Banzaran - 6 in Hindi Thriller by Ritesh Kushwaha books and stories PDF | बंजारन - 6

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बंजारन - 6

कब्र को देख रितिक और अमर काफी ज्यादा हैरान थे।
रितिक हैरानी के साथ अमर से कहता है–" तुझे क्या लगता है ये सब किसने किया होगा?"
इस पर रोमियो जवाब देते हुए कहता है–" और किसने किया होगा, ये काम तो सिर्फ बंजारन ही कर सकती है।"
रितिक कन्फ्यूजन के साथ उससे पूछता है–" ये बंजारन कौन है?"
रोमियो करन की ओर घूरते हुए कहता है–" मैं तो कल रात ही बताने वाला था लेकिन मेरी सुनता कौन है?"
अमर चिड़ते हुए रोमियो से कहता है–" अरे हा हा ठीक है अब तू बताएगा भी ये बंजारन कौन है?"
" हा हा बता रहा हुं, मैने कल कहा था ना इस गांव पर एक डायन का साया है।"
सभी लोग हामी में अपना सिर हिला देते है, उसके बाद रोमियो आगे कहता है–" आज से बीज साल पहले वो बंजारन अमरपुरा के जंगलों में भटका करती थी। वो हर अमावस और पूर्णिमा की रात लोगो का शिकार करती थी। वो एक डायन थी डायन।"
अमर कन्फ्यूजन के साथ कहता है–" शिकार करती थी मतलब?"
" मतलब गांव के लोगो को जान से मार डालती थी। कहते है डायन मर्दों का शिकार करके उनका खून पी जाती है जिससे वो कभी बूढ़ी नही होती और उनका यौवन बरकरार रहता है। शास्त्रों में लिखा है कि डायन मां काली की दासिया होती है जो काफी शक्तिशाली होती है। जब वो आजाद थी तब हर अमावस और पूर्णिमा को शिकार होते थे और लोगो की लाश इसी मैदान में पड़ी मिलती थी।"
" वैसे लोग उसे बंजारन क्यूं कहते है? मेरा मतलब बंजारन तो राजस्थान में होते है, फिर बंजारन का यहां क्या काम?" रितिक रोमियो से पूछता है और रोमियो उसे समझाते हुए कहता है–" वो बंजारन की तरह दिखती है इसीलिए लोग उसे बंजारन कहते है। उसका पहनावा बंजारन वाला है। कहते है वो बला की खूबसूरत है। वो किसी अप्सरा से कम नहीं लगती है।"
करन हस्ते हुए रोमियो से कहता है–" अबे साले, तू कह तो ऐसे रहा है जैसे कभी डेट पर गया हो उसके साथ।"
" मै मजाक नहीं कर रहा हूं, वो बंजारन सच में बहुत खतरनाक है, अगर वो फिर से आजाद हो गई तो गांव पर बहुत बड़ा संकट आ जाएगा।"
रितिक रोमियो पर शक करते हुए उससे पूछता है–" तुझे ये सब कैसे पता?"
रोमियो अपनी सफाई देते हुए कहता है–" वो मैने गांव के बड़े बुजुर्गो से ये सब सुना था।"
" हम्म्म, चल छोड़ ना ये सब, वैसे भी ठाकुर साहब ने बोला है कि वो सब पता लगा लेंगे। आज रात की ही तो बात है ,कल तो पता लग ही जाएगा। रितिक कहता है और सब लोग हामी में अपना सिर हिला देते है।"

उसके बाद वे चारों वहा से घर की ओर चले जाते है। रात के आठ(8) बज रहे थे। ठाकुर साहब हवेली के बगीचे में टहल रहे थी। उनके चहरे पर परेशानी के भाव झलक रहे थी। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वे किसी का इंतजार कर रहे थे, तभी वहा उनका कामचोर नौकर मोहन आ जाता है। मोहन के पीछे पीछे दो हट्टे कट्टे आदमी भी चले आ रहे थे, जिनका चहरा ऐसा लग रहा था जैसे जला हुआ कोयला। दोनो आदमी ठाकुर साहब के सामने हाथ जोड़ लेते है और वही एक साइड में खड़े हो जाते है।
मोहन आते से ही ठाकुर साहब से कहता है–" ये लीजिए आ गए ये दोनो। अब आगे का काम आप ही इन्हे बता दीजिए।"
ठाकुर साहब उन दोनो आदमी के पास जाते है और कहते है–" आज दिन में जो हुआ वो तो तुम्हे पता ही होगा।"
दोनो आदमी हा में अपना सिर हिला देते है। ठाकुर साहब आगे कहते है–" मैं चाहता हु तुम दोनो अभी वहा जाओ और उस कब्र को खोदकर देखो, उसके अंदर क्या है?"
