{ नमस्ते आप पढ़ने जा रहे है. एक ऐसी कहानी जो की एक सफर से शुरू होती है. जिसका नाम है. खोई हुई चाबी. दरअसल इस कहानी में कैसे क्या होगा वो आपको पढ़ने के बाद ही पता चलेगा. तो चलो आज का ये प्रोग्राम शुरू करते है... }
" एक शहर है जिसका नाम [ घुवाड़ ] है. उस गांव में राठौड़ नाम का परिवार रहता है. ऐसा नहीं है की सिर्फ राठौड़ नाम का ही परिवार रहता है. दूसरे भी जाति के लोग है. लेकिन अभी हम इस नाम के परिवार वालों की बात करने वाले है. तो फिर आइए मिलते है. इस राठौड़ परिवार वालो के लोग से... "
" अरे मिस्टर राठौड़ बदेसिंह आप ऐसे कैसे कर सकते है. देखो ये ठीक नहीं है. जैसे ही अभिनव ने ऐसा कहा उसी वक्त मिस्टर राठौड़ ने अभिनव शर्मा को झोर से एक चाटा मारा और फिर अभिनव ने पूछा की तुम्हारी इतनी जरूरत की तुमने हम पर हाथ उठाया. अभिनव ने तुरंत सिक्योरिटी को बुलाया और कहा कि... "
" सिक्योरिटी.. सिक्योरिटी... कहा मार गए सब के सब इस नॉनसेंस इंसान को बाहर निकालो वरना में इस को आज इतना मरूंगा ना की आप लोग इसको पहचान ने से इनकार कर दोगे... सिक्योरिटी ले गई मिस्टर राठौड़ बदे सिंह को लेकिन बदे सिंह को ना ये इस तरह निकलवा देने पर बहुत गुस्सा आया. और गुस्सा होकर बोला... "
" मिस्टर अभिनव शर्मा ये तुमने ठीक नही किया. में तुम्हे छोडूंगा नही... अभिनव बोला तुम जाते हो या में अपने अंदर के सैतान को जगाऊ... बाजू में एक सनी नाम का व्यक्ति खड़ा था. उसने कहा की... "
" अरे रुक जाओ भाई साहबो ऐसे क्यों लड़ रहे हो पता नही चलता आप दोनो की वजह से यहा पर कितना शोर शराबा हो रहा है. बंद करो ये शोर शराबा. वरना ठीक नही होगा हां. जब सनी ने ये बोला उसके बाद मिस्टर राठौड़ बदे सिंह तुरंत बोल पड़ा... "
अब तुम कोन हो भाई और कोनसा शोर शराबा कर दिया हम ने. अरे हम थोड़ा सा डिस्कस कर रहे थे. बस ओर कुछ नहीं. सनी ने कहा हां हां मैने देखा अभी क्या क्या हो रहा था. अभिनव बोला... "
" अच्छा है ना फिर आपने देखा है तो फिर आप इसको समझा लो वरना में इसको बहुत मरूंगा. फिर से बदे सिंह ने बोला... "
" चल ना भाई दिमाग मत खराब कर चल चल. उतने में अभिनव को ज्यादा गुस्सा आगया. और अपनी कुर्सी से उठ कर बदे सिंह को मारने दौड़ा. और फिर क्या था अभिनव ने एक झोर से चाटा मारा. उसके बाद दोनो के दोनो हाथा पाई करने लगे. वैसे सनी तो बाजू में खड़ा ही था. तो ज्यादा लड़ ने नही दिया. और फिर शांत कराने के लिए बोला की... "
" देखो पहले तो आप दोनो हमे ये बताओ की लड़ाई किस बात है भाई सहाबो. उतने में वो दोनो बोल पड़े की... "
" अरे इस महाशये ने एक बहुत ज़रूरी चाबी थी वो खो दी यार. अब क्या करेंगे...
