Part- 4 Dusri Koshish
अवनी रात को अपने पापा के कमरे में जाती है। उसके पापा कमरे की खिड़की के पास खड़े होते है।
अवनी- पापा? सुरेश जी – अरे बेटा तुम आओ मेरे पास यहां आओ, अवनी के पापा अवनी को सोफे पर बैठने का इशारा करते हैं, अवनी अपने पापा के साथ बैठ जाती है फिर उनके बीच में बातें शुरू होती है
अवनी- पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं? सुरेश जी- हां बेटा क्या कहना है बताओ?
अवनी – मैं जानती हूं मैंने आपका बहुत दिल दुखाया है मुझे वो शादी नहीं करनी थी इसलिए मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं भाग गई थी, मुझे पता है मुझे आपसे बात करनी चाहिए थी पर आपने ही ध्यान नहीं दिया।
इतना आप मेरी शादी को लेकर खुश थे, कि आपने मेरी बात कई बार अनसुनी कि, मैंने आपसे कहा था मुझे शादी नहीं करनी मुझे थोड़ा वक्त चाहिए, आपने कहा अब सब कुछ मैंने तय कर दिया है। मुझे आप ताने देने लगे की कब शादी करोगी इतनी बड़ी होगई हो इतना अच्छा रिश्ता है यह सब कहकर मेरी बात सुनी ही नहीं आपने अपने सबकुछ खुद ही डिसाइड कर लिया था।
अवनी अपने पापा को समझाते हुए कहती हैं सुरेश जी – हां बेटा उस वक्त शायद मुझे तुम्हारी बात सुन लेनी चाहिए थी पर अपने स्टेटस और अपनी शान के आगे मैंने तुम्हारी कोई बात नहीं सुनी शायद अगर मैं सुनता तो तुम ऐसा कदम उठाती ही नहीं, पर मुझे इस बात की खुशी है कि तुमने पवन से हमारी मर्जी के बगैर शादी नहीं कि बल्कि यहां आ गई, मुझे तुम पर गर्व है बेटा तुमने हमारा सर झुकने नहीं दिया मेरी शान हो बेटा तुम, देखना मैं तुम्हारी शादी कितनी धूम-धाम से करता हूं पूरी दिल्ली में किसी की भी इतने धूम-धाम से शादी नहीं हुई होगी जितनी मेरी बेटी की होगी
अवनी के पापा अवनी के सर पर हाथ रखते हुए उसे सेहलाते हैं! अवनि अपने पापा की बात सुनकर भावुक हो जाती है मन ही मन सोच में पड़ जाती है उसे समझ नहीं आता कि उसे सच बता देना चाहिए या चुपचाप बिना कुछ कहे यहां से चले जाना चाहिए?
अवनी – पापा दरअसल बात यह है कि! तभी अवनी की मां कमरे में आती है!
अवनी की माँ – क्या बातें हो रही है बाप बेटी के बीच मैं भी तो सुनूं!!!!
सुरेश जी – कुछ नहीं बस एक दूसरे से अपने मन की बात कर रहे थे अभी इस बात का एहसास हुआ है कि अपने बच्चों से भी अपनी मन की बात करनी और सुनी चाहिए।
अवनी की माँ – यह तो बहुत अच्छी बात है अब आप बातों को छोड़िए और यह बताइए कि आपने अपनी दवाईयां ली? फिर वह टेबल की तरफ देखती हैं पर दवाईयां टेबल पर ऐसे ही रखी होती हैं अरे!!!! ये क्या आप आपना बिल्कुल ध्यान नहीं रखते दवाई ऐसे ही रखी हुई हैं चलिए पहले दवाईयां लेलो आप!!!! अवनी की मां गुस्से से सुरेश जी को कहती हैं।
अवनी – पापा आप अपनी हेल्थ का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते चले दवा ले ले आप,,,,,
अवनी की माँ – पता है बेटा तुम्हारे जाने के बाद इनकी कितनी हालत खराब हुई थी दवाईया लेना बिलकुल छोड़ दिया था इन्होने, पर अब तो आपकी लाडो आ गई है अब तो ध्यान दीजिए?
