Kabristan Ka Insaf in Hindi Horror Stories by anirudh Singh books and stories PDF | कब्रिस्तान का इंसाफ

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कब्रिस्तान का इंसाफ

हाथ मे फावड़ा लेकर पीटर ढेर सारी कब्रो के बीच अकेला खड़ा था,
रात के घनघोर काले अंधेरे में,आधी रात के सन्नाटे को चीरते हुए पास के जंगलों से गीदड़ों के रोने की आवाजे कानो में रह रह कर चुभ रही थी।
साथ मे इन आवाजो का जबाब आसपास के कुछ कुत्ते भौंक भौंक कर दे रहे थे
कहते है कि कुत्ते और गीदड़ दोनों ही उन चुनिंदा जानवरो की श्रेणी में आते है,जिनको दूसरी दुनिया की गतिविधियों का आभास कर सकने में समर्थता प्राप्त है,

दूसरी दुनिया अर्थात वह रहस्यमयी दुनिया जो इंसान के आसपास होते हुए भी उसकी नजरो से छिपी होती है,
उन लोगो की दुनिया जो इस दुनिया से तो हमेशा के लिए विदा ले चुके है,परन्तु अपने इंसानी जीवन के कुछ उद्देश्यों की पूर्ति न हो पाने के कारण मोक्ष की प्राप्ति न कर पाए है, अर्थात 'अतृप्त आत्माओ की दुनिया' या फिर सीधे शब्दों में कहे तो 'भूतों की दुनिया'

इंसान होने पर सबको सबसे ज्यादा लगाव होता है अपने खुद के जिस्म से,और मृत्यु के बाद लगाव हो जाता है उस जगह से जहां पर उनके जिस्मों का दाहसंस्कार किया गया अथवा दफनाया गया।

अतः इन आत्माओ का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु होता है कब्रिस्तान,
जिनमे कई आत्माएं सैकड़ो वर्षो से दफन अपने शरीर के आसपास मंडराती रहती है।

बाहर रो रहें इन कुत्तों और गीदड़ों के रोने की आवाजें स्पष्ट इशारा दे रही थी कि इनका सम्बन्ध आज भी इसी कब्रिस्तान से ही है।
पर शहर की आबादी से बहुत दूर इस सुनसान इलाके में इस कब्रिस्तान की चाहरदीवारो के अंदर मुर्दो को दफन कर बनाई गई कुछ नई और कुछ पुरानी कब्रो के अलावा प्रतिक्रिया देने वाला जीवित इंसान बस पीटर ही था।

धीमी चीं चीं की आवाज के साथ ऊपर नीचे लहराकर उड़ रहे चमगादड और कब्रिस्तान के कोने में लगे बरगद के पेड़ की टहनी पर बैठा एक बड़ा सा उल्लू अपनी डरावनी आंखों से बहुत जल्द होने वाली एक सम्भावित दुर्घटना को देखने के लिए उतावले हो रहे थे।

पीटर बारी बारी से सभी कब्रो को आंखे फाड़ फाड़ कर घूरने के बाद अब कब्रिस्तान के बीचों बीच स्थित एक कब्र के सामने ठिठक कर रुक गया ,
इस कब्र की स्थिति बता रही थी कि ये अधिक पुरानी नही है,
कब्र के बाहरी हिस्से पर लगे संगमरमर के स्मृति चिन्ह पर लिखा हुआ था 'मु.मोहसिन खान' मृत्यु दिनांक-17 दिसम्बर 2019

इस कब्र को देख कर पीटर खुशी से उछल पड़ा,
उसकी आंखों की चमक देख कर लग रहा था कि मानो एक बड़ा युध्द जीत लिया हो उसने।

पीटर ने तुरंत ही कब्र पर लोहे के मजबूत फावड़े से प्रहार किया,
दोबारा प्रहार करने के लिए फावड़ा ऊपर उठाया ही था कि,तेज सरसराहट वाली हवा ने बरगद के पेड़ के पत्तो के साथ मिलकर जो खौफनाक सी आवाज उत्पन्न की, अतिदुस्साहसी पीटर के भी होश उड़ गए।

तेज चल रही हवा तूफान का रूप ले रही थी,
पेड़ो के सूखे पीले पत्ते झड़ झड़ कर आसपास की सभी कब्रो को घेर रहे थे,
घनघोर अंधेरे में धूल के उड़ते गुबार ने पीटर को अपनी आंखों को हथेली से ढकने पर विवश कर दिया।

