपने घर आ जाती है।

दिन पर दिन बीतते जा रहे होते हैं पर पवन का कुछ पता नहीं चलता, अवनि रोज़ पवन के लिए प्रार्थना करती थी, 1 दिन भी ऐसा नहीं बीता था जब अवनी रोई ना हो ।अवनि के परिवार वाले उसे समझाते रहते थे किपवन मिल जाएगा पर कोई उम्मीद की किरण दिखाई नहीं दे रही थी। अवनी पागलों की तरह घर में ही पड़ी रहती थी कभी बालकनी में जाती तो कभी दरवाजे पर खड़ी रहती, हमेशा बड़बड़ातीरहती कि पवन कहाँ हो तुम पवन कहाँ हो तुम ?

अवनी के परिवार वाले बहुत परेशान थे, सबने उम्मीद छोड़ दी थी । पुलिस ने भी पवन का केस बंद कर दिया था। पवन के पिता जी कई दिनों तक पुलिस के पीछे पढ़ें रहे पर पुलिस को कोई सबूत न मिलने के बाद उन्होंने केस बंद कर दिया।

1 दिन अवनी सो रही थी तो उसे सपना आया कि पवन दरवाजे पर खड़ा है, अवनी पवन- पवन चिल्लाते हुए दरवाजे की ओर भागी पर वहाँ कोई नहीं था।

अब अवनि समझ गई थी की पवन वापस नहीं आएगा इसलिए अवनी ने दिल्ली से दूर जाने की सोची उसने सोचा की जितना वोइस जगह से दूर रहेंगे उतना ही पवन की यादों से दूर रहेंगी।

अवनि ने अपना सामान बांधा और बिना बताए ही मुंबई के लिए रवाना हो गई, रास्तेभर वो सोचती रही की वो अब आगे क्या करेगी।

अवनी मुंबई में अपनी एक दोस्त के घर जाती है और थोड़े दिन वही रुकती है।

अवनी के पिताजी अवनि को फ़ोन करते हैं -

अवनी के पापा- अवनी बेटा तू ऐसे बिना बताए कहाँ चली गई ? तुझे हमारी अभी जरूरत है तू मुझे बता कि तू कहाँ है मैं तुझे अभी लेने आ रहा हूँ।

अवनी - पिताजी में ठीक हूँ। मैं मुंबई अपनी दोस्त के घर आई हूँ और कुछ दिन यहीं रहूंगी | दिल्ली में मेरा दिल नहीं लगता मैं कुछ टाइम अकेले ही रहना चाहती हूँ आप मेरी चिंता मत करो।

सुरेश जी - देख बेटा ! मैं समझता हूँ कि तेरे दिल पर क्या बीत रही है, तू अकेले रहना चाहती है तो रह ले, पर तुझे किसी भी चीज़ की जरूरत हो तो तू मुझे तुरंत फ़ोन करियो।

अवनी - ठीक है पिताजी आप चिंता मत करो मुझे कुछ भी चाहिए होगा तो मैं आपको फ़ोन करूँगी |

सुरेश जी - देख मैं जानता हूँ के तू खुद से कुछ नहीं कहेगी पर अब तूने अकेले रहने का फैसला कर ही लिया है तो मुंबई में जो हमारी कंपनी है तू उसे ज्वॉइन करले।

इससे तेरा ध्यान काम में लग जाएगा और तेरे पास कुछ और सोचने का समय ही नहीं रहेगा।

अवनी ठीक है पापा मैं कल से ही अपनी कंपनी ज्वॉइन कर लुंगी।

जैसा कि सुरेश जी ने कहा था ठीक वैसा ही हुआ अवनी अपने काम में इतनी बीज़ी रहने लगीं कि उसके पास अपने माँ बाप को फ़ोन करने का भी समय नहीं था।

अब अवनी की कंपनी का बहुत नाम हो चूका था |

1 दिन अवनी समुद्र के किनारे बैठकर वड़ापाव खा रही थी, तभी उसने दूर से एक लड़के को देखा, वह सड़क पर एक चोर को पकड़ रहा था अवनी उसे देखकर हैरान हो गई !

वड़ापाव उसके हाथ से नीचे गिर गया।

उस लड़के की शक्ल हूबहू पवन की शक्ल से मैच करती थी। यूं कहिए कि वो पवन हीं था।

अवनी उस लड़के के पीछे पवन पवन चिल्लाते हुए भागी।

वड़ापाव वाला - अरे मैडम मेरे पैसे तो देती जाओ।

अवनी के हाथ में 500 का नोट होता है और वो 500 का नोट वड़ापाव वाले को पकड़ा के पवन के पीछे भागती है।)

कुछ दूर भागने के बाद पवन काफी आगे निकल जाता है, अवनि को समझ नहीं आता कि वोअब पवन को कैसे ढूंढेगी ?

तभी एक आदमी अवनी के पास आता है -

आदमी- अरे मैडम आप उस लड़के के पीछे क्यों भाग रही हो?

अवनी - भैया वो लड़का मेरे जानने वाला है पर मुझे पता नहीं है कि वो यहाँ कहा रहता है क्या आप उसे जानते हो?

