Part - 9 Ishq-vishq
अवनी गुस्से में पवन को गुड नाईट बोलती है और सोने चली जाती है |
पवन छत पर अकेले बैठ कर तारे गिन रहा होता है | तभी उसे गहर के वाले गोदाम से कुछ गिरने की आवाजें सुनाई आती हैं | पहले तो वो ध्यान नहीं देता, सोचता है शायद कोई बिल्ली-चूहा टॉम एंड जैरी खेल रहे होंगे | पर फिर जब दुबारा से आवाज़ आती है तो पवन चौंक जाता है | वो छत पर से ही गोदाम की ओर झाकता है | उसे वहां एक आदमी की परछाई दिखाई देती है | पहले वो सोचता है की कहीं ये कोई भूत प्रेत तो नहीं है !! फिर खुदको समझाता है कि नहीं पवन भूत प्रेत जैसी कोई चीज़ नहीं होती |
पवन चौकन्ना हो जाता है | वो समझ जाता है कि गोदाम में जरुर चोर घुस आया है (पर मन ही मन उसे भूतो का भी ख्याल आ रहा होता है ) वो सबको बुलाने जा ही रहा होता है की फिर रुक जाता है |
पवन (खुदसे ) – नहीं अभी सब सो रहे होंगे, सबको जगा के परेशान करना ठीक नहीं होगा, एक चोर से तो मैं खुद ही निपट लूँगा |
Come on pawan ! you can do it ! अगर एक चोर को भी नही मार पाया तो, इतने दिनों तक कर्राटे की ट्रेनिंग लेने का क्या फायदा होगा | चल बेटा पवन ये डंडा उठा और उस चोर को चकमा चखा दे | उसे भी क्या याद रहेगा की किस्से पाला पड़ा था | जय काली कलकत्ते वाली !!
( पवन गोदाम में जाता है )
जैसे ही पवन पीछे से चोर को मारने वाला होता है, वो शक्स पीछे मुड़ता है ( दोनों एक दुसरे को देख के जोर से चिल्लाते हैं ) तो पता चलता है की ये और कोई नहीं बल्कि अवनी का भाई रुपेश है |
पवन ( रुपेश से ) – यार तुम लोगो कि दिक्कत क्या है ! तुम लोगो ने क्या ठेका ले रखा है मुझे परेशां करने का ! कभी तुम तो कभी तुम्हारी बहन | पता है कितना डर गया था मैं |
रुपेश ( मुस्कुराते हुए ) – हा हा ! जीजा जी आप तो डर गए |
पवन ( गुस्से में ) – हाँ तो इतनी रात को सोने के टाइम तुम ऐसे भूतो कि तरह घूमोगे तो डर नही लगेगा क्या ? और by the way तुम यहाँ कर क्या रहे हो इतनी रात को ?
रुपेश कुछ छुपा रहा होता है |
पवन – क्या छिपा रहे हो तुम रुपेश ?
रुपेश – कुछ नही जीजा जी ! कुछ भी तो नहीं है |
तभी पवन की नज़र वहां शराब की बोतल पर जाती है और रुपेश अपने हाँथ में गिलास छुपा रहा होता है |
पवन – तुम शराब पी रहे हो !
रुपेश ( हिचकिचाते हुए ) – जीजा जी ! जीजा जी आप प्लीज किसी को बताना मत इसके बारे में |
पवन – तुम्हे पता भी है कि ये शराब तुम्हारी सेहत के लिए कितनी हानिकारक है | आखिरकार तुम्हे किस चीज़ की कमी है जो तुम ये सब कर रहे हो |
रुपेश – हाँ ! सब कुछ है मेरे पास | पर जो होना चाहिए बस वही नही है |
पवन – किस चीज़ की बात कर रहे हो तुम ?
रुपेश – वही जो हर किसी के नसीब में नहीं होता | जो सिर्फ किस्मत वालों को नसीब होता है “प्यार” | मैं आपकी तरह लकी नही हु जीजा जी |
पवन – अच्छा ! मुझे पूरी बात तो बताओ, हो सकता है में तुम्हारी कोई हेल्प कर सकूँ | और वैसे भी दुःख बाटने से दिल का दर्द हल्का हो जाता है | चलो शरमाओ मत बताओ मुझे, क्या हुआ |
रुपेश (भावुक होते हुए) – मेरी एक गर्लफ्रेंड है, या यूँ कहूँ कि “थी” | बहुत प्यार करते थे हम दोनों एक दुसरे से | फर्स्ट टाइम हम कॉलेज में मिले थे | रूपल नाम था उसका |
(मुस्कुराते हुए ) हम दोनों के नाम “रूप” शब्द से ही शुरू होते थे | इसलिए हमारे रोल नो. भी आगे पीछे ही थे | मैं प्यार से उसी रूपा बोलता था | मैं तो पढाई में एवरेज था, और वो topper थी | में हमेशा उससे पढने के बहाने मिला करता था | कभी पार्क में, तो कभी उसके घर पे ग्रुप डिस्कशन के बहाने | जैसे जैसे टाइम बीतता गया, हमारी फीलिंग्स भी बढती गयी | बीच में रूपल ने कॉलेज आना काफी कम कर दिया और आती भी तो मुझसे दूर दूर रहने लग गयी थी | मेने काफी बार पूछने की कोशिश की पर उसने हमेशा बिजी होने के बहाने ही बताये|
(रुपेश)
फिर एक दिन वो खुद ही आई और बोली
रूपल (रूपेश से ) – I am sorry रुपेश, काफी टाइम हो गया ना टाइम साथ बिताये चलो कहीं चलते हैं |
हम दोनों ने प्लान बनाया की हम दोनों लद्दाख जायेगे घूमने (अकेले), हम दोनों साथ टाइम स्पेंड करना चाहते थे, जिंदगी के मज़े लेना चाहते थे |
पवन – फिर ? फिर तुम दोनों गए या नही ?
