Sleep in Hindi Moral Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | सोना

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सोना



भोला नाम का ही भोला नही था सीधा साधा व्यक्तित्व निष्पाप या यूं कहें कि उसे आधुनिकता और विकसित होते राष्ट्र समाज का कोई भान नही था ।।वह दुनियां के छल प्रपंच कपट से दूर धर्म भीरू और भगवान से डरने वाला उसके चार बेटे रामू ,श्यामू,करन और शिव चरण थे भोला का भाई बड़ा भाई था बलि बलि के दो बेटे बृन्दा और भैरब थे भोला नाम एव आचरण से जितना सीधा सज्जन था बड़ा भाई उतना ही कुटिल और कपटी था भोला और बलि के पिता मैंखु के पास दो बीघा पुश्तैनी जमीन थी जिसे बलि और भोला के बीच बराबर बराबर बटनी थी मगर पिता मैंखु के मरने के बाद बलि ने छल और धोखे से भोले से
स्टैम्प पेपर पर दस्तखत करा लिया और पैतृक जमीन पर सिर्फ अपना नाम चढवा लिया जब सभी सरकारी कागज पैतृक संपत्ति संबंधित बलि ने दुरुस्त करा लिया तब उसने भोला से घर खली कर बाहर जाने के लिए कहा
भोला को संमझ मे नही आ रहा था कि वह क्या करे जीविकोपार्जन के लिए पुष्टिनीं जमीन तो बड़े भाई ने धोखे से हड़प थी अब सर पर छत भी छीन कर लावारिस बना दिया भोला कर भी क्या सकता था बच्चे छोटे छोटे थे जिनको दुनियादारी की बिल्कुल संमझ नही थी भोला भाग्य और समय को भी नही कोसता बिना बड़े भाई का कोई विरोध किये लुगाई सोना से बोला चलो गांव के बाहर बरगद के पेड़ के निचे चलते है भगवान कोई न कोई इस बिपत्ति का हल अवश्य देगा और बड़े भाई बलि और भौजाई मैना के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए बोला भगवान राम की खातिर भाई भरत ने राज पाठ छोड़ दिया था बड़े भाई और भौजाई माँ बापू से कम नही होते है उनकी खातिर त कुछो किया जा सकता है और गदबेरा चारो छोटे छोटे बच्चों को सोना के साथ गांव के बाहर बरगद के पेड़ के निचे आ गया कहते है कि जैसा बीज होता है वैसा ही फल होता है बड़े भाई बलि के बेटे बृन्दा और भैरव और पत्नी मैना ने भोला के घर से बाहर निकलते समय सारा घरेलू सामान जबरन यह कह कर रखवा लिया कि पिता मैंखु के किसी सामान में उंसे कुछ भी नही मिलेगा भोला सोना के तन पर जो कपड़ा था वही उसकी अपनी संपत्ति थी जिसके साथ भोला घर से निकला तेज सर्दी पड़ रही थी रात के खाने के लिये भी कुछ नही था बरगद के पेड़ के नीचे कुछ भी ऐसा नही था जिससे कि सर्दी से बचा जा सके ज्यो ज्यो रात ढल रही थी सर्दी बढ़ती जा रही थी छोटे छोटे बच्चे ठंठ के मारे कांप रहे थे साथ ही साथ भूंख से बिलख रहे थे लेकिन भोला करता भी क्या रात को गांव में कोई उसकी क्यो मदद करता जबकि सगे भाई ने उंसे इस स्थिति में ला खड़ा कर दिया था सोना को बच्चों की दशा देखी नही जा रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी भोला ने आस पास से कुछ बरगद के पत्ते और छोटे छोटे लकड़ी के टुकड़ो को इकठ्ठा करके कौड़ा जलाया आग की आंच से कुछ राहत बच्चों को मिली मगर जब समय और किस्मत साथ छोड़ देते है तब हाथी पर बैठे को कुत्ता काटता है कुछ देर ही कौड़ा डाले हुआ था कि तेज हवाएं चलने लगी और बारिश होने लगी फिर बच्चे भूख और ठंठ से दांत किटकिटाने लगे और रोते चिल्लाते भोला उन्हें समझाता की फजिर यानी सुबह होते ही सब ठीक हो जाएगा लेकिन बच्चों को क्या समझ थी जो वह कुछ समझते रामू ,श्यामू करन और शिव चरण को बार बार समझने की कोशिश करते रामू की आयु दस वर्ष श्यामू की उम्र आठ वर्ष करन पांच वर्ष और शिवचरन तीन वर्ष का था पानी के बौछार और सर्दी से बचने के लिये सोना करन और शिव चरन को दोनों हाथ मे गोद मे लेकर कभी बरगद के सोर यानी जड़ के इर्द गिर्द भगती और भोला रामू ,श्यामू को लेकर इधर उधर भागता बड़ी भयावह स्थिति थी भयंकर काली सर्द की रात और बिलबिलाते बच्चे सोना का विवश बेबस कभी अपने बच्चों की दुर्दशा पर रोती तो कभी पति की सच्चाई और ईमान के लिये कोसती मगर कर ही क्या सकती थी किसी तरह सोना बच्चों और भोला के जीवन की भयावह पहली रात बीती और सुबह हुआ लेकिन सुबह भी भोला क्या करता उंसे समझ मे नही आ रहा था बरगद के पेड़ से एक फर्लांग पर गांव के बाहर से नदी तमसा नदी बहती थी भोला इस असमंजस की स्थिति में था कि क्या करे कि कम से कम परिवार को दो वक्त की रोटी दे सके सोना झट उठी और और अपने बच्चों को लेकर नदी के किनारे जाने जाते समय भोला से बोली हाथ पर हाथ धरे बैठने से कोई काम नही चलेगा सोचो कही से काम मिल जाय
भोला तुम नदी से लौट कर आओ तब तक मैं गांव में पता लगता हूँ कि कही काम मिल जाय सोना नदी के किनारे गयी और अपने लुगा का आधा हिस्सा फाड़ा दिया अब उसके तन पर सिर्फ अंगिया आधी सदी चुनरी जैसी बच गयी सोना ने अपने बच्चों छोटे बच्चों करन और शिव चरण को नदी के किनारे बैठा दिया और श्यामू को उनकी निगरानी में बैठा दिया करन और शिव चरण रोते बिलखते और श्यामू उन्हें किसी तरह बाल करतब दिखाकर बाल हठ को शांत करने की कोशिश में कभी कभी स्वय भी रोने लगता फिर छोटे भाईयों को चुप कराने की कोशिश करता उधर सोना रामू को लेकर नदी में कमर की गहराई में गयी और अपनी साड़ी के आधे हिस्से को जाल बना कर एक छोर स्वय पकड़े दूसरे छोर को रामू पकड़े नदी के किनारे तक आते कहते है जब किस्मत खराब होती है तब सामने रखा भोजन नही नसीब होता बार बार नदी में मछली पकड़ने का प्रायास सोना बेटे रामू के साथ करता मगर घण्टो कोशिश करने के बाद कोई मछली नही मिली फिर भी सोना ने हिम्मत नही हारी उंसे बच्चों का भूख ठंठ से बिलखता देख कलेजा फट जाता वह दुने हिम्मत से मछली पकड़ने का प्रयास करती कहते है कि ईश्वर भी उसी की मदद करता है जो स्वय की मदद कर सकता हो एव हार न मानता हो सोना के साथ भी ऐसा ही हुआ आधा दिन बीत जाने के बाद उसे इतनी मछलियां मिल गयी कि दो वक्त पूरे परिवार का पेट भर जाए उधर भोला गांव में काम के तलाश में सभी छोटे बड़े घरों में गया मगर उसे किसी ने काम देने से इनकार कर दिया क्योकि उसके बड़े भाई बलि ने उसे उजारुआ भगोड़ा बताकर पूरे