भाग 28
त्रियाची- आप सभी यहां आए इसके लिए मैं और मेरे राज्य का हर व्यक्ति आपका आभारी है। उम्मीद करता हूं कि आपको हमारे राज्य में कोई असुविधा नहीं हुई होगी और जश्न में आपको काफी आनंद आया होगा।
सप्तक- जी राजा त्रियाची इसके लिए हम सभी की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूं। आपके राज्य का यह दिन हमें पूरे जीवन याद रहेगा।
अनिकेत- जी, हां दिन तो ऐसे बीत गया कि पता ही नहीं चला। वैसे आपने अपने राज्य को बहुत खूबसूरती के साथ सजा रखा है। यहा का हर व्यक्ति ही आपके राज्य में कितना खुशहाल है यह उसके व्यवहार और उनके रहन-सहन से पता चलता है।
त्रियाची- बस अपने राज्य के हर व्यक्ति को खुश और प्रसन्न रखने का प्रयास करता हूं। वैसे अब काम की बात पर आते हैं। आपके पास युद्ध की रणनीति के लिए कोई विचार या कोई सलाह हो तो वे बताएं।
सप्तक- सबसे पहले आप बताए कि आपने क्या रणनीति तैयार की है, यदि उसके में कुछ फेरबदल करना हुआ तो हमारी सलाह काम आएगी। वैसे मुझे उम्मीद है कि आपने जो रणनीति बनाई होगी, उसमें हमारी सलाह की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
त्रियाची सभी को युद्ध के लिए तैयार की गई रणनीति बताने लगता है। वह उन्हें बताता है कि उसकी सूचना के अनुसार तोशिबा बहुत शक्तिशाली होने के साथ ही बहुत क्रुर भी है। उसके पास बहुत अत्याधुनिक हथियार है, जो कि किसी भी ग्रह को क्षण भर में ही समाप्त कर सकते हैं। इसके अलावा को खुद इतना शक्तिशाली है कि 100 योद्धा मिलकर भी उसके अकेले का सामना नहीं कर सकते हैं। ताशाबा ग्रह के लोग हम लोगों से कई अधिक लंबे और शक्तिशाली है। इस कारण हम उनसे सिर्फ बल के आधार पर युद्ध नहीं जीत सकते हैं। हमें उनके साथ छल का भी सहारा लेना होगा। हालांकि युद्ध अंतरिक्ष में होगा, इस कारण छल करने की गुंजाइश कम होगी फिर भी हमें उन पर अचानक हमले कर उनका ध्यान भंग करना होगा फिर उन्हें खत्म करना होगा। त्रियाची सभी से बात कर ही रहा होता है कि तभी वहां कालबाहू आ जाता है।
त्रियाची- कालबाहू क्या तुम्हें ज्ञात नहीं कि जब हम किसी विशेष चर्चा में व्यस्त हो तो कोई भी हमें इस तरह से बाधा उत्पन्न करें वो हमें बिल्कुल भी पसंद नहीं है। क्या तुम जानते नहीं थे कि यहां कितनी अहम चर्चा चल रही थी ?
कालबाहू- क्षमा करें राजे, परंतु सूचना इतनी आवश्यक थी कि यदि देर करता तो शायद और भी देर हो सकती थी।
त्रियाची- ठीक है सूचना दो उसके बाद तय किया जाएगा कि तुम्हें क्षमा किया जाए या दंड दिया जाए।
कालबाहू- राजे क्षमा करें। सूचना यह है कि पृथ्वी की ओर एक उल्कापिंड बहुत तीव्र गति से बढ़ रहा है। पृथ्वी की परिधि में प्रवेश करते ही वह आग का गोला बन जाएग। वह उल्कापिंड इतना बड़ा है कि यदि वह पृथ्वी से टकराया तो पृथ्वी का आधा हिस्सा नष्ट हो जाएगा। यदि उसे रोका नहीं गया या उसका मार्ग नहीं बदला गया तो...।
त्रियाची- पर ये उल्कापिंड अचानक कहां से आ गया ? अब तक तो ऐसा कोई उल्कापिंड पूरे अंतरिक्ष में किसी ग्रह की ओर ही बढ़ रहा था, फिर यह अचानक कैसे ?
