THE FINAL DESTINATION - LAST PART in Hindi Horror Stories by DINESH DIVAKAR books and stories PDF | द फाइनल डेस्टिनेशन - अंतिम भाग

Featured Books
Categories
Share

द फाइनल डेस्टिनेशन - अंतिम भाग

अब तक...
आदि अपने दोस्तों को उस मैप की मदद से उस जगह की जानकारी देता है जिससे वो उस जगह पर पहुंच सकें।
अब आगे....

सभी अपने अपने टेंट पर जाकर सो जाते हैं। चिड़ियों की चहचहाहट से उनकी नींद खुलती हैं सूरज की रौशनी चारों ओर धीरे धीरे फैल रही थी। झील और झरने से बहते पानी के कल कल की आवाज मन में शांति भर रहा है। जंगली फुलों की खुशबू मन को प्रफुल्लित कर रहा था सभी अपने टेंट से बाहर आए और उस मनोरम दृश्य का दीदार करने लगें।

राघव- अद्भुत, ऐसा नजारा मैंने आज तक नहीं देखा था !

कृति- हां सच में यह नजारा अद्वितीय है

आदि - हां वह तो है लेकिन चलो, जल्दी से सब रेडी हो जाओ हमें जल्दी ही अपने सफ़र पर निकलना होगा, सभी नहाने का समान लेकर झील की तरफ जाते हैं कुछ देर बाद वे सब नहा कर आते हैं। फिर खाने का इंतजाम कर वे सब तैयार होने लगते हैं अपने बैग में नायलॉन की मजबूत रस्सी, चाकू और खाने-पीने आदि का सामान रखते हैं।

पांचों दोस्त अपने सफर के लिए चल पड़ते हैं और करीब 15 मिनट के बाद वे उस पहाड़ी के पास पहुंच जाते हैं फिर वे अपने बैग से काटे से बंधा रस्सी निकालते हैं और उस पहाड़ी की ओर फेंकते हैं और धीरे-धीरे उस पहाड़ पर चढने लगते हैं फ्रेडी को छोड़कर बाकी सभी तेजी से उस पहाड़ पर चढ़ जाते हैं तभी अचानक फ्रेडी का हाथ रस्सी से छूटने लगता है लेकिन राघव फुर्ती से उसका हाथ पकड़ लेता है और आदि की मदद से फ्रेडी को उपर खींच लेता है

आदि - क्या यार फ्रेडी इतनी जल्दी मरना चाहते हो क्या !!

सानिया- आदि....😡😡

आदि- ओके ओके सॉरी... चलो अब आगे बढ़ते हैं

वे आगे बढ़ने लगते हैं सामने वह शांत ज्वालामुखी था वे उसी किनारे से होते हुए आगे बढ़ जाते हैं।

आदि- तो पहला पड़ाव पार कर लिया अब दूसरा पड़ाव उस जंगल के अंदर चलते हैं सभी तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं थोड़ी देर आगे चलने के बाद दूसरा पड़ाव सामने आया एकदम सघन जंगल और विशाल.. दूर से ऐसा लग रहा था जैसे उसके अंदर कोई रास्ता ही नहीं हो.. पांचो तेजी से आगे बढ़ने लगे। उस जंगल में प्रवेश करने के बाद ऐसा लग रहा था जैसे शाम हो गई हो।

राघव- अब समझा इसे सहन जंगल क्यों कहते हैं ! यह इतने सघन जो हैं और ऊपर से ये पत्तेदार झाड़ियां

कृति- हम्म...

पांचों दोस्त आगे बढ़े काफी देर तक आगे चलने के बाद भी वे उस जंगल से बाहर नहीं निकल पाए जहां भी रुक कर आसपास देखते तो ऐसा लगता जैसे अभी तो इसी रास्ते से गुजरे हैं। 1 घंटे तक वह ऐसे ही चलते रहे लेकिन उस जंगल से बाहर नहीं निकल पाए। कृति और सानिया वही थक कर बैठ गए

कृति- अब मुझसे और नहीं चला जाएगा

सानिया- हां.. कब से हम चले जा रहे हैं लेकिन इस जंगल से बाहर ही नहीं निकल पा रहे!!

आदि मैप देखते हुए बोला - इस मैप के हिसाब से तो हमें यह जंगल आधे घंटे में पार कर लेना चाहिए था ??

