एकांश की फैमिली
प्रताप रघुवंशी ( दादा सा )
कौशल्य रघुवंशी ( बड़ी दादी सा )
शारदा रघुवंशी ( छोटी दादी सा )
धनुष रघुवंशी ( बड़े बाबा सा )
मृणाल रघुवंशी ( बड़ी मा )
आनंदी ( एकांश की बड़ी बहन ) हर्ष और हर्षिका
अजिंक्य रघुवंशी ( बाबा सा )
समीक्षा रघुवंशी ( मा )
एकांश रघुवंशी हमारा इस कहानी का वन एंड ओनली हीरो
अखिलेश रघुवंशी ( बड़े काका सा )
अनीता बड़ी ( काकी सा ) स्वप्न और ऐश्वर्या
मिथिलेश रघुवंशी ( छोटे काका सा )
सुनीता ( छोटी काकी सा ) उतरा और रूद्र
रूद्र सबसे छोटा राजकुमार रघुवंशी ओ का
आस्था की फैमिली
संजय देशमुख (पिता ) वृंदा देशमुख ( मां )
आस्था देशमुख हमारी इस कहानी की हीरोइन
सरिता मैडम जिन्हें वह मासी मां कहती थी
स्कूल की टीचर जो आस्था को अपनी बेटी मानते थे
वरद सरिता का बेटा जो आस्था को सगी बहन से भी ज्यादा प्यार करता था जो hostel में पढ़ाई करता है
कुछ दिन बीत गए क्या हुआ गुरु जी आपकी बात हो गई गुरु स्वामी नंद से दादा सा जी महाराज हो गई और शायद उन्हें भी मिल गया है कुंवर सा की परेशानी का गुरूजी शुक्र है भगवान का गुरु जी यहां कब तक आएंगे
बाबा सा कुछ कह नहीं सकते लेकिन उन्होंने कहा है जल्द ही वह आपसे बात करेंगे गुरु जी जी ठीक है बाबा सा और कुछ जरूरी बातें भी करनी है जरूरी बातें करने के बाद सभी अपने अपने काम पर निकल गए
अगली सुबह
गुड मॉर्निंग एवरीवन रुद्र ने डायनिंग रूम में आते हुए कहा और अपनी बड़ी दादी सा को किस दे दी गुड मॉर्निंग सब ने भी उसे कहकर गुड मॉर्निंग विश किया
रूद्र आप आज फिर से लेट आए हैं कितनी बार कहा है आपसे ब्रेकफास्ट के लिए टाइम पर आ जाया कीजिए लेकिन नहीं मजाल है कि जनाब 1 दिन भी वक्त पर आए हो छोटे काका सा यानी रूद्र के बाबा सा ने कहा रुद्र ने सिर्फ अपनी बत्तीसी दिखाई
इस वजह से वह और ज्यादा चिढ़ गए रोज- रोज छोटे काका सा आगे कुछ कह पाते तब तक एक रोबदार आवाज सुनाई दे दी मिथिलेश मत बोलिए हम सब यही यही हैं आपको पता है ना हमें खाते वक्त बात करना बिल्कुल भी पसंद नहीं है
दादा सा सॉरी बाबा सा मिथिलेश और सब लोग चुपचाप अपना नाश्ता खत्म करने लगे सभी अपने अपने कामों में बिजी रहने की वजह से उन्हें आपस में टाइम नहीं मिलता था इसलिए दादा सा ने रुल बनाया था कि भले ही लंच डिनर साथ में ना हो लेकिन ब्रेकफास्ट सब साथ में ही करेंगे रूद्र के लेट आने की वजह से और मिथलेश जी का उन्हें डांटने की वजह से सभी का मूड थोड़ा खराब भी हो चुका था
सब नाश्ता करके हॉल में आ गए थे दादा सा को सभी से बहुत जरूरी बात जो करनी थी दादा सा इससे पहले आप कुछ कहे हम कुछ कहना चाहते हैं एकांश कहिए दादा सा दादा सा हम सोच रहे थे कि क्यों ना हम सब फैमिली पिकनिक पर जाए सब कुछ अब कुछ ही महीनों में हर्षिका की शादी हो जानी हैं और उससे पहले सभी के एग्जाम भी हैं इन सब का मूड भी फ्रेश हो जाएगा और हम सब भी साथ में टाइम स्पेंड कर लेंगे क्या कहते हैं आप
