Banzaran - 7 in Hindi Thriller by Ritesh Kushwaha books and stories PDF | बंजारन - 7

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बंजारन - 7

अमर फावड़ा लेकर कब्र के पास जाता है और कब्र का मुआयना करने लगता है। अमर को इस तरह से कब्र घूरता देख रोमियो चिड़ते हुए उससे कहता है–" अबे ऐसे क्या देख रहा है उसे? ,नाप तो ऐसे ले रहा है जैसे कोई दर्जी किसी लड़की का लेता हो।"
" हा हा खोद रहा हूं, बस एंगल चैक कर रहा था, तू नही समझेगा, तूने कभी खुदाई नही करी ना।" अमर कहता है और अमर की बात सुन रोमियो हस्ते हुए उससे कहता है–" बेटा खोदना और...."
" चुप एक दम, पता नही क्या क्या भरा रहता है तेरे दिमाग से? करन डॉटते हुए रोमियो से कहता है और करन की डॉट सुन रोमियो अपने दात दिखाने लग जाता है।"
रोमियो की बात इग्नोर कर अमर अपने काम पर लग जाता है और खुदाई शुरू कर देता है। फावड़ा मारे जाने पर भी जब मौसम में कोई बदलाब नही होता तो मोहन राहत की सांस लेता है। अमर जोर जोर से फाबड़ा चलाए जा रहा था जैसे अपने पिछले जन्म के दुश्मन को मार रहा हो। धीरे धीरे कब्र की मिट्टी हटने लगती है और एक गड्ढा बन जाता है। अमर फाबडा मारना बंद कर देता है और अंदर की मिट्टी बाहर निकलने लगता है। अमर काफी थक चुका था और अभी कब्र पूरी तरह से खुदनी बाकी थी इसीलिए अमर के बाद करन, फावड़ा लेकर कब्र खोदना शुरू कर देता है। इधर मोहन और बाकी सब कब्र के पास ही खड़े ये सब होते हुए देख रहे थे। मोहन को तो अपनी ही समझदारी पर गर्व हो रहा था और वो रोमियो की ओर देख मुस्कुरा रहा था। मोहन को अपनी ओर टुकुर टुकुर घूरता देख रोमियो को उसके लक्षण ठीक नही लगते और वो बुरा सा मुंह बना लेता है। मोहन अभी भी उसे ही ऐसे घूरे जा रहा था जैसे कोई प्रेमी अपने प्रेमी को घूरता है। रोमियो को पता था मोहन की अभी शादी नहीं हुई है इसीलिए वो मोहन से दूरी बना लेता है, उसे शक था कही मोहन उस टाइप का आदमी तो नही है। रोमियो की हालत से अंजान रितिक अमर से कहता है–" मैं जरा अभी आता हूं "
" कहा जा रहा है?" अमर रितिक से पूछता है और रितिक अमर के सवाल का जवाब देते हुए कन्नी उंगली दिखा देता है। उसे टॉयलेट लगी थी इसीलिए वो तुरंत वहा से चला जाता है। कुछ दूर आगे जाने पर वो एक जगह रुकता है और हल्का होने लगता है। अभी वो अपनी थकान मिटा ही रहा था कि तभी उसे किसी के पायल बजने की आवाजे सुनाई देती है। पायल की आवाज सुन रितिक हैरान हो जाता है और जल्दी से अपनी पैंट की चैन बंद कर लेता है। उसके बाद वो अपने आस पास देखता है लेकिन उसे वहा कोई दिखाई नहीं देता।
रितिक मन ही मन बड़बड़ाता है–" ये तो पायल की आवाज है, इतनी रात में यहां कौन होगा?"
रितिक अभी ये सोच ही रहा था कि तभी फिर से उसे किसी के पायल बजने की आवाज सुनाई देती है। ये आवाज जंगल वाले हिस्से की ओर से आ रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़की पायल पहनकर भाग रही थी। ना जाने रितिक को क्या सूझता है और वो जंगल वाले हिस्से की ओर जाने लग जाता है। जैसे जैसे वो आगे बड़ रहा था पायल की आवाज तेज होती जा रही थी। कुछ दूर आगे जाने पर वो जंगल वाले रास्ते पर पहुंच जाता है लेकिन अब भी पायल की आवाज आना बंद नहीं हुई थी
रितिक आवाज लगाते हुए कहता है–" कोई है क्या यहां?"