राघव- हम कहीं भूल भुलैया में तो नहीं फंस गए.. कहते हैं ऐसे जंगलों में लोग खो जाते हैं जिस जगह से जाते हैं पुनः उसी जगह में पहुंच जाते हैं

फ्रेडी- मेरी दादी मां कहती थी कि जब भी किसी भुल भुल‌इया में फंस जाओ तो अपने आंखों और अपने पैरों को प पानी से धो लो क्योंकि भुल भुल‌इया की जगह में मौजूद कुछ अज्ञात तत्व हमारे आंखों को भ्रमित कर देता है जिससे हम उसी जगह फंस जाते हैं

सभी अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर अपने आंखों को और अपने पैरों को धोते हैं फिर पानी पीकर थोड़ी देर आराम करके वे आगे बढ़ने लगते हैं और सचमुच 10 मिनट के अंदर वे उस जंगल से बाहर निकल आते हैं लेकिन जहां वे बैठे थे उनसे कुछ दूर पर एक आदमी की बहुत पुरानी कंकाल पड़ी हुई थी जिस पर बहुत सारे कीड़े-मकोड़े बैठे हुए थे वे उस हड्डियों को चबा चबाकर खा रहे थे और कुछ ही देर में उस कंकाल का नामोनिशान मिट गया !!!

सानिया - अरे वाह फ्रेडी तुम्हारी दादी का यह नुस्खा तो बहुत कमाल का है।

फ्रेडी - हां आखिर दादी किसकी है

सभी खिलखिला कर हंस पड़े।

राघव - तो दूसरा पड़ाव भी पार हो गया अब तीसरे पड़ाव को पार करना है

प्रीति - हां उस लैंड को

आदि- तो फिर चलो

पांचों दोस्त अपने अगले पड़ाव की ओर पड़ते हैं सामने चारों ओर बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए थे और बड़े बड़े पहाड़ पर्वत भी थे साथ ही छोटे-छोटे हरे हरे घास जो मन को आनंदित कर रहा था सभी इस पल को अपने कैमरे में कैद कर रहे थे।

वे सभी उस छोटे बड़े पत्थरों पर चढ़कर आगे बढ़ने लगे। काफी देर तक चलने के बाद वे एक रहस्यमयी जगह पर पहुंच जाते हैं। सामने काले पत्थरों का ढेर था और बड़ी बड़ी गुफाएं जो काफी लंबी थी। शाम होने में अभी कुछ समय शेष था।

वहीं उन पहाड़ों के बीच में एक बड़े से गुफे के अंदर एक बहुत बड़ा और लम्बा सांप का खोल (केचुली) पड़ा था।

आदि मैप देखने लगा

आदि मैप को देखने लगा, उसकी चेहरे पर खुशी छा गई

आदि- हम लोगों ने कर दिखाया, अब हम अपनी मंजिल से बस कुछ ही कदम दूर है ‌

राघव- तो अब हमें किस तरफ जाना है ?

आदि- इसके बाद का रास्ता हमें स्वयं ढूंढना पड़ेगा वो रास्ता यही कहीं है ...

सानिया- हमें अलग अलग होकर उस जगह को ढूंढना चाहिए, इससे हम जल्दी ही उस जगह को पहुंच जाएंगे।

फ्रेडी - हां तुम सही कह रही हो सानिया।

कृति- तो फिर चलों जल्दी से अपने अपने कामों में लग जाओ।

सभी चारों ओर फैल जाते हैं और सभी गुफाओं में जाकर उस अज्ञात रास्ते को ढूंढने लगे, लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी उन्हें वे जगह नहीं मिला। सभी एक जगह इकट्ठा हो गए

आदि- किसी को रास्ता मिला ?

कृति- नहीं..

सानिया- कहीं ऐसा तो नहीं इस मैप का नक्शा गलत हो नहीं तो अभी तक हमें वो रास्ता मिल जाना चाहिए था।

आदि- नहीं ऐसा कैसे हो सकता है। आदि अधीर होकर मैप को उलट पलट कर देखने लगा।

कृति- शायद हम उस जगह को कभी नहीं ढूंढ पाएंगे, हमें वापस चलना चाहिए।

आदि- लेकिन...

सानिया- हम समझ सकते हैं तुम्हारे लिए ये कितना इम्पार्टेंट था। लेकिन हमें वापस जाना चाहिए

सभी निराश होकर वापस जाने लगते हैं। तभी कृति बोल पड़ी- एक मिनट राघव कहा है ?

