Triyachi - 9 in Hindi Fiction Stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | त्रियाची - 9

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त्रियाची - 9

भाग 9

मगोरा की तरह उन गोलों से निकले लोग अन्य गांवों में जाकर वहां के लोगों को अपना गुलाम बनाने लगे थे। करीब दो महीने के अंदर ही आसपास के करीब 20 गांव मगोरा और उसके जैसे लोगों के गुलाम बन गए थे। मगोरा और बाकि के लोग ना सिर्फ गांव वालों से अपना काम करवाते थे, बल्कि जो लोग जवान थे उन लोगों को लड़ना भी सीखा रहे थे। इन गांवों में ये जो भी हो रहा था उससे हर कोई अंजान था, पर एक शख्स था जो इन बातों के बारे में ना सिर्फ जानता था बल्कि इन बातों से खासा परेशान भी था और वो था सप्तक। एक बार फिर सप्तक अपने ध्यान से बाहर आता है और इस बार उसके चेहरे पर चिंता और डर के साथ कुछ गुस्सा भी नजर आ रहा था। वो खंडहर से बाहर निकलता है और आसमान की ओर देखता है और फिर कहता है नहीं वो लोग अभी बिल्कुल तैयार नहीं है। ये सब इतनी जल्दी नहीं हो सकता है। वो फिर जमीन से मिट्टी उठाता है और फिर उसे हवा उड़ाता है और फिर कहता है वक्त बहुत कम है तुम लोगों को जल्दी से जल्दी तैयार होना पड़ेगा। वो आ चुका है और वो अपना काम कर रहा है अब तुम लोग भी तैयार हो जाओ वक्त बहुत कम है। इतना कहने के बाद वो फिर से खंडहर में चला जाता है। 

इधर राधिका, प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, यश और तुषार को पुलिस से भागते हुए दो महीने से ज्यादा का समय हो गया था। एक बार फिर वो सब पुलिस से बचने के लिए उसी खंडहर पर मिलते हैं- 

तुषार - मैं थक गया हूं पुलिस से इस तरह से भागते हुए। अब इस समस्या का कोई समाधान निकालना होगा या फिर पुलिस के सामने सरेंडर करना होगा। 

यश- मुझे भी यही लगता है कि ऐसे आखिर कब तक भागते रहेंगे अब सरेंडर कर देना चाहिए। 

प्रणिता- क्या और कोई रास्ता नहीं है? 

रॉनी- अनिकेत तुम तो पुलिस में रहे हो तुम बताओ क्या रास्ता हो सकता है ? 

अनिकेत- मेरे हिसाब से भी सरेंडर के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। 

राधिका- वैसे मेरे पास एक रास्ता है। 

प्रणिता- क्या दीदी। 

राधिका- क्यों ना हम उस कॉलर का काम करने के लिए हां कर दें, पर उसके सामने यह शर्त रखे कि पहले वो हमें इस परेशानी से मुक्त कराए उसके बाद हम उसका वो दूसरा काम करेंगे। 

प्रणिता- अरे, वाह दीदी क्या बात है, परेशानी में भी आपका दिमाग खूब चलता है। 

यश- हां यह सही है उसने ही हमें परेशानी में डाला है और वो ही हमें इस परेशानी से बाहर भी निकालेगा। 

रॉनी- पर यहां मेरा एक सवाल है कि आखिर अब वो हमसे कौन सा काम करना चाहता है ? क्या गारंटी है कि हम जब दूसरा काम कर देंगे तो फिर किसी और परेशानी में नहीं फंसेंगे ? 

तुषार - रॉनी की बात भी सही है। 

अनिकेत- परेशानी तो अब भी है, पर राधिका की बात मुझे सही लगती है। 

रॉनी- मुझे लगता है एक बार हमें सोच लेना चाहिए। क्योंकि उसका एक काम करके ही हम अब तक फंसे हुए हैं। फिर कोई और काम हमें इससे बड़ी परेशानी में ना फंसा दे। 

प्रणिता- मौत के मुंह से बाहर आ चुके हैं, पुलिस फिलहाल पीछे हैं अब इससे बड़ी परेशानी क्या होगी। 

रॉनी- शायद मौत ही मिल जाए। 

अनिकेत- पुलिस से भाग कर भी कहां जिंदा हो ? 

रॉनी- फिर भी एक बार सोच विचार करने में हर्ज ही क्या है ? 

