Triyachi - 21 in Hindi Fiction Stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | त्रियाची - 21

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त्रियाची - 21

भाग 21

त्रियाची- वाह मगोरा वाह। तुमने तो हमारी उम्मीद से भी कहीं अधिक बड़ी मानवों की सेना तैयार कर ली है। 

मगोरा- कुछ दिनों का समय और मिला होता राजे तो यह संख्या दो गुनी या चार गुनी भी हो सकती थी। 

त्रियाची- कोई बात नहीं मगोरा। इतनी संख्या भी कम नहीं होती है। जब इतनी संख्या में मानव ही मानवों पर आक्रमण करेंगे तो साधारण मानव कुछ नहीं कर सकेंगे। इनके हाथों में हमारी तकनीक से बने हथियार इन्हें बहुत खतरनाक बना देते हैं। 

मगोरा- जी राजे। यह तो बिल्कुल सत्य है। 

त्रियाची- उन पांच मानवों के बारे में क्या जानकारी हासिल हुई है मगोरा ? 

मगोरा- क्षमा करें राजे उनके बारे में अब तक मेरे पास कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि उनसे दोबारा सामना नहीं हुआ और वो फिलहाल कहां है यह भी ज्ञात नहीं है। 

त्रियाची- कोई बात नहीं मगोरा अब हम यहां आ चुके हैं तो उनका सामना हम कर लेंगे। तुम इन मानवों की सेना में कुछ लोगों को लेकर जाओ और हमारे साथ जो हमारी सेना आई है उनमें से आधे लोगों को ले जाओ शक्तिपूंज को धरती से निकालने का कार्य शुरू कर दो। यदि कोई अड़चन आती है तो उससे हम, हमारी सेना और ये मानवों सेना निपट लेगी। 

मगोरा- जो आदेश राजे। परंतु ये बताए कि शक्तिपूंज धरती के अंदर है तो उसे निकलाने के लिए काफी खुदाई करना पड़ सकती है तो कहां पर यह कार्य करना है ? 

त्रियाची- जहां तुम्हें आसानी हो उस स्थान का चयन तुम स्वयं कर लो, हमें तुम पर पूरा यकीन है। शक्तिपूंज को धरती से बाहर कैसे लाना है इसका पूर्ण निर्णय हम तुम पर छोड़ते हैं। हम यहां उन पांच मानवों या किसी अन्य प्रकार की परेशानी को दूर करने में तुम्हारी सहायता करेंगे। हमें बस वो शक्तिपूंज चाहिए वो तुम हम तक कैसे पहुंचाते हो यह तुम तुम जानो। 

मगोरा- ठीक है राजे। मैं तुरंत ही कार्य शुरू कर देता है। धरती की उत्तर दिशा की ओर मैं शक्तिपूंज को धरती से निकालने के लिए कार्य कर रहा हूं। मैं लगातार आपके संपर्क में रहूंगा। वैसे मुझे यकीन है कि वो पांच मानव मुझे रोकने का पूरा प्रयास करेंगे। 

त्रियाची- उसके लिए एक उपाय हमारे पास है। तुम मानवों की इस सेना और हमारी सेना के कुछ प्रमुख लोगों के साथ धरती के विभिन्न हिस्सों में आक्रमण करा दो। यदि वो मानव सिर्फ हमारे ही विरूद्ध है तो वो इस आक्रमण को रोकने में व्यस्त हो जाएंगे और वो तुम तक पहुंच नहीं पाएंगे। यदि वो पहुंच भी जाते हैं तो उनका सामना हमसे होगा और फिर वो कभी किसी का सामना नहीं कर सकेंगे, क्योंकि त्रियाची उन्हें हमेशा के लिए खत्म कर देगा। 