एकांश ठीक है दादा साहब सिर्फ दादा सा इतना अच्छा तो प्लान बनाया है एकांश भाई सा ने भाई सा यू आर द बेस्ट द रूद्र ने एक्साइटिड होते हुए कहा रुद्र को हमेशा घूमना होता है आपको कभी पढ़ाई पर भी ध्यान दे दीजिए मिथलेश क्यों डा डाटते रहते हैं आप उसे हमेशा अखिलेश भाई साहब उसकी हर हरकत ही ऐसी होती है
मिथलेश बस कीजिए छोटे काका सा छोटे हैं अभी वह और सब के लाडले भी हैं वह सिर्फ इसी वजह से यह मस्ती करते हैं उन्हें भी समझ आ जाएगी एकांश एकांश कुंवर सा जब आप रूद्र की उम्र के थे तब तक आप कितने समझदार थे आपने सारे ने जिम्मेदारी कितने अच्छे से संभाल रखी थी लेकिन रूद्र है कि मिथलेश छोटे काका सा जरूरी तो नहीं कि हाथ की सारी उंगलियां एक जैसी है और किसने कहा कि रूद्र समझता नहीं है सबके इमोशंस का वह कितने अच्छे से ख्याल रखते हैं और क्या चाहिए हमें
एकांश लेकिन फिर भी एकांश मिथिलेश सही तो कह रहे हैं एकांश मिथलेश अब छोड़ भी दीजिए यह नाराजगी और सभी इंपॉर्टेंट बात कर रहे करें दादा साहब ठीक है मिथिलेश एकांश क्या सोचा आपने पॉलिटिक्स ज्वाइन करने के बारे में दादा सा दादा सा आप जानते हैं कि हमें पॉलिटिक्स में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है
एकांश हमें पता है एकांश आपको यह सब पसंद नहीं है लेकिन मत भूलिए कि आप यहां के भावी राजा हैं अगर आप पॉलिटिक्स ज्वाइन करेंगे तो यहां के लोगों के लिए उनके डेवलपमेंट के लिए आप ज्यादा से ज्यादा काम कर पाएंगे दादा साहब अगर ऐसी ही बात है तो क्यों ना हमें हमारी जगह हर्ष पॉलिटिक्स ज्वाइन कर ले वह भी तो राज परिवार का हिस्सा है
एकांश लेकिन लोग आपको ज्यादा पसंद करते हैं आपके किए गए कामों से सभी लोग इंप्रेस हो चुके हैं आपसे अगर आप इलेक्शन में खड़े होते हैं तो हंड्रेड परसेंट sure प ही जीतेंगे
दादा साहब यह काम अपनी खुशी के लिए करते हैं और हमें लगता है कि यह पॉलिटिक्स हमारे बस में नहीं है अगर हर्ष को इसमें इंटरेस्ट है तो हम उनका साथ देंगे बट हम पॉलिटिक्स में नहीं उतर सकते एकांश हर्ष क्या आप क्या कहते हैं आप दादा सा जैसा आप लोगों को ठीक लगे हर्ष ठीक है फिर आप तैयारी शुरू कीजिए जल्दी ही आपको इलेक्शन के लिए तैयार होना होगा
दादा साहब फिर कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद सभी लोग अपने कामों के लिए चले गए एकांश के पिता अजिंक्य जी ने अपनी वाइफ समीक्षा के नाम से एक एनजीओ ओपन किया था और एकांश ने उसे बहुत बड़ा किया था इस एनजीओ में लड़कियों को अच्छे से अच्छा एजुकेशन प्रोवाइड किया जाता था गरीब लोगों को मेडिकल हेल्प विधवा औरतों और उनके बच्चों के लिए काम का और रहने का इंतजाम
समीक्षा आश्रम की सबसे खास बात थी कि वहां बुजुर्ग ने अपने घर से निकाल दिया था और अनाथ बच्चों के साथ रहते थे जिससे बच्चों को बड़ों का और बड़ों को अपने बच्चों का प्यार मिल सके एकांश जैसे ही अपने और वैसे भी आकर रुक गई वाइट शर्ट और ब्लैक ब्लैक उसकी दाड़ी और सेट किए हुए रोलेक्स वॉच चेहरे पर मिलियन डॉलर वाली स्माइल और फुल कॉन्फिडेंस को तो सब कुछ भूल कर उसे देखने में लगी हुई थी