ठाकुर साहब की बात सुन दोनो आदमी एक दूसरे की ओर देखने लग जाते है। उनके चहरे पर दहशत के भाव नजर आ रहे थे। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो इस काम को करने के लिए बिल्कुल भी राजी ना हो। ठाकुर साहब उन दोनो की घबराहट को समझते थे इसीलिए वो उन दोनो से कहते है–" घबराओ मत, मोहन भी तुम दोनो के साथ जाएगा। जब खुदाई का काम हो जाए जो हमे खबर कर देना।"
ठाकुर साहब की बात सुनकर तो मोहन के तोते ही उड़ गए। उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि उसके मालिक उसे मौत के मुंह में धकेल देंगे। उसका तो मन कर रहा था कि अभी धरती फटे और वो उसमे समा जाए। वो बरसो से ठाकुर खानदान का वफादार नौकर रहा है और उसकी वफादारी का उसे ये सिला मिला। खैर मालिक की बात नौकर कैसे टाल सकता है इसीलिए वो रोनी सूरत के साथ हामी में अपना सिर हिला देता है। उसके बाद मोहन उन दोनो आदमियों के साथ मैदान की ओर जाने लगता है। टॉर्च की रोशनी में वे तीनों धीमे कदमों के साथ आगे चले जा रहे थे। बीच रास्ते में ही मोहन अपना फोन निकलता है और किसी का नंबर डॉयल करने लग जाता है। फोन की रिंग जाती है फिर दूसरी तरफ से किसी की आवाज आती है–" हा मोहन भाई बोलो, अचानक से कैसे फोन किया?"
मोहन रोनी सी आवाज के साथ कहता है–" अरे तू जहा भी है जल्दी से मैदान वाले हिस्से में आजा।"
इतना कहकर मोहन फोन काट देता है और हनुमान नाम का जाप कर कब्र की ओर जाने लग जाता है। चारो ओर गहरा अंधेरा छाया हुआ था। एक गहरा सन्नाटा वहा चारो फैला हुआ था। आस पास से आ रही कीड़े मकोड़ों की आवाजे उस शांत माहौल को और भी ज्यादा भयानक बना रही थी। दोनो आदमी आगे आगे चल रहे था और मोहन उनके पीछे पीछे। मोहन बार बार अपने अगल बगल देखे जा रहा था, उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला साया उसके साथ चल रहा हो। उसे डर का कही कोई उसके कंधे पर हाथ ना रख दे और वो उसी पल हार्ट अटैक से ना मर जाए। उसे अपने ही कदमों की आवाजों से डर लग रहा था। जब वे तीनों उस कब्र के पास पहुंचते है तो वहा का तापमान नॉर्मल तापमान से कम हो जाता है। तीनो को ठंड लगने लगती है। तापमान में आए बदलाब को देख वे तीनों काफी ज्यादा हैरान थे। मोहन टॉर्च की रोशनी कब्र पर मारता है और उन दोनो आदमियों से कहता है–" अब देरी मत करो जल्दी से इसे खोदना शुरू कर दो।" दोनो आदमी हा में अपना सर हिलाते है और एक डंडे से वहा पड़ी कंकाली खोपड़ियों को साइड में कर देते है। उसके बाद वे दोनो उस कब्र को खोदना शुरू कर देते है। जैसे ही एक आदमी उस कब्र पर फाबड़ा चलाता है वैसे ही आसमान में एक तेज आवाज होती है और वहा का माहौल बदलने लग जाता है। आसमान में ढेरों काले बादल मंडराने लगते है जिन्हे देखकर ऐसा लग रहा था मानो कई सारे काले साए आसमान में मंडरा रहे हो। शांत बहती हवाएं तेज हो जाती है और कुछ ही देर में वहा भयंकर तूफान आ जाता है। मोहन के हाथ में लगी टॉर्च बंद चालू होने लग जाती है। मौसम में आए बदलाब को देख मोहन और उसके साथ आए आदमी डर से कांपने लग जाते है। हवा के तेज वहाव में उन तीनो का वहा खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था। मोहन चिल्लाते हुए उन दोनो आदमियों से कहता है–" जल्दी... कब्र से दूर हट जाओ।"
