Sath Zindgi Bhar ka - 6 in Hindi Love Stories by Khushbu Pal books and stories PDF | साथ जिंदगी भर का - भाग 6

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साथ जिंदगी भर का - भाग 6

अब आगे देखिये जब आस्था को ये पता चला कि kunwarsa

आस्था से गुस्सा नहीं है तो क्या हुआ

बिल्कुल भी नही ..... दाईमाँ ने उसके चेहरे को प्यार से सहलाते हुये कहा .. इतने दिनों बाद आस्था के चेहरे की खुशी देख उन्हे भी बहोत अच्छा लग रहा था ....

दाईमाँ .... कुँवरसा आप दोनो को बुला रहे हे ..... नौकर ने कहा और चला गया

आस्था की मुसकान कम हो गयी .... और ये दाईमाँ ने देख लिया

अब क्या हुआ .... अभिभी डर लग रहा है ।

दाईमाँ ....... दाईमाँ वो .... नाश्ता करते वक़्त कुँवरजी कुछ बोल रहे थे .... और हम वहा से भाग कर आ गये .....

आस्था ने ओठ बाहर निकालते हुये कहा मानो अगले ही पल वो रो देंगी

कोई बात नही बेटा .... दाईमाँ

वो हमे डाटेंगे .... आस्था

अब ये तो बाहर जाकर ही पता चलेंगा .... दाईमाँ ने कहा और वो उसे लेकर बाहर आ गयी .. .....

बाहर घर के सभी फैमिली मेंबर थे .... आस्था दाईमाँ के पीछे छुप गयी .... और थोडा सा सर बाहर करके एकांश की और देखने लगी ..

एकांश ने उसे देखा ..... और उसकी मासूमियत भरी हरकत देख खुद को मुस्कुराने से नहीं रोक पाया .....

एकांश को सिर्फ उसका थोड़ा सा चेहरा और उसके वो लंबे बाल ही दिखाई दिये ....

एकांश को उसे देखने की तमन्ना हुयी .... ये क्या सोच रहे हे हम . उसने दिल ही दिल मे कहा .

और फिर अपने जज्बातो पर काबू रखकर कहा

****

आस्था .... यहा आईये .... एकांश

ज ......... जी.......... आस्था

यहा हमारे साथ आकर बैठीये .... एकांश ने कहा और घर के सभी लोग उसकी और देखने लग गये ।

आस्था ने दाईमाँ का हाथ और पैक पकड़ लिया .. उन्होने अप्ना हाथ छुड़वाया और आखों से ही आस्था को हा का इशारा किया

आस्था घबराते हुये आगे बड़ी और सोफे के किनारे पर बैठ गयी .. .. उसका सर अभी भी निचे ही दो हल्के गीले बाल निचे फर्श तक आ रहे थे ..

उम्म .... ये फॉर्म ... आपका एडमीशन हमने कॉलेज में करवा दिया है . आप साइन किजीये और कल college देख आइए ... एकांश

आस्था ने हा मे सर हिलाया और जल्दी से फॉर्म मे लिया .... वो भी तो पढ़ना चाहती थी ....

अगर एकांश इस वक्त उसका चेहरा देख पाता तो उसे पता चलता उसके इस एक डिसीजन से वो कितनी खुश हो गयी

लेकिन कुँवरसा .... ये पढ़ कैसे सकती हे .... धनुष

क्या कहना चाहते हे आप बड़े बाबासा . एकांश

अगर ये बाहर पढ़ने जायेंगी तो सबको पता चल जायेंगा की ये आपकी पत्नी और यहा की कुँवराणीसा है ...

और इनकी छोटी उम्र की वजह से हमारी फैमिली कितनी ट्रौल होंगी हम अंदाजा भी नही लगा सकते ....

धनुष पहली बात बडे बाबासा ....

हमने कल ही कहा था ....

हमारी पत्नी से जुड़ी हर बात का फैसला हम लेंगे .... और इसमें कोई भी इंटरफेअर करे ये हमे मंजूर नही ......

एकांश बात सिर्फ आपकी पत्नी की नही हे कुँवरसा .... घर मे बाकी और भी मेंबर हे ....

धनुष जी ने इस बार हल्के गुस्से में कहा फिक्र मत किजीये बड़े बाबासा ....

हर्ष के पॉलिटिकल करियर पर इस बात का कोई असर नही होंगा .... और रहा सवाल आस्था का ....

तो वो हमारी पत्नी आस्था एकांश सूर्यवंशी बनकर नही बल्की आस्था प्रताप देशमुख बनकर अपनी पढाई पुरी करेंगी ....

एकांश ने कहा ये कहते वक़्त उसकी बातों में बहोत कॉनफीडेंट था और विश्वास भी जो उसने आस्था पर दिखाया था

एकांश आस्था के और गया . भी निचे झुका हुआ था .....

उसका चेहरा अब आस्था .... आप आगे पढेंगी ना .... एकांश ने प्यार से पुछा

आस्था ने हा मे सर हिलाया ठीक है ....

कल आप कॉलेज देखने चली जाना .....

ड्राईवर आपको कॉलेज के थोड़ी दूर छोड़ आयेगा और आपको लेने भी आयेंगा .. is that okay .... एकांश ने कहा और फिर आस्था ने हा मे सर हिलाया

And everyone .... my decision is final .... so do not interfere in it .... is that clear ....