सभी इधर उधर देखने लगे।

आदि- अरे हां राघव कहा है !

सभी राघव को ढूंढने लगे लेकिन राघव कहीं नहीं मिला तभी एक आवाज आई - हे दोस्तों मुझे वो रास्ता मिल गया 😎

आदि- क्या !😍 ,मैं जानता था ये मैप गलत नहीं हो सकता है।

सभी राघव की ओर भागे जो एक बहुत बड़े और विशाल गुफा के सामने था। वे तेजी से राघव के पास पहुंच गए।

राघव - ये रहा वो रास्ता इन लताओं के अंदर, ऐसा कहकर राघव ने उन लताओं को वहां से हटा दिया। सामने एक बहुत बड़ी पत्थर की दिवार थी। जिस पर बहुत सारे शिल्प कृति छपे हुए थे।

आदि- आखिरकार हमने इस जगह को ढूढ निकाला।

कृति- हां चलो अब जल्दी से इस दरवाजे को खोलो।

सभी एक साथ उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करने लगें लेकिन वह दरवाजा टस से मस नहीं हुआ।

सानिया- अरे यह दरवाजा तो खुल ही नहीं रहा!

राघव आसपास के लताओं को हटाकर देखने लगा तभी उसे उस दीवार पर एक चौकोन आकार का शेप दिखाई दिया, राघव को पता नहीं क्या सूझा उसने वह पुस्तक जिसको वे साथ लाए थे उस जगह लगा दिया। तभी कुछ आवाज आई लेकिन वो दरवाजा वैसा का वैसा था।

आदि- इससे भी यह दरवाजा नहीं खुला, अब यह कैसे खुलेगा।

तब राघव के मूंह से अनायास ही निकल गया- द फाइनल डेस्टिनेशन !!!

इससे जैसे कुछ जादू सा हुआ दरवाजा खुलने की आवाज से वो दरवाजा खुलने लगा। राघव ने वह पुस्तक फिर से अपने बैग में डाल दिया।

सभी के चेहरों पर खुशी छा गई वे उस दरवाजे को पार करते हुए आगे बढ़े। सामने रहस्यमय तरीके से बने मूर्तियां रखे हुए थे और दीवार पर अनेक शिल्पकला छपे हुए थे वहां थोडा अंधेरा था लेकिन वहां कछ था जो चमक रहा था। वे पांचों वहां के सभी मूर्तियों और शिल्पकला को देखने लगें लेकिन राघव उस चमक दार रौशनी की ओर बढ़ रहा था।

तभी उसने देखा सामने एक पत्थर के उपर एक पात्र में कुछ द्रव भरा हुआ था वो रौशनी उसी से आ रही थी। वह उसके पास पहुंच गया और उसे देखने लगा, उस द्रव्य का जैसे उस पर कुछ जादू सा हुआ,वह उस द्रव्य को जैसे ही छूने के लिए हाथ बढाया तो उस पात्र को छूने के बाद वह गिर पड़ा उसे चक्कर आने लगे उसे कुछ धुंधला धुंधला दिखाई देने लगा, कुछ लोग तेजी से भाग रहे थे और जोर जोर से चिल्ला रहे थे वे किसी जंगल में थे उनके चेहरों पर मौत का खौफ था और अपने किसी खास व्यक्ति की मौत का दूख भी। तभी उनका चेहरा साफ साफ दिखाई देने लगा!! पर ये क्या ये तो राघव आदि कृति और सानिया थे।

राघव अपने सर को पकड़ कर उठ गया। उसे देखकर कृति उसके पास आई और बोली- राघव क्या हुआ तुम ठीक हो ना ???

राघव को थोडा अच्छा लगा वह बोला- हां मैं ठीक हूं

इसके बाद वह उन शिल्पकला को देखने लगा। जिसमें कुछ लोग एप पहाड पर चढ़ रहे हैं जिसके कुछ दूर पर एक ज्वालामुखी पर्वत था। फिर दूसरे शिल्प में वे एक जंगल से गुजरने लगें। फिर तीसरे में वे क‌ई पहाड़ियों के बीच में पहुंच जाते हैं।

राघव सोचने लगा- अरे ये तो यहां आने का रास्ता है जिससे हम यहां आए हैं !!