अवनी हैरान होके -क्या? पापा अब ऐसा कुछ नहीं चलेगा आपको अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखना होगा नहीं तो फिर शादी में सबसे ज्यादा नाचेगा कौन? अवनी पापा से मजाक करते हुए कहती है।
सुरेश जी – हंसते हुए हां मैं समझ गया अब से ध्यान दूंगा एक ही तो बेटी है इसकी बात नहीं मानूंगा तो किसकी मानूंगा,,,,
अवनी उन्हें खुश देखकर अभी कुछ ना कहने का फैसला लेती हैं और वहां से चली जाती है अवनी को
बाहर जाते हुए देख पवन उसके पास आता है पवन – अवनी!!अवनी!! ? रुको क्या हुआ तुमने अपने पापा को बताया?
अवनी – अभी नहीं, देखो मैंने कोशिश की थी पर पापा को इतना खुश देख कर मेरी हिम्मत नहीं हो पाई ऊपर से अभी पापा की health भी ठीक नहीं है तो मैं उनसे कुछ कह नहीं सकी,,,,
पवन – यार ऐसा करके तुम उन्हें धोखा दे रही हो वह एक झूठ को लेकर खुश हो रहे हैं और तुम्हें पता है यह झूठ सच नहीं होगा फिर उन्हें और ज्यादा तकलीफ होगी अगर तुमसे सच बोला नहीं जा रहा तो मैं अभी जाता हूं उन्हें सच सच सब बता देता हूं।
अवनी – रुको तुम!!! मैं उनसे खुद बात कर लूंगी वह तुम्हारी बात नहीं सुनेंगे हो सकता है वह कुछ गलत कर दे तुम्हारे साथ,,,मैं ही उनसे बात करूंगी पर अभी तुम यहां से जाओ नहीं तो कोई सुन लेगा और प्रॉब्लम हो जाएगी
अवनी पवन को जबरदस्ती वहां से भेज देती है। और अपने कमरे में चली जाती है
सुबह के 9:00 बजे होते हैं और सब नाश्ते की टेबल पर बैठे होते हैं
रुपेश – पापा मैं सोच रहा था कि पवन जी का थोड़ा physical टेस्ट हो जाए रूपेश पवन के मज़े ले कर बोलता है....
सुरेश जी – physical टेस्ट मतलब?
रुपेश – मेरा मतलब था कि कुश्ती में दो-दो हाथ हो जाता तो हमें पता लग जाता हमारे पवन जीजू physically कितने स्ट्रांग है,,,
सुरेश जी – हां हां
जरूर क्यों नहीं बिल्कुल आखिर पता तो चले हमारे होने वाले दामाद जी की बाज़ूओं में कितना दम है.....
पवन – अंकल मैं तो बस अपनी कलम – किताबों को ही ज्यादा समय देता हूं मुझसे कहा कुश्ती होगी
सुरेश जी को जवाब देता है रुपेश- अरे!तो क्या हुआ कोशिश करने में कोई हर्ज़ तो नहीं है पवन जी?
सुरेश जी - रुपेश बिल्कुल सही बोल रहा है पवन बेटा और थोड़ी मस्ती मजाक वाला माहौल बन जाएगा, तुम क्या कहती हो अवनी?
अवनी – हां पवन तुम्हें कुश्ती करनी चाहिए तुम्हें भी कुछ नया experience होगा और मुझे पता है तुम बहुत अच्छा खेलोगे अवनी पवन को झूठी तसल्ली देती है और मन मे कहती है इससे कहानी तो लिखी जाती नहीं कुश्ती क्या जीतेगा और धीरे से हंसने लगती है।
सुरेश जी – चलो फिर ठीक है 1:00 बजे सब कुश्ती की शुरुआत करते हैं रुपेश तुम सब तैयारी कर लेना मैं अभी कुछ काम से बाहर जा रहा हूं 1:00 बजे तक आ जाऊंगा.....
