Is Pyaar ko kya naam dun - 24 - Last Part in Hindi Fiction Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 24 - अंतिम भाग

Featured Books
  • My Devil Hubby Rebirth Love - 51

    अब आगे मैं यहां पर किसी का वेट कर रहा हूं तुम्हें पता है ना...

  • तेरे इश्क मे..

    एक शादीशुदा लड़की नमिता के जीवन में उसने कभी सोचा भी नहीं था...

  • डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 70

    अब आगे,और अब अर्जुन अपनी ब्लैक बुलेट प्रूफ लग्जरी कार में बै...

  • जरूरी था - 2

    जरूरी था तेरा गिरना भी,गिरके उठना भी,जिंदगी के मुकाम को ,हास...

  • My Passionate Hubby - 2

    मेरे सर पर रखना…बाबा तू अपना हाथ…!सुख हो या चाहे दुख हो…तू ह...

Categories
Share

इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 24 - अंतिम भाग

(24)

लेडीज़ एण्ड जेंटलमैन, आप सभी रायजादा परिवार की खुशियों का हिस्सा बनें, अपना कीमती वक़्त निकालकर इस जश्न में शामिल हुए.. आप सबका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ ! मैं आज अपने भाई आकाश के लिए बहुत खुश हूँ, जल्दी ही वह विवाह के बंधन में बंधकर अपने नए जीवन की शुरुआत करेगा।

आकाश को देखकर मेरा मन भी बदल गया है और मैंने यह तय किया है कि मैं भी शादी के बंधन में बंध ही जाऊं।

अर्नव की बात सुनकर देवयानी, मनोरमा, अंजली, श्याम और आकाश के चेहरे खिल उठते हैं। सब एक-दूसरे को सवालिया नजरों से देखते हैं। मानो सबकी नजरें एक दूसरे से पूछ रहीं हो कि- इस बारे में कुछ पता था क्या?

अर्नव की बात सुनकर सब खुश थे सिवाय खुशी के- खुशी का मन तो कवि की कल्पना से भी तेज़ निकला।

क्षणभर में ही उसके मन ने कहानी गढ़ ली- हम ही बेवकूफ थे जो जीजी की बातों में आ गए। हम ये कैसे भूल सकते है कि वो इस शहर ही नहीं बल्कि देश के टॉप बिजनेस मैन की गिनती में गिने जाते है। जिन सितारों से मिलने के लिए हम तरसा करते वह उनकी पार्टी में मेहमान बनकर आए है। उनकी दुनिया ही अलग है फिर भी हम उनको अपनी दुनिया बना बैठें।

अब जो अनाउंसमेंट वो करने जा रहे है वह यही होगा कि- मैं प्रसिद्ध गायिका अनुलता के साथ विवाह बंधन में बंधने जा रहा हूँ।

जश्न के माहौल में भी खुशी के चेहरे पर मातम की उदासी छा गई। महफ़िल में भी उसका दिल तन्हा हो गया। आंसू दर्द का कतरा बन आंखों से छलक गए।

अंजली- अर्नव, अब ये पहेलियां बुझाना बन्द करो और जल्दी से बताओ कि तुम्हारे दिल को कौन भा गई है, कौन है जिसका जादू तुम्हारे ऊपर चल गया? हमसे तो अब इंतज़ार नहीं हो रहा। कान तरस रहे उस नाम को सुनने के लिए...

अर्नव- खुशी....

खुशी झटके से अर्नव की ओर देखती है। रायजादा परिवार और गुप्ता परिवार के लोग भी एक दूसरे को देखते हैं। कोई भी समझ नहीं पाता कि बात क्या है ?

अर्नव- खुशी होना स्वाभाविक है दी, जानता हूँ कि आप सबको बहुत खुशी हुई इस बात से.. पर थोड़ी देर ओर धीरज रखिए। मैं भी तो इस नए फैसले के बाद एक नए जीवन की शुरुआत करूँगा। लेकिन मेरे अलावा कोई और भी है जो आज से एक नए जीवन की शुरुआत करने जा रही है।

मैं तो उसे सिर्फ़ एक नया आसमान दे रहा हूँ उसमें उड़ान वह अपने पंखों से ही भरेंगी और उस ऊँचाई तक पहुंचेगी जिसकी तलब उसे बचपन से थी। उसे उसके उस मुक़ाम तक पहुँचाने के लिए मैं कुछ भी करूँगा।

थोड़ा रुककर अर्नव मुस्कुराते हुए कहता है- मैं उसके लिए चाँद-तारों को तोड़कर नहीं लाऊँगा बल्कि उसे एक चमकता सितारा बनते देखूंगा।

उसके कदमों में हर ख़ुशी रखने का तो सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि वह ख़ुद खुशी है। हम सबकी खुशी...

