आज सुबह मेरी आँखें तब खुली जब मेरे कानो में बारिश की वो हल्की-हल्की सी टिप-टिप की आवाज़ सुनाई दी। बाहर देखा तो बदली छाई हुई थी, बिजली चमक रही थी, और अब तो बारिश की रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। चाय के साथ जब बैठी तो कुछ बिसरे पुराने ख़याल मेरे स्मृति से चालक निकले।
पाँच साल पहले भी एक ऐसी बारिश में मैंने अपना सब कुछ खो दिया था। उस रात सोने में काफ़ी देर हो गयी थी, ग़म उसे खोने का था मगर दिल को तो बस रोने का था। आँखें सूझ गयी थी और बिस्तर छोड़ने आलस भी था। पूरे 16 घंटे हो चुके थे, और मैंने ना कुछ खाया था और नाहीं खाने की इच्छा जतायी थी। और एक आंसू थे, जो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, आख़िर मेरे कान्हा जी से इतनी सारी मिन्नतें कर के जो उसे माँग था। इसलिए शायद जब आसमान से बरसते बारिश के बूँदों को देखा तो ऐसे लगा जैसे मेरा भगवान भी मेरे साथ रो रहा हो।
"वी आर ओवर, मेरे घरवाले नहीं मानेंगे", सात साल का प्यार जब सिर्फ़ इतना कह कर चला जाए तो ज़िंदगी और वक्त दोनो थम से जाते है। ये सच था या बहाना? ऐसा नहीं था की ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था। साथ छोड़ कर जाने की उन सभी की वजह एक थी लेकिन वे लोग अलग थे। कई बार मैंने अपने दिल से ये सवाल पूछा की ऐसा कैसे हो सकता था की घरवालों को बताने से पहले ही इन्हें पता है की घरवाले नहीं मानेंगे। मगर फिर भी, मैंने अपने दिल को समझा लिया था और मना लिया था की इतने सालों का प्यार ऐसे नहीं टूट सकता है और ऐसा करना सिर्फ़ उसकी मजबूरी रही होगी। थक कर मैंने इस बार मेरे कान्हा जी से सिर्फ़ इतना कहा कि 'मेरे लिए सिर्फ़ उसे भेजना जो आपको मेरे लिए सही लगे।'
और आज जब मैं अपने पति के साथ बैठ कर उस चाय की चुस्की का आनंद ले रही थी तो मुझे यक़ीन हो गया था कि, मेरे भगवान ने मेरी सुन ली है और मैं कितनी ग़लत थी ये सोचने में कि, मुझे छोड़ना उसकी मजबूरी थी। इस बात का आभास भी मेरे पति ने मुझे कराया था। कहने को तो हमारी शादी हमारे घरवालों ने तय की थी, मगर शादी से पहले घरवालों ने रजत से बातें करने और मिलने पर कोई बंधन नहीं लगायी थी। मैं और रजत घंटों बातें करते, मिलते, बाहर घूमने जाते, एक दूसरे को, और एक दूसरे की स्थिति को समझने की कोशिश करते। सच बताऊँ तो मुझे शादी करने की बिलकुल जल्दी नहीं थी।
"26 साल की तो हूँ, माँ। अभी बहुत वक्त है।", ना चाहते हुए भी, माँ और मेरी सुबह रोज़ इस बहस से ही शुरू होती। रजत मुझसे 3 साल बड़ा था, और मेरी माँ को लगता था की वो मुझे अच्छे से सम्भाल लेगा, एक ही जाति का था, गाँव से शहर पढ़ने गया था, उसकी अंग्रेज़ी भी थोड़ी कमजोर थी, उस पर लोन का बोझ था, रंग सांवला था, क़द में छोटा था, सिर पर थोड़े बाल भी कम थे, एंजिनीरिंग के बाद एक छोटी कम्पनी में काम करने वाला, एक साधारण सा लड़का था। उन में ऐसी कोई खूबी नहीं थी जो मैं अपने जीवनसाथी में हमेशा से देखना चाहती थी। पर ना जाने क्यूँ फिर भी उनकी ओर खिंचीं चली जा रही थी।