रुपेश – जी पापा!!!
फिर सब 1:00 बजे गार्डन मे इकट्ठा होते हैं तभी पवन अवनी के कान में धीरे से कहता है तुमने मुझे दूसरी बार फ़साया हैं.....
अवनी -chill करो यार सिर्फ कुश्ती लड़नी है और वो भी मेरे भाइयों के साथ professional बंदा नहीं आ रहा तुमसे कुश्ती करने और कहानियों में तो तुम फ्लॉप हो क्या पाता कुश्ती में hit तो जाओ अवनी पवन का मजाक बनाते हुए कहती हैं,,,,,,
रुपेश – आ जाओ पवन जी पहले मेरे साथ कुश्ती करनी है आप को पवन अपने आप को तैयार करते हुए रुपेश के साथ कुश्ती करने मैदान में उतर जाता है,,,,,,
(कुश्ती करने की आवाज़ )
दोनों के बीच कुश्ती शुरू हो जाती है शानदार कुश्ती चल रही होती है पवन अपना गुस्सा कुश्ती पर निकालना शुरू कर देता है जिससे कि वह रूपेश को हरा देता है यह देख सब खुश हो जाते हैं अब अगला राउंड मेधा के साथ होने वाला था मेधा लंबा चौड़ा हटा कटा होता है शरीर से,,, फिर दोनों मैदान में उतर जाते हैं कभी पवन मेधा को पटकी देता है तो कभी मेघा पवन को,,, ऐसे ही चलता रहता है तभी पवन अपना तेज दिमाग चला कर मेधा को हरा देता है अवनी यह देख बहुत ज्यादा हैरान हो जाती है सब पवन को शाबाशी देने लगते हैं.......
अवनी – क्या बात है तुम इतनी अच्छी कुश्ती करते हो तुमने बताया नहीं कहाँ से सीखी इतनी अच्छी कुश्ती?
पवन चिढ़ते हुए- तुम्हें जानने की जरूरत नहीं है और वैसे भी पवन हर चीज में अपनी जान लगा देता है बस
तुम इतना ही जान लो और यह कहकर वहां पर चला जाता है,,,,,
पवन के दिमाग में अभी भी भागने की planning ही चल रही होती है तभी अवनी के पापा उसे के पास आते हैं उसे शाबाशी देते हुए कहते हैं.....
वाह बेटा तुमने तो कमाल कर दिया क्या दाँव पेच लगाए तुमने कहाँ से सीखी इतनी अच्छी कुश्ती?
पवन -कॉलेज के दिनों मे की थी बस एक दो बार वही थोड़ा बहुत सीखा था????
सुरेश जी -बहुत अच्छे बेटा तुम बिलकुल इस family का हिस्सा बनने के लायक हो.... पर पवन को इन सब बातो से कुछ फ़र्क नहीं पड़ रहा था उससे तो बस यहां से भागना था,,,, फिर उसी रात को पवन गार्डन मे बैठा होता हैं और अकेले अपने आप से बाते करता है,,,
पवन -मुझे नहीं पता मे जीतना नहीं चाहता था
पता नहीं कैसे जीत गया लगता है मेरा बुरा टाइम चल रहा है इसलिए सब उल्टा हो रहा है,,,,, इस बार कैसे भी कर के यहां से भागना ही होगा,,,आज कुश्ती करवाई है कल पता नहीं और क्या करना पड़ेगा.....कंही शादी ही करवादी तों? नहीं नहीं कुछ सोच पवन कुछ सोच.....
क्या इस बार पवन भागने मे कामियाब होगा या फिर कोई मुसीबत उसके सामने आ जाएगी?