Jaadu Jaisa Tera Pyar - 11 in Hindi Love Stories by anirudh Singh books and stories PDF | जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 11)

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जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 11)

ऐसा लग रहा था जैसे सम्राट के मस्तिष्क में किसी शैतान का वास हो गया हो.... बोतल का ढक्कन खोल कर वह जैसे ही प्रिया के चेहरे पर तेजाब फेंकने आगे बढ़ा....

अचानक से मुझे पता नही क्या हुआ…...मैं जोर से चीख पड़ा.....डरी सहमी सी प्रिया की हालत देखकर मेरा दिलो दिमाग गुस्से से कांपने लगा......शायद उस दिन पहली बार किसी पर क्रोध आया था मुझे, और उस क्रोध को निकालने का अवसर भी.......इस से पहले कोई कुछ समझता मैं एक झटके से उठ खड़ा हुआ और टेबल पर रखी कोल्ड ड्रिंक की उस बोतल को पूरी ताकत से सम्राट के सिर पर दे मारा......बोतल चकनाचूर हो चुकी थी.....और साथ में चकनाचूर हो गया था प्रिया को नुकसान पहुंचाने का सम्राट का वहशी इरादा भी...अचानक हुए इस हमले से सम्राट विचलित हो गया.....उसके हाथ से तेजाब की वह बोतल छिटक कर नीचे जा गिरी......उसके सिर से खून की धार फुट चुकी थी......एक हाथ से अपने सिर को पकड़कर वह मेरी ओर मुड़ा तो था पर अत्यधिक पीड़ा के कारण वही जमीन पर घुटनो के बल बैठ गया.....

सम्राट के तीनो साथी मुझे मारने के लिए मेरी ओर दौड़े.....पर किसी तरह का जुनून मुझ पर हावी हो चुका था.....मेरे सिर पर खून सवार था, गुस्से से मेरी आँखें सुर्ख लाल हो चुकी थी......मेरे हाथ मे उस फूटी हुई कोल्ड ड्रिंक की बोतल का नुकीला हिस्सा अब भी मौजूद था.....
"आओ सालों..... माँ का दूध पिया है तो आगे बढ़ कर दिखाओ.....तीनो को काट डालूंगा।"

मेरी उस ललकार में मेरे सीने की धधकती आग का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था......मेरा यह अवतार देख कर वो तीनो सहम कर अचानक से वहीं ठिठक गए......और दूर से ही चिल्लाये

"वैभव, तुम क्यों इस लड़की के लिए हमसे दुश्मनी मोल ले रहे हो.....क्या लगती है वो तुम्हारी ।"

मेरी जुबान,मेरे शरीर,मेरे गुस्से और मेरे दिल पर शायद मेरा नियंत्रण न रहा था इस समय......प्रिया को उस हाल में देख कर आपा खो चुका था मैं.......कड़कती आवाज के साथ मैने जबाब दिया

"प्यार करता हूँ मैं प्रिया से..मेरी प्रिया की ओर किसी ने आंख उठा कर भी देखा तो टुकड़ो में बांट दूंगा उसको मैं.....अभी,इसी वक्त"

भावनाओं में बह कर ये पता नही क्या बोल गया था मैं....पहले से ही मेरे इस नए स्वरूप को देख हैरान खड़ी प्रिया....मेरी इस बात को सुनकर तो वह एकदम से सन्न हो गयी थी, दूर खड़ी खड़ी बस मुझे निहारे जा रही थी.....

लड़खड़ाते हुए सम्राट उठा ,और अपने साथियों को टूटी फूटी लड़खड़ाती आवाज में आदेश दिया
"प.….पकड़ो इसे "

सम्राट को खड़ा होते देख उसके साथी भी दूर दूर से ही मेरी घेराबन्दी करने लगे......

पर इस से पहले वो आगे बढ़ भी जाते कॉलेज प्रबंधन के कुछ लोग एवं साथ में पुलिस भी वहां आ चुकी थी,साथ मे मिहिर भी सामने खड़ा था.....दरअसल कैंटीन के उन मोहन बाबा के पास मिहिर का मोबाइल नम्बर था, उन्ही ने कॉल करके मिहिर को इस घटना की जानकारी दी..और मिहिर ने कॉलेज के डायरेक्टर को कॉल किया और कॉलेज से कुछ दूर खड़े पुलिस के पीआरवी वाहन में मौजूद पुलिसकर्मियों को घटना के बारे में बता कर साथ ले आया .......पुलिस ने तुरंत ही सम्राट और उसके साथियों को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया.... एक बड़ा हादसा होते होते बच गया था.......तभी मेरी ओर देखती प्रिया ने कुछ नोटिस किया तो वह चीख पड़ी....."वैभव.....चोट लगी है तुम्हे"......

मेरे बाएं पैर में घुटने से निचले हिस्से में खून बह रहा था, मेरी पेंट का निचला हिस्सा भी जल कर फट चुका था.....दरअसल तेजाब की वह बोतल जब सम्राट के हाथों से नीचे गिरी तो उसमें से छिटककर काफी मात्रा में तेजाब मेरे पैर के निचले हिस्से पर भी जा गिरा था......जिसका अहसास अब मुझे असहनीय दर्द के साथ हो रहा था......मुझे बस इतना याद है कि उस दर्द की वजह से मैं होश खो कर नीचे गिरने वाला था.....पर उस से पहले प्रिया ने मुझे सम्भालते हुए गिरने से बचाया....
.........और फिर उसके बाद जब होश आया तो खुद को हॉस्पिटल में पाया........सामने प्रिया ,मिहिर,अनिकेत और सौम्या भी खड़े थे......प्रिया की आंखों में आंसू थे.....मुझे होश में आते देख सब खुश हो गए........मेरे पैर में तेजाब की वजह से घाव हो गया था,डॉक्टर ने बताया था कि बहुत जल्दी मैं सामान्य हो जाऊंगा।

प्रिया ने बताया कि सारे मामले के बारे में उसने अपने डैडी को बता दिया है.....वह पुलिस कमिश्नर से मिलकर इस सारे घटनाक्रम का जिक्र कर चुके है.....सम्राट पर सख्त कार्यवाही की जा रही है....अब वह कुछ सालों के लिए अंदर ही रहेगा।
मैंने गौर से प्रिया की आंखे पढ़ने की कोशिश की ....तो पाया उन आंखों में मेरे लिए बहुत कुछ छिपा है.....यह देखकर बरबस ही मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी।

(कहानी जारी रहेगी.......)