बादलों ने भी चमकती हुई बिजली के साथ तेज गड़गड़ाहट उत्पन्न करके इस डरावने मंजर को और भी खौफनाक बनाने में अपना सहयोग दिया।

धूल चली जाने के कारण झपकती आंखों से पीटर ने विश्व का आठवां अजूबा अपने सामने देखा, जिस कब्र को वह खोदना चाहता था अचानक से वह एक दरार के साथ फटने लगी थी जिसमे से सीधा खड़ा हुआ एक हाथ बाहर निकलता आ रहा था।

तेज आंधी में भी बाहर कुत्तों और गीदड़ों के रोने की आवाजों में लगातार वृद्धि होती जा रही थी,

पीटर की वह हिम्मत जो उसको यहां तक लायी थी,अब जबाब दे गई थी।

डर से थर थर कांप चुका पीटर गेट की ओर भागा,पर इस विशाल कब्रिस्तान से बाहर निकलना इतना आसान भी न था,

हीहीहीहीहीहीहीहीहीहीहीहीहीsssssssssssssss

किसी लड़की की बहुत तेज खिलखिलाने की आवाज से सारा कब्रिस्तान गूंज उठा।

फूलती सांस और लड़खडाडते कदमो के साथ भाग रहे पीटर को अभी तो दहशत की चरमसीमा का सामना करना बाकी था।

एक एक करके कब्रिस्तान की सभी कब्रो से सुर्ख लाल रक्त से भींगे हुए हाथ निकल आये थे।

अब सारे कब्रिस्तान से ही कई लोगो की ठहाकेदार हंसी के सामने अन्य कोई भी आवाज सुनाई देना बंद हो चुकी थी,

इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों की हंसी शामिल थी,
या फिर वर्तमान स्थित के हिसाब से कहे तो प्रेतो और चुड़ैलो दोनों की हंसी ।

बचाओ बचआआआआओ....किसी से बचाने की गुहार लगाते पीटर की भयमिश्रित चीख चारो ओर से आती शैतानी हंसी वाली खिलखिलाहट व ठहाकों के बीच ही दब कर रह गई।

यह सारा घटनाक्रम इतनी तेजी से चल रहा था कि पीटर के गेट तक पहुचने से पहले ही, सभी कब्रो से हाथ के साथ साथ अब तो सशरीर मुर्दे ही बाहर निकल के आ चुके थे।

कब्रिस्तान के अंदर लगी बार बार जलती बुझती हुई स्ट्रीट लाइट में सड़े गले शरीर वाले वर्षों से दबे यह मुर्दे पीटर को अपनी मौत का स्वरूप ही दिखाई दे रहे थे।

पीटर चारो ओर से घिर चुका था,मुर्दो से आती हुई जोर की सड़ांध वातावरण में फैल चुकी थी,
बचने का अंतिम चारा उसके पास था,उसने कमर पर लगी पिस्तौल निकाल कर थरथराते हुए हाथों से दनादन सामने पांच फायर किए,

मुर्दो की भीड़ में यह सभी गोलियां उनके शरीरों में छेद करके निकल गयी, पर उनका आगे बढ़ना पूर्ववत जारी रहा,

अब डर से पीटर के हाथ पैर सुन्न पड़ चुके थे,उसकी आँखों की पुतलियां बाहर आने को बेताब थी,सारा शरीर कागज की तरह कांप रहा था,गला पूरी तरह सूख चुका था,

उनमे से एक सबसे भयानक मुर्दा पीटर के कंधे पर हाथ रख कर सामने खड़ा था, कभी न झपकने वाली उसकी बड़ी बड़ी आंखों से रक्त की बूंदे जमीन पर टपक रही थी।

नष्ट होते जा रहे शरीर के कई हिस्सों से बड़े बड़े सफेद रंग के कीड़े बाहर झांक रहे थे ,विशाल चूहे के समान एक कबरबिज्जू उस मुर्दे के गले को खोद रहा था,चेहरे पर कई जगह पर मांस गल जाने के कारण सिर्फ हड्डिया दिख रही थी,

यह सब अपनी आंखों के सामने देख पीटर धड़ाम से नीचे जा गिरा और बेहोश हो गया।

●●●●●●●

सुबह के छह बजे थे,आमतौर पर दिनों में भी सुनसान रहने वाला यह कब्रिस्तान आज भारी पुलिस बल की उपस्थिति से आबाद था।