वो आदमी - हाँ हाँ ! ये तो अनुज है मेरी कोली के पास ही तो रहता है। बड़ा भला लड़का है सबकी बहुत मदद करता है।

अवनी - भैया क्या आप मुझे बता सकते हो की लड़का कहाँ रहता है ? आप मुझे इसका अड्रेस बता दो।

वो आदमी अवनी को अनुज का एड्रेस बताता है ।

अवनि अनुज के घर के बाहर खड़ी होती है और बाहर से ही अंदर लगी एक फोटो पर उसकी नजर जाती है, उसमें अनुज और उसके माँ बाप की फोटो होती है। अवनि को समझ में नहीं आता कि दो लोगों की शक्ल एक दूसरे से इतनी मैच कैसे कर सकती है। ये तो कोई कुदरत का करिश्मा ही है। )

तभी अनुज की माँ अवनी को देखती है – अरे बेटी ? कौन हो तुम ? क्या चाहिए ?

अवनी – आंटी जी ये फोटो में जो लड़का है, कौन है ये ?

अनुज की माँ – ये ? ये तो मेरा बेटा अनुज है | क्यूँ क्या हुआ ? कोई शरारत की क्या इसने ? अगर इसने कुछ किया तो मैं माफ़ी मांगती हूँ इसकी तरफ से |

अवनी – अरे नही नही आंटी जी | इसने कोई शरारत नही की है | ये तो एक चोर को रास्ते में पकड़ रहा था |

अनुज की माँ – ओह अच्छा ! बेटा हम लोग बहुत गरीब हैं | मेरा बेटा थोडा शरारती जरुर है पर जब बात किसी की मदद की आये तो वो सबसे आगे खड़ा होता है | मुझे बहुत गर्व होता है कि वो मेरा बेटा है |

अवनी – हाँ आंटी जी ये तो आपके संस्कारो की वजह से है | अच्छा आंटी जी ! क्या अनुज कभी दिल्ली गया है ?

अनुज की माँ ( थोडा सीरियस हो जाती है ) – नही ! नही तो ! अनुज तो कभी मुंबई से बाहर नही गया है | पर ये सब तुम क्यूँ पूँछ रही हो ?

अवनी – नही असल में एक लड़का बहुत पहले मेरी कंपनी में काम करता था, उसकी शकल भी अनुज जैसी थी | वो भी बहुत इमानदार, सच्चा लड़का था | मेरी भी उसने बहुत मदद की थी | अनुज को देख कर मुझे उसी लड़के की याद आ गयी थी इसीलिए मैं यहाँ दौड़ी चली आई |

अनुज की माँ कुछ नही कहती है

अवनी – अच्छा आंटी जी अगर बुरा ना माने तो क्या आप मुझे बता सकती हैं की अनुज ने कहाँ तक पढ़ाई की है, मैं अनुज को अपनी कंपनी मैं जॉब ऑफर करना चाहती हूँ |

अनुज की माँ ये सुन के बहुत खुश हो जाती है – अरे इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है मैं अभी अनुज के पेपर्स लाती हूँ |

तभी अनुज वहां आ जाता है, अनुज को देख के अवनी को उसी गले लगाने का दिल करता है, उसकी आँखों में आंसू आ जाते है पर वो उन्हें छुपा लेती है | )

अनुज – अरे आई ! ये लड़की कौन है ?

अनुज की माँ – बेटा ये मैडम तुझे अपनी कंपनी में जॉब ऑफर करने आई है | इन्होने तुझे चोर पकड़ते हुए देखा था, तेरी इमानदारी देख के ये खुश हो गयी |

अनुज – ओह ! आई ! आज कल के ज़माने में कोई किसी के घर आकर जॉब ऑफर करता है क्या ? या तो ये फ्रॉड है या तो फिर कोई और लोचा है | जाओ मैडम आप जाओ यहाँ से अपुन को कोई जॉब वोब नही चाहिए |

अनुज की माँ उसी बताती है कि उसकी शक्ल अवनी के किसी जानने वाले से मिलती जुलती है इसलिए वो भावुक हो गयी थी \

अनुज – देखिये मैडम जी आप कितनी भी अमीर क्यों ना हों पर मेरी ईमानदारी खरीद नही सकती | आप मेरी क्वालिफिकेशन देख के जॉब ऑफर करोगी तो चलेगा | पर अपने को भीख में जॉब नही चाहिए | हम लोग गरीब हैं पर हमारी भी यहाँ इज्जत है |

इससे पहले कि अवनी आगे कुछ कहती अनुज की माँ अनुज के कॉलेज के पेपर्स वहां ले आती है | और अवनी को दिखाती है की देखो बेटा अनुज के पेपर्स | अवनी पेपर्स पढने लगती है, तो अनुज उन्हें अवनी के हनथो से छीन लेता है |

अनुज – आई मैंने कह दिया ना की भीख में नही चाहिए | तू तो इसका नाम भी नही जानती |

अवनी – आंटी मेरा नाम अवनी है, मैं बेदी कम्पनीज की मालिक हूँ | चाहे तो आप मुंबई में किसी से पूछ लीजिये | सब जानते हैं |

अवनी अनुज के पेपर्स की फोटोज अपने फ़ोन मैं क्लिक कर लेटी है )

अवनी – तुम मेरे बारे मैं जानना चाहते हो तो कहीं भी पता कर लो | मैं कोई फ्रॉड नही हूँ | तुम्हारे पेपर्स की मैंने पिक्स लेली है | तुम चाहे तो तीन दिन का समय लेलो | अगर तुम्हे तस्सली हो जाये तो मुझे मेरे ऑफिस मैं मिलना |

क्या अनुज अवनी की कंपनी ज्वाइन करेगा ?