( यह एक छोटी सी क्लिप बताई है. जो की कहानी के आखरी पन्नो पर आती है. तो अब हम आपसे पूछना चाहेंगे. की क्या होगा उस चाबी में. जो ये दोनो व्यक्ति इतनी देर से लड़ाई कर रहे थे??? कही ऐसा तो नहीं की ये दोनो किसी जादुई वाली चाबी को लेकर लड़ रहे थे. चलो आओ जानते. और हा एक बात तो आपको ही है ना की आपको कुछ नही करना है. आपको सिर्फ जानना है और बस मेहसूस करना है. )
" चाबी खो जाने की वजह से मिस्टर बदे सिंह राठौड़. और मिस्टर अभिनव शर्मा. बे हद परेशान थे. बाजू में खड़ा व्यक्ति सनी भी परेशान था. उन दोनो की लड़ाई की वजह से. बाद में शांत भी हो गए सनी के कहने पर. लेकिन फिर भी चाबी का कोई भी अता पता नहीं था. चाबी किसके हाथ में गई किस जगह पर है. मिलेगी भी या नहीं कुछ भी पता नहीं लग पाया था. बस अब उन लोगो के मन में एक ही सवाल था. की कुछ भी हो जाए लेकिन चाबी तो ढूंढ कर ही रहेंगे. बाजू में खड़े हुए सनी भाई ने भी यही बोला की... "
" ठीक है इस चीज के लिए तो में भी तैयार हु. कोई बात नही अगर उस चीज को ढूंढ ने में सालो लग जायेंगे तो भी. लेकिन चाबी को तो ढूंढ कर ही रहेंगे. सनी के इतने बोलने पर वो दोनो बदे सिंह राठौड़ और अभिनव शर्मा ने भी आपस मे सुलेः कर ली. ओर बोले... "
" चलो फिर हाथ मिलाओ आपस में और आरंभ करते है. इस जंग को. क्यू कि अब जो भी करना है हम तीनों को ही करना है. मिस्टर अभिनव शर्मा, मिस्टर बदे सिंह राठौड़, और मिस्टर सनी शर्मा तैयार तो हो गए थे. लेकिन उनको ये कहा पता था की ये जो खोई हुई चाबी खोजने वाले रास्ते पर कितनी मुसीबतें आने वाली है. खैर चलो फिर भी देखते हैं ये लोग एक चाबी के लिए कोन सी कोन सी प्रॉब्लम्स का सामना करते है.. शाम होने वाली थी सब ने देखा गढ़ी में तो समय भी समाप्त हो चुका था काम करने तो सब ने तय किया कि अब घर जाना होगा. फिर अभिनव ने बोला की... "
" ठीक है फिर हम चलते है हम काम है. आप लोग भी अब जाओ वक्त खत्म हुआ काम करने का ठीक है. और हा आज आप दोनो और में घर में बता देंगे की कल से हम तीनों एक जरूरी प्रॉजेक्ट में काम कर रहे है ठीक है. उन दोनो ने अभिनव की बात के लिए हमे सर हिलाया. और कहा की... "
" ठीक है फिर कल मिलेंगे. और हा मेरे भाई मेने आपको थप्पड़ मार दिया उसके लिए माफी चाहेंगे. बदे सिंह राठौड़ ने कहा... "
" अरे नही नही माफी तो हमे मांगनी चाहिए आपसे हमे माफ कीजिए आपको थप्पड़ मारा इस लिए. बाद में सनी बोल पड़ा की... "
" अरे चलो छोड़ो यार दोनो ने एक दूसरे को थप्पड़ मारा. बराबर हो गया हिसाब अब चलो घर. घर वाले हिसाब करेंगे हम लोगो का अगर वक्त पर घर नही पहुंचे तो ठीक है. फिर ये तीनों निकल जाते है. और शाम के 7 बजे हुए होते है. "
( फिर ये तीनों निकल जाते है. और शाम के 7 बजे हुए होते है. घुवाड़ शहर की बात करे तो. काली काली रात तो नही है. पर कही लाइट चालू है तो कही पर थोड़ी थोड़ी रोशनी है. क्यू की सूर्य इतनी जल्दी नही डूबता है. तो उसकी वजह से अंधेरा नही है. गर्मी का समय है. तो शाम को ठंडी हवाएं तो होनी ही है. और खुल्ले हाईवे रोड पर ट्रावेल करते हुए लोग. शाम का मौसम बढ़िया है. इसके सात इस भाग का ठहराव हम यही करते है. )
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