पीटर की लाश और साथ लाया हुआ फावड़ा उसी कब्र के ठीक सामने पड़ी थी जिसको वह खोदने आया था

बड़े पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में घटना का निरीक्षण किया जा रहा था,

"पुष्पक! ये हो क्या रहा है आखिर तुम्हारे थाना क्षेत्र में ,चार महीने में ये आठवी मौत है इस कब्रिस्तान में.....हाऊ इज इट पॉसिबल ,कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सभी की मौत का कारण सिर्फ हार्ट अटैक ही होता है?"

पुलिस कप्तान एम.अवस्थी ने इलाके के पुलिस इंस्पेक्टर पुष्पक शर्मा से बहुत ही झुंझलाहट के साथ सवाल किया।

"सर! हमारी टीम पूरी मेहनत के साथ दिन रात जांच में लगी हुई है,
जितने भी लोगो की मौत यहाँ हुई है सर वह सभी शहर के बड़े क्रिमनल्स थे,
यह अभी जो सामने पड़ा है ,पीटर फर्नाडीज...आर्म्स एवं ड्रग्स का बहुत बड़ा सप्लायर था सर, गवाह न होने के कारण एक हफ्ते पहले ही जेल से बरी हुआ है,यहां कैसे आया इसकी जांच कर रहे है हम,
पर अभी तक तो इस प्रकार की घटनाओं में कोई साजिश होने की बात सामने नही आई है,पर सर यकीन करिए हम बहुत जल्द ही इस केस को सॉल्व कर लेंगे।" इंस्पेक्टर पुष्पक ने जबाब देते हुए कहा।

"साजिश तो जरूर है पुष्पक! इतने सारे क्रिमिनल्स यहां फावड़ों के साथ क्यों आते है वो भी अकेले?,
देखो तुम एक शानदार ऑफिसर हो,पर मेरे ऊपर बहुत प्रेशर आ रहा है,मीडिया भी पीछे पड़ चुकी है अब तो अगले 4 दिन में मुझे यह केस का सॉल्व चाहिए नही तो अपना ट्रांसफर लेटर ले लेना मुझसे" पुलिस कप्तान ने तल्ख लहजे में पुष्पक को चेतावनी दी और निकल गए।

पैतीस वर्ष के युवा पुलिस इंस्पेक्टर पुष्पक एक बहुत ही ईमानदार,निर्भीक और दबंग छवि वाले पुलिस अधिकारी थे,

जिसका खामियाजा वह अपनी दस साल की नौकरी में पचास ट्रांसफरो के साथ भुगत चुके थे पर उनको अपने उसूलों से समझौता करना पसंद न था।

अगले दिन थाने में अपने केबिन की चेयर पर बैठे पुष्पक पीटर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ते हुए बुदबुदाये ...."इसको भी हार्ट अटैक!"

"जय हिंद सर! सर पीटर के घर से कब्रिस्तान वाले चौराहे के सभी सीसीटीवी चेक किये,पीटर घर से अकेला ही कब्रिस्तान पहुंचा था,और सर कॉल डिटेल्स में भी निकलते समय या पहले किसी से बात नही की उसने, उसके परिवार एवं साथियों सभी से पूछताछ की पर किसी को कुछ नही पता" इस केस की तकनीकी जांच कर रहे पुष्पक के अधीनस्थ सब इंस्पेक्टर पीयूष ने सैल्यूट करने के बाद जांच के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराते हुए बताया।

"पीयूष! आठ बड़े अपराधियो का एक ही तरीके से मारा जाना,और सबसे बड़ी बात कि वह फावड़े लेकर जाते क्या करने है रात में कब्रिस्तान? कैरियर का सबसे पेंचीदा केस है यह! पर कुछ तो कनेक्शन जरूर है इनमे" बल पड़ते हुए माथे पर हाथ रखते हुए पुष्पक सोच में डूब गये।

