Wrong Number - 9 in Hindi Love Stories by Madhu books and stories PDF | Wrong Number - 9

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Wrong Number - 9


अयाची छत पर उन यादो को याद करके हाथ में पकडी हुई तस्वीर पर हाथ फ़ेरने लगा.....काश! मैने तुम्हे पहले हि बता दिया होता तो आज तुम्हॆ देखने के लिये तुम्हे महसूस करने के लिए तस्वीर का सहारा ना लेना पडता l

यू अक्श बह चले
यू तुम्हे याद करके
यू होठ मुस्कुरा दिये
तुम्हें देखकर करके
यू टूट गया
तुम्हें किसी और कि बाहो में
देख करके!!
या सिर्फ़ आंखों का धोखा था
या सच्चाई हि कुछ और हो चली
गर कुछ कह दिये होते तो
यू मलाल ना होते
यू अक्श बह चले
यू तुम्हें याद करके
यू होठ मुस्कुरा दिये
तुम्हें देख करके!!
यू आंखॆ चमक
गई तुम्हे देखकर करके
यू होठ मुस्कुरा दिये
तुम्हें देख करके!!


छत पर अयाची तारो को निहारता रहा..... कुछ वक़्त बाद अयाची कमरे आकर चेतन भगत का कोई नोवेल पढने लगा l अकसर अयाची याचना के पास आता रहता था तो अपनी कुछ पसंदीदा किताबे यहा जमा दि थी पढने के लिये ll

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कोई लडकी अपने कमरे में हिचकिचाहट के लिये परेशान हो रही थी उसकी हिचकिची बंद नहीं हो रही... तो पानी पीने लगी फिर भी उसकी हिचकी बन्द ना हुआ l खुद से हि अरे यार कौन है जो मुझे इतनी शिद्दत से याद कर रहा या रट्टा मार रहा है भई रुक जा जो भी कोई हो या हिचकी से हि दम निकालने का इरादा है l वैसे मै इतनी खास किसके लिये हो गई माथे पर हाथ रखे सोचने लगी.... जब कुछ ना पल्ले पडा. ..अमा छोडो मेरी बला से डेली हि ऐसा होता है जिस दिन तुम मुझे मिल गये ना.... ऐसी धुनाई करेगे ऐसी धुनाई करेगे कि याद करना भूल जाओगे l बडबडाते बडबडाते उसकी हिचकी बन्द हो गई l

हाय राम अब जाकर चैन पडा l शीशे के सामने खड़े होकर देखो भई जो भी कोई हो यार इत्ता मत दिया करो कि मै बेदम हो जाऊ थोड़ा बहुत याद कर लिया करो चलेगा ll खुद हि बडबडाते हुये हस पड़ी l अरे पागल लडकी थोड़ा धीरे हस नहीं तो मातेश्वरी तुमाय आम कि कुच्चा बना देगी... खुद के हि गाल पर धर दी l

आउच.....अरे इतनी जोर का थोड़े मारना था मुझ मासूम को कोई प्यार नहीं करता मै खुद भी नहीं l हि हि हि करते हुये उसकी आँखें नम हो चली l

टेबल पर रखी किताब में से एक तस्वीर निकाल कर.....काश!!
कभी हम कह पाते कि हम हम कितना...... कहकर चुप हो गई l

पता है आपके बारे में सुनकर सुनकर एक मन में छवी बन गई थीl याचू कि हर बात में दूसरी बात आपकी हि होती थी दादा ऐसे दादा वैसे दादा ये बात दादा वो जब देखो गुणगान गाती रहती थी और अब भी जब देखो दादा दादा करती फ़िरती l कभी कभी तो मै झल्ला जाती बस कर अपना दादापुराण जब देखो दादा करती रहती है...!!

हा तो मेरे दादा है मै तो करुगी हि तुम भी कभी मिली तो मेरे दादा के चार्म से अछूती ना रह पाओगी l बहुत गर्व से बोली समझी मिस चन्द्रा जी l

हा हा मै समझ गई तुम और तुमाय दादा हि चार्मिग है बाकी लोग लल्लू पन्जू मुहँ सिकोडते हुये कहती चन्द्रा l

चन्द्रा मन में......अब तुझे क्या बताऊ तेरे दादा मेरे दिल में कब बस गये मुझे भी नहीं पता चला काश उनसे मिलना होता!!
चिढने कि कोई खास वजह नही है बस जब तू मेरे साथ हुआ कर तो मेरी रहा कर ना कि अपने दादा कि समझी तू मेरे वक़्त पर तुझ पर मेरा अधिपत्य है l

हाय मेरी हिरोईन इणा परेम हाय मरजावा मुस्कुराने लगी चन्द्रा के गले लग गई l वैसे हिरोईन ये बता मैनू तो मणे इतना परेम करे है

तो.... आगे बोल l

तो क्या तू फिर अपने उनसे क्या परेम करेगी कहकर इस बार जोरो से हस कर भाग ली l

याचू रुक तू आज तो मै तुझे छोडोगी नहीं
रुक तू भाग क्यों रही है ll

जारी है!!
स्वस्थ रहिये खुश रहिये!!