मोहन की बात सुन दोनो आदमी घबराते हुए कुछ कदम पीछे हट जाते है। उनके पीछे हटते ही मौसम शांत होने लगता है और थोड़ी ही देर में सब कुछ नॉर्मल हो जाता है।
मोहन तो इतना डर चुका था कि उसका वहा दो पल भी रुकने का मन नहीं कर रहा था लेकिन उसे पता था कि अगर वो बिना काम पूरा किए वापस गया तो ठाकुर साहब उसे सूली पर लटका देंगे। कुछ देर नॉर्मल होने के बाद मोहन फिरसे उन दोनो से कहता है–" घबराने वाली कोई बात नही है, तुम दोबारा कोशिश करो लेकिन इस बार ध्यान से करना, कोई गड़बड़ ना होने पाए।"
मोहन की बात सुन दोनो आदमी एक दूसरे की ओर देखने लगते है, पलटकर कुछ नही कहते है।
तभी मोहन दोबारा उनसे कहता है–" क्या हुआ, ऐसे बुत बने क्यूं खड़े हो?'
उनमें से एक आदमी हकलाते हुए कहता है–" अगर हमने इस कब्र को खोदने की कोशिश की तो सब मारे जाएंगे "
मोहन उस आदमी को समझाते हुए कहता है–" एक बार कोशिश करने में क्या जाता है? अगर इस बार भी कोई गड़बड़ हुई तो हम वापस चलेंगे।"
मोहन की बात सुन दूसरा आदमी मना करते हुए कहता है–" नही, हम ये काम नही करेंगे, इसमें जान का खतरा है, ठाकुर साहब से कह देना, ये काम किसी और से करा ले।"
मोहन चिड़ते हुए उन दोनो कहता है–" ठीक है ठीक है, तुम लोग रहने दो, थोड़ी देर इंतजार करो, मैने कुछ लोगो का यहां बुलाया है।"
दोनो आदमी हा में अपना सिर हिला देते है। उसके बाद वे लोग किसी के आने का इंतजार करने लगते है। उन लोगो को ज्यादा देर इंतजार नहीं करना पड़ता, क्योंकि एक टॉर्च की रोशनी उनकी ओर आती हुई नजर आती है। मोहन तुरंत अपनी टॉर्च ऑन करता है और हवा में घुमाने लग जाता है। टॉर्च की रोशनी देख वे अंजान लोग मोहन की ओर आने लगते है। जब वे लोग मोहन के पास पहुंचते है तो मोहन की तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। मोहन खुश होते हुए उन लोगो से कहता है–" अच्छा किया तुम लोग यहां आ गए। मुझे तो लगा था ये रोमियो आएगा ही नहीं।"
ये अंजान लोग कोई और नहीं बल्कि रितिक और उसके दोस्त थे, जिन्हे मोहन ने फोन करके बुलाया था।
रोमियो हस्ते हुए मोहन से कहता है–" कैसी बात कर रहे हो मोहन भाई?, तुम बुलाओ और हम ना आए, ऐसा कभी हो सकता है।"
रोमियो की बात सुन मोहन हा में अपना सिर हिला देता है। रितिक कन्फ्यूजन के साथ मोहन से पूछता है–" वो कब्र का कुछ पता चला ?"
मोहन बुरा सा मुंह बनाते हुए कहता है–" उसी सिलसिले में तुम्हे यहां बुलाया है। मुझे तुम्हारी एक मदद चाहिए।"
" मदद, कैसी मदद?"