तभी अचानक उनका माथा ठनका,फौरन घण्टी बजाकर इस केस से सम्बंधित अन्य पुलिसकर्मियों को बुलाया और फिर अपनी योजना बताई।
"इस कब्रिस्तान में जितने भी बड़े अपराधी मारे गए है,वह सब मारे जाने के कुछ दिन पहले ही सबूतों के अभाव में जेल से बरी हुए है,मतलब अगर हम इन लोगो को ट्रेस करे तो मामले की जड़ तक पहुंच सकते है,
सब इंस्पेक्टर रीमा तुम पिछले सात दिनों में उन अपराधियो का रिकॉर्ड ले कर आओ जो कोर्ट से बरी हुए है,
और पीयूष! मैने एक बात और नोटिस की है कि सारी मौते एक विशेष कब्र के सामने ही हुई है,उस कब्र से जुड़ी सारी जानकारी तुम लेकर आओ, और हां मुझे पैरानॉर्मल एक्टिविटीज का शक बहुत पहले से हो रहा है पर अब हमें इस पहलू पर भी जांच करनी होगी।"

दरअसल पुष्पक को भूतप्रेतों के अस्तित्व पर भी पूरा विश्वास था,
और वैसे भी एक समझदार इंसान जिसने दुनिया की संदिग्ध विभिन्न घटनाएं बहुत करीब से देखी हो उसके द्वारा कभी भी आत्माओ के अस्तित्व को नकारा ही नही जा सकता है।

कुछ घण्टो के बाद रीमा और पीयूष अपने सहयोगी कॉन्स्टेबलो के साथ फिर से उसी जगह थे।

"सर! इस हफ्ते शहर के दो बड़े अपराधी बरी हुए है एक तो पीटर था,और दूसरा एक सुपारी किलर है, पप्पन कालिया" पीयूष ने सूचना दी।

"गुड़ ! इस घटनाक्रम का अगला टारगेट पप्पन होने वाला है, आई एम स्योर, अभी कॉन्स्टेबल शंकर और गुलाब सिंह को ले जाओ और 24 घण्टे नजर रखो उस पर, ध्यान रखना शक न हो पाए....और रात में जैसे ही फावड़े के साथ निकले दबोच लो"

"यस सर" और वह तुरन्त ही दो कॉन्स्टेबल के साथ मिशन पर निकल गया।

अब पुष्पक के सामने रीमा ही थी,अचरज,अचंभे से भरी हुई,
उत्सुकता के साथ कुछ बताना चाहती थी
"सर! वह कब्र मोहसिन खान की है,आईआईटी टॉपर मोहसिन के अब्बा अम्मी की हत्या बचपन मे ही अपराधियो द्वारा जमीन हड़पने के उद्देश्य से कर दी गयी थी, अनाथालय में पले बढ़े मोहसिन के जीवन का उद्देश्य सभी किस्म के अपराधियों को सजा दिलवाना ही था, वह मानता था कि हमारी न्याय प्रणाली बहुत कमजोर है,अपराधी अपने रसूख का फायदा उठाकर सजा से बच जाते है।

आई आई टी के बाद उसने यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू भी दे दिया था...बस परिणाम आने की देर थी,
इसी दौरान उसने मीडिया में एक स्टेटमेंट दिया था कि उसने एक इंस्टेंट जस्टिस मॉडल तैयार किया है,जिसे यदि सरकार द्वारा न्याय व्यवस्था में लागू कर दिया जाता है तो ऐसे अपराधियो का बचना मुश्किल हो जाएगा....
पर वह चाहता था कि आई ए एस बनने के बाद इस मॉडल को सरकार को सौंपा जाए जिससे सरकार भी गम्भीरता से इसे स्वीकार करे।

सर, दरअसल यह मॉडल उसने भारतीय दंड संहिता और भारतीय संविधान पर काफी शोध करके तैयार किया था, मोहसिन के अनुसार कुछ ऐसे प्रावधान भी है ,जो पहले से ही भारतीय कानून में है पर कुछ कानूनी पेंचीदगी के कारण उनका इस्तेमाल न्यायपद्धति में नही किया जा पा रहा है,यदि इन प्रावधानों का इस्तेमाल संगीन अपराधियो के विरुद्ध किया जाए तो उनको कम सबूतों के बाद भी तत्काल सजा सुनाई जा सकेगी,
उसने अपने मॉडल में इन प्रावधानों के लागू होने आ रही अड़चनों को कानूनी ढंग से दूर करने का विस्तृत मास्टरप्लान तैयार किया था।

तब सर, मीडिया ने काफी चर्चित किया था मोहसिन को
इस के बाद शहर के कई अपराधियो ने मिलकर मोहसिन को दर्दनाक मौत दी,
उसको दस मंजिला इमारत से नीचे फेंक दिया गया उसकी मौत वाले दिन ही शाम को रिज़ल्ट आया था ,आई ए एस में टॉप 10 में स्थान मिला था मोहसिन को"

"ओह माय गॉड! और फिर जो काम वह जीते जी नही कर पाया मरने के बाद कर रहा है।" अवाक रह चुके पुष्पक ने गहरी सांस लेते हुए कहा

थोड़ी देर सोच में डूबे रहने के पुष्पक ने रीमा से कहा

"रीमा,इस बारे में तुम किसी को नही बताओगी,वायदा करो?"