गांव में बदनाम कर दिया था निराश हताश वह पुनः बरगद के पेड़ के पास आया सोना ने पूछा रामू के बापू कौनो काम मिला भोला बोला सोना कहूं कौनो काम नाही मिला सोना ने मछली भून कर रखा था कहा दो दिन से कुछ खाये नाही है कुछ खाय ल ईश्वर कौनो राह दीखैह भोला ने भुनी मछलियां खाई कुछ राहत मिली और वह आने वाले समय के लिये काम की जुगत सोच ही रहा था कि दोनों छोटे बेटे करन और शिव चरण ठंड से काँपने लगे सोना ने बच्चो को गोद मे उठाया दोनों के बदन तेज बुखार से तप रहे थे अब तो सोना को भी समझ नही आ रहा था कि क्या करे भोला तो विल्कुल घबड़ाहट में भयाक्रांत किसी अपशगुन से काँपने लगा लेकिन बार बार यही कहता राम जी जाऊंन चाहिये उहे होई उहे जेतना नाच नचावे नाचाईले उनही के नाम लेवो शायद कौनो राही निकल आवे करन और शिव चरण लगभग अचेत और दोनों की पसलियां चल रही थी सोना ने भोला से कहा रामू के बापू करन शिव चरण के पकड़ हम रामू शामू के लेके जाइत है देखित हई बिपति में कौनो राही मिलत है कि नही रामू शामू के साथ वह कुछ दूर गयी उंसे बन तुल्सी के की झाड़ी दिखी उसने वन तुलसी की झाड़ी से दो चार पौधों को उखाड़ लिये और लौट आयी वन तुलसी के पत्तो का रस हाथ से ही मसल कर करण और शिव चरण के नाक और मुहँ से डालती गयी फिर रात होने लगी भोला ने रात भर के कौड़े के लिये लकड़ियां और पत्ते एकत्र कर लिया था मछलियां बची थी जिससे कि भूख मिटाई जा सकती थी रात ढलते ही कौड़े को जलाकर सोना ने करन को आंच सरे गर्मी देने लगी और वनतुलसी के पत्ते का रस नाक मुझ से देती रही करन और शिव चरण के तपते वदन ज्वर कुछ कम हुआ रात भर जगती रही जैसे कोई शेरनी अपने बच्चों की रखवाली कर रही हो जब दोनों बच्चों को आराम हुआ तब उसने भोला से कहा रामु के बापू घबड़ाओ नही जो होइहै अच्छा ही होइहे सोना के पास पूरे वस्त्र भी नही थे अंगिया और चुनरी जैसी फ़टी आधी धोती वह लगभग प्रति दिन घण्टो मछली मारती और उसी से उसके बच्चों और परिवार का पेट भरता करण और शिव चरण का बुखार धीरे धीरे कम होने लगा रामू और शामू सोना के साथ उसके हर कार्य मे हाथ बटाते इधर भोला काम खोज खोज कर तक गया मगर उसे कोई काम नही देता दो महीने से अधिक का समय व्यतीत हो चुका था मगर स्थिति जस के तस थी गांव वाले नदी जाते समय बरगद के पेड़ से होकर गुजरते भोला और उसके परिवार को उजरूवा कह कर प्रताड़ित करते और कहते बड़े बेशर्म है गांव से उजरूवा होने के बाद भी गांव के सिवान के अंदर पड़े है कभी प्रधान जी मारक खदेरिहन तबे सारे गांव के कलंक गांव के सिवाने के पार जईहे गांव में सोना की एक सहेली थी
