express your love in Hindi Love Stories by Sanjay Nayak Shilp books and stories PDF | प्यार किया इजहार भी कर

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प्यार किया इजहार भी कर

"हाँ कहो, क्या कहना था? कितनी चुल्ल मचाती हो तुम भी, आज बहुत जरूरी मीटिंग थी, छोड़कर आया हूँ।"

वरुण ने आते ही आयुषी से कहा। आज उसी जगह आयुषी ने उसे बुलाया था जहाँ, पहली बार दोनों आकर बैठे थे।

"मैंने तुम्हें ये बात बताने के लिए यहाँ बुलाया है कि अब हम दुबारा कभी नहीं मिलेंगे।" आयुषी ने बताया।

"क्या….????? ये क्या कह रही हो तुम? देखो ऐसा मज़ाक मुझे बिल्कुल भी पसन्द नहीं है।" वरूण ने गुस्सा होते हुए कहा।

"ये मज़ाक नहीं है वरूण, ये सच है। मेरी जिंदगी में कोई और आ गया है, जिसके पास मेरे लिए समय है, जो मेरी भवनाओं को समझता है, उनकी कद्र भी करता है, और अपने मन के भाव व्यक्त भी कर सकता है।" आयुषी ने बात क्लियर की।

"अरे ….!!!! मैं भी तो तुम्हारी भावनाओं को समझता हूँ, कद्र करता हूँ। मैंने ऐसी क्या गलती की कि तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई आ गया?, और कैसे और कब आ गया?, मुझे क्यूँ पता न चला???? वरुण के लहजे में अब नरमी झलक रही थी।

"मुझे खुद को पता न चला वरूण, वो कब कैसे आ गया, बस मैं तुम्हारा इन्तज़ार करती रही, पर न तुम्हें मेरे लिए समय था, न तुमने कभी क्लियर किया तुम्हारे मन में लिए कोई भावना है। मैं जब तुम्हारा इन्तज़ार कर रही थी, तुम्हारे व्यवहार के कारण तुम मुझसे धीरे धीरे खाली होते रहे। वो खाली स्थान कुछ समय खाली रहा। पर फिर वो खाली स्थान धीरे धीरे उससे भरने लगा, वैसे भी मैं तुम्हारी कोई ब्याहता बीवी तो हूँ नहीं, और ये भी नहीं जानती कि इसके कोई चांस भी थे कि नहीं? कि तुम मुझे अपनाओगे, कुछ कहोगे या नहीं? और मुझे भी कभी न कभी तो सैटल होना था न....तुम्हारी तरफ से कभी प्रेम का इज़हार भी न हुआ। तो मैं भी कब तक तुम्हारे इस प्रेम प्रस्ताव के लिए ठहरती? इसलिए उस खाली स्थान में कोई आ गया, और अब मैं उससे शादी करने वाली हूँ। आज बस तुम्हे यही बताने के लिए यहाँ बुलाया है कि आज से तुम अपनी जिंदगी जिओ,मैं अपनी जीऊँगी। आज ये अपनी आखिरी मुलाकात है, आज के बाद मैं तुमसे कभी न मिलूंगी।" आयुषी ने सपाट चेहरे और स्पष्ट शब्दों में वरुण को बता दिया।

"आयुषी …..पर…,पर मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम्हारे बिन रह नहीं सकता, प्लीज़ ऐसा कदम न उठाओ।" वरुण ने तड़पते हुए कहा।

"वरुण मैं पिछले तीन साल से इस बात का इन्तज़ार कर रही थी कि तुम कहो, पर तुमने नहीं कहा। मैं समझ गई कि तुम्हारी जिंदगी में मेरे लिए स्थान नहीं है, पर कोई है जिसकी जिंदगी में मेरे लिए स्थान भी है, और वक़्त भी, इज़हार करने की हिम्मत भी है। अब जो बीत गया है, वो बीत गया मैं इस ठहराव से आगे बढ़ रही हूँ।" आयुषी ने कहा।

"पर वो कौन है? जो तुम्हें इतना पसन्द आ गया, जिसके लिए मुझे छोड़ रही हो?" वरूण ने भरे गले और बहती आँखों से कहा।

"शादी का कार्ड भेज दूँगी खुद मिल लेना, देख लेना।" कहकर आयुषी वहाँ से उठकर चल दी।

आयुषी वहाँ से उठकर जा चुकी थी। वरूण को काटो तो खून नहीं था, उसकी आंखों से लगातार आँसू बह रहे थे, वो दोनों हाथों से सर पकड़कर बैठ गया। उसे लग रहा था उसका सर फट जाएगा और वो चक्कर खाकर गिर पड़ेगा।

अचानक उसका मोबाइल बजा, उसने आँसुओं से भरी धुंधलाई आँखों से मोबाइल को देखा, आयुषी का फोन था, उसने झट से फोन उठाया, कान के लगाया पर उसके शब्द उसके गले में रुँध गए।

"कुत्ते, कमीने, घटिया आदमी, साले काँख के पिस्सू, तू मेरी जाती हुई का हाथ पकड़कर कर रोक नहीं सकता था, गधे अब रोता ही रहेगा या मुझे रोकेगा भी, रोड़ पर खड़ी हूँ जल्दी आ, मैंने तुझसे प्रेम किया है, ऐसे किसी की कैसे हो जाऊंगी, आ रहा है या जाऊँ।" आयुषी ने गालियाँ निकालते हुए कहा।

उसकी बात सुनते ही वरूण उठकर रोड़ की तरफ भागा, उसकी आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे, वो दौड़कर आयुषी के पास पहुंचा और उसे गले लगा लिया।

"कुछ समझा भी है या नहीं??" आयुषी ने पूछा।
"समझ गया, जिसे प्यार करते हो उसे बताओ भी नहीं तो,प्यार ठुकराकर आगे बढ़ जाता है, आयुषी आई लव यू, आई लव यू आयुषी।" कहकर वरुण फफक फफक कर रो पड़ा।

आस पास जाते हुए लोग कह रहे थे "पागल हैं दोनों।"

संजय नायक"शिल्प"