आज जीवन मे पहली बार पुष्पक का सामना ऐसी विचित्र स्थिति से हुआ था,
अब अगर यह सारा प्रकरण अपने अधिकारियों को बताता तो उसकी विश्वसनीय छवि के आधार पर वह विश्वास तो कर लेंगे मगर फिर सारे कब्रिस्तान को तोड़ दिया जाता,और फिर अधिकारियों को अनाधिकारिक रूप से तांत्रिकों का सहारा भी लेना पड़ता।

"आखिर सही ही तो हो रहा है यह सब..जो अपराधी कानून को ठेंगा दिखाकर बच निकलते है सिर्फ उनको ही तो सजा दे रहा है मोहसिन का ये कब्रिस्तान" पुष्पक धीमी आवाज में बुदबुदाया।

अगले दिन रात को दस बजे पीयूष का कॉल आने के बाद पुष्पक पप्पन कालिया के घर के ठीक सामने था।

पुलिस टीम द्वारा फावड़ा लेकर जाते पप्पन को दबोच लिया गया था,
अब बारी थी उससे यह राज उगलवाने की कि आखिर किस वजह से यह लोग कब्रिस्तान जाते है।

थाने के टॉर्चर रूम में इस वक्त दो ही लोग थे इंस्पेक्टर पुष्पक और पप्पन कालिया
थर्ड डिग्री के इस्तेमाल के बाद काफी देर से बंद पप्पन का मुंह खुला तो रोते हुए बोला "मत मारो साहब...सात दिन से रोज सपना आ रहा है...शहर के बाहर वाला पुराना कब्रिस्तान दिखता है.....मोहसिन खान लिखी हुई एक कब्र भी दिखती है.....और साथ मे उसके अंदर अरबो रुपये का सोना भी दिखता है.....मेरा नाम लेकर एक आवाज आती है कि यह सब मेरा हो सकता है बस बिना किसी को कुछ बताए रात में आकर कब्र खोद कर निकाल लो....बस अकेले आना"

सारा माजरा पुष्पक के सामने था, बिना कुछ बोले ही पप्पन को जाने दिया....सबसे बोल दिया कि कोई जानकारी नही मिली बस..... पीयूष और रीमा भी स्थिति को समझ चुके थे पर उनकी मौन स्वीकृति पुष्पक के इस फैसले का समर्थन करती ही प्रतीत हो रही थी।

इस केस से जुड़ी जांच फाइल को अपने लाइटर से जलाने के बाद टेबल ओर बैठे इंस्पेक्टर साहब अब सिगरेट के गहरे कस मार रहे थे।

आगे होने वाली घटना से वाफिक इंस्पेक्टर पुष्पक ने रात में ही अपना सारा सामान पैक कर लिया था..

.सुबह कब्रिस्तान में एक और मौत की सूचना के साथ साथ उनको अपने ट्रांसफर की भी सूचना मिल चुकी थी,मरने वाला पप्पन कालिया ही था।

शाम को दूसरे शहर जाने निकली सामान से लदी हुई इंस्पेक्टर साहब की कार उसी कब्रिस्तान के बाहर खड़ी थी...
और वह मोहसिन खान की कब्र के ठीक सामने खड़े हुए मोहसिन को सैल्यूट कर रहे थे.
कब्र के ऊपर एक सफेद फूलों का गुलदस्ता भी रखा हुआ था,जो इंस्पेक्टर पुष्पक अपने साथ लेकर आये थे।

मोहसिन की कब्र के आसपास इस वक्त बहुत शान्ति थी, अपराधियो को सजा दिला सकने वाले उसके उद्देश्य की पूर्ति होने पर मिलने वाली शांति।

शहर में अब इंसाफ हो रहा था....कब्रिस्तान का इंसाफ।

(The end)