राघव फिर आगे वाले शिल्पकला को देखने लगा उसमें वे लोग एक गुफा के अंदर पहुंच जाते हैं और तभी एक बड़े सांप उसमें से कुछ इंसानों को खा जाता है राघव ये देखकर थोड़ा घबरा जाता है फिर वह आगे के चित्रों को देखने लगा जिसमें वे इंसान वहां से भाग रहे थे। इसके बाद कोई चित्र नहीं छपा था राघव इधर उधर देखने लगा तभी उस दीवार पर कुछ लिखा था राघव उसे पढ़ने लगा - द फाइनल डेस्टिनेशन, मतलब आखिरी लक्ष्य। जो भी इस जगह पर पहुंच गया मतलब उसने अपने आखिरी लक्ष्य को प्राप्त कर लिया। आख़िरी लक्ष्य का मतलब है मौत जो भी इस जगह पर पहुंचता है उसे इनाम में आखिरी लक्ष्य प्राप्त होता है यानी कि मौत ☠️

यह पढकर राघव बुरी तरह घबरा गया। वह घबराते हुए बोला - दोस्तों मुझे यह जगह सही नहीं लग रहा है हमें यहां से जल्दी ही निकल जाना चाहिए 🤕

आदि- तूं क्या कह रहा है राघव अभी कहानी तो यहां पहुंचे हैं अभी तो इस जगह पर पहुंने के लिए जश्न मनाना बाकी है।

राघव- जरा यहां आकर इस शिल्प कृतियों को देखो। आदि उन शिल्प कृतियों को देखने लगा फिर बोला- ये.....

इससे पहले आदि कुछ बोलता फ्रेडी की चीख सुनाई दिया- बचाओ नहीं छोड़ दो मुझे

सभी चौंकते हुए फ्रेडी की ओर देखने लगें तभी उन्हें झटका लगा एक विशाल एनाकोंडा ने फ्रेडी को एक ही झटके में अपने मुंह में भर लिया और फ्रेडी की आवाज उस गुफा में गुजंने लगीं। इस दृश्य ने सभी को डरा दिया चारों को कुछ सुझ ही नहीं रहा था कि अचानक ये क्या हो गया।

तभी राघव चिल्लाया- भागों यहां से

ये सुनकर जैसे वे होश में आए वे तेजी से वहां से भागने लगे और वह एनाकोंडा फुफकारते हुए उनके पीछे जाने लगा। वे तेजी से उस गुफा से निकलें और बेतहाशा भागने लगे। वह सांप भी उनका पीछा करने लगा तभी सानिया एक बड़े पत्थर से गिर पड़ी उसके सिर पर काफी चोट आई वह दर्द से कराह उठी उसे कराहते हुए देखकर राघव कृति और आदि मूड कर पीछे देखने लगे। सानिया को देखकर आदि उसके पास दौड़ा लेकिन राघव ने उसे रोक लिया। सानिया दर्द से कराहती रही तभी वह सांप वहां तेजी से आया और सानिया को एक ही सांस में निगल गया।

ये देख कर आदि चीख पड़ा लेकिन राघव ने उसे समझाया- अभी रोने का वक्त नहीं है हमें यहां से कैसे भी करके निकलना होगा नहीं तो ये एनाकोंडा हमें भी अपना शिकार बना लेगा

वे तीनों तेजी से भागने लगे अब वो एनाकोंडा काफी पिछे छूट गया वे उस सघन जंगल में पहुंच गए राघव सबसे आगे था फिर आदि और उसके बाद कृति। कृति भागते हुए थक गई वह वहीं रूककर सांस लेने लगी उसने पीछे देखा तो वो सांप दिखाई नहीं दिया उसने राहत की सांस ली फिर आदि और राघव को देखने लगी वो वहां नहीं थे वे आगे निकल चुके थे।

कृति घबराते हुए उस जंगल से निकलने लगी लेकिन दुर्भाग्यवश वह फिर उस भुल भुल‌इया में फंस गई काफी देर तक जब वह उस जंगल से नहीं निकली तो उसे याद आया कि वह भुल भुल‌इया में फंस गई है उसने अपने बैंग को देखने लगी लेकिन ये क्या वह तो अपना बैग उस गुफा में ही छोड़ आई है।