युद्ध का बिगुल बज चुका था, अब शेष था दोनों ओर के योद्धाओं का आमना-सामना। त्रियाची और मगोरा की बातों से यह साफ जाहिर हो चुका था कि वे शक्तिपूंज को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। त्रियाची जहां उन पांच मानवों को रोकने के लिए तैयार था, वहीं मगोरा त्रियाची के आदेश के बाद धरती के गर्भ से शक्तिपूंज को प्राप्त करने के लिए निकल चुका था। त्रियाची को इंतजार था मानवों की ओर से युद्ध का आगाज करने का ताकि वो उसे अंजाम तक पहुंचा सके। इधर सप्तक की चिताएं बढ़ गई थी क्योंकि कुछ ही देर में मानव जाति और धरती को बचाने के लिए युद्ध शुरू होने वाला था। सप्तक के चेहरे के बदलते भावों को राधिका भी देख रही थी और वह समझ गई थी अब कुछ बड़ा होने वाला है। सप्तक ने मानसिक रूप से संपर्क कर प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, यश और तुषार को त्रियाची के धरती पर आ जाने और मगोरा के धरती से शक्तिपूंज निकालने की सूचना दे दी और पांचों अब उस स्थान के लिए रवाना हो रहे थे। जाने से पहले उन्होंने आपस में आपस में बात की। 

अनिकेत- तो दोस्तों वो समय आखिरकार आ ही गया है, जिसके लिए हमें चुना गया था। अब हमें यह तय करना है कि कौन किस भूमिका में रहेगा और कौन कहां और क्या करेगा ? 

रॉनी- आप ही बताए कि कौन क्या करेगा? 

अनिकेत- तो फिर मेरे हिसाब से तुम और तुषार यानि कि अग्नि और वायु उस जगह पर जाओ जहां मगोरा धरती से शक्तिपूंज को प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। वहां तुम दोनों मिलकर उसे रोको और मैं यानि कि जल, यश यानि कि आकाश और प्रणिता यानि कि पृथ्वी त्रियाची को रोकने का प्रयास करते हैं। 

रॉनी- ठीक है हम मगोरा को वो शक्तिपूंज किसी भी हाल में हासिल नहीं करने देंगे। 

तुषार - बिल्कुल अब धरती को बचाना है तो मगोरा का नाश होकर रहेगा। 

अनिकेत- कोई विशेष बात हो तो मानसिक रूप से यानि कि टैलीपैथी के माध्मम से तुम हमसे बात कर सकते हो। 

रॉनी- ठीक है अब हम चलते हैं। 

प्रणिता- अगर किसी तरह की मदद चाहिए हो तो भी बोल देना हम में से कोई ना कोई वहां जरूर पहुंच जाएगा। 

तुषार - ठीक है। चलो रॉनी अब चलते हैं और अपने दुश्मनों को सबक सिखाते हैं। 

इतना कहने के बाद रॉनी और तुषार वहां से चले जाते हैं। 

अनिकेत- हम हम तीनों को त्रियाची को रोकना है। सबसे पहले हमें उसकी ताकत का अंदाजा लगाना होगा, इसलिए हम उस पर पहले दूर से ही हमला करेंगे, यदि वो अधिक खतरनाक नहीं होगा तो फिर हम उसके पास जाकर उस पर एक साथ हमला करेंगे ताकि उसे संभलने का कोई मौका न मिले और हमें इस युद्ध में विजय मिल सके। 

इसके बाद ये तीनों भी उस जगह के लिए रवाना हो जाते है, जहां त्रियाची इनका इंतजार कर रहा था। रॉनी और तुषार उस जगह पहुंचते हैं जहां मगोरा धरती से शक्तिपूंज हासिल करने के लिए धरती की खुदाई कर रहा था। वो दोनों वहां जाकर देखते हैं कि धरती के मानवों की बहुत बड़ी संख्या वहां मगोरा की मदद कर रही है और मगोरा और कार्य जल्दी करने के लिए निर्देश दे रहा है। इसी बीच अनिकेत, प्रणिता और यश भी वहां पहुंच जाते हैं, जहां त्रियाची था। वे लोग वहां जाकर देखते हैं कि धरती से कुछ ऊंचाई पर त्रियाची और उसकी सेना खड़ी थी, वहीं धरती पर मानवों की एक बहुत बड़ी फौज भी युद्ध के लिए तैयार थी। इन पांचों के लिए अब धर्मसंकट की स्थिति थी कि धरती और मानव जाति को बचाने के लिए उन्हें मानवों से ही युद्ध करना पड़ेगा और मानवों की इतनी बड़ी सेना का समाप्त करना पड़ेगा। अभी वो लोग इस स्थिति का कोई हल भी नहीं निकाल पाए थे कि सप्तक ने उन्हें बताया कि उस स्थान से दूर त्रियाची के लोगों ने दूसरे शहरों पर हमला कर दिया और वो वहां न सिर्फ मनुष्यों को अपना शिकार बना रहे हैं बल्कि शहरों को भी उजाड़ रहे हैं। सप्तक ने उन्हें कहा कि उन लोगों को भी रोकना होगा वरना वे धरती पर चारों और विनाश ही विनाश कर देंगे। 