हमारे देश में 90% लड़कियों को सिर्फ़ उनके दिखावे पे रेजेक्ट कर दिया जाता है। इस आँकड़े से मेरी जैसी लड़की का रिजेक्शन तो लगभग तय ही था। फ़र्क़ नहीं पड़ता था की, मैं कितनी पढ़ी-लिखी हूँ, कितनी अच्छी नौकरी करती हूँ, गाती हूँ, कई तरह के नृत्य जानती हूँ, प्रतियोगिताओं में हमेशा अव्वल आती हूँ। लोग के सामने तो मैं बस एक मोटी सी लड़की हूँ, क़द में काफ़ी चोटी हूँ, अनेक बीमारियों से जकड़ी हुई हूँ, और ऐसी लड़की हूँ जिसके पहले भी बोयफरींडस रह चुके थे। तो ज़ाहिर सी बात थी कि, रजत के घरवालों को मैं पसंद नहीं आयी।
रजत ने मेरी माँ को कॉल करके बताया कि, उनके घरवाले इस शादी के लिए माना कर रहे है, और उन्हें थोड़ा सा वक्त चाहिए अपने घरवालों को मनाने के लिए। ये बात जब मुझे पता चली तो मैंने सोचा कि, मेरे लिस्ट में एक और लड़का शामिल हो गया है। पर मेरी ये ग़लतफ़हमी रजत ने सिर्फ़ दो ही तीन दिन में खतम कर दी थी।
"घरवालों को मैं माना लूँगा, इतना भरोसा मुझे खुद पर है। शादी करूँगा तो सिर्फ़ तुमसे ही करूँगा।", उनकी ये बात सुन कर मैं थोड़ी हैरान भी थी और खुश भी। इतने आत्मविश्वास से मुझे कभी किसी ने ऐसे नहीं कहा था। वो कहते है कि, दिल ही दिल वाले रिश्ते तो सभी निभा जाते है, मगर सच्चे रिश्ते तो वो है जो सभी के सामने क़बूले जाते है। जैसे-जैसे उनकी बातें सच होने लगी, उन पर भरोसा अपने आप आने लगा। जब भरोसे का रंग चढ़ जाए तब प्यार के रंग को चढ़ने में देर नहीं लगती। कई बार मैंने उनसे पूछा की, वो मुझे इतना प्यार कैसे कर सकता है, इतने ऐब है मुझ में। इस पर उन्होंने सिर्फ़ इतना ही कहा की,
"ऐब सब में है, मुझ में भी है मगर इन बातों से कभी मैंने खुद को प्यार करना नहीं छोड़ा और सिर्फ़ इस कारण की तुम दिखने में पर्फ़ेक्ट नहीं हो मैं तुमसे प्यार ना करूँ ऐसा नहीं हो सकता। मुझे जैसी लड़की की तलाश थी तुम बिलकुल वैसी ही हो। मुझे तुम्हारा स्वभाव पसंद है, तुम्हारा साथ पसंद है, तुम्हारे साथ वक्त गुज़ारना पसंद है, तुम जैसी हो वैसे पसंद हो मुझे। और बाक़ी कुछ भी मेरे लिए मायने नहीं रखती।", उनकी बातें सुन कर मैं घंटो सोचती रही कि, आज के ज़माने में भी ऐसा प्यार होता है क्या? मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि, इस ज़माने में रह कर भी रजत की सोच ऐसी है और ऐसे लड़के आज भी है। पर वो कहते है ना, ज़माना बदलता है, लेकिन भावनायें नहीं।