वह डर गई लेकिन अपने पसीने से अपने आंखों को साफ करने की कोशिश करने लगी जिससे वह एक झाड़ी से टकरा कर गिर गई उसके शरीर पर कुछ खरोंचे आई वह वहीं गिर पड़ी। जहां पर कृति को खरोंचे आई थी वह जगह तेजी से दर्द करने लगा उसकी आंखे दर्द के मारे लाल हो गई। वह उठ कर चल भी नहीं पा रही थी, थोड़ी ही देर में उसके मुंह से झाग आने लगी। उसे बहुत दर्द होने लगा वह कुछ बोल भी नहीं पा रही थी।

तभी वहां बहुत सारे कीड़े-मकोड़े वहां आ गए और कृति के शरीर पर चढ़ गए और उसके शरीर को खाने लगें कृति दर्द से पागल हो रही थी। लेकिन वह कुछ भी नहीं कर पा रही थी कुछ ही देर में उन कीड़े-मकोड़े ने कृति के शरीर का नामोनिशान मिटा दिया।

(दरअसल वे पत्तेदार झाड़ियां जहरीली थी जिससे कृति के शरीर में उस झाड़ियों से खरोचें आने से जहर उसके शरीर में फ़ैल गई और उस खतरनाक कीड़े-मकोड़ो ने कृति के शरीर को खा लिया।)

इधर आदि और राघव बहुत दूर निकल ग‌ए तब उन्हें कृति की याद आई वे रूककर कृति कृति चिल्लाने लगे लेकिन कृति तो हमेशा के लिए शांत हो गई थी राघव वही गिर पड़ा उन दोनों को पता चल गया अब वो भी उसका शिकार हो ग‌ई है।

राघव अपने प्यार को यूं खोकर वहीं बैठकर रोने लगा तब आदि ने उसे चुप कराया और समझाने लगा- हम दोनों ने अपने तीनों फिर दोस्तों को खोया है जिसका दर्द हमेशा हमारे सिने में रहेगा लेकिन अभी हमें यहां से निकलना होगा नहीं तो हम भी मारें जाएंगे।

राघव लगभग चीखते हुए बोला- मैंने पहले ही बोला था तुम लोगों को की यह जगह ठीक नहीं है लेकिन तुम लोग नहीं माने अगर मेरी बात मान लेते तो वो तीनों जिंदा होते। अब जाओ यहां से मुझे अकेला छोड दो😫

आदि- लेकिन राघव...

राघव- मैंने बोला ना मुझे अकेला छोड दो 😡

आदि राघव को अकेला छोड़कर वापस आने लगा वह उस पहाड़ी तक पहुंच गया और उस रस्सी के सहारे नीचे उतरने लगा तभी वह शांत ज्वालामुखी एकदम से जाग उठा और तेजी से उसकी लावा चारों ओर बहने लगी आदि इस बात से अंजान उस पहाड़ी से नीचे उतर रहा था तभी वह लावा बहते हुए उस पहाड़ी तक आ गई आदि यह देखकर सहम गया वह तेजी से नीचे उतरने लगा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी वह लावा तेजी से बहते हुए आगे बढ़ गई और आदि उसी में जलकर खाक हो गया लेकिन उस पुस्तक को कुछ नहीं हुआ और वह लावा के साथ बहते हुए नदी में बह गया।

राघव काफी देर तक रोता रहा फिर उसे कुछ चित्र दिखाई देने लगा जिसे उसने उस गुफा में देखा था जिसमें एक पात्र में रखें द्रव्य को एक इंसान उस सांप पर झिड़क रहा था जिसके बाद वह सांप अदृश्य हो गया अर्थात् मर गया।

राघव अपने आंसूओं को पोंछते हुए उठ गया- मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा कमीने, तुमने मेरे दोस्तों को मार डाला अब मैं इसका बदला लूंगा।

राघव तेजी से उसी रास्ते की ओर चल पड़ा कुछ ही देर में वह उस सघन जंगल में पहुंच गया तभी उसकी नज़र एक मनुष्य कंकाल के बचें कुछ अवशेष पर पड़े जिसमें बहुत सारे कीड़े-मकोड़े बैठे थे राघव की नजर उस कंकाल के पास पड़े एक सोने के लाकेट पर पड़ी जिसे राघव ने कृति को दिया था। राघव के आंखों में फिर से आंसू बह चलें वह उस लाकेट को अपने साथ रख कर आगे बढ़ा। कुछ ही देर में वह उस पहाड़ियों के बीच पहुंच गया तभी वह फुर्ती से एक पत्थर के नीचे झुप गया उन पहाड़ियों के बीच में वह एनाकोंडा बैठा अपने आहार को पचा रहा था।

