Part -13 Shaadi ki jaldibaazi
पवन( परेशान होते हुए ) ये नितेश की गाड़ी कहाँ चली गई अचानक।
पवन अब ड्राईवर को गाड़ी रोकने को कहता है । पहले सोचते हैं कि किस- किस तरफ जा सकता है वो।
यहाँ तीन सड़कें जा रहीं हैं, एक बाहर नजफगढ़ की ओर, एक हरियाणा बदरपुर की ओर, एक सीधा जयपुर । हरियाणा बॉर्डर और जयपुर पर तो टोल टैक्स बिना निकल नहीं पाएगा वो । अवनी के पिताजी ने पुलिस तैनात जो करवा दी है।
अब नजफगढ़ का रास्ता ही बच जाता है । वो इधर ही जा सकता है ।
पवन गाड़ी में बैठते हुए चलो ये नजफगढ़ वाली सड़क पर गाड़ी ले लो। ड्राइवर तुरंत गाड़ी दौड़ा देता है।
नजफगढ़ पहुँचने पर पवन आस पास पूछताछ करता है। लेकिन अवनी का कुछ पता नहीं चल रहा।
उधर सुरेश प्रभु( गुस्से में) ये नितेश और इसके बाप को तो मैं छोड़ूँगा नहीं। पुलिस को फ़ोन लगाकर सुरेश प्रभु अपनी बेटी का पता लगाने को कहता है। तभी पवन का फोन आता है।
पवन - पापा अवनी का अभी तक कुछ नहीं पता चला। मैं कोशिश कर रहा हूँ।
सुरेश प्रभु - रात बहुत हो गई मैंने होटल सोहन में तुम्हारा इंतजाम कर दिया है। तुम आज रात वहीं रूको ।
पवन - ठीक है पापा जी। मुझे अवनी की चिंता है ।
सुरेश प्रभु - हाँ बेटा मुझे भी है चिंता ना करो नजफगढ़ में पुलिस चप्पे चप्पे पर तैनात करवा दी है।
पवन - पापा जी मैंने पता लगाया है कि नितेश प्रताप के कई फार्म हाउस हैं। पता लगाओ कहाँ - कहाँ हैं।
पापा उसके घर पर छानबीन करवाओ। उसकी फैमिली और वो अलग -अलग फार्म हाउस पर छिपें हैं।
उधर अवनी के हाथ पैर बाँधकर नितेश प्रताप ने फार्म हाउस के कमरे में बंद करके रखा है।
तभी अवनी रात में अपने हाथ खोलने की कोशिश कर रही है।अवनी - धीरे-धीरे बैड के एक कोने से बार बार वार करके एक काँच का टुकड़ा निकालती है। उस काँच के टुकड़े से रस्सी काटने में कामयाब हो जाती है। अपने हाथों से पैर खोल लेती है।
अवनी - अब इस कमरे से बाहर कैसे निकला जाए। तभी अवनी को खिड़की दिखती है, जो बाहर की तरफ है। वो खिड़की से बाहर निकलने की कोशिश करती है । खिड़की से बाहर एक बड़े लॉन में कूदती है। छिपते छिपाते बाहर निकल आती है। जब चौकीदार अंदर किसी काम से गया है।
अवनी (इधर- उधर देखते हुए) तभी भागते हुए एक ठेले के पास पहुँचती हैं। भैया एक फोन करना है please अपना फोन दिखा दो it's very urgent.
ठेले वाला ( थोडा हिचकिचाते हुए)- फोन नहीं…
अवनी - भैया please दे दो
ठेले वाला - अच्छा लो।
अवनी - पवन को फ़ोन मिलाती है। और उसे फार्म हाउस का पता बताती है।
पवन तुरंत गाड़ी लेकर निकलता है।
तभी नितेश प्रताप को पता चल जाता है कि अवनी कमरे से भाग गई है । अब वो भी अवनी को ढूँढने निकल पड़ता है।
अवनी नितेश प्रताप की गाड़ी देखकर ठेले के नीचे छिप जाती है।
नितेश प्रताप - ओए ठेले वाले किसी लड़की को संतरी रंग में लहंगे देखा है।
ठेले वाला - नहीं साहब हमने नहीं देखा।
ठेले वाली की बात सुनकर नितेश प्रताप आगे निकल जाता है।
इतने में पवन की गाड़ी आ जाती है। अवनी पवन को देखकर बाहर निकल आती है। और पवन को आवाज लगाती है।
पवन गाड़ी रोकता हैऔर तुरंत अवनी पवन के गले लग जाती है।
तभी......
पवन - अवनी जल्दी गाड़ी में बैठो।
अवनी तुरंत गाड़ी में बैठकर चैन की साँस लेती है। दोनों खुश हैं।
पवन सुरेश प्रभु को फ़ोन करके सारी बात बताता है।
उधर पुलिस नितेश प्रताप और उसकी फैमिली को फार्म हाउस पर आकर arrest कर लेती है।
अब पवन और अवनी दोनों घर आ जाते हैं।
अगले दिन सुरेश प्रभु पवन और अवनी को बुलाते हैं और कहते हैं हम कल ही तुम दोनों की शादी करेंगे।
पवन - नहीं मैं कल शादी नहीं करूँगा...