आज दादा साथ से बात करने की वजह से उसे आने में लेट हो गया वरना इन्हीं नजरों से बचने के लिए वह सबसे पहले ऑफिस आता था सबको स्माइल से मॉर्निंग बेशक का जवाब देते हुए वह अपने कैमरे में आकर बैठ गया गुड मॉर्निंग को आकाश और अजय ने कहा आकाश और अजय दोनों एकांश के साथ बचपन से थे दोनों भी अनाथ थे
और समीक्षा आश्रम में ही बड़े हुए थे अपनी मां की मौत के बाद जब भी वह जाता था तब भी दोनों उसका ख्याल रखते थे बड़े होने के साथ-साथ इनकी दोस्ती भी गहरी होती चली गई एकांश उनके लिए सब कुछ था पढ़ाई खत्म करने पर उन्होंने स्पेशल ट्रेनिंग ली थी और एकांश के बॉडीगार्ड बन गए थे साथ ही में एकांश के साथ ऑफिस में भी काम किया करते थे
आकाश तुम्हें नहीं लगता आज ऑफिस का माहौल बहुत ज्यादा हॉट है अजय एकांश में ना में सर हिला दिया और अपने काम में लग गया और तुम्हें ऐसा क्यों लगता है अजय आकाश देखो ना आज हमारे कुंवर सा इतने तैयार होकर आए हैं कि टेंपरेचर बहुत ही ज्यादा हॉट हो चुका है पता नहीं कितनी नजरें इन्हीं नजरों पर टिक कर रह गई है
अजय हां बात तो सही है नजरें तो काफी टिकी हुई है हमारे कुंवर सा पर लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि उनकी नजरें सिर्फ अपने लैपटॉप पर ही हैं अपना ध्यान काम पर तो तुम भी वही करो आकाश क्या यार तुम भी कुंवर सा की तरह बिल्कुल अनरोमांटिक हो कुंवर सा जरा भी वहां से ध्यान हटाइए और अपने आसपास देखिए कितनी नजरें आपके नजरों से उलझने के लिए तैयार हैं और आप हैं कि अजय एक एकांश में नजरें उठाकर देखा सारे ऑफिस की लड़कियां उसी की तरफ देख रही थी एकांश का केबीन खासकर पूरी तरह से कांच का बना हुआ था लेकिन स्पेशल बात यह थी कि अंदर से बाहर का तो सब कुछ दिखाई देता था लेकिन बाहर से कुछ भी नहीं इसको बाहर देखते हुए देख अजय के चेहरे पर स्माइल आ गई क्या हुआ कुंवर सा कोई पसंद आ गई है क्या आपको अजय
अजय बस भी करो अब आकाश एकांश ने अपना हाथ सर पर रख लिया और मुस्कुराते हुए नीचे देखने लगा अजय की ऐसी नौटंकी महीने में से एक बार होती थी तुम तो चुप करो कुंवर सा आप बताइए अजय अजय इन नजरों में वह बात नहीं जो एकांश रघुवंशी की नजरों को उलझा सके और हमें इतनी सारी नजरें नहीं सिर्फ वह एक नजर चाहिए जिसे देख कर हम खुद ब खुद उस में उलझ जाएं हां हां पता है कुंवर सा लेकिन जब तक आप इन्हें देखेंगे नहीं ढूंढ लेंगे नहीं तब तक ऐसे आपको कोई मिलेगी
अजय जिसकी किस्मत की डोर हमसे बंदी होगी और वह हमारी हमसफर होगी ना वह हम तो अपने आप ही आ जाएगी हमारी जिंदगी में शामिल हो जाएगी हमें ढूंढने की जरूरत नहीं है उन्हें हमारी किस्मत हमारे हमसफर हमारी जिंदगी भर की साथी सही हमें जोड़कर ही रहेगी आप समझे एकांश मैं भी दुआ करूंग एकांश मैं भी दुआ करूंगा आपको आपकी हमसफर आपकी जिंदगी भर की साथी जल्दी से जल्दी मिल जाए