रितिक के सवाल का कोई जवाब नही आता है लेकिन पायल की आवाज अभी भी सुनाई दे रही थी। पायल की आवाज जंगल के भीतर से आ रही थी इसीलिए वो भी जंगल के अंदर चले जाता है। वो कुछ दूर चला ही था कि तभी उसे एक लड़की जंगल में भागते हुए नजर आती है। अंधेरे के कारण रितिक को उसका चहरा दिखाई नहीं दे रहा था। वो लड़की कभी इधर भागती तो कभी उधर। रितिक तुरंत एक पेड़ के पीछे छुप जाता है और दूर से ही उस लड़की को देखने लग जाता है। तभी रितिक के कानो में एक आवाज गूंजती है " बचाओ कोई है..." आवाज को सुन रितिक का दिल जोरो से धड़कने लग गया था। तभी उसकी नजर उसके सामने खड़ी लड़की पर जाती है जो एक दिशा की ओर भागने लगती है। रितिक भी पेड़ के पीछे से निकलता है और उस लड़की के पीछे पीछे जाने लग जाता है। जंगल के ही एक दूसरे हिस्से में ही एक चौबीस(24) साल का लड़का एक लड़की को जबरदस्ती कही ले जा रहा था। उस लड़के के चहरे पर एक घमंड भरी मुस्कान थी। उसके अपने एक हाथ से उस लड़की का मुंह पकड़ रखा था। लड़की कुछ कहना चाहती थी लेकिन लड़के की गिरफ्त इतनी मजबूत थी कि लड़की के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। ये लड़की कोई और नहीं बल्कि " शालिनी " थी। वो लड़का हस्ते हुए शालिनी से कहता है–" आज तेरे बाप को पता चलेगा कि हमसे दुश्मनी रखना कितना भारी पड़ सकता है। बहुत घमंड है ना उस रणवीर सिंह को, उसका सारा घमंड तो आज मैं निकालता हूं। जब उसकी इज्जत पूरे गांव के सामने उतरेगी तो खुद ही आत्महत्या कर लेगा।"
वो लड़का शालिनी को घसीटते हुए जंगल के भीतर ले जा रहा था और शालिनी उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश कर रही थी। तभी वहा वो लड़की आ जाती है और चिल्लाते हुए उस लड़के से कहती है–" छोड़ दे उसे कमीनें "
लड़का पीछे पलटकर देखता है तो उसे वहा एक लड़की नजर जाती है जो गुस्से के साथ उसे घूरे जा रही थी। लड़का गुस्से के साथ उस लड़की से कहता है–" वापस चली जा, बरना जो हाल तेरी दोस्त के साथ होगा वो तेरा भी हो जाएगा।"
" मै कहती हूं छोड़ दे उसे बरना."
" बरना क्या करे लेगी, मारेगी मुझे, आ मार ना, मैं भी तो देखूं, तेरी इन नाजुक कलाइयों में कितना दम है।"
इतना कहकर वो लड़का शालिनी को एक हाथ से पकड़ता है और उस लड़की की ओर बड़ने लगता है। वो लड़की आगे आती है और उस लड़के से शालिनी को छुड़ाने लग जाती है। तभी वो लड़का उस लड़की को एक धक्का देता है और अपना हाथ उस लड़की की ओर बड़ा देता है। लड़के का हाथ उस लड़की को लग पाता कि तभी एक परछाई वहा आती है और उस लड़के का हाथ पकड़कर उसे मरोड़ देती है। हाथ मरोड़े जाने से उस लड़के की एक दर्द भरी चीख निकलती है और उसके हाथ से शालिनी की पकड़ छूट जाती है। शालिनी तुरंत उस लड़के को धक्का देती है और अपनी दोस्त चांदनी के गले लगकर फूट फूटकर रोने लगती है। इधर वो लड़का जमीन पर पड़ा करहा रहा था कि तभी एक पैर उसके मुंह पर पड़ता है और उसके मुंह से खून निकलने लग जाता है। ये लड़का कोई और नहीं बल्कि रितिक था जो चांदनी का पीछा करते हुए यहां तक आया था। रितिक का चहरा गुस्से से लाल हो रहा था और वो अनगिनत लाते उस लड़के के ऊपर बरसाए जा रहा था। रितिक उस लड़के को कॉलर से पकड़ कर उठाता है और कहता है–" जो लड़के लड़कियों पर अपना जोर दिखाते है वो नामर्द होते है।"
इतना कहकर वो एक मुक्का उस लड़के के चहरे पर मार देता है। अपनी धुनाई होते देख वो लड़का गुस्से के साथ कहता है–" तू मुझे जानता नही है, मैं सरपंच का लड़का हूं.." वो अभी आगे कुछ कह पाता कि तभी एक और मुक्का उसके चहरे पर जा लगता है और वो बेहोश हो जाता है। रितिक हाथ झाड़ते हुए खड़ा होता है और कहता है–" सरपंच होगा अपने गांव का, ये तेरा गांव नही है।"
उसके बाद वो शालिनी की ओर देखता है और कहता है–" कौन है ये?"
