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जतिवाद ड्रामा
आम लोगो में जन जाग्रति फ़ैलाने के लिए मोहन ने कुछ युवाओ की टीम बनाई व देश के अनेक गावों व शहरों में नाटक प्रस्तुत करने के आयोजन करने का बीड़ा उठाया | नाटक प्रस्तुतिकरण जनजाग्रति की दिशा में एक सशक्त माध्यम है |
( दो प्रेमी युवक व युवती गांव से अँधेरी रात में भाग रहे हैं। )
युवकः हम अलग अलग जाति के हैं । हमारे संबंध से गांव वाले हमे मार डालेंगे।
युवतीः जल्दी भागो । पास के शहर मे हम विवाह कर लेगे व सुख से रहेंगे।
( वे भागकर शहर मे आ जाते हैं और एक मकान लेकर रहने लगते हैं। युवक नौकरी कर लेता है।
वे एक मंदिर में विवाह कर लेते हैं । इधर गावं के लोग उन्हें खृनी भेडियों की तरह हर जगह ढूंढ रहे हैं |
छे माह बाद गांव से एक सुक्खू नामक आदमी उन्हे ढूंढता हुआ उनके घर पर आता है )
सुक्खू ( लड़के से) : कई भैया ! ऐसी कई नाराजी । अपना भइ हो के भी तम अठे आकर सबके भूली गया ।
लड़की से,‘‘थारी मां बीमार है तने पतो भी है री, रमा !‘‘
रमा : ‘भाइजी ! गांव वाला हमारे अपनाइ लेगा’ ?
सुक्खूः बड़े प्रेम से अपनावेगा, सब तुम्हारा रस्ता देखी रिया है ।
(युवक व युवती उसकी मीठी बात में आकर उसके साथ चल देते हैं।
गांव मे उतरते ही चार आदमी लड़की को अलग व अन्य चार आदमी लड़के को अलग ले जाते हैं ।)
सुक्खू पूरे गांव को आवाज लगाते हुऐ जोर जोर से चिल्लाता है, ‘‘ अरे ! आइ गया रे ! भगोड़ा होन । आव रे,सब आव देखिलो । ’’
युवकः हमे अलग क्यों कर रहे हो ?
आदमीः अभी आखा गांव के सामने तमारी शादी वापस से करावांगा ।
(गांव की पंचायत का दृश्यः अनेक पंच सरपंच व लड़की के घर वाले तथा लड़के के घर के लोग तथा अनेक ग्रामवासी बैठे हुए है।)
सरपंच : (लड़के के पिता से ) : रामजी ! अपनी नई बहू को स्वागत करो ।
(तीन व्यक्ति लड़कों वालों की ओर से आगे बढ़कर लड़की को छुरा भोंककर मार डालते हें। इसी प्रकार लडकी वाले लड़के को मार डालते हैं) |
यह है हिन्दुस्तान में अंतरजातीय विवाह करने का दुश्परिणाम | भारत गावों में बसता है,देखिए गावों की हकीकत |
बाढ़ व सूखा पर प्रस्तुत नाटक :
बाढ़ व सूखा
बाढ़ व सूखा पर प्रस्तुत नाटक :
बाढ़ का दृष्य
(एक गांव में नदी उफान पर है । नदी में मकान वृक्ष मवेशी और कई वस्तुएं बहे जा रहे हैं)
लोग एक दूसरे से कह रहे हैं
‘ हमारा सबकुछ बर्बाद हो गया । हम लुट गए । हमारी खेती बर्बाद हो गई ।’
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सूखे का दृष्य
( एक सूखी जमीन का दृष्य । चारों तरफ सूखा पड़ा हुआ है । मवेशी मरे पड़े हैं । नदियां तालाब सब सूखे गए है | दूर दूर तक पानी की बूंद के पते तक नहीं हैं । लेाग त्राहि त्राहि कर रहे हैं ।)
मेाहन: देखिये सज्जनों,हर साल देश के अनेक भागों में सूखा पडता है तो अन्य अनेक भागों मे बाढ़ से तबाही आ जाती है । इस समस्या का एक यही हल है कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से पानी नहरों के द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्रों में ले जाया जाए ।
इसके लिए जिन क्षेत्रों से नहर गुजरे वहां की जनता नहर के लिए श्रमदान करे । इस तरह हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं |
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सत्यकाम
मोहन ने वेदों के प्रचार प्रसार ले लिए भी महत्वपूर्ण मंचों पर नाटकों का मंचन प्रारंभ कर दिया |
यह नाटक उपनिषद् से लिया गया हे । इसमें जातिवाद का पूर्ण रूप से खंडन किया गया है |
सत्यकाम
एक माता अपने बच्चे को तैयार करके आश्रम में विद्याध्ययन के लिए भेजती है ।
बच्चे का आश्रम जाने का वह पहला दिन है ।
मां: (बच्चे को खाने का टिफिन देते हुए )
‘ बेटा अच्छी तरह से आश्रम जाना । गुरूजी के पैर छूना ।
यदि वे तुम्हारा नाम पूछे तो ‘ सत्यकाम जाबाल ’ बताना । यदि वे जाबाल का अर्थ पूछें तो कहना मेरी माता का नाम जाबाला है । आश्रम में अतिथियों की सेवा करते समय मेरा जन्म हुआ । पिता का नाम नहीं मालूम । ‘
(बच्चा गुरू के आश्रम पहुंचता है | बच्चा गुरूजी के चरण छूता है )
गुरूजी : “ खुश रहो बेटा ? आप कौन ? “
सत्यकाम : गुरूजी मेरा नाम सत्यकाम जाबाल है | मै आपके आश्रम में विद्याध्ययन करना चाहता हूँ |”
गुरूजी : बेटा जाबाल नाम तो हमने पहली बार सुना ?