रमनी उंसे जब पता चला कि गांव प्रधान सोना ओकरे पति और बच्चन के जबरन गांवे के सिवान से बाहर खडेरिहन वह रात के अंधेरे में छिप छिपा कर गयी और बोली सखी सोना तू लोग इँहा है बलि प्रधान जागीर सिंह के भरे हन की तू लोग गांव की नदी से मछरी मारी मारी खात है वोकर गांव पंचायत के कौनो कीमत नाही देते है ये लिये तोहन लोगन के मारीक़े भगावे वाले हन सखी जब हमें हमरे लम्बरदार बताएंन त उनके चुपके चुपके तोहे बतावे चला आये है फजिर से पहिले तू अपन परिवार सहित सिसौली कस्बा चली जा ऊहां किशन भगवन के मंदिर तालाब किनारे हवे वही हमरे मौसी के घर बा उ तोहार कुछ मदद त ना करी पाईहे कहे कि ऊ खुदे यह लायक़ नाही है हा ऊहा तोहे जब तक चाह रहे में कौनो परेशानी नाही होई और हा हमरे मौसा के नाम ननकू अब जल्दी से इँहा से निकल रमनी अंधेरे में छुप छुपाकर अपने घर आई जब उसके लम्बरदार जब आधी रात को रमनी लौटी तब उसका लम्बरदार जगपत जाग कर उसीका इंतज़ार कर रहा था रमनी के पहुंचते सवाल किया लौटी आयू सोना से मिल के अच्छा किहू बिहने प्रधान के साथ हमहू के जाएके रहा भोला और उनके परिवार के गांव से बहरे खदेरे बेचारे पर नायलायक बढ़ भाई की नाम पर कलंक बलि एक त धोखा से वोकर हिस्सा हड़पेस और घर बदर किएस और वोहु पर सारवा के चैन नाही बा एक भोला के देख लक्ष्मण जईसन भाई बलि जस कहले बिना कुछ कहे बड़ भाई के आदेश इज़्ज़त समझिके मानत गइल और परिवार छोट छोट बच्चन के साथ दर दर क ठोकर खाई रहा बा इधर भोला सोना अपने चार बच्चों को लेकर सिसौली निकल पड़ा दो तीन दिन पैदल चलते रास्ते मे लोंगो की मेहरबानी से भूख मिटाते दुर्दशा दुर्गति अपमान को सहते किसी तरह सिसौली तालाब के किनारे किशन भगवान के मंदिर पहुंचे और ननकू की खोज शुरू कर दी ननकू मंदिर के पास ही रहता था सोना ने ननकू से जाकर रमनी का संदेश दिया और आप बीती बताई ननकू बोला देख हम त खुद तोहार मदद नाही कर सकते बाकिर मंदिर के पुजारी जी से हम चल कहत हई की तोहन लोगन के एक झोपड़ी बनावे दे झोपड़ी के पतहर और जुगाड़ हम दे देब ननकू गया और मंदिर के पुजारी उद्धव जी के पास भोला और सोना के साथ ले जाके सारा मामला बताएस उद्धव जी बोले ठीक बा इन्हें झोपड़ी बनावे के पतहर और जुगाड़ दे द हम मंदिर चाहर दिवारी के बाहर जगह देइत हई और हा ई लोग मास मछरी इँहा नही खाई सकतन भोला और सोना को पुजारी जी की शर्तों में कोई आपत्ति नही थी
ननकू पतहर और झोपडी बनावे के सगरो जुगाड़ दे गइल और बिछौना खातिर पुआरा सोना भोला रामू और शामू मिलकर दिनभर में रहे लायक झोपड़ी बानाए लिये और पुआरा बिछाके झोपड़ी में बच्चों के साथ गए और जौसे ही पुआल पर बैठे सोना बोली रामू के बापू आपन हवेली कईसन लगती बा रामू बोला सुकून बा अब कुछ बच्चन के कपड़ा ओढ़े के जुगाड़ होत त और अच्छा होत संझा के पुजारी उद्धव ने सोना और भोला को बुलाया और उनके बिषय में अपने संतुष्टि के लिये जितनी भी जानकारी चाहिये थी जाननी चाही और संतुष्ट हुये उनको विश्वास हो गया कि भोला ने अपने विषय मे सही जानकारी दिया है क्योंकि पण्डित जी को भोला के आचरण में सच्चाई नज़र आ रही थी
पुजारी उद्धव बोले देखो भोला भगवान के दरबार मे हो तो उनकी सेवा अवश्य करना सोना बोली महाराज हम रोज सुबह मुर्गा बान के साथे मंदिर की साफ सफाई धुलाई कर देब लेकिन पुजारी जी हम नान्ह जाती के हई बाद में आप ई मत कहब की सही हम नाहि बताएंन पुजारी उद्धव बोले कि भगवान के लिये केहू छोट बढ़ नाही होत उनके लिये सब बराबर है उनही के संतान है सब प्राणि
