Triyachi - 11 in Hindi Fiction Stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | त्रियाची - 11

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त्रियाची - 11

भाग 11

सप्तक के साथ प्रणिता, रॉनी, यश, तुषार, राधिका, अनिकेत सब चलने लगते हैं। सप्तक उन्हें उस गांव तक ले जाता है जहां अब तक मगोरा अपना रूप बदलकर रह रहा था। कुछ ही समय में उस गांव का नजारा बदल चुका था। उस गांव के जवान लोग युद्ध का अभ्यास कर रहे थे और बुढे और औरतें एक ओर बैठे बस उन्हें देख रहे थे। अब कोई काम नहीं करता था। कभी संपन्न रहने वाला गांव अब उजाड़ सा नजर आने लगा था। उस गांव की आधी से ज्यादा आबादी मगोरा की गुलाम हो गई थी। सप्तक ने वहां बैठे कुछ लोगों में से एक बुजुर्ग को अपने पास बुलाया और उससे गांव के बारे में बात की, उस बुजुर्ग ने गांव के बारे में जो बताया वो सुनकर प्रणिता, रॉनी, यश, अनिकेत, राधिका, तुषार सब सोच में पड़ गए थे। उस बुजुर्ग ने उन्हें बताया कि यह गांव आज से करीब 4 से 5 महीने पहले तक इस क्षेत्र का सबसे उन्नत गांव हुआ करता था। फिर एक दिन एक लड़का अचानक यहां आया और उसने काम मांगा। हमारे गांव के एक व्यक्ति ने उसे अपने यहां काम दिया। कुछ ही दिनों में गांव के लोग अपने काम धंधे को छोड़कर आपस में लड़ने लगे। लोगों के घर टूटने लगे, बाप बेटे का, बेटा बाप का दुश्मन होने लगा। फिर गांव के जवानों ने गांव को युद्ध का मैदान बना दिया और उन सभी को वो लड़का युद्ध की कला सिखाने लगा। हम लोगों ने उन लोगों को समझाने की बहुत कोशिश की, पर वो किसी की सुनते ही नहीं है। गांव में जो नया लड़का आया था बस उसकी बातें सुनते हैं। वो कह दे तो यह अपने घर के लोगों को भी मार दें। इन लोगों ने खेती बाड़ी सब छोड़ दी है। गांव में अब भुखमरी की स्थिति बनने लगी है। सिर्फ औरतें, बच्चे और हम बुढ़े ही बचे हैं। काम करने में जितने लोग समर्थ है वो तो जैसे उस लड़के के गुलाम हो गए हैं। वो लड़का जरूर कोई जादू जानता है। 

सप्तक- ये कहानी सिर्फ इस गांव की नहीं है इस क्षेत्र के और भी कई गांव ऐसे ही है। जानते हो ये सब किसने किया है। ये किया है दूसरे ग्रह से आए लोगों ने। उन लोगों ने अपनी तकनीक के बल पर इन लोगों को अपना गुलाम बना लिया है और वो आने वाले युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। अब तुम्हें भी इस युद्ध लिए तैयार होना चाहिए। अब भी अगर तुम्हें मेरी बातों पर यकीन नहीं है तो आसपास के और गांवों में जाकर यही हालात देख सकते हो। कुछ दिन और रहोंगे तो दूसरे ग्रह से आने वाले लोग भी तुम्हें देखने को मिल जाएंगे। मैं तप करने वाला बंदा हूं मैं असत्य नहीं बोलता हूं। मुझे यहां पृथ्वी की रक्षा करने के लिए भेजा गया है और मैं वहीं कर रहा हूं। तुम लोग इस युद्ध के योद्धा हो। अब भी मेरी बात मान जाओ, वरना बहुत देर हो सकती है। 

अनिकेत- सप्तक जी हम ऐसा नहीं कह रहे हैं कि आप झूठ बोल रहे हैं। पर हम यह कह रहे हैं कि हम इस काम के लायक नहीं है। फिर भी अगर आपको लगता है कि यह काम सिर्फ हम ही कर सकते हैं तो हमें सोचने के लिए कुछ वक्त चाहिए। 

