Part - 10 Shaadi ki Trip
अवनी के माँ सुरेश जी से कहती है कि मैं सोच रही थी कि कल सुबह हम सब बंगला साहिब चलते हैं देखिए ना अवनी घर आ गई हमें इतना अच्छा दामाद मिल गया तो हमें बाबा जी को शुक्रिया दो तो करना चाहिए ना???
हां हां क्यों नहीं यह तो तुमने बहुत अच्छी बात कही है
हम सब सुबह ही बंगला साहिब चलते हैं तुम सभी घर वालों को बता दो। सुरेश जी ने अपनी पत्नी से कहा।
(अवनी कि माँ अवनी के कमरे में जाती है )
बेटा अवनी कल हम सब बंगला साहिब जा रहे हैं सुबह जल्दी उठकर तैयार हो जाना और पवन से भी बोल दो कि वो भी तैयार हो जाए सुबह मै बाकी लोगों को बता कर आती हूं यह कहकर अवनी की मां कमरे से बाहर निकल जाती है।
अवनी -अब मुझे उसके साथ बाहर भी जाना पड़ेगा क्या?? अब तो मैं उसके साथ यह नाटक करते करते थक गई हूं पर मै हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही हूं सच बोलने की डर रही हूं अगर सच बोल दिया तो पापा का भरोसा भी तोड़ दूंगी और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं है मेरी वजह से कुछ हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी कल बाबा जी के सामने माफी मांगूगी कि वो मुझे माफ़ करदे वो मुझे समझेंगे और वो बस मुझे सच बोलने की हिम्मत दे। फिर अवनी पवन के कमरे में जाती है।
पवन अपने कमरे में नहीं होता फिर वह बाहर हॉल में देखती है वो वहां भी नहीं होता बाहर गार्डन में जाकर देखती है वो वहां भी नहीं होता अवनी डर जाती है उसे लगता है कि वह भाग तो नहीं गया फिर वह सामने देखती है कि कार से उतर उसके चाचा और पवन घर की तरफ आ रहे होते हैं
(अवनी के चाचा अवनी से बात करते हुए )
अरे अवनी बेटा रात में बाहर क्या कर रही हो????
कुछ नहीं चाचा जी मैं तो बस पवन को देख रही थी मुझे उससे कुछ काम था।अवनी ने अपने चाचा को जवाब देते हुए कहा।
(अवनी के चाचा) ठीक है चलो अंदर चलते है।
फिर तीनों कमरे के अंदर चले जाते हैं।
पवन अपने कमरे की ओर बढ़ता है अवनी उसके पीछे पीछे जाती है। अरे सुनो रुको अवनी ने कहा।
पवन अवनी की ओर देखता है और बोलता है क्या हुआ क्या बात है??? अरे हम सब कल सुबह बंगला साहिब जा रहे हैं बस यही बताने के लिए मां ने बोला था ठीक है और अब तुम जा सकते हो अब,अवनी ने पवन को बड़े एटीट्यूड से कहा।...
( पवन हैरान हो के )
बंगला साहिब जाना है??इसमें तुम्हारे घर वालों की कोई शादी वाली प्लानिंग तो नहीं है। तुम्हारे दिमाग में भूसा भरा है क्या घरवाले वहां हमारी शादी की प्लानिंग क्यों करेंगे (अवनी ने गुस्से से जवाब दिया।)
फिर अचानक बंगला साहिब ही क्यों जाना है? पवन ने अवनी से पूछा?
( अवनी चिढ़ते हुए )
क्यों तुम्हें क्या लंदन लेकर जाए, बंगला साहिब ही क्यों जाना है बड़े आए!!जितना बोला है उतना करो सुबह उठ जाना अब मेरा सिर मत खाओ पता नहीं क्यों इतना सवाल जवाब करता है फिर अवनी वहां से चली जाती है।
(पवन खुद से बात करते हुए )
यार यह लड़की सीधे मुँह बात ही नहीं करती है एक तो मुझे फंसा रखा है अपने घर वालों से सच नहीं कह रही और मुझ पर ही रौब जमाती है फिर पवन अपने कमरे में चला जाता है।
अगली सुबह सब जाने के लिए तैयार हो जाते हैं अवनी सीढ़ियों से नीचे उतर रही होती है पवन अवनी की ओर देखा है तो उसे देखता ही रह जाता है अवनी बहुत सुंदर लग रही होती है वो कहीं खो सा जाता है जैसे कि उसे बस अवनी के अलावा वहां कोई और दिखाई नहीं देता।
अरे पवन जी चलिए कहां खो गए हो आप??