रुपेश – हम गए थे | वहां पर काफी मज़े किये थे हम दोनों ने | दिन में हमने काफी शौपिंग की फिर शाम को हमने बौर्नफायर के मज़े लिए | मुझे याद है उसने ब्लू कलर का गाउन पहना हुआ था | ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी | वो किसी परी से कम नही लग रही थी | वो मेरे पास ही बेठी थी और में उसके चेहरे से उसकी लटें हटा रहा था | वो भी क्या शाम थी (सोचता है ) फिर हमने साथ में कपल डांस किया, बैकग्राउंड में गाना चल रहा था – “लग जा गले, कि फिर ये हसीं रात हो ना हो, शायद इस जनम मुलाक़ात हो ना हो ”
(पवन मुस्कुराते हुए सब सुन रहा होता है )
पवन – फिर ? फिर क्या हुआ ?
रुपेश – हम दोनों ने काफी पी ली थी उस दिन, मैं कब सो गया मुझे पता ही नही चला | मेरी आँखे खुली थी तो सब कुछ धुंधला धुंधला दिख रहा था | मैंने देखा की रूपल किसी लड़के से बात कर रही है, में वहां गया तो जो कुछ मैंने सुना वो सब सुन कर मेरे होश उद्द गये !
पवन ) – क्या सुना तुमने ?
रूपेश – रूपल जिससे बात कर रही थी वो उसका न्यू बॉयफ्रेंड था, वो इतने दिनों मुझे इसलिए इगनोरे कर रही थी क्युकि वो उसे चाहने लगी थी | वो उसे बेबी कह के पुकार रही थी | मैंने उससे पुछा की ये सब क्या हो रहा है ? और अगर तुम उससे प्यार करती हो तो मेरे साथ यहाँ क्यों आई हो ?
रूपल ने बोला ये ही मेरा सच्चा प्यार है, तुम तो बस पैसे की फैक्ट्री थे मेरे लिए, वरना में तुम जैसे एक एवरेज से लड़के के साथ राहगी ये तुमने सोच भी केसे लिया ? वो दोनों वहां से मुझे अकेले छोड़ कर आ गये | तबसे मैंने शराब को ही अपनी gf बना लिया |
पवन – तो मिल जायेगा तुम्हे तुम्हारा प्यार ! इसमें शराब पीने की क्या बात है रुपेश | सबको कभी न कभी उनका सच्चा प्यार मिल ही जाता है | शराब पीने से क्या रूपल वापस आ जाएगी ?
तुम उसके लिए अपनी लाइफ बर्बाद क्यों कर रहे हो रूपेश जो तुम्हारी लाइफ में है ही नही ! अगर वो तुम्हारे साथ नही है तो मतलब वो तुम्हारा सच्चा प्यार नही था | अगर वो तुमसे सच्चा प्यार करती तो तुम्हे कभी धोका नही देती | ना ही तुम यहाँ अकेले बैठ के शराब पी रहे होते | देखो अपने आसपास क्या तुम्हे रूपल कहीं दिख रही है अभी ? नही ना ! क्यों की वो सिर्फ तुम्हारे दिमाग में है, तुम्हारी ज़िन्दगी से वो जा चुकी है |
तुम अपने बीते हुए कल के चक्कर में अपना आने वाला कल क्यों ख़राब कर रहे हो ? और सबसे जादा इम्पोर्टेन्ट है तुम्हारा आज, तुम उसी ही बर्बाद कर्दोगे तो आने वाला कल कैसे अच्छा होगा ?
रुपेश – जीजा जी मुझे कोई फर्क नही पड़ता अपने आने वाले कल से | मुझे पता है की कुछ अच्छा नही होने वाला |
पवन – देखो रुपेश ! ऐसे हार नहीं मानते | हो सकता है रूपल से भी जादा कोई प्यार करने वाली कोई मिल जाए तुम्हे | जो तुम्हे उतना ही प्यार करे जितना तुम रूपल से करते हो | पर अगर तुम ऐसे ही अपने पास्ट की पट्टी अनपी आँखों पर बाँध कर रखोगे तो और कुछ कैसे देख पाओगे ?
रुपेश (ताना देते हुए) – हंह! आपको क्या पता सच्चे प्यार से दूर होने का गम | आपको तो आपका प्यार मिल ही गया ना | ये सब बस बोलना आसन है जीजा जी, असल जिंदगी में, जिसके साथ होता है न उन्हें ही पता चलता है कि कैसा लगता है | आप नहीं समझोगे जीजा जी !
पवन – देखो ! तुम्हे कुछ नही पता मेरी लाइफ के बारे में | मेरा काम था तुम्हे समझाना आगे तुम्हारी मर्ज़ी |
पवन चला जाता है |