भाग- 16
अब तक आपने पढ़ा कि रौनक़ उस बन्द दरवाज़े के पास चला जाता है। उसे वहाँ वही आदमी नजर आता है जिस पर उसने गाड़ी चढ़ा दी थी।
रौनक़ जान बचाकर भागने लगा। भागते हुए उसका पैर पत्थर से टकराया और वह धड़ाम से नीचे गिर गया। जैसे ही वह गिरा उसे लगा किसी ने उसके दोनों पैर पकड़ लिए। अपने आप को छुड़वाने की उसकी तमाम कोशिशें विफल हो गई।
तेज़ विस्फ़ोट की आवाज़ के साथ वो बन्द दरवाज़ा खुल गया। तेज़ आंधी की तरह हवा चलने लगी और उस दरवाज़े से धूल भरा एक गुबार बाहर आया और उसी के साथ रौनक़ घसीटता हुआ उस दरवाज़े के अंदर चला गया। धूल के गुबार में सूखे पत्ते उड़ रहे थें। अंदर का दृश्य दिखाई नहीं दे रहा था।
तेज़ चल रही हवा अचानक थम गई। धूल का गुबार भी शांत होकर जमींदोज हो गया।
आँखे मलते हुए रौनक़ ने चारों तरफ़ देखा। बहुत ही सुंदर स्विमिंग पूल बना हुआ था। पूल के चारों और पेड़ लगे हुए थे। कुछ पेड़ अब भी हरे-भरे थे। कुछ सूख कर ठूंठ बन गए थे। सूखे पेड़ों पर चमगादड़ उल्टे लटके हुए ऐसे लग रहे थे जैसे पेड़ काले फलों से लदा हुआ है। स्विमिंग पूल भी सूखा पड़ा हुआ था। उसके कोनो पर मकड़ी के बड़े-बड़े जाले बने हुए थे। तल सूखे पत्तों से भरा पड़ा था।
रौनक़ कुछ भी समझ नहीं पा रहा था। अब भी उसकी सांसे तेज़ चल रही थी। उसके फेफड़ों में धूल भर गई थीं।
खाँसते हुए पानी की तलाश में वह इधर-उधर देखने लगा। तभी उसे घुंघरुओं की मधुर ध्वनि सुनाई दी।
रुनझुन..रूनझुन..रूनझुन...
छमछम....छमछम....
पायल की आवाज़ अब और करीब सुनाई देने लगीं।
स्विमिंग पूल के उस तरफ़ से एक जवान लड़की लाल रंग का पटियाला सूट पहने हुए रौनक़ की ओर बढ़ रही थी। उस लड़की ने घूंघट ओढ़ा हुआ था। धीमी-धीमी मतवाली चाल चलते हुए वह लड़की किसी अप्सरा सी लग रही थी। उसका चेहरा अब भी घूंघट की ओट के पीछे छुपा हुआ था। उस लड़की के शरीर की बनावट को देखकर कोई भी पुरुष काम के वशीभूत हो जाता।
एक पल तो रौनक़ को लगा कि शायद यह इन होटल वालों का ही कोई तरीका है मेहमानों को लुभाने का। पर अगले ही पल उसके साथ घटित हुए वाकिये ने इस बात का खंडन कर दिया कि यह होटल मैनेजमेंट का ही पार्ट है।
पहली बार किसी सुंदर शरीर वाली लड़की को देखकर रौनक़ का मन विचलित नहीं हुआ। उसका मन पहले से ही इतना अधिक खौफजदा था कि यदि यह लड़की स्वर्ग की कोई सुंदरी भी हो तो रौनक़ की उसमे कोई रुचि न होगी।
वह लड़कीं अब रौनक़ के बहुत नजदीक आ गई। रौनक़ के पास बैठते हुए उसने कहा- " आने में बहुत देर कर दी रेहान !"
लड़खड़ाती ज़ुबान से रौनक़ ने कहा- " आपको कोई गलतफहमी हुई है। मेरा नाम रेहान नहीं है। मैं रौनक़ हूं।"
लड़कीं खिलखिलाकर हँसते हुए बोली- "मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है। बरसों से मैंने अकेले न जाने कितनी ही रातें आपके इंतज़ार में बीता दी।"
रौनक़ आश्चर्य से- " मेरे इंतज़ार में..?"
लड़की- "हाँ, इसी जगह आप मुझे छोड़कर गए थे फिर कभी लौटकर नहीं आए।"
रौनक़ यकीन दिलाते हुए- "मेरा यकीन कीजिए, मैं यहाँ कभी नहीं आया।"
लड़की ने अपना घूंघट उठाकर कहा- " शायद ! मेरा चेहरा देखकर आपको कुछ याद आ जाए।"
रौनक़ ने जब उस लड़की का चेहरा देखा तो वह उसे देखता ही रह गया। इतनी सुंदर लड़कीं उसने आज तक नहीं देखी थीं। लड़कीं का चेहरा बिल्कुल लाली से मिलता-जुलता था।
उसके मुँह से निकला- "इतना सुंदर चेहरा कोई कैसे भूल सकता हैं लाली।"
कौन है वह अजनबी लड़कीं ? क्या यह लड़की लाली ही है ? उसने रौनक़ को रेहान क्यों कहा ? जानने के लिए कहानी के साथ बने रहे।