शालिनी अपने आंसु पोछते हुए कहती है–" ये तारपुरा गांव के सरपंच का लड़का है। उन लोगो से हमारी बरसो पुरानी दुश्मनी है, ये उसी दुश्मनी का बदला ले रहा है। इसने पहले भी मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी। आज हम दोनो शाम की आरती के लिए मंदिर आई थी, तभी ये मुझे जबरदस्ती यहां ले आया।"
रितिक गुस्से के साथ उस लड़के की ओर देखते हुए कहता है–" एक दूसरे की मां बेटियों को नुकसान पहुंचकर दुश्मनी नहीं निकाला करते। इतना कहकर वो उन लड़कियों से कहता है–" अब तुम लोग आओ।"
" और तुम?. शालिनी रितिक से पूछती है और रितिक उसे हाथ दिखाते हुए कहता है–" मेरी चिंता मत करो, अभी तुम लोग जाओ, अगर हम साथ में गए तो लोग पता नही क्या क्या सोचेंगे?"
इतना कहकर रितिक की नजर उस लड़की पर पड़ती है जिसके पीछे वो यहां तक आया था। उस लड़की को नजर भर देखने से ही रितिक के मन में फूल बरसने लग जाते है। वो एक बार फिर अपने ही ख्यालों में खो गया था, आखिर खोता भी क्यूं नही, ये उसकी चांदनी जो थी, जिसकी चांदनी चांद से भी ज्यादा गहरी है। उसका तो मन कर रहा था कि अभी चांदनी के पास जाए और उसका आंखो को निहारता रहे लेकिन रितिक को कभी मौका ही नही मिलता। तभी रितिक अपने ख्यालों से बाहर आता है और देखता है शालिनी तो वहा से कब की चली गई थी।
रितिक लड़के की ओर देखते हुए खुद से कहता है–" अब इसका क्या करू? हम्म, इसे यही रहने देता हूं, जब इसे होश आएगा तो खुद चला जाएगा।"
रितिक वहा से जाने ही वाला था कि तभी उसे एक खयाल आता है और वो खुद से कहता है–" इसने गलती की है तो हरजाना तो देना ही पड़ेगा।"
इतना कहकर वो उस लड़के के पास जाता है और उसकी जेब टटोलने लग जाता है। जेब टटोलने पर उसे एक सौ(100) का नोट मिलता है जिसे देख रितिक बुरा सा मुंह बना लेता है। रितिक मन ही मन बड़बड़ाता है–" जेब में फूटी कौड़ी नही है, बड़ा आया सरपंच का लड़का।"
उसने एक काम तो जिंदगी में अच्छा किया और बदले में उसे क्या मिला? केबल सौ(100) रुपे। अपनी किस्मत को कोसता हुआ रितिक वापस ही जा रहा था कि तभी फिर से उसे किसी के पायल बजने की आवाजे आने लगती है
आवाज को सुन रितिक खुद से कहता है–" फिर से पायल आवाज, कही ये उन दोनो लड़कियों की तो नही है, नही नही, वो तो कबकी यहां से जा चुकी है, फिर ये आवाज किसकी है?, मुझे चलकर देखना चाहिए।"
इतना कहकर रितिक एक बार फिर आवाज की दिशा की ओर जाने लग जाता है। इस बार ये आवाज जंगल के बीचों बीच से आ रही थी। आवाज तेज होती जा रही थी और इधर रितिक की चाल भी तेज हो गई थी। आवाज का पीछा करते करते वो जंगल के बीचों बीच पहुंच जाता है, जहा पहुंचने पर उसे बहुत बड़ा शौक लगता है। उसे अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था और साथ ही उसके चहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन थे। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसने किसी भूत को देख लिया हो। जंगल के बीचों बीच एक खंडारनुमा कोठी बनी हुई थी, जिसके ऊपर आसमान में काले बादल मंडरा रहे थे। कोठी को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता थी कि उसमे लगभग सौ(100) कमरे तो होंगे ही। कोठी अंग्रेजो के जमाने की लग रही थी, उस पर सफेद और ग्रे रंग का पेंट लगा हुआ था। रात के अंधेरे में वो किसी भूत बंगले से कम नहीं लग रही थी। कोठी के आस पास काफी सारी खाली जमीन पड़ी हुई थी और पास ही में एक कुआं भी बना हुआ था। उसी कुएं के पास एक पेड़ लगा हुआ था जो पूरी तरह सूख चुका था। वो पेड़ देखने में किसी काले साए से कम नही लग रहा था। अगर कोई इंसान उस पेड़ को देख ले तो उसी पल मर जाए। आम इंसान के लिए ये कोठी भले ही किसी भूत बंगले से कम नही थी लेकिन रितिक के लिए ये किसी खजाने से कम नही थी। उसका तो काम ही यही था पुरानी खंडरनुमा इमारतों को खोजना और उस कर रिसर्च करना। रितिक काफी एक्साइटेड था और साथ ही उसके मन में उस कोठी का इतिहास जानने की इच्छा थी। इस कोठी का जंगल के बीचों बीच मिलना और इसकी ऐसी हालत होना, जरूर इसके पीछे भी कोई कहानी रही होगी और बस यही से रितिक की कहानी की शुरुवात होती है और वो कोठी की ओर अपने कदम बड़ा देता है।