सप्तक- ठीक है मैं तुम लोगों को सोचने के लिए दो दिन का वक्त देता हूं पर सिर्फ दो दिन। क्योंकि समय बहुत कम है और तुम लोगों को इस युद्ध के लिए तैयार होने में भी कुछ वक्त लगेगा। एक विशेष बात और अगर तुम लोगों को मेरी बात पर अब भी जरा सा भी संदेह हैं तो आज रात को इसी स्थान पर चुपचाप आकर मेरी हर बात की सच्चाई से रूबरू हो सकते हो। अब मैं चलता हूं दो दिन बाद उसी खंडहर पर तुम लोगों का इंतजार करूंगा। इतना कहने के बाद सप्तक वहां से चला जाता है और यह छह लोग अब तक खामोश रहते हैं और एक-दूसरे को देखते हुए फिर वहां से चल देते हैं। उस गांव से कुछ दूर जाने के बाद वो लोग आपस में बात शुरू करते हैं- 

यश- अनिकेत तुमने उसे दो दिन का वक्त क्यों दिया, क्या तुम उसका काम करना चाहते हो? क्या तुमको उसकी कहानी पर यकीन है ? 

अनिकेत- हो सकता है कि उसकी बातों में पूरी सच्चाई ना हो, पर हमने गांव के जो हाल देखे हैं हम उसमें तो मदद कर सकते हैं। 

प्रणिता- तो दो दिन बाद क्या करना है ? 

रॉनी- आज रात को यहां रूककर उसकी बातों की सच्चाई का पता लगा लेते हैं उसके बाद ही तय करेंगे कि आगे क्या करना है, अभी बहस करने से कोई मतलब नहीं है। 

तुषार - हां यह ठीक है। रात होने में अब ज्यादा समय भी नहीं बचा है। 

वक्त गुजरता है और रात करीब 2 बजे सभी लोग वहीं उसी स्थान पर छिपकर बैठ जाते हैं। तभी उन्हें आकाश में एक रोशनी दिखाई देती है। वो जमीन पर उतरती है औ उसमें से कुछ अजीब से दिखने वाले लोग उतरते हैं और वो चमकती हुई चीज फिर से आसमान में जाकर खो जाती है। वो अजीब से दिखने वाले लोग इंसानी रूप में आते हैं और फिर अलग- अलग दिशाओं में चले जाते हैं। यह सब देखकर ये सभी लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं कि सच में कोई दूसरे ग्रह के लोग धरती पर आए हैं और इंसान का रूप लेकर चले गए हैं। अब उन सभी को सप्तक की बातों पर कुछ हद तक यकीन हो रहा था, परंतु उनके मन में अब एक सवाल था कि यह लोग धरती पर क्यों आए हैं और युद्ध क्यों होने वाला है। अगले दिन सुबह वे सभी खंडहर तक पहुंच जाते हैं। सप्तक सभी को एक साथ वहां देखता है और बाहर आ जाता है- 

सप्तक- लगता है कल रात को तुम सभी सच ये रूबरू हो गए हो। क्या अब भी लगता है तुम लोगों की मैं कोई कहानी सुना रहा था, या मैं पागल हूं यश ? 

अनिकेत- हमें माफ कीजिए हम आपकी बातों पर यकीन नहीं कर पा रहे थे पर कल रात को जो देखा वो वाकई बहुत अजीब था। 

रॉनी- सप्तक जी पर इन लोगों का धरती पर आने का कारण क्या है? ये लोग यहां क्या करने वाले हैं? 

सप्तक- इसकी जानकारी तुम्हें तब मिलेगी जब तुम सभी लोग युद्ध के लिए तैयार हो जाओगे। क्योंकि फिलहाल मैं भी नहीं जानता हूं कि आखिर ये क्यों आ रहे हैं, पर इतना जरूर जानता हूं कि इनका धरती पर आना मतलब धरती का विनाश सुनिश्चित है। उस विनाश को रोकने की जिम्मेदारी अब तुम लोगों की है। 

राधिका- पर क्या आपको लगता है कि हम में से कोई पांच लोग इन लोगों को रोक सकते हैं और धरती को बचा सकेंगे ? 

