पहचान खोजती लड़की
केरल के हसीन तटों पर वो अकेली ना जाने क्या खोज रही थी। बस जो भी मिलता था उससे वो पूछती जाती थी और अपनी एक छोटी सी डायरी में लिख लेती थी। रोहित का मन हुआ कि वो इससे पूछ ले कि आखिर वो क्या खोज रही है लेकिन न जाने क्या सोचकर वो रूक गया। नियती का चक्र अपने हिसाब से ही चलता है। कोअल्लम का बेहद सुन्दर बीच और उस पर एक कोने में थक हार कर मासूम सी बैठी वो। एक बार फिर रोहित का मन किया उससे बात करने का । वैसे भी अब पुलिस वाले एक-एक कर सभी पर्यटकों को वहां से हटा रहे थे। यहां पर शाम ढलने के बाद बीच पर रहना मना है। रोहित धीरे से उठा और उसकी ओर चला गया। नज़दीक गया तो उसकी ऑंखों से दो बड़े मोती से ऑंसू लरजकर गिरते दिख लिए थे उसने। वो सोचने लगा जरूर कोई परेशानी है इसको, क्यों इसकी मदद की जाए। बस यही ख्याल ले वो उससे मुखातिब होकर बोला - हाय...मैं रोहित...मे आई....
वो कुछ आगे बोलता उससे पहले ही वो बोल पड़ी
-हाय...आई एम....एन्जोलिना....केन यू हैल्प मी।
-ओह स्योर, व्हाट केन आई डू फोर यू?
-मिस्टर रोहित मैं आयरलैण्ड से आई हूॅं यहां पर अपनी जड़े खोजने।
-ओह आप हिन्दी बोल सकती हैं।
-जी
-जी बताईये मै। आपकी क्या मदद कर सकता हॅूं?
-देखिये मैं यहां पर किसी को खोजने आई हूॅं मुझे पता चला है कि वो आदमी केरल में
ही कहीं पर किसी बीच पर रहता है।
-जी........कौन है वो व्यक्ति?
और उसने फोटो दिखाते हुए बताया कि ये उसकी पच्चीस बरस पुरानी फोटो है बस इसी
को ढूंढ रही हॅूं।
-लेकिन ए कौन है आपके?
-वो सब मैं बाद में बताऊंगी, पहले यह बताईये कि क्या आप कुछ जानते हैं इस बारे में
या किसी प्रकार से कोई रास्ता......
-देखिये मैं जानता तो नहीं हॅूं लेकिन हां पता जरूर चल सकता है, कोशिश करते हैं
-तो ठीक है अभी तो शाम हो गई है कल सुबह मैं यहीं पर मिलती हॅूं ओ.के.
-जी
बस इतना कह कर वो चली गई। रोहित उसके बारे में सोचता रहा...ये विदेशी लोग भी ना जाने क्या क्या खोजते रहते हैं। जिसको खोज रही है वो कौन है इसका पता नहीं, ये आयरलैण्ड की और केरल में खोज रही है। क्या कारण हो सकता है? वो सोचे जा रहा था तभी उसे लगा कि हो सकता है इसका बाप हो। अगले ही पल मन ने कहा....नहीं इसका बाप यहां क्या करेगा, जो फोटो इसने दिखाई है वो तो हिन्दुस्तान की है । भला एक आइरिस लड़की का बाप हिन्दुस्तानी कैसे होने लगा? कुछ और ही कारण है। कहीं ऐसा तो नहीं है कोई जासूस-वासूस हो और कुछ और ही खोज रही हो, बस एक बहाना बना रखा हो इस आदमी को खोजने का । यूं ही सोचते सोचते वो भी अपने होटल पहुंच गया था, वो भी तो केरल का नहीं था, हां लेकिन मलयालम अच्छी बोल लेता था।
अगले दिन एन्जोलिना एक चट्टान पर बैठी बस उसी का इन्तज़ार कर रही थी। उसे उम्मीद थी कि वो जरूर आएगा और वो यानि रोहित आया भी बस थोड़ा सा देर से । उसे आते ही चो चहक उठी। अरे वाह आप आ गए मैं सोच ही रही थी......
-क्या सोच रही थी कि मैं नहीं आऊंगा
-नहीं बस यही कि जरूर आओगे।
-हॉं तो मिस एन्जोलिना आप मुझे पूरी बात बताईये।
-मैं क्या बताऊंगी मुझे खुद नहीं मालुम कि मैं कौन हॅूं, फिर क्या बताऊंगी।
वो इतना कह कर भावुक हो गई कुछ देर की चुप्पी के बाद बोली
-मैं अपने आपको खोज रही हॅूं। मेरी जड़े खोज रही हॅूं। इस शख्स ने पच्चीस साल पहले मेरी मॉं से
दोस्ती की थी। शायद साथ भी रहते थे । फिर कैसे अलग हुए नहीं मालुम। हां इन दोनों की उपज मैं
हॅूं। आयरिस मॉं और इण्डियन बाप की। ये सब मुझे अनाथाश्रम जिसमें पली बढी वहीं से पता चला है।
मॉं मुझे तीन दिन की को ही छोड़कर चली गई बाप का कोई पता नहीं। आज मैं अपने बाप को खोज रही हॅूं। मैंने मां को तो खोज लिया था पूर आठ बरस लगे थे उसे खोजने में पूरा आयरलैण्ड छान लिया था मैंने उसके लिए।
इतना बोलकर वो चुप हो गई । मानो अपनी विस्मृत से स्मृतियों को सहेजकर वापस जुटा रही हो।.......थोड़ी देर बस यूं ही चुप रहे ज़मीन को तकते हुए। रोहित कुछ समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या बोले तभी वो बोली...
-एक बात बताओ आयरलैण्ड हो या हिन्दुस्तान या फिर दुनियां का कोई भी कोना औरत अपनी पहचान को क्यों तरसती है? क्यों खोजती रहती है अपनी पहचान पूरी जिन्द़गी और बस खोजते खोजते ही वो मर जाती है बिना अपनी खुद की पहचान के ही। शादी से पहले फलां की बेटी, फिर फलां की पत्नि, फलां की मां......लेकिन औरत की खुद की पहचान नहीं होती है। रोहित उसकी तरफ देखता रहा और फिर पूछ ही लिया...
-फिर क्यों खोज रही हो उस आदमी को जो कभी अपना हो न सका, जो कभी तुम्हे बाप का प्यार दे ही न सका?
-देखो रोहित यह बात ठीक है लेकिन मिलकर यह पूछना चाहती हूँ कि मेरा क्या कसूर था, लड़ाई तुम दोनों कि और उसका खामियाजा भुगत रही हूँ मैं। यानि एक लड़की, एक औरत। मेरी पहचान क्या है एक अनाथ? बस इसीलिए मैं भटक रही हूँ और जिस दिन तक नहीं खोज लूंगी चैन से नहीं बैठूंगी। मैं चाहती हूँॅूं कि वो भी कह सके हाँ मेरी बेटी है, ये भी हो सकता है उसकी पत्नि, बच्चे हो और नहीं कह पाए लेकिन मैं तो अपना बाप खोज लूंगी ना।
इतना कहकर वो होटल चली गई और रोहित वहीं खड़ा सोचता रहा यह सच है क्या पहचान है औरत की। उसको भी तो हक़ है ना अपनी पहचान के साथ जीने का । उसकी पहचान तो होनी ही चाहिए।
योगेश कानवा