MY HERO - 4 in Hindi Moral Stories by shama parveen books and stories PDF | MY HERO - 4

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MY HERO - 4

चाची की बात सुन कर छाया घबरा जाती हैं। और डरने लगती है कि अगर मेरी बेटी हुई तो ये लोग तो मुझे जिन्दा ही जला देंगे।

तब चाची जी बोलती है, "अरे तुम क्यो घबरा रही हो, वैसे भी इस खानदान में किसी को बेटी हुई है जो तुम्हे होगी, मगर हा डर तो लगा ही रहता है, मगर भगवान गलती से भी किसी भी दुश्मन को बेटी न दे, एक तो सबसे बड़ी बात दहेज में ही इनसान मर जाता हैं दूसरा उस पर ध्यान रखो की कही किसी के साथ न भाग जाए, वो रमेश की बेटी को ही देख लो, पिछले साल बड़ी बेटी भागी थी और इस साल छोटी वाली भी भाग गई, पता नहीं केसे जिन्दा है अब तक अगर कोई इज्जत दार इंसान होता तो कब का मर जाता "।

तब छाया बोलती है, "इनमे उनकी क्या गलती है "।

तब चाची बोलती है, "अरे सारी गलती तो मां बाप की ही होती है, उन्हे ध्यान रखना चाहिए न अपनी बेटी का, अच्छा ठीक है अब मैं चलती हूं मुझे बहुत ही काम है "।

उसके बाद चाची चली जाती हैं।

छाया की तबीयत ठीक नहीं रहती है इसलिए वो थोड़ा सा आराम करने के लिए लेट जाती हैं।

आकाश के मां पापा दोनो ही मंदिर की यात्रा और स्नान करके आ जाते है और सीधा अपने छोटे बेटे के घर पर ही आते हैं। छाया सोई हुई रहती हैं तभी उसकी जेठानी के बच्चे उसे उठाते हैं और बोलते हैं, "चाची उठ जाओ दादा जी और दादी जी आ गई है"।

ये सुनते ही छाया जल्दी से उठ जाती हैं, तब छाया की सास बोलती है, "आराम से बहू इतनी जल्द बाजी में मत उठो"।

छाया उठते ही उन्हे नमस्ते बोलती है और उनके पैर छूती हैं।

उसके बाद वो उनके लिए चाय बनाने लगती हैं। छाया चाय बना कर लाती है और उन्हे देती हैं। उसके बाद उसकी सास उसे मंदिर का धागा बांधती हैं और प्रसाद देती है और बोलती है, भगवान तेरी गोद में एक हसता खेलता बेटा दे "।

तभी छाया की जेठानी के बच्चे बोलते है, "दादी जी आप हमारे लिए कुछ भी नही लाई "।

तभी वो उन्हे परसाद देती हैं।

उसके बाद छाया की सास बोलती है, "तुम खाना तो अच्छे से खाती हो न "।

तब छाया बोलती है, "जी मे अच्छे से खाना खाती हूं "।

उसके बाद छाया काम में लग जाती हैं।

उधर छाया की जेठानी अपने घर में काम कर रही होती है। तभी एक औरत आती हैं और बोलती है, "तुम्हारी सास तो आ गई "।

तब छाया की जेठानी बोलती है, "कब आई "।

तब वो औरत बोलती है, "थोड़ा देर हो गया है, तुम्हे पता नहीं है क्या "।

तब छाया की जेठानी बोलती है, "जब कोई बोलेगा तभी तो पता चलेगा, बताओं ये लोग तो मुझे भूल ही गए हैं इन्हें तो बस इनकी छोटी बहू ही नज़र आती हैं , जेसे की मेने बेटा नही दिया है इन्हे "।

तब वो औरत बोलती है, "तुम्हारे सास ससुर का सारा ध्यान तो वहीं पर ही लगा रहता है "।

तब छाया बोलती है, "कोई बात नहीं मुझे नही बताया है न, तो मै भी नही देखने जाने वाली किसी को "।

उधर आकाश खेत में काम कर रहा होता है तभी उसका मालिक वहा पर आता है और बोलता है, "आकाश कल से तुम्हे यहां पर आने की जरुरत नहीं है "।

तब आकाश बोलता है, "मगर क्यो मालिक "।

तब उसका मालिक बोलता है, "क्योंकि मेने ये खेत बेच दिया है "।

ये सुनते ही आकाश के पेरो तले जमीन खिसक जाती हैं ..........