सप्तक- मैं तुम लोगों को उस युद्ध के लिए इस तरह से तैयार करूंगा कि तुम ये युद्ध हार नहीं सकते। 

अनिकेत- तो साथियों तुम लोगों का क्या कहना है क्या एक और युद्ध के लिए तैयार हो तुम सब। 

रॉनी- मैं तैयार हूं। 

प्रणिता- मैं भी। 

तुषार – (रॉनी और प्रणिता को देखता है) मैं भी। 

अनिकेत- यश तुम्हारा क्या कहना है ? 

यश- अगर सब तैयार है तो फिर मैं भी तैयार हूं। 

अनिकेत- सप्तक जी हम सभी तैयार है। अब आप बताए कि हमें क्या करना है। 

सप्तक- मुझे खुशी है कि तुम सब लोग तैयार हो गए हैं। वैसे एक बात बता दूं कि तुम लोगों का दुश्मन बहुत ताकतवर है। वो ना सिर्फ तकनीक के मामले में तुम लोगों से कहीं अधिक आगे है बल्कि शारीरिक रूप से उनका एक-एक सैनिक तुम सभी पर भारी पड़ सकता है। इसलिए यह युद्ध तुम लोगों बहुत समझदारी के साथ लड़ना होगा क्योंकि तुम लोगों की एक चूक पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकती है। तुम लोगों की भाषा में कहूं तो इस धरती को बचाकर तुम लोग सुपर हीरो बन सकते हो। इसलिए ही मैंने तुम लोगों की पहचान खत्म कराई थी, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि इस युद्ध के लिए तैयार होने से पहले कोई तुम्हारी पहचान को उजागर कर दे। 

प्रणिता- तो अब हमें क्या करना होगा ? 

सप्तक- अब कल से तुम लोगों को युद्ध के लिए तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होगी। कल हम यहां से कैलाश के लिए निकल जाएंगे, बाकि जो भी विधि है वहीं पर होगी। 

अगले दिन सप्तक के साथ सभी लोग कैलाश के लिए रवाना हो जाते हैं। 10 दिन की यात्रा के बाद वे एक निश्चित स्थान पर पहुंचते हैं। एक सुनसान स्थान पर सप्तक प्रणिता, यश, रॉनी, तुषार और अनिकेत को सबसे पहले युद्ध की शिक्षा देना शुरू करता है। सप्तक उन सभी युद्ध की अलग-अलग कला सिखाता है। इसमें तलवार बाजी के साथ ही हाथों से युद्ध, कलाबाजी, आधुनिक हथियार तभी प्रकार से उन्हें युद्ध के लिए तैयार करता है। हथियारों के ज्ञान के साथ ही वह उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए योग के साथ व्यायाम भी कराता है। 6 माह तक कड़े अभ्यास के बाद वे सभी हथियारों और युद्ध कला में पारंगत हो जाते है। इसके बाद सप्तक उन सभी को कैलाश पर्वत की एक गुफा में ले जाता है। वहां सभी को सफेद वस्त्र प्रदान करने के साथ उन्हें धर्म और आध्यात्म की भी जानकारी देता है। सबसे प्रमुख अब वो उन सभी को कुंडली जागृत करने की विधि बताता है। सभी को ध्यान में बैठाकर उनकी कुंडली जागृत करने का अभ्यास कराता है। कड़े अभ्यास के बाद वो सभी की कुंडली जागृत करने में सफल हो जाता है। 

अब समय था उन सभी को विशेष शक्तियां प्रदान करने का। सप्तक अब सभी को उस गुफा से दूसरी गुफा में ले जाता है। जहां कड़कड़ाती ठंड थी और अंदर अंधेरा था। वे चलते जाते हैं और गुफा में एक जगह उन्हें रोशनी नजर आने लगती है। वे जब वहां पहुंचते हैं गुफा के अंदर एक खुला स्थान था। उस स्थान पर एक चबुतरे पर पांच गोले हवा में लहराते हुए चमक रहे थे और गुफा में आने वाली रोशनी इन्ही गोलों से आ रही थी। यह सभी दृश्य प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, तुषार, यश और राधिका के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि इससे पहले उन्होंने ऐसे दृश्य की कल्पना भी नहीं की थी।