सुबह सोना मुर्गे की वान के साथ उठी और मन्दिर की सफाई धुलाई करना शुरू किया सफाई कर ही रहीं थी ठीक उसी समय सिसौली के जालु सेठ की
पत्नी राधा आई जो नित्य मंदिर की सफाई धुलाई करती थी उन्होंने जब किसी अजनवी को सफाई करते देखा तो पूछा कि तुम कौन हो तुम्हे देख कर तो लगता है कि तुम यहाँ की नही हो तुम्हे मन्दिर में प्रवेश किसने करने दिया तब तक पुजारी उद्धव जाग चुके थे उन्होंने सोना की सारी सच्चाई बताई राधा को सोना की सच्चाई जानकर उसके प्रति आदर भाव जागृत हुआ बोली बहन तुम मन्दिर की सफाई का काम नित्य करो हम किशन जी का श्रृंगार कर दिया करेंगे हम सफाई करते थे तो श्रृंगार पुजारी जी करते थे अब राधा के मन मे सोना के प्रति बेहद सहानुभूति जागा अब रोज सुबह जब आती कुछ न कुछ सोना के परिवार के लिये लाती कभी बच्चों का कपड़ा कभी कुछ खाने के लिये सोना के बच्चों की परेशानीया कुछ कम हुई इधर भोला सिसौली में मजदूरी करता सोना पति भोला की मजदूरी से कुछ पैसा बचा लेती इस प्रकार तीन चार माह में उसने अपने पति भोला से कहा मजदूरी छोड़ो और यही मन्दिर के सामने चाय प्रसाद फूल की दुकान खोल कर भगवान के दर्शन के लिये जो भी लोग आते है उनकी सेवा के किशन जी क सेवा कर भोला ने मंदिर के सामने एक छोटी सी चाय पान प्रसाद फूल की दुकान खोल लिया कुछ दिन में दुकान चलने लगी धीरे धीरे भोला की आय बढ़ने लगी सोना अपनी आदत के अनुसार पतिं की आय से कुछ धनराशि अवश्य बचाती सोना की सूझ बूझ से और भोला की मेहनत से धीरे धीरे भोला के कुनबा सामान्य जिंदगी की तरफ बढ़ रहा था इधर राधा भी सोना की मेहनत ईमानदारी से बहुत प्रभावित रहती और उसकी जो भी संभव सहायता करती पुजारी उद्धव रामू और श्यामू को रामायण गीता और धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाते रामू पंद्रह और श्यामू तेरह और करन और शिव चरण दस बारह वर्ष के हो चुके थे रामू और श्यामू पुजारी जी से धर्म ग्रंथो का अध्ययन करते और प्राइवेट मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके थे करन और शिव चरण शिव चरण सरकारी स्कूल में जूनियर कक्षाओं में पढ़ रहे थे भोला का कुनबा समय की गति की निरंतरता के साथ गिरते उठते संभलते आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था फिर वही सर्द रात भोला के परिवार में कहर लायी बहुत कड़ाके की ठंठ पड़ रही थी दिन भर के कार्यो से फारिग होकर भोला और सोना बच्चों के साथ अपनी महल नुमा झोपड़ी में सो रहे थे लेकिन भगवान को भोला के परिवार की और कुछ परीक्षा लेनी थी मन्दिर परिसर से कुछ हल्की आवाजे सुनाई दे रही थी सोना उठी जाकर देखा कि तीन चार लोग पुजारी उद्धव को चाकू से वार करते और पूछते पता पुजारी भगवान के कीमती आभूषण जेवरात रोज कहा छुपा के श्रृंगार के बाद उतार कर छुपा देता है हर वार पुजारी जी को मौत के करीब ला रहा था मगर पुजारी जी कुछ भी नही बता रहे थे
