papa's angel in Hindi Moral Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | पापा की परी

Featured Books
Categories
Share

पापा की परी

 
बेटी निरमा की शादी हाल ही में हुई थी, कुछ दिनों बाद पहली बार पिता जी बेटी से मिलने उनके ससुराल पहुंचे
पिता जी को लगा था, मुझे देखते ही निरमा मेरे गले से लग जायेगी, अंत सोचते विचारते पिताजी बेटी के ससुराल पहुंचे घर में बैठते ही बेटी के बारे में पूछा तो उसकी सास ने बताया की निरमा रसोई घर में है, अभी बुला देती हूं...
सास ने निरमा को आवाज लगाई अन्दर से आवाज आई हांजी मम्मी जी निरमा जल्दी-जल्दी में बाहर आई पिताजी को देखते ही...
चेहरे पर चमक और खुशी साफ दिख रही थी, परंतु जैसे अपने घर पर मिलती वैसे चाह कर भी मिल नही पाई, निरमा पिताजी को नमस्ते बोलकर उनके साथ बैठी ही रही थी की सास ने कहा चाय बना लो अपने पिताजी के लिए थके हारे आए है...
निरमा उठी रसोई घर जाने के लिए, तभी पिताजी ने कहा बाद में बना लेना थोड़ी देर बैठ मेरे पास, बहुत दिन बाद तो आज देखा है अपनी लाडली को...
इतने में देवर ने बोल दिया भाभीजी मेरी पेंट इस्त्री नहीं की क्या आपने...
निरमा ने उत्तर दिया, क्षमा करें भईया...
भूल गई, अभी करती हूं ननंद ने भी हुकुम सा चलाते हुवे कहा मेरा भी सूट इस्त्री कर देना...
इतने निखिल की आवाज आई,
(निखिल, निरमा का पति)
निरमा खाना लगाओ...
बहुत जोर की भूख लगी है...
निरमा ने दबे स्वर में उतर दिया, हांजी आप बैठिए अभी लगती हूं,
पिताजी ये सब देख कर सोच में पड़ गए, की क्या ये मेरी...
वही बैठी है...
जो मुझे कहती थी में तो अपने ससुराल में आराम करूंगी जैसे यहां रहती हूं वैसे ही रहूंगी, अपनी मर्जी से सोऊंगी, उठूंगी, मन करेगा तो काम करूंगी, वरना नही करूंगी...
सब पर हुकुम चलाऊंगी में तो,
सोचते-सोचते पिताजी की आंखे भर आई, मन में विचार किया...
मैने जो विदा की थी, वो बेटी थी पर यहां जो मिली है, वो किसी की बहु हैं...
निरमा के रसोई घर में जाते ही पिता ने सबको नमस्ते की और जल्दी में हूँ...
कहकर चल पड़े क्योंकि एक पिता अपनी बेटी से मिलने आया था, जो उसे वहा नहीं मिली...
सत्य ही है हस्ती खेलती बेटियां, जिम्मेदारियो में बंध के सब भूल जाती है...