अपने मालिक की बाते सुन कर आकाश के पेरो तले जमीन खिसक जाती हैं। और वो बोलता है, "मालिक आप ये क्या बोल रहे हैं, आप तो जानते ही हैं कि आपके इस खेत की वजह से ही मेरे घर में चूल्हा जलता है अगर आपने ऐसा किया तो फिर हमारा क्या होगा"।
तब आकाश का मालिक बोलता है, "देखो आकाश मे तुम्हारा दर्द समझ सकता हूं मगर मे क्या करु मैं मजबूर हू"।
तब आकाश बोलता है, "आप केसे मजबूर हो सकते हैं मालिक आप के पास तो इतना सारा पैसा और खेत है"।
तब आकाश का मालिक बोलता है, "देखो मे अपनी बेटी की वजह से मजबूर हू, क्योंकि मेने जिससे अपनी बेटी की शादी की बात तय करी है उसने यू खेत दहेज के रूप में मांगा है और मे मना नही कर सकता हूं क्योंकि मैं लङकी का बाप हू, देखो मेरी मजबूरी समझने की कोशिश करो"।
तब आकाश बोलता है, "आप भी तो मेरी मजबूरी समझने की कोशिश करिए मैं कहा जा कर काम ढूंढू अब, मुझे कोन काम देगा अब, और आप तो मेरे घर के हालात जानते ही हैं "।
तब आकाश का मालिक बोलता है, "मुझे माफ कर दो मै तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता हूं "।
तभी आकाश का मालिक चला जाता है। आकाश वही पर ही बैठ जाता है और सोचता है कि अब क्या होगा में घर जा कर क्या जवाब दूंगा।
छाया की सास अपने पोते को बोलती है, "इतना देर हो गया है तुम्हारी मां अभी तक नही आई है, जरा एक बार उसे बुला कर तो ले आओ "।
तब बच्चे बोलते है, "जी दादी जी "।
उसके बाद बच्चे वहा से चले जाते हैं। आकाश घर आ जाता हैं, तभी उसकी मां बोलती है, "क्या बात है बेटा आज बड़ी ही जल्दी आ गया "।
तब आकाश कुछ नहीं बोलता है बस एक जगह चुप चाप जा कर बैठ जाता हैं। तब छाया आकाश के लिए पानी ले कर आती है और देती हैं, तब आकाश बोलता है, "नही मेरा मन नही कर रहा है पानी पीने का "।
तब छाया बोलती है, "क्या हुआ आप इतने परेशान क्यो लग रहे हैं, और इतनी जल्दी कैसे आ गए "।
तभी छाया की सास बोलती है, "क्या हुआ बेटा तबीयत ठीक नहीं है क्या तेरी जो इतना सुस्त लग रहा है "।
तभी छाया की जेठानी आ जाती हैं तभी उसकी सास उसे बोलती है, "तुम्हारे अन्दर बड़ा ही घमंड चढ़ गया है, जो हमसे मिलने भी नही आई "।
तब छाया की जेठानी बोलती है, "मम्मी जी मुझे पता ही नहीं चला की आप लोग आ गए "।
तब छाया की सास बोलती है, "बस बहू रानी मेरे सामने इतनी सीधी मत बनो, मुझे सब पता है कि तुम्हे लोगो ने पहले ही खबर दे दी होगी, मगर तुम्हे आने में लाज आ रही होगी "।
तब छाया की जेठानी बोलती है, "नही मम्मी जी वो......
तब छाया की सास बोलती है, "बस अपना ये वो बंद करो मुझे सब कुछ पता है तुम्हारे बारे में"
तभी छाया की जेठानी बोलती है, "आज देवर जी इतने जल्दी केसे आ गए ये तो अभी तक नही आए"।
तभी आकाश अपनी मां के गले लग कर रोने लगता है। ये देख कर सभी घबरा जाते है और उसकी मां बोलती है, "क्या हुआ बेटा तू रो क्यों रहा है, देख मुझे बता दे मुझे बहुत ही घबराहट हो रही है, कही मेरी तबियत न बिगड़ जाए "।
तब आकाश बोलता है, "मां मेरा काम छूट गया मां "।
ये सुनते ही मानो सबके पेरो तले जमीन खिसक जाती हैं............