अजय हां ताकि यह अपने लिए किसी को देख ले आकाश अब काम पर ध्यान दें एकांश ने कहा और वह भी तीनों अपने काम पर लग गए
दूसरी तरफ
मां एक सवाल करें आस्था ने अपनी पढ़ाई करते हुए पूछा मैंने मना करने के बाद भी तुम चुप बैठो की क्या नहीं मां आस्था नैना में सिर हिलाते हुए हंसकर कहा पूछो क्या सवाल है मां की पत्नी धर्म क्या होता है आस्था यह सवाल क्यों पूछा मां वह जब हम नदी किनारे गए थे ना तो वहां पुष्पा देवी की मां उन्हें समझा रही थी कि पता नहीं क्या क्या कह रहे थे सेवा करो काम करो यही पत्नी धर्म है और भी बहुत कुछ मुझे कुछ समझ ही नहीं आया बताओ ना मां यह पत्नी धर्म क्या होता है आस्था ओहो आस्था जाने भी दो यह सवाल तुम्हें तो पता है ना पुष्पा कितनी बदतमीज है इसलिए उसकी मां उसे समझा रही थी
मां यह तो मेरे सवाल का जवाब नहीं हुआ आस्था तुम नहीं मानने वाली मां के कहने पर आस्था नैना में सेल खिला दिया ठीक है सुन एक लड़की शादी करके अपने पति के साथ उसके घर जाती है विवाह के पवित्र बंधन में बंधने के बाद वह उस घर की बहू और किसी की पत्नी बनती है अपने पति के छोटे बड़े काम करना उसके लिए खाना बनाना समय पर उसको खाना देना उसकी सेवा करना और जरूरतों का ख्याल रखना इसी के साथ अपने सभी घरवालों का ध्यान रखना सभी के लिए खाना बनाना सबसे आदर से बात करना यह है पत्नी धर्म होता है
मां अच्छा इतना सब पत्नी करेगी तो पति का करेगा उसका कोई धर्म नहीं होता क्या आस्था होता है ना अपनी पत्नी का ख्याल रखना उसे मान सम्मान देना और उसके लिए उसके हक के लिए आवाज उठाना यह एक पति का कर्तव्य होता है मां बाबा जी तुम्हारे लिए यह सब करते थे क्या
आस्था तेरे बाबा बहुत अच्छे थे इससे बहुत ज्यादा करते थे वह मेरे लिए तभी तो वह सिर्फ मेरे लिए मेरे पति नहीं मेरे हमसफर मेरी जिंदगी भर के साथ ही बन गए थे सात फेरे लेने से वचन लेने से सिर्फ पति-पत्नी बनते हैं लेकिन जब हम एक दूसरे का ख्याल रखते हैं एक दूसरे को दिए हुए वचन को निभाते हैं एक दूसरे के प्रति मान सम्मान रखते हैं तभी हम हमसफर बनते हैं
मां अच्छा मां मैं शादी नहीं करूगी आस्था क्यों क्योंकि मुझे मेरी प्यारी मां को छोड़कर कहीं नहीं जाना है शादी तो सबकी होती है तेरी भी होगी ना मां अगर हो भी गई ना तो मैं हाथ हां तो मैं वहां से भाग कर आ जाऊंगी तुम्हारे पास आस्था नहीं बेटा आस्था ऐसा नहीं कहते शादी का बहुत पवित्र बंधन होता है जिसे हम तोड़ कर उसका अपमान नहीं कर सकते यह बहुत गलत बात है
मां के आगे कुछ बोलने से पहले ही आस्था ने कहा ठीक है ना लेकिन अब मेरी शादी होगी ना तब देखेंगे अभी मुझे बहुत बहुत पढ़ना है फिर तुम्हारे लिए एक स्कूटी और एक बड़ी वाली कार भी तो लेनी है जब मैं यह सब कर लूंगा उसके बाद शादी को देखेंगे शादी के बारे में सोचेंगे आस्था ने कहा और फिर से अपनी पढ़ाई में लग गई
