Mahila Purusho me takraav kyo ? - 79 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 79

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 79

अभय छुट्टी जाने के लिए अपना सामान बैग मे जमाकर तैयार था ,अब हेलीकॉप्टर का इंतजार हो रहा था । हेली पेड के चारों तरफ हटाई गयी बर्फ की दीवार सी बन गयी थी । जब जवान बर्फ हटाकर हेलीपेड तैयार कर रहे थे उसी समय सीओ वहां पर आगया । सीओ ने कहा आज तो बर्फ हटा दी है आपने , कलसे आप बर्फ न हटाकर बर्फ पर रोलर घुमाकर उसे दबा दिया करे । हेलीकॉप्टर उतर जायेगा । तभी दूर आसमान मे पहाड़ी की चोटी पर हेलीकॉप्टर दिखाई दिया । हेली पेड के इंचार्ज ने सबको अलर्ट कर दिया । एक सैनिक ने धुंवा किया ताकि हेलीकॉप्टर का चालक हेली पेड की पहचान कर सके । हेलीकॉप्टर हेली पेड के ऊपर से निकल गया । फिर आगे जाकर उसने टर्न किया और आसमान से नीचे उतरने लगा । हेलीकॉप्टर के पंखो की हवा से बर्फ उड़ रही थी । पास मे बने टिनसेड खड़खड़ कर रहे थे । सुरक्षा मे तैनात सैनिक पोजीशन लेकर नीचे बैठ गये थे । एक तरफ जिनको छुट्टी जाना था उन्हें लाइन से बैठा रखा था । हेलीकॉप्टर हेलीपेड पर उतर चुका था , उसके पंखों के बंद होने का इंतजार हो रहा था । जैसे ही पंखे बंद हुए , उसका गेट खुला उसमे से छुट्टी काटकर आये जवान उतर रहे थे । उन सभी के उतर जाने के बाद छुट्टी जाने वालो को आने का इशारा किया , वे सभी तेज चाल मे आगे बढकर आगये । बटालियन सीएच एम ने बैठने वालों को चिन्हित कर , ओके का सिंबल दिखाया । हेलीकॉप्टर का दरवाजा अब बंद हो गया था । हेलीकॉप्टर स्टार्ट हुआ इंजन स्टार्ट की आवाज हुई , धीरे धीरे पंखे घूमने लगे , थोड़ी देर बाद हेलीकॉप्टर जमीन से उपर उठा ..झूमता हुआ ऊंचाई पकड़ने लगा फिर आगे बढ गया । चारो तरफ उसी की आवाज का शोर पहाड़ो से टकराकर गूँज रहा था । अब हेलीकॉप्टर आंखों से ओझल हो चुका था ।
अभय अब हेलीकॉप्टर मे था जवान आपस मे बात कर रहे थे किंतु साफ सुनाई नही दे रहा था । जवान अपनी बात चिल्लाकर कह रहे थे या कान के पास जाकर कह रहे थे । सामने ऊंची पहाड़ी उसे पार करने के लिए हेलीकॉप्टर ऊपर उठ रहा था लेकिन लग रहा था कि हेलीकॉप्टर को ऊपर उठने मे ताकत लगानी पड़ रही है । कुछ जवान नीचे देख रहे थे । ऐसा लग रहा था कि पहाड़ मे चुंबक हो जो उसे उपर उठने से रोक रहा हो । अगले ही पल हेलीकॉप्टर पहाड़ की चोटी को पार कर चुका था । अब उसकी गति बढ गयी थी । अब नीचे टिनसेड के मकान नजर आ रहे थे । उनके पास आर्मी केंप नजर आरहा था , बड़ा हेली पेड जिसमे एक हेलीकॉप्टर पहले से ही खड़ा था । हेलीकॉप्टर धीरे धीरे नीचे उतरने लगा थोड़ी देर बाद हेलीकॉप्टर हेलीपेड पर उतर चुका था , अभय के साथ साथ सभी के चेहरे खिले हुए थे । सभी सैनिक उतरकर एक तरफ अपने छुट्टी के कागज दिखा रहे थे । वहां पर बैठे सैनिक कागज पर मुहर लगाकर उन्हे वापस कर रहे थे । अभय ने मुहर देखा जिस पर पहुंच ने की तारीख व समय लिखा था । वही पर चाय नास्ता लगा था । उद्घोषणा हो रही थी दिल्ली जाने वाले हेलीकॉप्टर मे बैठ जाये । अभय उद्घोषणा सुन पहले से खड़े हेलीकॉप्टर मे बैठ गया । लगभग दस मिनट बाद हेलीकॉप्टर उड़ने लगा । एक सवा घंटे के बाद अभय दिल्ली पहुंच गया । वहां पर उसने अपने मोबाइल की सिम अपडेट की और केतकी को फोन लगाया ..उधर से केतकी की आवाज सुन अभय रोमांचित हो गया । अभय ने कुछ प्यार भरी बाते की और कहा मै बस द्वारा शाम तक पहुंच जाऊंगा ।
अभय के घर मे खुशी का माहौल था ..उसकी मा कस्तुरी अभय के आने की सुन प्रफुल्लित थी । केतकी घरका सारा काम निपटाकर सजधजकर तैयार हो गयी थी । एक पडौसन ने पूछ लिया ..कही जा रही हो ..केतकी ने कहा हां अभय को लिवाने जा रही हूँ । कस्तुरी बोली छोरी वह खुद ही आजायेगा तू बस स्टैंड जाकर क्या करेगी .. तभी
बाहर टेंपो आकर रूकती है ..टेंपो से अभय उतर रहा है ..केतकी व कस्तुरी भागकर दरवाजे पर आजाती हैं । अभय से जैसे ही केतकी की आंखे मिली अभय एकटक उसे देखने लग जाता है ।