अनिकेत- प्रणिता, यश तुम दोनों जल्दी से जाओ और उन लोगों से निपटो, अपनी वायु गति का प्रयोग करो और जितनी जल्दी हो सके उन लोगों का खात्मा करो। मैं रॉनी को बोलता हूं कि वो वहा से तुषार को रवाना करे। 

प्रणिता- वो तो ठीक है पर क्या तुम यहां अकेले त्रियाची का सामना कर सकोगे ? 

अनिकेत- फिलहाल एक ही जगह पर सभी का रह पाना संभव नहीं है। मैं इतना करूंगा सीधे उसका सामना करने के बजाय उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करूंगा ताकि वो तुम लोगों तक ना पहुंच सके या तुम लोगों के लिए और कोई परेशानी खड़ी ना कर सके। 

यश- ठीक है हम लोग जाते हैं तुम अपना ध्यान रखना। हम जल्दी आने की कोशिश करेंगे। 

इतना कहने के बाद दोनों वहां से चले जाते हैं। अनिकेत रॉनी से मानसिक रूप से संपर्क कर तुषार को भी दूसरे शहरों में हो रहे हमले को रोकने के लिए भेज देने के लिए कहता है। रॉनी तुषार को तुरंत रवाना कर देता है। दोनों अभी भी मानसिक रूप से बात कर रहे थे। 

रॉनी- अनिकेत यहां तो मानवों की बहुत बड़ी फौज है, उन पर हमला कैसे कर सकते हैं ? 

अनिकेत- यहां भी यही हाल है रॉनी, त्रियाची और उसकी सेना तो आकाश में हैं, परंतु धरती पर उन्होंने हमें रोकने के लिए मानवों की ही सेना खड़ी कर रखी है। 

रॉनी- तो अब क्या करें ? 

अनिकेत- मुझे लगता है कि ये सभी मानव इनके वश में हैं और इन्हें त्रियाची के वश से छुड़ाना होगा तभी हम त्रियाची और उसकी सेना पर हमला कर सकते हैं। 

रॉनी- हां मुझे भी यहीं लगा था। क्योंकि हमने त्रियाची और उसकी सेना पर हमला किया तो यह मानव हम पर हमला कर देगें और हम इन पर हमला कर नहीं सकते हैं। 

अनिकेत- तुम एक काम करो यश से कहो कि वो अपनी शक्ति से आकाशीय बिजली धरती पर गिराए, परंतु उससे धरती पर एक विस्फोट होना चाहिए इतना विस्फोट की धरती एक बार को कांप जाए। मुझे लगता है कि यह एक बिजली की चमक और धरती पर हुआ विस्फोट सीधे इन लोगों के दिमाग पर असर करेगा और यदि से दिमागी तौर पर इन लोगों के वश में है तो वशीकरण टूट जाएगा और ये फिर से सामान्य हो जाएंगे। 

रॉनी- पर इस प्रकार के विस्फोट से अगर इन लोगों को किसी प्रकार का नुकसान हुआ तो ? 

अनिकेत- रॉनी यह एक युद्ध है और युद्ध में कुछ नुकसान तो होता ही है, परंतु हम सीधे तौर पर इन पर हमला कर इन्हें ऐसे ही तो मार नहीं सकते हैं। हमें एक रिस्क तो लेना ही होगा। 

रॉनी- ठीक है मैं यश से कहता हूं।