" अब तुम्हे क्या ही बताऊं, तुम्हे तो पता ही है गांव के लोग कितने अंधबिस्वासी होते है, कोई सामने ही नहीं रहा जो इस कब्र को खोद सके। जब तक ये कब्र खुदेगी नही तब तक पता कैसे चलेगा, इसके अंदर क्या है?"
अमर मोहन की बात में सहमति जताते हुए कहता है–" हा बात तो सही है, गांव के लोग होते ही अंधविश्वासी है।"
" इसमें हम तुम्हारी क्या मदद कर सकते है?" करन मोहन से पूछता है और करन की बात सुन मोहन हकलाते हुए उससे कहता है–" क्या तुम लोग इस कब्र को खोद सकते हो?" मोहन की बात सुन तो वे चारो शौक ही हो गए। इसने क्या हमे कोई मजदूर समझ रखा है जो हमे यहां खुदाई करने बुला लिया। अरे खुदाई तो खुदाई भला कब्र की खुदाई कौन करवाता है? सबके मन में एक ही बात चल रही थी कि तभी मोहन उन लोगो से कहता है–" देखो, ये काम बहुत जरूरी है, ये किसी की मौत से जुड़ा हुआ है इसीलिए तुम लोगो से मेरी बिनती है, तुम जल्दी से इस कब्र को खोद दो, आगे तुम्हारी मर्जी।"
मोहन को पता था जब सीधी उंगली से घी ना निकले तो बेचारा बनना ही पड़ता है ताकि कोई दूसरा उसके लिए घी निकाल कर दे दे और हुआ भी यही। मोहन की बिनती सुन वे चारो मान गए। अमर हाथ दिखाते हुए मोहन से कहता है–" तुम्हे बिनती करने की जरूरत नहीं है, हमने बहुत सी कब्रे खोदी होती है, ये भी खोद ही देंगे।"
अमर की बात सुन मोहन शौक हो जाता है और वो मन ही मन कहता है–" कही ये कोई भूत तो नही, कह तो ऐसे रहा है जैसे कब्र नही खजाना खोद रहा हो।" मोहन अपनी सोच में ही था कि तभी अमर आगे कहता है–" आखिर कब्रे खोदकर खजाना जो मिलता है।"
ये सुनकर तो मोहन के पाव तले धरती ही फिसल गई। अब तो उसे यकीन हो चला था कि सच में ये कोई भूत है, तभी तो उसके मन की बात जान ली। मोहन हकलाते हुए अमर से कहता है–" ततत तुम्हे ये सब कैसे पता?"
मोहन को घबराते देख अमर हैरान हो जाता है और हैरानी के साथ कहता है–" क्या पता है?"
मोहन हिम्मत करते हुए कहता है–" कब्र के नीचे लाश होती है खजाना नही।"
अमर हस्ते हुए मोहन से कहता है–" वो लाश ही तो खजाना है।"
ये सुनकर तो मोहन का रोना ही निकल गया। उसने मदद करने के लिए बुलाया भी किसे, एक भूत को। अमर अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहता है–" हमने बताया था ना कि हम पुरातत्व भिभाग में काम करते है। कई बार हमे पुराने खंडरो में जाना होता है जहा प्राचीन राजाओं की कब्रे होती है, वो क्या किसी खजाने से कम है?"
मोहन को अमर की बात समझ आ जाती है और वो राहत की सांस लेता है। तभी रोमियो की नजर उन दोनो आदमियों पर पड़ती है और वो मोहन से पूछता है–" ये दोनो कौन है?"
मोहन जवाब देते हुए कहता है–" ये.. ये गांव के ही आदमी है, यहां से गुजर रहे थे तो मैंने इन्हे रोक लिया, जितने लोग साथ होंगे उतना ही अच्छा है।"
मोहन के मुंह से झूट बोले जाने पर दोनो आदमी कन्फ्यूजन के साथ एक दूसरे की ओर देखने लग जाते है। इधर मोहन उन लोगो से कहता है–" ठीक है फिर, काम शुरू करे।"
" हा " अमर कहता है और फावड़ा लेकर कब्र के पास जाने लगता है।"