सभी लोग आपस में बात करते हैं और फिर तय होता है कि छह लोग है और इस बारे में वोटिंग कर लेते हैं, जिस बात पर बहुमत होगा वहीं काम करेंगे। सभी लोग इस बात के लिए मान जाते हैं। 

अनिकेत- तो जो राधिका की बात से सहमत है वो उसकी ओर चले जाए और जो लोग चाहते हैं कि पुलिस के सामने सरेंडर किया जाए वो लोग अपनी जगह पर ही खड़े रहें। 

प्रणिता और यश राधिका की ओर चले जाते है, जबकि रॉनी और तुषार अपनी जगह पर ही खड़े रहते हैं। अब बारी अनिकेत की थी। अनिकेत कुछ देर सोचने के बाद राधिका की ओर चला जाता है। इस प्रकार बहुमत मिलने पर तय होता है कि वे सभी उस कॉलर का काम करेंगे पर उससे पहले उसे कहेंगे कि वो पहले पुलिस से उन सभी का पीछा छुड़ाए। बहुमत मिलने के कारण ना चाहते हुए भी रॉनी और तुषार को उस काम के लिए हां कहना पड़ता है। परंतु अब मुश्किल यह थी कि उस कॉलर से संपर्क कैसे किया जाए, क्योंकि हमेशा उसने ही इन सभी लोगों से संपर्क किया था ये लोग कभी भी उससे संपर्क नहीं कर सके थे। जैसा कि हमेशा होता आया था इस बाद भी वैसा ही हुआ इन सभी के एक साथ होते ही उस कॉलर का फोन इन लोगों के पास आ गया था। इस बार फोन राधिका के फोन पर आया था। 

राधिका- हैलो। 

कॉलर- बहुत टाइम लगा लिया इस बार तुम सभी ने एक साथ आने में ? 

राधिका- तुम्हें कैसे पता चलता है कि हम सब एक साथ है, क्या तुम हमेशा हमारा पीछा करते रहते हो ? 

कॉलर- मैं तुम लोगों के बारे में सबकुछ जानता हूं, मुझे तुम लोगों का पीछा करने की जरूरत नहीं है। 

अनिकेत- तो तुम्हें कैसे पता चला कि हम सभी यहां है और तुमसे बात करना चाहते हैं ? 

यश- हां अभी तो हमने बस सोचा ही था और तुम्हारा कॉल आ गया और सिर्फ इस बार ही नहीं हर बार ऐसा ही हो रहा है। 

रॉनी- यह हम पर नजर रखे हुए हैं, पर कहां से और कैसे यह पता नहीं है। 

कॉलर- खैर ये सब बातें छोड़ो अब ये बताओ मेरे दूसरे काम के बारे में तुम लोगों ने क्या सोचा है ? 

राधिका- हम तुम्हारा वो काम करने के लिए तैयार है पर हम लोगों की एक शर्त है। 

कॉलर- वैसे तो तुम लोग किसी शर्त को रखने की स्थिति में नहीं है फिर भी बताओ क्या शर्त है ? 

अनिकेत- हम तुम्हारा दूसरा काम तब ही करेंगे जब तुम पुलिस को हमारे पीछे से हटा दो और वीडी के केस में हमारा कोई नाम नहीं होना चाहिए। 

कॉलर- ओह तो तुम लोग सौदा कर रहे हो ? 

तुषार - तुम्हें जो समझना है वो समझ लो, पर जब तुम हमारा ये काम कर दोगे तो हम तुम्हारा दूसरा काम करने के लिए तैयार है। 

कॉलर- ठीक है अगर ऐसा है तो मैं तुम्हारा नाम वीडी के केस से हटवा दूंगा। पर क्या तुम लोग अपनी पहचान मिटाने के लिए तैयार हो ? 

यश- पहचान... पहचान क्यों ? 

कॉलर- मैंने पहले ही कहा था कि मेरे दूसरे काम के लिए तुम सभी को अपनी पहचान मिटाना होगी। 

सभी लोग एक-दूसरे की ओर देखते हुए फिर सभी एक साथ हां कहते हैं। 

कॉलर- ठीक है तो दो दिन बाद इसी जगह अपनी सारी पहचान मिटाकर मिलो। तब तक मैं तुम लोगों का नाम वीडी के केस से हटवा दूंगा। पर याद रहे कि तुम में से किसी ने भी मेरे साथ धोखा किया तो फिर उसके साथ जो कुछ भी हो उसका जिम्मेदार वो खुद होगा मैं नहीं। मैं तुम लोगों के साथ तब तक ही हूं जब तक तुम लोग मेरे साथ हो या मेरा काम कर रहे हैं। अगर मेरे काम को बीच में छोड़ा या मुझे धोखा दिया तो फिर जो कुछ भी तुम्हारे साथ होगा उसके जिम्मेदार तुम सब लोग खुद होगे मैं नहीं। 

इसके बाद सभी वहां से चले जाते हैं। सभी दो दिनों में पहचान से संबंधित सभी दस्तावेजों को छिपा देते हैं और कुछ को जला देते हैं। दो दिनों के बाद वे सभी एक बार फिर से उसी खंडहर पर पहुंच जाते हैं, जहां उस कॉलर ने उन्हें कहा था। 

प्रणिता- हम लोग जो कर रहे हैं वो सही कर रहे हैं ना ? 