सत्य : गुरुदेव मेरी माता का नाम जबाला है | वह आश्रम में अतिथियों की सेवा करती है | उसी दौरान मेरा जन्म हुआ | उसे मेरे पिता का नाम नहीं मालूम |
गुरू : शाबास बेटा तुम निश्चित ही ब्राम्हण हो | एक ब्राम्हण ही ऐसा स्पष्ट कथन कर सकता है |
आओ मै तुम्हारा यज्ञोपवीत संस्कार कर दूँ | यह बालक ब्राम्हण है क्योंकि इसने सच बोला है ।‘
मित्रों यह नाटक जातिवादियों के लिए करारा जबाब है ।
अति प्राचीन काल मे भी जाति, कर्म व गुण पर आधारित थी,न कि जन्म पर । स्त्री को अन्य पुरूष के संपर्क में आने पर भी उसे व उसकी संतान को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता था ।
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साइट
पागलपन मानवता की ऐक बड़ी समस्या है ।
यह मनुष्य के मन की समस्या हे । इससे बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान करना चाहिए । ध्यान से मन में दिव्यता, शांति व आनंद की अनुभूति होती हैं । इससे मानव जीवन धन्य हो जाता है । उसे मानव जन्म का उच्चतम लक्ष्य मिल जाता है ।
मेाहन ने एक दिव्य कार्यक्रम चलाया जिसके द्वारा शरीर मन व आत्मा का दिव्य रूपांतर हो सकता हे ।
इसके लिए एक साइट लांच की गई ।
“happyhealthylonglife.com”
इसके प्रमुख कार्यक्रम आइकॉन के रूप में दिए गए थे :
1 आसन : विभिन्न योग आसन, जिनके नित्य करने से मन व शरीर स्वस्थ व प्रसन्न रहते हें ।
2 प्राणायाम इसमे पूरक कुम्भक व रेचन के द्वारा शरीर मन स्वस्थ व रोग मुक्त रहते हैं । इसे ध्यान के साथ जोड़ने
से कुंडलिनी जागरण होता है ।
3 ध्यान : मोहन ने एक मौलिक ध्यान प्रणाली विकसित की ।
उसने प्राकृत ध्यान विधि विकसित की । यह मन पर बिना किसी जोर जबर्दस्ती के उसकी संपूर्ण समझ पर जोर
देती है । इससे मन सभी वासनाओं व बुराइयों से मुक्त हो जाता हे । मन में दिव्यता के उतरने की संभावना बढ़
जाती है ।
4 वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष हास्य मनोरंजन व सहायता के लिए अलग योजना शुरू की गई ।
5 मनोरंजक व ज्ञानवर्धक भ्रमण योजना
6 ईश्वर का अनुसंधान: ईश्वर के विषय में सभी पूर्वाग्रहों से मुकत होकर उसकी मानव चेतना में खोज । यह कार्य
सिर्फ गहन ध्यान से ही संभव हे ।
इस कार्य से जुड़ने के लिए वह निस्वार्थ सेवाभावी व उच्चतर साधना में रूचि रखने वाले लोगों की खोज में जुट गया
देश के लिए आतंकवाद एक बउ़ी समस्या बन चुका है । इस ओर जनता का ध्यान दिलाने के लिए मोहन ने देश के प्रमुख शहरों मे निम्न नाटक मंचन प्रारंभ किए |
आतंकवाद पर नाटक
रेल्वे स्टेशन का द्रष्य :
एक स्टेशन पर एक ट्रेन आकर रूकती हे । स्टेशन की छत पर छुपे हुए दो आतंकवादी अंधाधुंध फायरिंग करते हैं । प्लेटफार्म पर खड़े हुए लोग ‘बचाओ बचाओ ’ की आवाजें लगाते हुए बदहवास होकर इधर उधर भागते हैं । चारों ओर लाशें व खून बिखर जाता है ।