मेरी खुशी... खुशी कुमारी गुप्ता.....

अर्नव- विल यू बी माय वेलेंटाइन..

क्या तुम खुशी कुमारी गुप्ता से खुशीकुमारी सिंह रायजादा बनना चाहोगी...?

अर्नव की बात सुनकर आकाश झूम उठा- हुर्रे !

देवयानी और गरिमा की आंखे भर आईं। देवयानी ने बड़ी ही आत्मीयता से गरिमा को गले लगा लिया।

खुशी तो अब भी स्तब्ध सी खड़ी हुई अर्नव को देख रही थी।

पायल खुशी के पास जाती है और धीमे से कहती है- क्यों सनकेश्वरी, मानती हो न अपनी जीजी को..

आखिरकार शिवजी ने बना ही दी न तुम्हारी जोड़ी। अब जल्दी से जाओ और कह दो उनसे की तुन्हें कितनी मोहब्बत है...

खुशी लोकलाज भूलकर दौड़ पड़ती है अपने राजकुमार से मिलने। वह मंच पर पहुंचकर अर्नव को कसकर गले लगा लेती है। अचानक मिली इस अप्रत्यासित खुशी से वह सबकुछ भूल जाती है, उसका गला रुंध जाता है। वह बहुत कुछ कहना चाहती है, पर कह नहीं पाती, फिर भी वह उन जादुई शब्दों को कह देती हैं जिनको सुनने के लिए अर्नव के कान तरस रहे थे- आई लव यू अर्नवजी।

पूरा समां मानो प्यार से सराबोर हो गया। तालियों की गड़गड़ाहट देर तक गूंजती रहीं।

अर्नव सभी से मुखातिब होते हुए कहता है- सरप्राइज अभी बाक़ी है दोस्तो.. अर्नव मंच पर म्यूजिक डायरेक्टर देवानंद साहब को बुलाता है। अनुलता के साथ देवानंद मंच पर आते हैं।

देवानंद (माइक ठीक करते हुए)- मैं आया था यहां सबको सरप्राइज करने लेक़िन खुद ही सरप्राइज्ड हो गया।

सबसे पहले तो मैं नवयुगलों को बधाई देता हूँ। संगीत सुरों की तरह आपका नवजीवन सुरीला हो।

बात सुरों की छिड़ी है तो एक सुरीली न्यूज़ भी सुना ही दूँ- अपनी न्यू एलबम के लिए मैं खुशी कुमारी को ब्रेक दे रहा हूँ। जब अर्नव द्वारा भेजी गई वॉइस क्लिप में मैंने उनकी आवाज़ सुनी तो मैं कायल हो गया इस कोयल का।

जल्दी ही एलबम लॉन्च पर आप सबसे फिर मुलाकात होंगी। एक बार फिर से रायजादा परिवार और गुप्ता परिवार को मेरी ओर से बधाई व शुभकामनाएं।

सभी लोग अर्नव और खुशी को शुभकामनाएं दे रहे थे।

पार्टी समापन की ओर थी। रात के दस बज चुके थे। दावत की सारी तैयारियां पहले से ही कर दी गई थी। खाने की टेबल सज चुकी थी। मेहमान दावत का लुफ़्त ले रहे थे। सभी लोग छप्पन प्रकार के बने व्यंजनों की तारीफ़ कर रहे थे।

मेहमान खाना खा चुके थे। धीरे-धीरे मेहमानखाने से मेहमान कम होने लगे।

मेहमानों को विदा करके घर के सदस्य हॉल में एकसाथ बैठते हैं।

मनोरमा (मुस्कुराते हुए)- गरिमा हम तुम्हरी बिटिया की चेन ही नाही तुम्हरे मन का सुख-चैन तुम्हरी दोऊ बिटिया भी तुमसे छीन लिए है।