रॉनी- अब इस बारे में सोचने का वक्त नहीं है। अब जो हो रहा है उसे होने दिया जाए तो वहीं अच्छा होगा। 

तुषार - पर क्या कॉलर ने हमारे पीछे से पुलिस हटा दी होगी ? 

यश - इन दो दिनों में ऐसा कुछ लगा नहीं कि पुलिस हमें तलाश कर रही है, इसका मतलब तो यही हुआ कि पुलिस अब हमारे पीछे नहीं है। 

राधिका- पर उसने पुलिस से क्या कहा होगा जो पुलिस ने अचानक ही हमारा पीछा करना छोड़ दिया, जबकि पुलिस तो हाथ धोकर हमारे पीछे थी। 

प्रणिता- यह तो पता नहीं दीदी पर यह है कि कम से हमारी एक मुश्किल तो खत्म हुई। 

अनिकेत- और कोई मुश्किल नहीं आएगी यह अभी कहा नहीं जा सकता। वो हमसे अब कौन सा काम कराना चाहता है यह भी तो नहीं पता है। 

रॉनी- हां, उसके एक काम ने पुलिस को हमारे पीछे लगा दिया था, अब पता नहीं क्या होगा ? 

तुषार - जो भी होगा वो अब सामने आ ही जाएगा, अब जब इस रास्तें पर चल पड़े हैं तो फिर अंजाम से क्या डरना। 

रॉनी- बात डरने की नहीं है, हम एक बार ठोकर खा चुके हैं तो संभलकर कदम रखने में कोई बुराई नहीं है। 

राधिका- हां ये बात भी सही है। हमें कॉलर का काम करने से पहले एक बार फिर से सोच लेना चाहिए। 

यश- अब सोचना क्या है, हम लोग पहले ही उसे काम करने के लिए हां कर चुके हैं और अपनी पहचान भी मिटाकर यहां खड़े हैं। 

अनिकेत- हां और उसने चेतावनी भी दी थी कि हम उसे धोखा ना दे वरना अंजाम के जिम्मेदार हम खुद होंगे। 

प्रणिता- पर इतनी देर हो गई अब तक उसका फोन नहीं आया ? 

राधिका- हां उसके हिसाब से तो उसे सब पता है कि हम कहां है, क्या कर रहे हैं ? क्या आज उसे कुछ पता नहीं चला ?

ये सभी लोग अभी बातें कर ही रहे थे कि खंडहर से सप्तक बाहर आता है। सभी लोग सप्तक को देखकर चौंक जाते हैं। वे लोग सोचते हैं कि कोई रास्ता भटक कर यहां तक आ गया होगा। तभी सप्तक बाहर आकर उनके पास खड़ा हो जाता है। वो एक-एक कर सभी को बड़े गौर से देखता है और वो सब भी सप्तक को बड़े गौर से देखते हैं। 

सप्तक- आ ही गए तुम लोग। मैं कितने दिनों से तुम लोगों का यहां इंतजार कर रहा था। 

अनिकेत- आप कौन हैं और हमारा इंतजार क्यों कर रहे थे ? 

प्रणिता- क्या आप हमें जानते हैं ? 

रॉनी- मुझे नहीं लगता कि आज से पहले मैंने आपको पहले कभी देखा भी होगा मिलना तो बहुत दूर की बात है। 

सप्तक- तुम्हारे हर प्रश्न का जवाब हैं मेरे पास है और समय-समय पर सभी का जवाब भी तुम्हें मिल जाएगा। तुम्हारे सवालों के जवाब देने से पहले मैं तुम लोगों से एक सवाल करना चाहता हूं। 

यश- कैसा सवाल ? 

सप्तक- यही कि क्या तुम सभी लोग अपनी पहचान मिटाकर आए हो, कुछ ऐसा तो नहीं रह गया कहीं पर भी जिससे तुम्हारी पहचान उजागर हो जाए। 

सप्तक की यह बात सुनकर एक बार फिर से सभी चौंक जाते हैं। 

राधिका- आपको कैसे पता कि हम लोग अपनी पहचान मिटाकर यहां आए हैं ? 

अनिकेत- क्या आपको उस कॉलर ने भेजा है यहां। 

रॉनी- वो खुद क्यों छिपा बैठा है, सामने आकर बात क्यों नहीं करता है?  

तुषार - हमारी पहचान मिटाने की बात क्या उसी ने आपको बताई है ? 

सप्तक - मैंने कहा ना तुम लोगों के हर सवाल का जवाब समय-समय पर मिल जाएगा, अभी मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया आप लोगों ने। 

सभी एक साथ- हां हमने अपनी हर पहचान को मिटा दिया है।