!!वो बेखर थी शिकायती निगाहो से
वो बेखबर थी बोलती निगाहो से !!
!!जब निगाहे से निगाहे
सारी शिकायते कफ़ूर बहो गई!!
वेद ने जाकर अन्दर से दरवाजा हि बन्द कर लिया ....
उसको वामा कि बाते अन्दर हि अन्दर कचोट रही थी वेद वामा के दर्द को भली भाँति जानता समझता है!!
वामा के दूर जाने की बात से कितना विचलित हो गया ऐसा लग रहा उसकी जिस्म से किसी ने रुह निकाल लि हो!!
मौन अन्सुओ से बिलख पडा वो खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहता है l
वामा दरवाजा खटखटाती रही लेकिन वेद ने दरवाजा नहीं खोला वो जाकर फ़्रेश हो ने चला गया l
वामा बाहर हि खड़ी रही l
थोड़ी देर बाद फ़्रेश हो कर वेद तेज के बिस्तर पर पसर गया अभी भी उसकी आन्खे रोने कि वजह से लाल थी l
फिर खटखटाने कि आवाज आई l
वेद दरवाजा खोलो प्लीज मेरे इरादा तुम्हे दर्द देने का ना था
वो खटखटाती रही l
फिर भी नहीं खुला दरवाजा l
वामा.... वेद तुम्हे मेरी कसम है प्लीज खोल दिजिये !!
झट से दरवाजा वेद ने खोल दिया वामा को देखे बैगेर हि वो फिर बिस्तर पर आकर लेट गया l
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धानी श्री के घर से, अपने घर जाकर कुछ जरुरी डाकूमेन्ट्स
लेकर स्कूल के लिए अपनी स्कूटी से निकल पडी (धानी प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका थी उसकी बचपन से सपना था कि वो बड़ी होकर अध्यापिका बनने की जिससे बच्चों को गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा प्रदान कर सके l)
धानी जैसी हि स्कूल पहुचती तो देखती सभी अध्यापक अध्यापिकाय आ गई एक वही देर से पहुची थी!!
स्कूल में कुछ प्रोग्राम होने वाले थे उसी कि तैयारी चल रही थी धानी कि साथी अध्यापिका... धानी मैम आज लगता आप श्री के यहा गई थी तभी लेट आई हो l अकसर ऐसा हि होता है आपके साथ l
हि हि... अरे सॉरी ऋतु मैम बाद में बात करते है नहीं तो प्रिंसिपल मैम का प्रकोप हमे हि झेलना पडेगा जरा भी प्रोग्राम में गडबडी हुई तो मैम मेरी बैंड बजा देगी l
बिना ऋतु मैम कि बात सुने हि चली गई फ़ुर्ती से!!
ऋतु मैम खुद से हि धानी मैम कितनी जल्दी में रहती है कहि इनकी जल्दबाजी इनको महंगी ना पडे ll कहकर गले में पडी शिव जी कि माला को चूमकर सब ठीक रहे l वो भी धानी मैम के पास चली गई ll
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मायूर आज श्री के साथ था दोनों हि साथ थे......मायूर तू मुझे बता आगे क्या करेगा और वैसे तूने बैंक का पेपर दिया था तो उसका परिणाम तो एक दो दिन में आ जायगा तब आराम से सोच कर बताना समझा l उसका सिर प्यार से सहलाते हुये कहती है l अच्छा मै जाती हूँ मुझे अपनी कुछ बहुत जरूरी काम है नहीं तो चलती तुम्हारे साथ l
मायूर : हम्म दीदा!
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वामा : वेद अब आगे से ऐसा नहीं कहुगी अब तो मान जा! मेरा इरादा तुम्हें तकलीफ़ नहीं देना था l
वेद कुछ नहीं बोला आंखों पर हाथ धरे लेटा रहा उसकी आँखें के कोने भीगे हुये थे l
वेद अब तो मान जा तुझे पता है मुझे मनाना वनाना नहीं आता है.....वामा थोड़ा आगे बढकर कंधे पर हल्का मारते हुये अब तो मान पक्का ऐसा नहीं करुगी वो उसके सामने कान पकड़े सिर झुकाने लगी l
वामा को ऐसा करते देख वेद तेजी उठा उसके दोनों कान्धो को पकडकर सीधा खड़ा कर दिया..... गुस्से से तुम्हें किसने हक दिया ऐसे झुकने के तुम मेरा गुरुर हो तुम्हें किसी के सामने झुकना पड़े तो तो मेरे पर थू है चाहे मै हि क्यों ना हो.. ..इस बार तो ऐसा कर दिया अगली बार ऐसा कुछ किया तो.......अपना एक हाथ जोरो से दीवार पर मार दिया l
और पलटकर सीधे वामा के गले लग गया खुद को वामा में छुपाते हुये सिसक पड़ा l तुम्हारे और तेज के अलावा कोई नहीं है वाम कोई नहीं जब जब बिखरा कोई सम्भालने वाला ना था! समय पर खाया पिया या नहीं कोई पूछने वाला था! वेद वामा में खुद को छिपाय अपनी शिकायते कर रहा था l वामा कुछ बोली नहीं बस उसके सिर पर हाथ से सहलाने लगी !
कुछ वक़्त बाद जब वेद का सिसकना कम हुआ तब वामा वेद को पानी पिलाने लगी है! दोनों को जब अपनी परिस्थिति का भान हुआ दोनों हि असहज हो गये l वामा वेद को देखे बगैर वेद तुम आराम कर लो शाम को मिलते हैं l झट से बाहर निकल आई इस वक़्त उसका दिल बड़ी तेजी से धडक रहा था जब जब वो वेद के सानिध्य में होती ऐसी ही अनुभूति होती l
चाहे कितनी बेधड़क लडकी क्यों ना हो हया कि लाली का श्रृंगार आ हि जाता l
वो तेजी से किचेन में जाकर पानी पीने लगी l
वेद खुद भी अपनी बढी हुई धडकनो को शान्त करने लगा उसके लबो पर मुस्कुराहट थी अपनी प्रेमिका के सानिध्य में वेद काफ़ी सुकूनियत महसूस कर रहा था l वामा से शिकायत कर अपना मन हल्का कर लिया था लबो पर मुस्कुराहट लिए पेट के बल तेज के हि बिस्कर पसर कुछ सेकेण्ड भी नहीं लगे थे कि वेद नीन्द कि आगोश में था बेफ़िक्र हो कर उसे पता था कि उसकी फ़िक्र करने वाली जो है उसके पास!
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शाम वक़्त वो जल्दबाजी में प्रोग्राम का सामान ला रही थी कि रोड क्रास करते वक़्त राँग साइड से आ रहे ट्रक से टक्कर इतनी जोरो कि हुई उसके हाथ का सामान बिखर गया वो सीधा हवा में उछलती हुई गिरी पूरी खून से लथपथ!!
जारी है!!
स्वस्थ रहिये खुश रहिये!!