009 SUPER AGENT DHRUVA - 19 in Hindi Adventure Stories by anirudh Singh books and stories PDF | 009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 19

Featured Books
  • ભાગવત રહસ્ય - 61

    ભાગવત રહસ્ય-૬૧   કુંતાજી –દુઃખના દિવસો- અને એ દિવસોમાં પ્રભુ...

  • હમસફર - 22

    અમન તૈયાર થઈ ને નીચે આવે એ જોવે કે રુચી અને વીર હસે અને નાસ્...

  • નિતુ - પ્રકરણ 27

    નિતુ: ૨૭ (યાદ)નિતુને લઈને ઘરમાં બે દિવસ સુધી વર્ષાની મથામણ ચ...

  • કભી ખુશી કભી ગમ

    શ્રી ગણેશાય નમઃ            કભી ખુશી કભી ગમપાત્ર પરિચય  જયંત ...

  • સોનું ની મુસ્કાન - ભાગ 13

    ભાગ ૧૩ આજે એ દિવસ હતો જ્યારે સોનું એ જે ફિલ્મ માં કામ કર્યું...

Categories
Share

009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 19

ध्रुव का एक एक निर्णय बेहद सूझबूझ एवं दूरदर्शिता से परिपूर्ण होता था,इसलिए वह हड़बड़ी में कोई भी ऐसा कदम नही उठाना चाहता था जिससे कि उसका बना बनाया काम अंतिम क्षणों में बिगड़ जाए....इसलिए वह गार्ड्स को बिना कोई जबाब दिए पास में ही बने 'वर्कर्स सुपरवाइजिंग रूम' की ओर बढ़ गया .....
इस जगह से वुहान कैम्पस में काम करने वाले सभी छोटे वर्कर्स की मॉनिटरिंग की जाती थी.....स्वीपर्स भी इसी जगह के प्रति उत्तरदायी होते थे.....

ध्रुव ने कमरे के अंदर प्रवेश करते ही सामने कुर्सी पर बैठे एक मोटे चाइनीज को झुक कर अभिवादन किया......वह यहां पर सुपरवाइजर था......ध्रुव के चेहरे और गले मे पड़े आइडेंटिकार्ड को कुछ सेकेंड्स गौर से देखने के बाद उसने तुरँत ही प्रश्न किया।

"张,你知道秀琴在哪里吗?"

अर्थात
"झांग,क्या तुमको पता है साऊ चिन कहाँ है?"

जबाब में ध्रुव ने बेहद सामान्य ढंग से चाइनीज में ही जबाब दिया।

"आते वक्त वह मेरे साथ ही था,सर.....पर रास्ते में उसकी तबियत कुछ खराब हुई और वह वहीं रुक गया.....उसके बाद मुझे नही मालूम"

ध्रुव की विशेषता थी कि वह प्रत्येक मिशन के दौरान ,उस मिशन से जुड़े हुए हर एक छोटे पहलू पर जबरदस्त रिसर्च करता था.....और इसी कड़ी में उसने वीडियो फुटेज के आधार पर झांग के क्रिया कलापो और बॉडी लैंग्वेज में ढलने के लिए भी अच्छी खासी मेहनत की थी....यही कारण था कि सामने बैठा उसका बॉस भी उस पर झांग न होने का किसी भी प्रकार का शक जाहिर नही कर पा रहा था।

झांग की बात सुनकर थोड़ी देर सोचने के बाद उसके बॉस ने चेतावनी भरे लहजे में आगे कहा

"ठीक है, अगर वह तुमको मिले तो उससे कहना कि उसने लापरवाही की सीमा पार कर दी है..एक महीने में यह तीसरी बार है,जब वह बिना बताए ड्यूटी से गायब रहा हो.......उससे कहना कि अगर आज के बाद फिर कभी भी ऐसा होता है तो उसे बिना उसकी बात सुने नौकरी से निकाल दिया जाएगा।"