(रूपेश ने जोर से पवन को कहा)
अरे भाई क्यों चिल्ला रहे हो कान से बेहरा नहीं हूं मैं तुम चलो मैं आ रहा हूँ पवन रूपेश को डाटते हुए कहता है।
फिर अवनी अपने पापा की कार में बैठने लगती है तो अवनी की मां कहती है अरे अपनी बेटा तुम पवन की कार में जाओ.....
अवनी – अरे माँ नहीं मैं पापा के साथ ही चली जाऊंगी ना आप और रुपेश पवन के साथ चले जाओ।
(अवनी की मां )अरे बेटा मैं कह रही हूं ना तुम जाओ पवन के साथ जाओ अवनी को जबरदस्ती पवन के साथ जाने को कहती है अवनी पवन के साथ जाकर बैठ जाती है फिर सब गुरुद्वारे की ओर निकल पड़ते है।
( पवन और अवनी के बीच थोड़ी नॉक झोक शुरू होती है)
पवन (बालों को ठीक करते हुए कहता है )-चलती फिरती मुसीबत को पूरे रास्ते मुझे झेलना होगा!!
(अवनी गुस्से से)- क्या???तुमने मुझे मुसीबत बोला तुम आजकल बहुत ज्यादा बोल रहे हो मै ये सब बर्दाश्त नहीं करने वाली समझे ना तुम।
पवन (हस्ते हुए )-मैं ज्यादा बोल रहा हूं हा हा हा तुम कहां बोलने देती हो??
अवनी -अच्छा मैंने क्या तुम्हारा मुंह बंद करके रखा है मैं अपनी मर्जी से तुम्हारे साथ नहीं बैठी हूं माँ ने जबरदस्ती की है इसलिए आना पड़ा मुझे।
दोनों मां बेटी हाथ धोकर पीछे पड़ गई है
क्या?? क्या?? बोल रह हो तुम?? अवनी पवन से पूछती है
(पवन जवाब देते हुए )- क्या बोलूंगा तुमने कुछ बोलने लायक छोड़ा है।
अवनी - car रोको???
पवन (चौंकते हुए )- अरे बाबा क्या हुआ मैंने क्या किया???? मैंने कहा रुको (अवनी ने गुस्से से कहा)।पवन car रोक देता है। अवनी पीछे वाली सीट पर जा के बैठ जाती है।
पवन कुछ नहीं बोलता car start करता है थोड़े देर मे पवन अपनी car के आगे वाली शीशे को थोड़ा नीचे करता है और अवनी को चुप के चुप के देखता है अवनी बहार की तरफ देख रही होती है अवनी को देख कर पवन के होठो पर मुस्कुरहट आ जाती है।
सब गुरुद्वारे पहुंचते हैं गुरुद्वारे के बाहर एक फकीर बाबा बैठा होता है अवनी और पवन उनके सामने से गुजर रहे होते हैं
तभी बाबा बोलता है- एक उत्तर है तो एक दक्षिणा एक आग है तो एक पानी मजा आएगा यह देखने में जब दोनों को पता चलेगा कि वह एक दूसरे के लिए बने है वहा रे भगवान तेरी लीला न्यारी है बाबा की बात को दोनों अनसुनी कर देते है गुरुद्वारे के अंदर चले जाते हैं
गुरुद्वारे के अंदर सब बैठे होते हैं और अवनी मन की मन बाबा जी को बोलती है माफ कर देना मुझे मैंने घरवालों से झूठ बोला है मै अपने पापा को सब सच बता सकूँ मुझे हिम्मत देना बाबा जी। उस के बाद सब वहा से पार्षद ले कर बाहर आ जाते है।
अवनी की माँ पवन के पास आती है!!!अरे बेटा क्या हुआ??? कुछ बात बनी?? मैंने ही अवनी को तुम्हारे साथ भेजा था बताओ क्या बात हुई???