अवनी - हाँ पापा हम दोनों ने फैसला किया हम अब जल्दबाजी की शादी नहीं करेंगे । अब तो आपको सब सच पता चल गया है। आपको पता है मैं कभी भी जल्दबाजी की शादी नहीं करना चाहती थी।
पवन - पापा अवनी कह रही है अभी हमें एक दूसरे को समझने का वक्त चाहिए । मजबूरी में लिए फैसले पर पछताना पड़ता है।
सुरेश प्रभु (गुस्से में) क्या कह रहे ये सब तुम दोनो...
तभी अवनी की माँ भी आ जाती है। देखो सुरेखा क्या कह रहे ये दोनों ।इनको समझाओ नहीं तो ठीक नहीं होगा....
सुरेखा प्रभु - ठीक तो है । आपको हर काम में जल्दबाजी रहती है। कभी बच्चों की इच्छा भी जान लिया करो। आज आपकी जल्दबाजी के चक्कर में मैं अपनी बेटी को खो देती। हरदम डर का माहौल बनाकर रखते हों। बचपन से अवनी आप से अपने मन की बात नहीं कर पाती। अवनी क्या कोई भी नहीं । हमारी शादी को पूरे 23 साल गए हैं, आज आपकी बात नहीं मानूँगी । अभी इसका कॉलेज भी पूरा नहीं हुआ और आपने बिना सोचे समझे नितेश प्रताप से शादी तय कर दी थी । देखा नतीजा।
सुरेश प्रभु - लेकिन इन दोनों को देखकर लगता है ये एक-दूसरे के साथ खुश हैं। अवनी ने शादी के लिए हाँ की है।
सरेखा प्रभु - आपको सारी बात नहीं पता ना।
आपको पता जब आलोक वो लड़का जिसके अवनी घर छोड़कर भागी थी। उसे छोड़कर चला गया तो वो क्या करने वाली थी.....
सुरेश प्रभु - क्या तुम ही बताओ। मुझे किसी ने बताया भी ।
सुरेखा प्रभु - सुसाइड करने जा रही थी वो । डर के कारण उसने वो कदम उठाया था। सोचो अगर वो कर लेती तो क्या होता????
शुक्र है रब का तभी पवन पहुँच गया। आपके पास ले आया।
अब ये लड़का सिर्फ अवनी को घर छोड़ने ही आया था तो आपने जबरदस्ती उसकी शादी तय कर दी।
बेटी की जिंदगी का मज़ाक बना दिया है।
पवन - ठीक कहा आंटी ने पहले हम अच्छे दोस्त बनेंगे तभी शादी करेंगे सोच समझकर।
सुरेश प्रभु - ओए क्या है! ये सब दोस्ती मन की मर्जी यहाँ नहीं चलेगी। तुझे शादी करनी है या नहीं....
सुरेखा प्रभु - इतना कुछ हो गया हमारी बच्ची के साथ ... अभी भी जिद्द पर अड़े हो। अगर ये ज़िद्द और गुस्सा न होता हमारी बेटी से बोल पाती यूं खौफ न खाती ।
अवनी - सहमी सी खड़ी है... धीरे से ... पापा माँ सही कह रही हैं।
पवन - बिल्कुल पहले हम एक-दूसरे को जान ले पहचान लें। मेरे जीवन की कई ऐसी बातें भी हैं जिन्हें मेरे जीवन साथी को जानना जरूरी है।
सुरेश प्रभु (हैरान होकर) - क्या तुमने सही से क्यों नहीं बताया।
पवन - जिंदगी की सभी सच्चाई इतनी जल्दी कोई नहीं बता पाता।
अवनी - क्या लेकिन तुम मुझसे कुछ छिपा रहे हो।
पवन - मैंने तुमसे कोई और किसी प्रकार का commitment नहीं किया।
अवनी (चौंकते हुए) - फिर तो अभी शादी का मतलब नहीं।
सुरेश प्रभु - नहीं-नहीं ऐसे थोड़ी ना । तुम सबके लिए बच्चों का खेल है शादी ब्याह।
सब जगह मंगनी का invitation जा चुका है।
अब तुम सब मना कर रहे हो।
शहर में मेरी इज्ज़त है।
सुरेखा प्रभु - आज अगर अवनी को कुछ हो जाता तो ....
समाज हमारी बेटी दे पाता।
पवन - आंटी सही कह रही हैं।
पहले parents के लिए उनके बच्चों की खुशी पहले होनी चाहिए।
सुरेश प्रभु - तुम सबकी मनमर्जी नहीं चल पाएगी......
क्या पवन अवनी से शादी के लिए हाँ करेगा या वहाँ से चला जाएगा?