हमेशा से पुराने ख़यालात वाली लड़की जिसे अपने माँ-पापा के प्यार जैसा रिश्ता चाहिए था वो आज के इस जेनरेशन में उसे मिल गया था। आज का जेनरेशन कहता है की, साथ रह कर लड़ने-झगड़ने से बेहतर है की हम अलग होकर ख़ुश रहे। मगर मैंने तो यही देखा और सीखा है कि, लड़-झगड़ कर भी साथ रहने को ही ज़िंदगी कहते है। रजत और मेरी सोच काफ़ी मिलती-जुलती सी लगी। हमारे ख़याल एक जैसे थे, हमारा स्वभाव एक जैसा था।
रजत मेरा साथ पाने के लिए अपने घरवालों से लड़ गए थे। उनका मानना है की, जब तुम किसी को दिल से चाहो और वाक़ई में उसे अपनी ज़िंदगी में रखना चाहो तो कोई मजबूरी तुम्हें रोक नहीं सकती है। वो कहते है कि, हम एक को छोड़ कर दूसरे के पास तब जाते है जब हमें हमारे फ़ैसले पर विश्वास नहीं होता, जब हमें लगता है कि जिसके साथ हम है वो हमारे लिए सही नहीं है, अच्छा नहीं है। और जब सही साथी आपके सामने हो तो फिर चाहे दुनिया का सबसे पर्फ़ेक्ट इंसान भी आपके सामने आ जाए तब भी आपको वो पर्फ़ेक्ट नहीं लगेगा क्यूँकि आपके लिए सबसे पर्फ़ेक्ट हमेशा वही रहेगा।
वो बर्फ़ ही क्या जो ज़मीन को छू कर गुम हो जाए,
और वो प्यार ही क्या जो शादी के जोड़े का शगुन ना बन पाए।
प्यार ज़िंदगी भर का होता है। कुछ पल में टूट जाए वो प्यार नहीं, जो प्यार शादी में ना बदल पाए वो प्यार नहीं, जो प्यार तुम्हें रोता छोड़ जाए वो प्यार नहीं, जो प्यार तुम्हें धोखा दे जाए वो प्यार नहीं। प्यार चाँद नहीं तारा है। क्यूँकि चाँद तो एक बार पूरा दिखने के बाद ऐसा घाटता है की सीधा अमावस की रात दिखा देता है। मगर प्यार तो वो ध्रुव तारा है जो रोज़ रात को सबसे ज़्यादा चमकता है और हमेशा स्थिर रहता है।
प्यार ना तो धर्म देखता है, ना जाती, ना वादे, ना उम्र, ना रंग, ना लाभ, ना पैसा, ना क़द, ना शरीर और नाहीं कोई दोष। जीवन का सबसे कड़वा सच यही है और इस सच को स्वीकार करना उतना ही मुश्किल है क्यूँकि ऐसे सच हमारे सामने बहुत ही प्यार से पेश किए जाते है। और तब हम ये भूल जाते है की, नीम को अगर चीनी के चाशनी में डुबो दें तब भी नीम कड़वा ही लगता है।
तो अगर आपसे कोई कहे कि, वो आपको बहुत चाहते है मगर आपको छोड़ना उनकी मजबूरी है या कोई और बहाना है तो इसे बिलकुल भी ना माने क्यूँकि वो अब आपका साथ नहीं चाहते और ये बात शहद में घुली एक कड़वी सच है। अगर कोई आपसे कहे कि, कोई भी रिश्ता या शादी एक बंधन है, तो ये याद रखे कि, रिश्ता पिंजरा तब बन जाता है जब कोई साथी ग़लत मिल जाता है, जब आपका साथी सच्चा हो, तब रिश्तों में भी पंख लग जाता है। जब आपको कोई ज़ोर से थाम ले और तब भी आपको एक आज़ाद पंछी की तरह महसूस हो, तब समझ लेना की आप अपनी ज़िंदगी में एक सही इंसान के साथ आगे बढ़ रहे है।