(पवन )- आपको पता है आपकी बेटी चलती फिरती ज्वालामुखी है जब बात करती है तो आग उगलती है खासकर तब जब मैं सामने होता हूँ सीधे मुँह बात ही नहीं करती।
अवनी की माँ (समझाते हुए )-तुम कोशिश तो करो बेटा सारी बात बन जाएगी मै एक काम करती हूं मैं इन सब को लेकर निकलती हूं फिर तुम हमारे बाद निकलना!!!!
पवन (परेशान हो के )- अरे आंटी जी सुनो तो???
अवनी की मां -मुझे कुछ नहीं सुनना मैं इन सब को ले कर निकल रही हूँ ठीक है अपना ध्यान रखना ये कह कर सुरेश जी, रूपेश, को लेकर निकल जाती है।
( पवन अवनी के पास जाता है )
पवन – तुम यहां wait करो मैं कार लेकर आता हूं पवन car लेने चला जाता है अवनी अकेली खड़ी होती है तभी बाइक पर दो लड़के आते हैं
(पहला लड़का अवनी से टाइम पूछता है)
सुनिए time क्या हुआ है??? अवनी उनके इरादे समझ जाती है और कहती हैै तुमने जो अपने हाथ में इतनी बड़ी watch पहनी है क्या वो तुमने show off के लिए पहनी है???
( दूसरा लड़का )
अरे!! मैडम टाइम ही तो पूछा है कौन सा डेट के लिए पूछ लिया जो इतना गुस्सा हो रही हो???
अवनी (गुस्से से )-एक कान के नीचे लगाऊंगी ना कुछ सुने लायक नहीं बचोगे!!!!
(पहला लड़का )
तो ठीक है एक लगा दो हमें भी तो पाता चले एक खूबसूरत लड़की के हाथ से थपड़ कैसा लगता है इस बहाने से कम से कम तुम छू तो लोगी ये कहे कर दोनों ज़ोर ज़ोर से हॅसने लगते है
अवनी थोड़ा सा आगे चलने लगती है दोनों बाइक वाले अवनी का पीछा करते है।
(दूसरा लड़का )
अरे मैडम रुको तो कहां जाना है??? हम आपको छोड़ देते है
अवनी (गुस्से मे )- मैं अकेली नहीं हूँ मेरा दोस्त मेरे साथ है
(दूसरा बंदा बोलता है)
कहाँ है हमें तो कोई दोस्त नहीं दिख रहा हमें बना लो अपना दोस्त हम भी आपके दोस्त बन जाएंगे और अवनी का हाथ पकड़ लेता है अवनी अपना हाथ छुड़ाती है और एक थपड़ मरती है
पवन कार लेकर पहुंचता है ये सब देखकर कार से उतरता है और दोनों कि पिटाई करता है पवन उनको बहुत मारता है पवन को भी चोट आती है अवनी घबरा जाती है।
दोनों गुंडे वहां से निकल जाते हैं अवनी पवन को कार में बैठाती है।और कहती है।...
अवनी – क्या जरूरत थी इतना मारने की खुद को भी लग गई ना हर वक्त हीरो बनना होता है बस तुम्हे.....
पवन गुस्से से बोलता है -तो क्या मै उन्हें ऐसे ही जाने देता अगर तुम मुझे नहीं रोकती तो मैं उन्हें जान से मार देता।
अवनी -अब चुप करो मुझे साफ करने दो वो अपने दुपट्टे से पवन के चेहरे पर जो खून लगा होता है वो साफ करती है
पवन चुप हो जाता है बस उससे देखता रहता है अवनी उससे बात कर रही होती है उससे कुछ नहीं सुनाई देता बस वो कही खो सा जाता है और उसे देख रहा होता है।
क्या पवन अवनी के लिए कुछ महसूस करने लगा है अगर करने लगा है तो क्या अवनी समझ पाएगी???