कालबाहू- राजे मेरा अनुमान है कि यह तोशिबा द्वारा किया गया होगा, उसने ही किसी ग्रह को नष्ट करने के बाद उसका एक हिस्सा पृथ्वी की ओर फेंका होगा, ताकि पृथ्वी नष्ट हो जाए और वो आसानी से शक्तिपूंज को प्राप्त कर सके।
त्रियाची- अगर ऐसा है तो यह बहुत ही खतरनाक है। हमें उस उल्कापिंड को रोकना ही होगा।
कालबाहू- क्षमा करें राजे, परंतु उस उल्कापिंड का आकार इतना बड़ा है कि उसे रोक पाना संभव नहीं है। एक प्रयास किया जा सकता है कि उसका मार्ग बदल दिया जाए ताकि वो पृथ्वी से ना टकराए।
त्रियाची- तो फिर प्रतीक्षा क्यों कर रहे हो कालबाहू। कुछ भी करो, कैसे भी करो परंतु उस उल्कापिंड का रास्ता बदलो। वो किसी भी हाल में पृथ्वी की परिधि में नहीं पहुंचना चाहिए।
कालबाहू- जो आज्ञा राजे। मैं तुरंत ही कुछ सैनिकों और हथियारों के साथ वहां पहुंचता हूं और उस विशाल उल्कापिंड का मार्ग बदलने का प्रयास करता हूं।
सप्तक- राजा त्रियाची क्या मैं कुछ कह सकता हूं ?
त्रियाची- सप्तक जी आपको आज्ञा की आवश्यकता नहीं है, बल्कि आप हमें आज्ञा दे सकते हैं।
सप्तक- मेरा विचार है इस कार्य को भी हम सभी मिलकर करें तो बेहतर होगा। इससे दो परिणाम होगा कि हम सबका प्रयास सफल होने की संभावना अधिक होगी, इसके साथ ही इन सभी की शक्तियों को परखने का एक अवसर भी मिल जाएगा।
त्रियाची- जैसा आपको उचित लगे सप्तक जी। मैं अभी अपने सैनिकों के साथ ही हम सभी के लिए भी चलने का इंतजाम कर देता हूं।
इतना कहने के बाद त्रियाची वहां से चला जाता है।
सप्तक- आप सभी को मैंने जो नई शक्तियां प्रदान की है और आपकी शक्तियों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए जो प्रयास किए हैं उन्हें परखने का इससे बेहतर अवसर आप सभी को नहीं मिल सकता है। आप अपनी शक्तियां को प्रयोग उस उल्कापिंड पर कीजिए और उसका मार्ग बदलिए, ताकि वो पृथ्वी से दूर हो जाए।
यश- पर क्या हम... ?
सप्तक- पर क्या यश, तुम्हें अब भी अपनी शक्तियों पर भरोसा नहीं है ?
तुषार- बात वो नहीं है सप्तक जी कि हमें अपनी शक्तियों पर भरोसा नहीं है बल्कि क्या हम अपनी शक्तियों से उस उल्कापिंड का रूख मोढ़ पाएंगे ?
सप्तक- यदि प्रयास ही नहीं करोगे तो कैसे पता चलेगा कि सफल हुए या असफल। अगर यहां बैठकर संशय में ही रहोगे तो असफलता ही प्राप्त होगी। तुम अकेले तो नहीं हो, त्रियाची और उसकी सेना भी तुम्हारे साथ है। आप सभी का एकल प्रयास हुआ तो उस उल्कापिंड का रूख जरूर बदला जा सकेगा। इसलिए प्रयास करो, क्योंकि प्रयास में ही सफलता छिपी होती है।
अनिकेत- बिल्कुल हम सभी मिलकर प्रयास करेंगे तो हर कार्य में सफल हो सकेंगे।
सप्तक- मैंने पहले भी कहा था कि यदि तुम पांचों एक साथ हो तो अपने आप में सृष्टि हो। पंचतत्वों की शक्तियां तुम्हारे पास है, जिससे इस पूरी सृष्टि का निर्माण हुआ है। जब तक तुम पांचों अलग हो, एक तत्व हो, परंतु जब पांचों एक साथ हो तो पूरी सृष्टि हो। इसलिए जाओ और उस उल्कापिंड का या तो रूख बदल दो या फिर उसे पूरी तरह से नष्ट कर दो।