वृंदा हमारी बात सुनिए स्वामी नंद जी क्या सुने आपकी बात महा गुरु मुझे माफ कर दीजिए आपके कुंवर सा की जान बचाने के लिए मेरी बेटी की बलि नहीं दे सकती में वृंदा माँ बली नहीं है यह वृंदा विवाह होगा दोनों का वो भी पूरी रीती रिवाज से उन दोनों के विवाह गाठ से ना सिर्फ कुंवर सा की जान बचेगी बल्कि आस्था को बहुत अच्छी जिंदगी मिलेगी स्वामी नंद
हा एसी जिंदगी में दुख और दर्द के अलावा कुछ नहीं होगा आस्था के जन्म के वक्त आपने ही तो उसे कुंडली बनाई थी और कहा था कि उसकी जिंदगी में राजयोग है लेकिन बहुत पीड़ा को सेट कर उसे वह मिलेगा यहां तक कि उसकी जान को भी खतरा हो सकता है वृंदा हा कहा था लेकिन अब हालात बदल गए हैं और वचन देते देते हैं आपको आस्था की जिम्मेदारी हम लेंगे
सिर्फ इस विवाह के लिए तैयार हो जाओ स्वामी नंद नहीं गुरु जी नहीं नहीं महागुरु जी माफ कीजिए मैं आस्था की शादी के लिए तैयार नहीं हूं 15 साल की बच्ची है वो ना उसे दुनियादारी की समझ है और ना ही बाहर के लोगों से बात करने की आदत है उसकी दुनिया मुझ से ही शुरु और मुझ पर ही खत्म होती है
वह शादी जैसे रिश्ते को कैसे निभाएगी और वह भी ऐसी शादी जहां सिर्फ उसे दर्द ही मिलेगा माँ
वृंदा भूल रही हैं आप रोटी को भी परिपूर्ण होने के लिए आच पर भुनना पड़ता है बिना आग की जलन सहे वह खाने लायक नहीं होती है वैसे ही बिना दर्द को सहे राजयोग भी नहीं मिलता है थोड़ी तकलीफ तो उसे उठानी ही होगी उसके बाद उसका जीवन अनगिनत खुशियां आएंगी स्वामी नंद
नहीं गुरु महागुरु ना मुझे मेरी बेटी के लिए ना ही राजयोग चाहिए और ना ही कुछ और हम दोनों हमारे जीवन में बहुत खुश हैं हमें ऐसे ही रहने दीजिए वृंदा ने कहा और वहां से चली गई
महागुरु वैसे ही सोचते हुए खड़े रह गए वृंदा उन्हें मिलना है वह मिलकर रहेंगे हम सफर हैं एक दूसरे के तो अलग अलग कैसे रह सकते हैं उनकी नियति उन्हें मिलाकर ही रहेगी स्वामी नंद जी ने फिर अजिंक्य को यानी एकांश के बाबा सा को फोन किया और उन्हें आस्था और आकाश की मां के बारे में बता दिया पहले तो उन्हें भी लगा कि राजकुमार शादी एक आम लड़की से कैसे हो सके लेकिन उन्हें अपने बेटे को बचाना था आज इसलिए वह कुछ भी कर सकते हैं वह आस्था के घर के लिए निकल गए
मां कहां रह गई थी तुम मैं कब से इंतजार कर रही थी तुम्हारा आस्था अरे कुछ नहीं मंदिर गई थी रुक जा अब मैं जल्दी से खाना बनाती हूं मां मैंने बना लिया है आस्था क्यों बनाया था पढ़ाई करनी चाहिए थी ना अगर कहीं लग जाती तो करना आखिरी पेपर है तुम्हारा मा की हमेशा की तरह बातें शुरू हो गई थैंक यू गॉड अब मेरी मां वापस आ गई है वरना आपको देखकर यही लग ही नहीं रहा था कि आप मेरी मां हो
आस्था ने मुस्कुराते कहा बेटा मैंने अपनी तरफ से तुम्हें सब कुछ देने की कोशिश की है मेरी हमेशा यही कोशिश यही है कि मैं तुम्हें सब कुछ देख सकूं लेकिन फिर भी तुम्हें यह लगता है कि मैं कहां कम पड़ गई तो मुझे बता दो मैं वह भी तुम्हें देने की कोशिश करूंगी