लाशो मे बच्चे बूढ़े जवान मर्द औरतें सभी शामिल हैं ।
दूसरा दृष्य
एक मंदिर :
मंदिर में भगवान की पूजा का बड़ा आयोजन हो रहा है ।
मंदिर के प्रांगण में बढ़ी भीड़ जमा है ।
इतने में मंदिर के छत पर चढ़े हुए तीन आतंकवादी अंधाधुंध फायरिंग करके सैकड़ो लोगों की लाशें बिछा देते हैं । सब ओर भगदड़ और चीख पुकार मच जाती है ।
पूरे मंदिर में चारों और खून फ़ैल जाता है | सारा प्रांगण लाशों से भर जाता है ।
मोहन जनता से निवेदन करता है :
हमें आतंकवादियों को मुंहतोड़ जबाब देना है ।
किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को देखें तो फ़ौरन पुलिस को सूचना दें ।
हर देश आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करें ।
मेाहन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं बा रहा था :
1 पूरा विश्व ऐक राष्ट्र के समान है । आधुनिक कंप्यूटर क्रांति के साथ सारा विश्व एक परिवार बन गया है |
सभी मानव ऐक हें ।
2 किसी देश की समस्या पूरे विश्व की समस्या है । सब देशों को मानव की समस्याऐं मिल जुल कर दूर करना हे ।
३ आतंकवाद आज पूरे विश्व की समस्या हे । उसे प्रश्रय देने वाले देशों का बहिष्कार करना चाहिए । सब देशों को ऐक होकर इस समस्या का सामना करना चाहिए । किसी भी देश में घटित घटना विश्व घटना मानी जाएगी ।
४ मानव का दुख ऐक बड़ी समस्या है । इसका ऐकमात्र हल भौतिक प्रगति के साथ आध्यात्मिक उन्नति भी आवश्यक है ।
5 सद्गुणों का विकास- बच्चे को कच्ची उम्र से ही दया करूणा सेवा प्रेम आदि सद्गुणों का विकास करना सिखाना चाहिए । इससे एक खूबसूरत दुनिया का निर्माण होगा ।
6 सत्य की खोज, यही मानव जन्म का मुख्य उद्देश्य है ।
7 सामाजिक बुराइयों का खात्मा: हर समाज में कुछ बुराइयां हैं ।
हमारे यहां जातिवाद, दहेज, ऊंच नीच आदि बुराइयां हैं ।
इन्हे दूर करने के लिए ठोस कार्यक्रम चलाए जाना चाहिए
8 गरीबो की भलाई व उन्हें काम का अधिकार दिलाने के लिए पुरजोर प्रयास किए जाने चाहिए |
लेखक के प्रकाशित अन्य ग्रन्थ
गुजरात की सर्वश्रेष्ठ ebook प्रकाशन संस्था “मात्रभारती.कॉम” पर प्रकाशित ग्रन्थ :
1 भारत के गावों में स्वतंत्रता आन्दोलन ( एक अनकही दास्तान) हिंदी व अंग्रेजी में
२ विद्रोहिणी ( हिंदी व अंग्रेजी )
३ पागल ४ शैतानियाँ ५ मुझे बचाओ (लड़कियों से, मीटू पुरुष )
५ जुआरी फिल्म प्रोड्यूसर ( हिंदी व अंग्रेजी )
६ भक्ति माधुर्य
निम्न लघु उपन्यास, कहानियां प्रकाशन हेतु तैयार है :
७ सुनहरा धोखा ( हिंदी व इंग्लिश )
उक्त सभी ग्रन्थ उपन्यास व कहानियां( दर्शकों से फाइव स्टार रेटिंग प्राप्त हैं ) अंग्रेजी में विश्व प्रसिद्ध प्रकाशन संस्थाओं यथा books2read, Instamozo व अन्य अनेक पंस्थाओं पर प्रकाशित होकर समस्त विश्व प्रसिद्ध स्टोर्स पर विक्रय हेतु व गूगल पर उपलब्ध हैं |