दूसरी ओर त्रियाची भी अपनी सेना के साथ उल्कापिंड का मार्ग बदलने के लिए तैयार हो गया था। उसने अपनी सेना के कुछ चुनिंदा लोगों को विशेष हथियारों के साथ इस कार्य के लिए चुना था। त्रियाची और उसके करीब 30 सैनिक उल्कापिंड के मार्ग की ओर रवाना होने वाले थे, तभी अनिकेत, रॉनी, यश, तुषार और प्रणिता भी वहां पहुंच जाते हैं और त्रियाची से कहते हैं कि वे सभी लोग भी उसके साथ चलेंगे। इसके बाद सभी लोग उल्कापिंड की ओर रवाना हो जाते हैं। हालांकि उल्कापिंड तक पहुंचने के लिए उन लोगों को कुछ दूरी तय करना पड़ती है, परंतु कुछ समय के पश्चात वे लोग उस उल्कापिंड के मार्ग की ओर पहुंच जाते हैं। अंतरिक्ष का नजारा प्रणिता, अनिकेत, रॉनी, यश और तुषार के लिए एक अलग ही अनुभव था। वे उसे नजारे को देखते हैं और आनंदित होते है कि कही अंधेरा है तो कही कोई सूर्य चमक रहा है, कई ग्रह उनके आसपास नजर आ रहे हैं। कोई ग्रह छोटा है तो कोई बड़ा है। त्रियाची उन्हें कहता है-
त्रियाची- मानता हूं कि यह नजारा आप सभी के लिए एक विशेष अनुभव है, परंतु पहले हम जिस कार्य के लिए आए हैं अगर हम पहले वह कार्य कर लें तो बेहतर होगा। यह नजारा हमेशा ऐसा ही रहने वाला है, जिसका दीदार आप कार्य खत्म होने के बाद भी कर सकते हैं।
अनिकेत- क्षमा करें राजा त्रियाची। हम खो गए थे। आप सही कह रहे पहले कार्य को समाप्त कर लेते हैं। बताइए किस तरह से कार्य करना है ?
त्रियाची- जिस गति से यह उल्कापिंड आ रहा है उससे मुझे लगता है कि हमें इसके हमारे और भी नजदीक आने का इंतजार करना चाहिए। उसके बाद जब यह हमारे नजदीक आ जाएगा तब इसके अगले भाग और दूसरी ओर से पिछले भाग पर एक साथ हमला करना होगा, ताकि यह एक दिशा की ओर घूम सके और पृथ्वी के मार्ग से हट जाए।
तुषार- पर आगे और पीछे दो तरफ से हमला क्यों ?
त्रियाची- वो सिर्फ एक ही दिशा की ओर घूमे। दोनों ओर से हमला होने पर उसकी एक ही दिशा तय होगी।
अनिकेत- ठीक है राजा त्रियाची, आप बताएं, कौन कहां से और कैसे हमला करेगा ?
त्रियाची- मैं और मेरी सेना आगे से उसकी दिशा को मोढ़ने का प्रयास करते हैं आप सभी लोग अपनी शक्तियों से पीछे की ओर से उस दिशा के विपरीत दिशा में उल्कापिंड को धकलने का प्रयास कीजिएगा।
जल्द ही उल्कापिंड उन सभी के सामने आ जाता है। उल्कापिंड काफी विशाल था, उसकी गति भी बहुत अधिक थी। उल्कापिंड को इतने करीब से देखने के बाद सभी को समझ आ गया था कि उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाए तो पृथ्वी का क्या हर्श होने वाला है। योजना के अनुसार त्रियाची और उसकी सेना ने अपने हथियारों का सीधा प्रहार उल्कापिंड के आगे के भाग पर किया। वहीं प्रणिता, अनिकेत, रॉनी, यश और तुषार ने अपनी शक्तियों से उल्कापिंड के पिछले भाग पर प्रहार किया। हालांकि उन सभी का यह प्रयास नाकाफी साबित हुआ। उन सभी ने एक बार फिर प्रयास किया, परंतु यह प्रयास भी असफल हुआ। इसके बाद उन पांचों ने एक साथ अपनी शक्तियों का प्रयोग किया और फिर उल्कापिंड की दिशा बदल गई और वह पृथ्वी के मार्ग से हट चुका था और वह दूसरी दिशा की ओर बढ़ने लगा था। इसके बाद सभी त्रियाची के महल की ओर चल दिए थे। सभी काफी खुश नजर आ रहे थे। त्रियाची और उसकी सेना भी काफी खुश थे, परंतु त्रियाची के महल में बैठा सप्तक काफी गंभीर था। हालांकि वो ध्यान में बैठा था परंतु उसके चेहरे पर गंभीर भाव नजर आ रहे थे। आने वाले समय को लेकर वह चिंतित था।