मनोरमा की बात सुनकर हॉल ठहाकों से गूंज उठता है। सभी लोग बहुत खुश थे। गुप्ता परिवार के सदस्य भी विदा लेकर अपने घर जाने की आज्ञा मांगते हैं।

अर्नव (शशिकांत से)- अंकल, आपको कोई एतराज न हो तो मैं खुशी के साथ शिव मंदिर जाना चाहता हूँ। मैं खुशी को घर ड्रॉप कर दूंगा।

शशिकांत- ऐतराज तो है बेटा

सभी हैरान होकर देखते हैं तो शशिकांत हँसकर कहते है- अंकल कहने पर ऐतराज है.. और अब हमारी खुशी तो आपकी हो गई है। जाओ बेटा, उनके आशीर्वाद से ही आज ये खुशी का पल नसीब हुआ है।

सब से विदा लेकर गुप्ता परिवार के सदस्य अपने घर के लिए रवाना हो जाते हैं।

अर्नव और खुशी शिव मंदिर के लिए निकल जाते हैं।

अर्नव की गाड़ी तेज़ रफ्तार से मन्दिर प्रांगण में आती है। खुशी को वह सारे दृश्य दिखने लगते हैं जब वह पहली बार अर्नव से मिली थी। मन्दिर की सीढ़ी पर एक-दूसरे का हाथ थामे अर्नव और खुशी आगे बढ़े चले जा रहे थे। अर्नव मन्दिर के बाहर अपने जूते उतारते समय खुशी को देखता है। फिर दोनों एक साथ मन्दिर में प्रवेश करते हैं। अर्नव और खुशी हाथ जोड़कर शिवजी के सामने प्रार्थना की मुद्रा में खड़े रहते हैं।

शिवजी की प्रतिमा की मुस्कान खुशी को इस बार ऐसी लगी जैसे मुस्कुराकर शिवजी कह रहे- मिल गया न तुम्हारे उस एक सवाल का जवाब, भर दी तुम्हारी झोली खुशियों से, दे दिया तुम्हें तुम्हारे सपनों का सौदागर.. अब तुम्हारी जिंदगी घाटे का सौदा नहीं रहीं।

खुशी मुस्कुराकर शिवजी से कहती है- हाँ, अब हम बहुत खुश हैं। कल आपके लिए आपकी मनपसंद प्रसाद ले आएंगे और गंगा के लिए गुड़ वाली रोटी भी।

अर्नव- कुछ कहा तुमने.. ?

हमने शिवजी से कहा कि आप अब नवाबजादे नहीं हमारे शहज़ादे बन गए है।

अर्नव- शिवजी, मेरे लिए तो आज भी यह सनकेश्वरी ही है और हमेशा रहेगी।

अर्नव खुशी को घर छोड़ने जाता है।

वह खुशी से कहता है- खुशी उस दिन जब मैं तुम्हें छोड़ने घर आया था तब तुम्हें अपने परिवार वालों से मिलते हुए देखकर बहुत अच्छा लगा था। उस दिन कहाँ पता था कि मैं भी तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाऊंगा।

खुशी, शादी के बाद सिर्फ तुम अपना घर बदलोगी, और मैं हमेशा इस घर का बेटा ही रहूंगा। तुम किसी बात की चिंता मत करना। मैं हूँ ना...

खुशी- आप मिल गए तो लगा सब कुछ मिल गया। अब चिंता किस बात की ?

बातचीत करते हुए घर आ गया था। अर्नव खुशी से विदा लेता है तभी खुशी उसे रुकने का कहकर घर के अंदर चली जाती है।

खुशी अपने कमरे से अर्नव की गाड़ी का शीशा लेकर आती है और अर्नव को देते हुए कहती है- अब इस शीशे की हमें जरूरत नहीं है। हमने आपको सबक सीखने के लिए, आपकी पहचान करने के ख़ातिर इसे सम्भालकर रख लिया था।

खुशी (शरारती लहज़े में)- आपको हम पहचान तो गए ही है और सबक सिखाने के लिए जिंदगी पड़ी है। अब तो आपके साथ सात जन्मों का रिश्ता बन गया है।

अर्नव- हर वक़्त तकरार करती रहती हो। तुम्हें वाकई मुझसे प्यार है ?

खुशी- हाँ, खुद से भी ज़्यादा..

बस ये नहीं जानती हूँ कि....

इस प्यार को क्या नाम दूँ ?

वैदेही वैष्णव