एकांश ने कहा और बाहर निकल गया सभी अपने अपने काम पर चल दिये

हमने तो कुँवरजी को थैंक यू बोला ही नही ..

आस्था मुह लटकाते हुये

जाईये .... और जाकर कहिये .... दाईमाँ

आस्था जल्दी से बाहर की ओर चली गई

अब हमे भी माफ कर दिजीये कुंवरसा .. अजय

आपकी गलती माफी के लायक नहीं है .... एकांश गुस्से मे मानते है ....

लेकिन आप कब तक ऐसे ही गुस्सा रहेंगे हमसे ...

आकाश कहते हुये उसके सामने आ गया

एकांश उन दोनों को गुस्से से घुर रहा था लेकिन उसके कुछ बोलने से पहले ही एक मीठी आवाज उसके कानो में पुँजी और उसके गुस्से की जगह स्माइल ने ले ली ..

आकाश अजय भी हैरान हो गये

कुँवरजी ..... आस्था ने खुशी से उसे पुकारा

जी .... एकांश ने मुड़ते हुये प्यार से कहा

वो .... एक मिनिट ..... आस्था ने कहा और अपने आस पास देखा ..

उसका सर अभी भी निचे ही था .

और एकांश उसकी हरकत देख रहा था ..

एकांश का दिल तो अभी भी सिर्फ उसके चेहरे का दिदार करना चाहता था ...

आस्था वहा से चली गयी एकांश को ऑफ़िस के लीए लेट हो रहा था ....

उसने एक बार अपनी घड़ी देखी आकाश अजय ....

i will drive the car ......wait here

एकांश ने कहा और आस्था के ..... पीछे चला गया

अहह हम्म्म .... आस्था . एकांश

Only one minute kunwarji ..... आस्था ने फुल को तोड़ते हुये

कहा एकांश खामोश हो गया और उसे देखने लगा .. इनके बाल .... कितने लंबे हे .... ये संभालती कैसे हे ....

सारी एनर्जी तो इन्हे संभालने मे ही चली .जाती होंगी ....

तभी इनका वेट इतना कम हे .. डॉक्टर भी कह रहे थे ....

ये ठीक से खाती नही है ..... कुछ सोचना पड़ेगा इस बारे मे ....

एकांश आस्था के खयालो मे गुम होकर उसे देख रहा था .....

कुँवरजी .... कुँवरजी .... आस्था ने उसे आवाज दी

हम्म .... हा बोलिए ना .... एकांश होश में आ गया ये ...

ये आपके लिये .. .

आस्था ने उसे रोज देते हुये कहा उसका सर अभी भी निचे ही था ।

ये किसलिए .... एकांश आपने हमारी पढाई बंद नहीं की ....

और एडमिशन भी करवा दिया .... इसिलिए ....

आस्था ये हमारा फर्ज हे ....

after all you are my wife ....

एकांश ने कहा और आस्था ने पलके उठाकर उसे देखा एकांश तो बस देखता ही रह गया ...

उसकी वो हरी कब दोनो की नजरे एक दुसरे मे खुबसूरत आखें .... उलझ गयी उन्हें ही पता नही चला

एकांश जहा आस्था के आखों की खूबसूरती के गहराई नाप रहा था वही आस्था उसके नजरो मे अपने लिये फिक्र ......

एक तेज धमाका हुआ .. तेज हवा मे समा गयी .. और आग की लपेट उपर उसी के साथ आस्था भी हैरान तो एकांश भी बहोत हुआ था .... लेकिन आस्था को डर से एकांश के गले लग गयी ...... कापता हुआ देख उसने भी उसे अपनी आघोश मे समा लिया ।

आस्था डर से बहोत काप रही थी .... और एकांश उसे इस तरह पैनिक हुआ देख उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था .. आकाश अजय और कुछ बॉडीगार्ड एकांश की और आ गये .... लेकिन उन्हे इस तरह देख उन्हे कवर कर उनकी और पीठ करके अपनी अपनी पोज़ीशन मे खड़े हो गये

आस्था अब बेहोश होने लगी थी .. क्या हुआ है आस्था .... आस्था .... होश मे आईये .... एकांश ने घबराते हुये कहा और उसके चेहरे पर आये हुये बाल पीछे कर दिये .... देखिए हम हे यहा ....

रिलैक्स हो जाईये ... एकांश ने धीरे से उसके माथे को किस कीया .... आस्था थोड़ी संभल गयी .

एकांश के छुवन से किसी तरह उसने उसे महफुज फिल हुआ ..

कहा ..... कुँ .... वरजी .... आ .... आग .... डर ..... मे ... मे .... आग .... जल ....

आस्था बस इतना ही कह रही थी और वो बेहोश हो गयी ....

एकांश ने उसे अपनी बाहों मे उठाया और महल के अंदर ले जाने लगा ।

Aakaash call the doctor right now ...... एकांश आस्था को अपने बाहों मे लिये दौड़ रहा था .... घर के बाकी लोग भी बाहर आ चुके थे ...

एकांश आस्था को लेकर अपने कमरे में चला गया ।

और डॉक्टर का वेट करने लगा

*****

Keep comment ....

guys ....

And please follow and subscribe me .

Thank you .....

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और इस डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

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To be continued .......... .......... .......

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