जबाब में ध्रुव ने सहमति में सर हिलाया और फिर उस चाइनीज़ द्वारा जाने का इशारा मिलते ही उस ऑफिस से बाहर निकल लिया।

अपनी सूझबूझ से ध्रुव सारी सिक्योरिटी को चकमा देते हुए वुहान लैब के मुख्यभवन से बाहर निकल कर कैम्पस में कुछ दूरी पर मौजूद उस गटर की ओर बढ़ रहा था,जहां जॉन उसका इंतजार कर रहा था......पर गटर के मेनहोल में एंटर करने के लिए चप्पे चप्पे पर मौजूद सीसीटीवी कैमरों की नजरों से बचने के लिए उसे अब जेनिफर की मदद की जरूरत थी.....सिक्योरिटी की वजह से ध्रुव अपने साथ लैब के अंदर कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नही ले जा सका था,जिससे कि वह स्वतः ही जेनी से सम्पर्क कर सके, प्लान के अनुसार गटर में मौजूद जॉन कैम्पस की घास में छिपी हुई डिवाइस के माध्यम से ध्रुव को आते हुए देख चुका था,और वह जेनी से ट्रांसमीटर द्वारा मैसेज भेजने का प्रयास कर रहा था....पर जेनी की ओर से कोई जबाब नही मिल रहा था।

दरअसल यही ठीक वह समय था जब चाइनीज पुलिस का वह ऑफीसर उस वैनिटी वैन को चेक करने के लिए उसमें अंदर झाँकने का प्रयास कर रहा था,जिसमें जेनी मौजूद थी।

उस ऑफीसर ने अभी गर्दन घुमा कर अंदर देखा ही था कि अंदर पहले से पूरी तैयारी में मौजूद जेनिफर के मजबूत हाथों ने उसके गले का पकड़ कर उसके पूरे शरीर को एक ही झटके में अंदर खींच लिया......अचानक से मिली इस प्रकार की अप्रत्याशित प्रतिक्रिया का अंदेशा उस ऑफीसर को बिल्कुल भी न था........जैसे ही जेनी ने उसे अंदर खींचा ,बाहर खड़ा थॉमस ने पहले तो चारो ओर नजरे घुमा कर देखा फिर सब कुछ सामान्य देख कर वह खुद भी वैनिटी वैन के अंदर जा कर गेट को बंद कर चुका था.....
पर उसके पास करने के लिए अब कुछ काम शेष न बचा था.....जेनिफर ने उस ऑफीसर्स को अंदर खींच कर उसके सम्भलने से पहले ही उसके कंधों पर बैठ कर उसकी गर्दन को मरोड़ने में बस कुछ ही सेकेंड्स जाया किये थे.....और उसकी चीख वैनिटी वैन के उस साउंड प्रूफ वातावरण में दब कर रह गयी थी।

थॉमस ने आश्चर्य से फ़टी आंखों से जेनी को घूर कर मुस्कुराते हुए 'oh my God's बोला और वापस वैन से बाहर आ गया।

जेनिफर एक बार फिर से अपनी सीट पर कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने बैठ चुकी थी.....सामने डिजिटल बोर्ड पर लगी हुई ग्रीन कलर की ट्रांसमीटर लाइट्स बार बार ब्लिंक हो रही थी......उसके पास मौजूद छोटे से बटन को जेनी ने दबाया और सामने से आ रही ट्रांसमीटर कॉल को रिसीव किया.....और कम्प्यूटर स्क्रीन पर अपने हैकिंग प्रोग्राम को की बोर्ड पर उंगलियां घुमाते हुए जारी किया।

"सॉरी जॉन ....कुछ प्रॉब्लम हो गयी थी...बट इट्स ओके नाउ....सीसीटीवी कैमराज डिसेबल्ड होने ही वाले है......ये.....85%...92%...98% and 100% ....फिनिश....."