मां क्या हुआ है और किसने कहा है मुझे संभालने में कमी रह गई है तुमने बहुत कुछ दिया है मुझे बहुत से भी बहुत ज्यादा और फिर ऐसा ही क्यों सोच रही हो सच कह रही हो ना मां बिल्कुल सच आपको पता है ना आप मेरे लिए बहुत ज्यादा अजीज हो मैं बहुत प्यार करती हूं आपसे बहुत बहुत बहुत ज्यादा
आस्था मेरी प्यारी बेटी कह कर उन्होंने आस्था को गले लगा लिया और वह दोनों खाना खा कर बैठ गए खाना खत्म होने के बाद आस्था फिर से अपनी पढ़ाई में लग गई और आस्था की मां वृंदा महा गुरु जी की बातों के बारे में सोचने लग गई दोनों भी नहीं जानते थे कि कल का दिन उनकी जिंदगी में कितना बड़ा तूफान लाने वाला है
अगली सुबह हमेशा की तरह हुई आस्था तैयार होकर अपना पेपर देने चली गई वही मां रोज की तरह खेत में अजिंक्य जी जयपुर से आस्था के गांव के लिए निकल चुके थे और इन सब बातों से अनजान एकांश अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था कि काफी बार ट्राई करने के बाद भी उसे यह प्रोजेक्ट नहीं मिल रहा था इंटरनेशनल प्रोजेक्ट होने की वजह से उसके सारे कंपीटीटर थे इस बार एकांश ने फिर इस प्रोजेक्ट के लिए अप्लाई किया था
आस्था का पेपर देकर अगर आ गई थी हमेशा की तरह यह वाला पेपर भी उसे बहुत अच्छा गया था नदी के रास्ते हंसते खिलखिलाते हुए घर आ रहे थे हास्य की आवाज तो थी लेकिन उससे ज्यादा मीठी थी उसकी हंसी गूंज हंसती तो उसके गालों पर चलने वाले डिंपल और उसकी हंसी की आवाज सबको अपनी तरफ अट्रैक्ट कर रही थी और यही हुआ आज गांव के जमींदार का बेटा संजय और उसके दोस्त नीरव जो नदी किनारे घूमने आया था और उसकी नजर आस्था पर गिरी
छोड़ यार रंग देखा है उसका इतना काला है इसे कौन हाथ लगाना चाहेगा संजय कोई तो उसका रंग देख रहा है और मैं फिगर देखना यार क्या सही फिगर है उसका ऊपर से उसके बाल और वह हंसी भाई मुझे वो चाहिए नीरव सुन गांव में ना और भी कई लड़कियां हैं जिनके बाल लंबे हैं और फिर भी जहां तक की रंग भी बहुत ज्यादा अच्छा है तू क्यों इसके पीछे अपना टाइम वेस्ट कर रहा है संजय वह लड़कियां तू अपने लिए रख मुझे आज रात के लिए यह लड़की चाहिए समझा तू नीरव ठीक है रात को देखते हैं इसे अब चल संजय
Hey guys ......
आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु
...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे
........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे
COMMENT किजीये
ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू
Thankyuuuu
" और इस डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "
Plzz guys support my first story
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To be continued .......... .......... .......
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