Khushboo (Mother's Teachings to Daughter) in Hindi Moral Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | खुशबू (बेटी को मां की शिक्षा)

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खुशबू (बेटी को मां की शिक्षा)

खुशबू: - बेटी को मां की शिक्षा
 
एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुयें, महिला ने अपनी बच्ची (पायल) से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैसे दी, पायल कार से उतरतें ही,
अरें बुढिया यें सब्जी कैसे दी?
साठ रूपयें किलों, बेबी जी...
सब्जी लेते ही, उस पायल ने पचास-पचास रूपयें के दो नोट, उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया, और आकर कार पर बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के सीसे पर दस्तक दी,
एक छोटी सी बच्ची (खुशबू) जो हाथ में बीस-बीस रूपयें के दो नोट कार में बैठी उस औरत को देते हुये, बोलती हैं आंटी जी यें आपके सब्जी के बचें चालीस रूपयें हैं, आपकी बेटी भूल आयी हैं,
कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लों, तभी खुशबू बड़ी ही मिठी और सभ्यता से कहा, नहीं आंटी जी हमारें जितने पैंसे बनते थें हमने ले लियें हमें, हम इसे नहीं रख सकतें, मैं आपकी आभारी हूं, आप हमारी दुकान पर आए, आशा करती हूं, की सब्जी आपको अच्छी लगें, जिससे आप हमारें ही दुकान पर हमेशा आए, उस खुशबू ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान लौट गयी...
कार में बैठी महिला उस खुशबू से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी, जैसें ही वहाँ पास गयी, सब्जी वाली महिला, खुशबू को पूछते हुयें कहा, तुमने तमीज से बात की ना, कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया ना?
खुशबू ने कहा, हाँ माँ मुझे आपकी सिखाई हर बात याद हैं, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो, उनसे सभ्यता से बात करो, उनका सम्मान करो, क्योंकि बड़े बुजर्ग सम्मानीय ही होते हैं, मुझे आपकी सारी बात याद हैं, और मैं सदैव इन बातों का याद रखूगीं,
खुशबू ने फिर कहा, अच्छा माँ अब मैं विद्यालय चलती हूं, जैसे ही विद्यालय से छुट्टी होती है, दुकान पर आ जाऊंगी...
कार वाली महिला शर्म से पानी-पानी थी, क्योंकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी (खुशबू) को, इंसानियत और बड़ों से बात करने शिष्टाचार करने का पाठ सीखा रही थी, और वो अपने अपनी बेटी (पायल) को छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच का मन में बीज बो रही थी...
 
गौर करना दोस्तों...
सबसे अच्छा तो वो कहलाता हैं, जो आसमान पर भी रहता हैं, और जमींन से भी जुड़ा रहता है।
"बस इंसानियत, भाईचारें, सभ्यता, आचरण, वाणी में मिठास, सब की इज्जत करने की सीख दीजिए, अपने बच्चों को, क्योंकि अब बस यहीं पढ़ाई हैं, जो आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा ही मुश्किल होगी, इसे पढ़ने इसे याद रखने इसे ग्रहण करने में, और जीवन को उपयोगी बनानें में...