राघव उसे गुस्से से देखते हुए वहां से छुपते छुपाते उस गुफ़ा तक पहुंच गया और तेजी से उस स गुफा के अंदर जाने लगा लेकिन दुर्भाग्यवश उस सांप की नजर राघव पर पड़ चुकी थी। राघव तेजी से उस जगह पर पहुंचा और उस पात्र में रखें द्रव्य को अपने हाथों में ले लिया। तभी गुफा में एक आवाज गुजी जिससे राघव चौक गया और उसके हाथों से वो पात्र निचे गिर पड़ा लेकिन वह टूटा नहीं,

राघव पीछे देखा तो सामने वह साप था वह तेजी से राघव को मारने के लिए दौड़ा, इधर राघव ने झट से वह पात्र अपने हाथों में ले लिया लेकिन वह वहां से भाग पाता इससे पहले ही वह साप उसे निगल गया था। राघव को निगलने के बाद वह सांप वहां से जाने लगा तभी उसका शरीर धीरे-धीरे जलने लगा और थोड़ी ही देर में वह राख बन गया और उसमें से राघव सुरक्षित बाहर निकाल आया लेकिन उसे काफी चोटे आई थी राघव उस पात्र को देखने लगा जो खाली था, जब उस सांप ने उसे निगल लिया तो राघव ने उस द्रव्य को उसके पेट में डाल दिया जिससे वह मर गया।

राघव अपने दोस्तों के मौत का बदला ले चुका था वह अब वापस लौटने लगा। लेकिन अभी कहानी खत्म नहीं हुआ है उस गुफ़ा के अंदर वो दोनों आत्माएं भयंकर स्वर में अट्टहास कर रहे थे।

राघव चलते चलते कुछ ही देर में उस जंगल में पहुंच गया उसके पैरों में काफी गहरी चोट थी वह आगे बढ़ने लगा तभी एक बेल की लता से उसका पैर फंस गया और वह झाड़ियों में गिर गया उसके शरीर में कुछ खरोंच आईं लेकिन वह उसे इग्नोर करते हुए आगे बढ़ा कुछ ही देर में वह उस ज्वालामुखी के पास पहुंच गया जो अभी शांत हो चुका था वह जैसे तैसे उस पहाड़ी से नीचे उतरा और अपने गाड़ी की ओर बढ़ने लगा लेकिन उस जहरीली झाड़ियों के जहर क वजह से उसे सब धुंधला धुंधला दिखाई देने लगा उसका गला प्यास से सूझने लगा

उसे साफ साफ कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह कभी कभी पत्थरों से टकराकर गिर पड़ता, उसे बहुत प्यास लगी थी वह सड़क के किनारे पहुंच चुका वहां उसे बहते हुए पानी की आवक सुनाई दिया। राघव उस बहते हुए नदी के पास पहुचा और पानी पीने लगा, इससे उसे काफी अच्छा लगा वह वहीं लेट गया। वह आसपास देखने लगा वह सड़क के किनारे था उसे कुछ याद आया वह सपना जिसमें कैसे वो उस ट्रक के नीचे दब जाता है वह हड़बड़ा कर उपर देखने लगता है लेकिन ऊपर सड़क से तो कुछ आवाज नहीं आ रहा था उसे थोड़ी राहत मिली।

लेकिन तभी ट्रक की आवाज आई राघव घबरा कर उपर देखने लगा, उपर से एक ट्रक तेजी से नीचे गिर रहा था राघव वहां से भागने लगा लेकिन उससे पहले ही ट्रक उसके उपर गिर गया। राघव की चीखें चारों ओर गुजंने लगी और थोड़ी देर में वह आवाज शांत हो गई।

" क्या " विनोद और श्रद्धा ये सुनकर बुरी तरह चौंक गए।

विनोद राघव को देखते हुए बोला- आप झूठ बोल रहे हैं की आप उस हादसे में मारें ग‌ए है लेकिन आप तो सही सलामत यहां बैठे हैं।

राघव मुस्कुराते हुए बोला- मैं बिल्कुल सच बोल रहा हूं यक़ीन नहीं है तो...

विनोद राघव की बात को काटते हुए बोला- सुबह हो गई है अब हमें अपने मंजिल की ओर बढ़ना चाहिए वैसे भी काफी देर हो चुकी है

श्रद्धा भी डरते हुए बोली - हां हमें अब चलना चाहिए। बहुत समय हो गया

विनोद और श्रद्धा घबराते हुए वहां से ज़रूरी समानों को अपने साथ लेकर निकले और उस पर्वत पर चढने लगें उन्हें थोड़ा डर लग रहा था लेकिन वे फिर भी आगे बढ़ते रहे, इधर राघव मुस्कुराते हुए गायब हो गया।🤫

काफी देर तक उस माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के बाद आखिरकार उन्हें सफलता मिली और वे माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ गए। दोनों बहुत खुश लग रहे थे। तभी एक आवाज ने उन्हें बुरी तरह चौंका दिया - आखिरकार तुम दोनों ने अपनी लक्ष्य को प्राप्त कर लिया,वह राघव था

विनोद राघव को वहां देखकर घबरा गया- तु...तुम... यहां.... कैसे..🤕

लेकिन राघव उसकी बातों को अनदेखा करते हुए मुस्कुराते हुए बोला- लेकिन तुम नहीं जानते इस जगह पर पहुंच कर तुमने अपना सपना पूरा नहीं किया है बल्कि यही तुम्हारी आखिरी लक्ष्य था आखिरी लक्ष्य यानी मौत .........

विनोद- ये तुम क्या कह रहे हों !!!......🤕

तभी आसमान से बर्फ के नुकिले नुकिले तुकडो की बरसात होने लगी और विनोद और श्रद्धा कुछ समय पाते इससे पहले ही उन नुकिले बर्फ ने उनके शरीर को छल्ली कर दिया था। वो राघव को देखने लगें तभी जिस जगह पर वे खड़े थे उतना भाग उस पर्वत से कटकर गिर पड़ा साथ ही विनोद और श्रद्धा भी।

राघव के साथ वहां उसके बाक़ी दोस्त आदि कृति सानिया और फ्रेडी भी प्रगट हो ग‌ए। राघव उस घटना को याद करने लगा जब वह ट्रक उसके उपर गिरा था तब वहां वो दोनों आत्माएं प्रगट हुई - मौत के खेल में तुम्हारा स्वागत है। आखिरकार तुम लोगों ने अपने आखिरी लक्ष्य को प्राप्त कर लिया, अब तुम्हें मुक्ति तभी मिलेगी जब तुम तुम्हारे ही जैसे पांच लोगों को इस आखिरी लक्ष्य तक पहुंचाओ उसके बाद वे पांचों भी किसी पांच को उनके आखिरी लक्ष्य तक पहुंचाएंगे, ऐसे ही ये मौत का खेल हमेशा चलता रहेगा हां हां हां हां......

राघव और उसके दोस्त अब गायब होने लगें उनकी आत्मा को अब शांति मिल गई। इधर विनोद श्रद्धा नीचे बर्फ पर गिर पड़े उनका खून सफेद बर्फ को लाल कर दिया उन दोनों की बाड़ी से कुछ दूर पर उनके तीन दोस्तों की लाश पड़ी थी जो आधे रास्ते से ही वापस आ गए थे।

1 साल बाद

कुछ दोस्त नदी किनारे बीच पर खेल रहे थे तभी एक लड़के की नजर नदी किनारे किसी चिज पर पड़ी जो रेत से ढका हुआ था वह उस जगह पर जाकर उस रेत को हटाने लगा वहां एक पुस्तक था वह उसे साफ करने लगा उस पुस्तक का नाम था द फाइनल डेस्टिनेशन

वह मुस्कुराते हुए उस पुस्तक को देखने लगा फिर अपने दोस्तों को बोला - हे दोस्तों इस हालिडे हम एक रहस्यमय एडवेंचर पर जाएंगे।

एक दोस्त बोला - सच में वह रहस्यमय है

वह लड़का पुस्तक की ओर देखते हुए बोला - हां बिल्कुल

तब दूसरा दोस्त बोला - अच्छा जरा उस जगह का नाम तो बताओं ??

वह लड़का बोला-
"द फाइनल डेस्टिनेशन"

®®®Ꭰɪɴᴇꜱʜ Ꭰɪᴠᴀᴋᴀʀ"Ᏼᴜɴɴʏ"✍️

तो यह भाग आपको कैसा लगा उम्मीद है आपको पसंद आया होगा मुझे कमेंट करके जरूर बताइएगा तो चलिए पढ़ते हैं इस कहानी का अगला भाग और जानते हैं आगे क्या हुआ....