सामने आता हुआ ध्रुव गटर के मेनहोल से अब बमुश्किल 10 मीटर ही दूर रह गया था.....एकदम अंतिम समय में जेनी ने अपना काम शानदार ढंग से पूरा किया,अगर कुछ ही सेकेंड्स और देर होती तो उसकी संदिग्ध गतिविधि को देखकर वुहान लैब की सिक्योरिटी एक्टिव हो जाती।

और फिर ध्रुव उसी मेनहोल में एंटर हो गया जहां पर जॉन उसका इंतजार कर रहा था.......सबसे पहले जॉन ने ध्रुव को अपने पास देखते ही हाथ के इशारे से मिशन के बारे में पूंछा......जबाब में ध्रुव ने मुस्कुराते हुए अपने हाथ के अँगूठे के द्वारा इस बात की पुष्टि की कि वह जान हथेली पर रख कर जिस काम के लिए अंदर गया था वह काम अपने अंजाम तक पहुंच चुका है........

जॉन और ध्रुव दोनो इस खुशी को सेलिब्रेट करना चाहते थे,पर अभी सबसे मुख्य काम शेष रह गया था....और वह था पेनड्राईव में मौजूद एन्क्रिप्टेड डेटा को डिकोड करके इंडिया भेजना......और यह सम्भव हो सकता था उस वैनिटी वैन की 'मिनी कम्प्यूटर लैब' और उस लैब को ऑपरेट कर रही हैकिंग की मास्टर माइंड जेनिफर के द्वारा.......
ध्रुव और जॉन उसी मेनहोल के रास्ते वापस चल पड़े.....झांग म्याऊँ और उसका साथी अभी भी गटर की सीढ़ियों पर बेहोश पड़े थे....चूंकि वह दोनो ही बेकसूर थे,इसलिए ध्रुव ने उन्हें जान से खत्म नही किया था....वैसे भी जिस ड्रग्स का प्रयोग करके उनको बेहोश किया गया था,उसका असर पूरे बारह घण्टे तक रहता है।

ध्रुव और जॉन को लग रहा था कि वह इस वक्त दुनिया को इस खतरनाक वायरस से निजात दिलाने के बस अंतिम पड़ाव पर ही है......पर कई बार पास दिख रही मंजिल तक पहुंचने वाला रास्ता अचानक से इतना दुर्गम हो जाता है कि मंजिल तक पहुंचना असम्भव सा लगने लगता है......और ऐसा ही कुछ अगले कुछ क्षणों बाद ध्रुव और जॉन के साथ होने वाला था।

लगभग आधे घण्टे का सफर करने के बाद गटर के भूल भुलैया जैसे रास्तो को पार करते हुए ध्रुव और जॉन ठीक उस मेनहोल के करीब पहुंचने वाले थे,जो वुहान लैब कैम्पस के बाहर खुलता था.......

तभी अचानक वह वह अंधेरा गटर रोशनी से जगमगा उठता है.....ध्रुव और जॉन हैरान हो गए.....आंखों में घुस कर चुभने वाली रोशनी की उन तेज किरणों को अपने हाथों को आंखों पर लगाकर रोकने की कोशिश करते हुए ध्रुव और जॉन ने सामने देखने की कोशिश की तो पाया .....सामने अलर्ट मोड़ पर आगे बढ़ती हुई चाइनीज पुलिस की एक कतारबद्ध बड़ी टुकड़ी थी उन्होंने अपने चेहरों पर विशेष प्रकार के हेलमेट्स पहन रखे थे....जिन पर तेज रोशनी वाली लाइट्स भी लगी हुई थी।

और उनके हाथों में फायरिंग को तैयार अत्याधुनिक गन्स.....जिनसे निकलती लाल रंग की लेजर बीम्स ध्रुव और जॉन के शरीर के सभी संवेदनशील पार्ट्स को अपने निशाने पर लिए हुई थी।

।कहानी जारी रहेगी।