बदमाश आपस मे कहते साला पुजारी
पत्थर की मूरत के लिये मर जायेगा और अब जोर जोर वार करने लगे पण्डित जी का शयन कक्ष खून से पट गया था सोना के अंदर से जाने कहा से हिम्मत आयी उसने भगवान किशन का स्मरण किया और टांगा उठाया और देखते देखते चारो बदमाशों का सर धड़ से अलग कर दिया तब तक राधा आ चूंकि थी भगवान का शृंगार करने जब उन्होंने देखा कि वहाँ रोज की तरह वहाँ नही है तो पहले झोपड़ी में फिर पुजारी के कमरे की तरफ गयी तो उनके होश उड़ गए क्योकि सोना के हाथ मे रक्त रंजित टांगा और पूजारी मृत एव चार सर धड़ अलग अलग राधा ने सोना की तरफ घृणा की नजर से देखा और बोली जिस देवता ने जीवन देने की कोशिश की उसकी तूने हत्या कर दी और ये चार सर धड़ कौन है सोना ने बहुत समझाया सच्चाई बताने की कोशिश किया मगर राधा पर कोई असर नही हुआ राधा सीधे पुलिस थाने को घटना की सूचना दी मौके पर पुलिस पहुंची और सोना को ग्रिफ्टतार कर लिया पण्डित जी को देखा तो उनकी सांस चल रही थी उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया अब भोला के परिवार के सामने वही परिस्थिति उठ खड़ी हो गयी जो उसे गांव से बड़े भाई के द्वारा छल कपट से उसको घर से बेघर करने
के बाद सिसौली में भोला के परिवार पर लोंगो द्वारा कहर अत्याचार किये जाने लगे कोई बच्चों को जलील कर पीटता तो कोई भोला को सिसौली के लोंगो ने नीर्णय लिया कि भोला को पत्थरों से मार मार कर कस्बे की सीमा से बाहर किया जाय लेकिन राधा ने सबको समझाया की पुजारी जी जीवित है कोमा में है शायद होश में आ जाये तब तक भोला के साथ इस प्रकार का अमानवीय कृत्य ना किया जाय लगभग छ माह तक पुजारी जी की गहन चिकित्सा के बाद जब कोई फायदा नही हुआ इधर भोला को कस्बे में जलालत और किसी की गालियाँ किसी के जूते की मार गुंजाइश यह थी कि बच्चों को कोई नही छूता रामू और श्यामू चोरी छिपे किसी तरह अस्पताल में पुजारी जी जहां भर्ती थे पहुंच गए और जोर जोर रोते सर पुजारी जी के सीने पर पटक पटक कर कहते भगवान किशन की कसम जागो पुजारी बाबा नही तो अनर्थ हो जाएगा अस्पताल का स्टाफ रामू श्यामू को बहुत समझाया मगर उन किशोरों ने एक भी नही सुनी एक एक रामू ने अपना सर पुजारी जी के सीने पर जोर से पटका पुजारी जी की आंख खुली और पानी पानी मांगने लगे अस्पताल में पुजारी जी के होश में आने की बात आग की तरह फैल गयी तुरंत चिकित्सक आये पुजारी जी की यथोचित चिकित्सा प्रारम्भ कर उन्होंने पुलिस को सूचना दिया पुलिस तुरंत अस्पताल पहुंची और उसने पुजारी का बयान दर्ज किया और सुबह न्यायालय में दाखिल किया सोना को न्यायालय ने बाइज्जत रिहा करने का आदेश दिया राधा जी स्वय गयी सोना को लाने सिसौली वासियों ने सोना और भोला से सार्बजनिक माफी और सम्मान के लिये नगर वासियों की सभा बुलाकर सम्मानित किया एव अनजाने में किये गए अपमान के लिये क्षमा मांगी।।

कहानीकार --नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश