009 SUPER AGENT DHRUVA - 16 in Hindi Adventure Stories by anirudh Singh books and stories PDF | 009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 16

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009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 16

भारत में दक्षिणी कर्नाटक स्थित घने जंगल.....खतरनाक जानवरों एवं जहरीले सरीसृपों से भरपूर इस दुर्गम क्षेत्र में किसी आम इंसान का प्रवेश कर पाना बेहद कठिन था.....इसी क्षेत्र के अंदर एक विशालकाय झरना भी मौजूद था,जिसके पानी को पीकर इस जंगल के पशु पक्षी अपनी प्यास बुझाते थे......इसी झरने की एक निकटम पहाड़ी की गुफाओं में बना रखा था कन्नूस्वामी कांगा ने अपना ठिकाना......कन्नूस्वामी भारत के दक्षिणी राज्यों के साथ साथ श्रीलंका से भी दुर्लभ जानवरो एवं वृक्षों का बड़ा तस्कर था......कई राज्यो की पुलिस को उसकी तलाश थी.....जंगल मे शरण लेने वाले उसके समकालीन अन्य तस्करों एवं डाकुओ को पुलिस ने मार गिराया था,और इस सभी को पुलिस ने टेक्नोलॉजी रूपी हथियार का उपयोग करके ट्रेस किया था.......कन्नूस्वामी बेहद चालाक था, उसने बदलते वक्त के साथ खुद को बदला....अपनी गैंग के लिए कुछ हैकर्स एवं आई.टी.प्रोफेशनल्स को हायर किया.....जिनकी मदद की वजह से कांगा की गैंग को पुलिस एवं इंटेलिजेंस द्वारा ट्रेस करना मुश्किल सा हो गया.........और इस तरह कांगा के लिए यह जंगल बेहद सुरक्षित ठिकाना बन चुका था.....यही से वह देश भर में कई अवैध एवं देशविरोधी गतिविधियों को संचालित करता था.........

दिन ढलना आरम्भ हो चुका था, हालांकि अभी अंधेरा भी नही हुआ था..पर फिर भी इस घने जंगलों में जमीन तक पहुंचने वाली सूरज की चन्द किरणों ने भी घर वापस जाने की तैयारी कर ली थी.....
कांगा के पथरीली गुफा रूपी ठिकाने के बाहर दो बंदूकधारी पहरा दे रहे थे.....कुछ गार्ड्स पहाड़ी के ऊपरी भाग में भी मुस्तैद थे....हालांकि गुफा के आसपास सीसीटीवी कैमरों के जरिये अंदर से भी मॉनिटरिंग की जा रही थी।

तभी जंगल का चप्पा चप्पा किसी मदमस्त हाथी की तेज चिंघाड़ से गूंज उठा......और फिर यह आवाज और तीव्र होती गयी.....शायद वह हाथी चीखते चिंघाड़ते हुए इसी ओर आ रहा था।

कुछ ही देर में हाथी के पदचापों की ध्वनि भी सुनाई दे रही थी, जिनसे पता चल रहा था कि हाथी सिर्फ एक नही, उनकी संख्या काफी ज्यादा है।

गुफा के आसपास मौजूद सभी गार्ड्स का ध्यान उस ओर आकर्षित हुआ........और फिर हाथियों का एक विशालकाय झुंड उस गुफा के ठीक सामने से दौड़ता हुआ निकला.......रास्ते में आने वाले पेड़,झाड़ियों को तिनको की तरह तहस नहस करते हुए यह हाथी अपने पीछे धूल का एक गुबार छोड़ते गए......गार्ड्स को भी कुछ सेकेंड्स के लिए सब कुछ दिखना बन्द हो गया......और फिर जब उन्होंने धूल से बचने के लिए कुछ पलों के लिए बन्द की गई अपनी आंखों को खोला ......

तो सामने कुछ ही दूरी पर उस धूल की कम होती धुंध में से नजर आया एक धुंधला सा साया.......जो धीरे धीरे से स्पष्ट दिखाई देने लगा।

"Kaun hai.....Kaun hai vaha....."

गुफा के सामने खड़ा हुआ एक गार्ड चीखा.....

सामने खड़ा शख्स का अंदाज कुछ जुदा नजर आ रहा था......
एकदम सफेद रंग की हाफ शर्ट,और पेंट की जगह धारीदार रंगीन लुंगी,पैरों में अजीब से दिखने वाली खड़ाऊँ की शक्ल की जूती.....गले में पड़ा हुआ ढेर सारे शुद्ध सोने के आभूषण.......घने,घुँघराले बाल......बेतरतीब सी,यहां वहां फैली हुई ढाडी.....माथे पर लगा हुआ चंदन का टीका...और आंखों पर लगा रेबोन का काला चश्मा..........इस तरह की वेश भूषा को धारण किये हुए वह शख्स बड़े ही इत्मीनान के साथ अपने एक हाथ से मुंह मे लगी हुई सिगरेट के कस फूंक रहा था........तो उसका दूसरा हाथ कंधे पर रखी हुई एके 47 गन को।संभालने में व्यस्त था.........दूसरी साइड का कंधा कुछ झुका हुआ था,जिससे प्रतीत होता था कि या तो उसके कंधे में किसी प्रकार की समस्या है......या फिर यह भी उसकी स्टाइल का एक हिस्सा है।

अभी तक उस शख्स ने गार्ड द्वारा पूंछे गए सवाल का कोई जबाब नही दिया था,वह तो अभी भी इत्मीनान सिगरेट का धुँआ उड़ाने में ही मशगूल था।

"Last baar puch raha hoo...Kaun ho?....Nahi to bemaut maare jaane ke liye taiyaar ho jaao"

वहां मौजूद सारे गार्ड्स ने अपनी अपनी गन्स का रूख अचानक से आ गए उस शख्स की ओर मोड़ते हुए अन्तिम चेतावनी दी।

जिसके जबाब में अब उस शख्श ने प्रतिक्रिया दी थी.....आंखों पर चढ़े चश्मे को निकालकर गले मे पड़ी सोने की भारीभरकम जंजीर के सहारे लटकाया......और फिर अपनी लाल,खतरनाक,जोश से भरपूर आंखों से उन गार्ड्स को घूरते हुए चिल्लाया

"पुष्पा....पुष्पा है मैं...इस अक्खा जंगल का बाप है अपन.....कांगा चाहिए अपन को"

पुष्पा नाम सुनकर वहां मौजूद सभी गार्ड्स एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे,और उनमें से एक गार्ड ने ठहाका लगाते हुए कहा।

"Pushpa....अच्छा नाम है...😂😂.....ये नमूनों वाली पोशाक पहन के, हाथ मे नौटंकी वाली गन ले कर कांगा भाऊ के अड्डे पर मरने के लिए आया है क्या......."

अभी बस उस गार्ड ने अपनी बात पूरी की ही थी कि तब तक पुष्पा का शरीर हवा में कलाबाजियां खाता हुआ ,अपने हाथ मे पकड़े हुए एक 47 से कई गोलियां दाग चुका था......किसी को सम्भलने का तक मौका न मिला.....वहां मौजूद सारे गार्ड्स की खोपड़ियों में गोलियां सुराख बना चुकी थी।

और फिर हवा में गोते खाता हुआ पुष्पा के कदम जब जमीन से टकराये, तो जमीन पर पड़े ढेर सारे सूखे पत्ते चरमरा कर हवा में उड़ने लगे।

एक 47 की नाल को अपने होंठो से चूमने के बाद पुष्पा ने उन जमीन पर ढेर होकर गिर चुके गार्ड्स की ओर देखा,और बड़बड़ाया....

"पुष्पा नाम सुन कर फ्लॉवर समझा क्या......फ्लॉवर नही,फायर है मैं......."

उस गुफा के अंदर बने हुए बेहद हाईटेक ठिकाने पर अपने अन्य गुर्गों के साथ बैठा हुआ कांगा सीसीटीवी के जरिये डिसप्ले पर यह कांड होता देख बौखला गया था.........एक अकेला आदमी यूं खुलेआम आकर उसके गुंडों की खोपड़ी उड़ा कर उसको चुनौती दे रहा था,यह उसे बर्दाश्त नही हो पा रहा था.........

इस से पहले कि पुष्पा उस गुफा में प्रविष्ट होने वाला रास्ता खोजता,उस से पहले ही उस गुफा का पत्थरनुमा दरवाजा अपने आप ही खुल गया, और उसमें से कांगा की हथियारों से लैस पूरी फौज ही बाहर निकल आई......सबके निशाने पर सामने खड़ा पुष्पा ही था.......सभी ने बुलेटप्रूफ जैकेट्स और हेलमेट्स पहन रखे थे..........

पोजिशन लेकर चारो ओर से उन्होंने पुष्पा को घेर लिया,

पुष्पा जानता था कि यदि उसने अब एक भी फायर किया तो बदले में चली सैकड़ो गोलियां उसके जिस्म को छलनी कर देंगी......

कांगा की पलटन के बंदूकधारियों ने पुष्पा को गन फेंकने के लिए धमकाया.....तो स्थिति को भांप कर पुष्पा ने भी तुरंत ही गन फेंक कर खुद को निहत्था प्रदर्शित कर दिया।

कांगा की उस इल्लीगल प्राइवेट आर्मी के कुछ सैनिकों ने पुष्पा को अपने शिकंजे में कस के जकड़ लिया,और कुछ ने उसकी कनपटी व खोपड़ी पर लोडेड़ गन्स भी तान दी।

उसके बाद अब गुफा से बाहर निकला उन हथियार बन्दों का आका.......कन्नू स्वामी कांगा।

सफेद कुर्ता, सफेद धोती में लिपटा हुआ एकदम काले रंग का हट्टा कट्टा अधेड़......जो शक्ल से ही हरामखोर दिखाई पड़ रहा था......और शरीर पर पुष्पा की तुलना में कई गुना अधिक सोने के आभूषण लाद रखे थे उसने।

"पुष्पा......लाल चंदन का बहुत बड़ा तस्कर.......कैसा है रे तू....बड़ा नाम सुना था तेरा.......और साथ में सुना था कि वो फॉरेस्ट रेंजर शेखावत ने एनकाउंटर किया था तेरा पर अपनी किस्मत की वजह से बच गया था तू......जब बच गया था तो फिर क्यों मरने चला आया रे मेरे पास....हां.......मेरे से तो कोई लफड़ा नही था रे तेरा,कभी तेरे किसी काम मे टांग नही अड़ाई मैंने .......फिर क्यों आया रे पुष्पा......यहां.....शेर की मांद में।"

कन्नूस्वामी कांगा ने एक ही सांस में लंबे लंबे डायलॉग्स मार दिए थे पुष्पा को।

जबाब में पुष्पा ठहाका मार कर हंसा....जिसको देख कर कांगा भी हैरान हो गया......और फिर जब उसकी कुछ सेकेंड्स की हंसी रुक गयी.....तब अचानक से उसका चेहरा,उसके हाव भाव बेहद सख्त हो गए,और फिर वह बोला.....अपनी सख्त जुबान से......

" कांगा..........कभी किसी ने बोला था अपन से...कि मेरे मैं ब्रांड नही....मैं बिना ब्रांड का हूँ....बाद में अपन ब्रांड के बारे में डीटेल में पता किया तो पता चला कि ब्रांड मतलब कुछ उसूलों को पकड़ के चलना....और फिर कांगा अपन ब्रांड बन गयेला है.…...क्योंकि अपने कुछ उसूल है....और उन्ही उसूलों में सबसे पहला है ...देशभक्ति.......अपन लाख गलत काम करता है....पर देश के साथ गद्दारी नही करता.......और तू साला......जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है.......अपन आया है यहां से तेरे को जिंदा ले जाने ......और वो लेकर ही जायेगा.....क्योंकि अपने ब्रांड का दूसरा उसूल है.....किसी से किया वायदा निभाना......और तेरे को ले कर आने का अपन किसी से वादा कर चुका है।"

पुष्पा की बात सुन कर कांगा का मानों खून खौल गया हो.....

Kaanga- "मौत तेरे सिरहाने खड़ी है पुष्पा,और तुम मुझे धमका रहे हो........अभी मेरे एक इशारे पर तुम्हारा भेजा तुम्हारी खोपड़ी से अलग हो जाएगा....."

जबाब में पुष्पा के होंठो पर एक रहस्मयी मुस्कान तैर गयी थी।

Kaanga- "अरे हां ,याद आया.....सुना है कि तू कभी किसी के सामने नही झुकता है.....न झुकना भी उसूल है न तेरा....अभी देखता हूँ जब तुम्हारे घुटनो में कांगा के नाम की गोलियां घुसेगी तो तू जमीन पर झुक कर अपने प्राणो की भीख मांगेगा तब कितना मजा आएगा।"

और कांगा ने पास खड़े अपने एक गुर्गे के हाथ से लोडेड़ कारबाइन गन छीन कर पुष्पा के घुटनो पर निशाना साध कर ट्रिगर पर अपनी उँगली का दबाब डालना आरम्भ किया।

सामने तनी कांगा की बंदूक से गोली निकलने ही वाली थी,पर इस परिस्थिति ने भी पुष्पा को व्याकुल नही किया था......शायद उसकी इसी खासियत ने उसे एक गरीब,दिहाडी मजदूर से क्षेत्र का सबसे बड़ा चंदन तस्कर व माफिया बना दिया था.....
पुष्पा ने बिना डरे कांगा को रौबीली आवाज में जबाब दिया....

" पुष्पा.....पुष्पराज........मैं झुकेगा नही ।"

गन से गोली निकलती इससे पहले ही अचानक से मधुमक्खियों की भारी फौज ने वहां पर हमला कर दिया......यह एक विशेष किस्म की मधुमक्खियाँ थी....सामान्य से ज्यादा बड़ी,ज्यादा तेज,ज्यादा खतरनाक.......

अचानक से लाखों की तादाद में आई इन आक्रामक मधुमक्खियों ने वहां मौजूद कांगा और उसके साथियों की हवा निकाल दी थी....उनमें से न तो किसी को सम्भलने का मौका मिला था और न ही अपना बचाव करने का......उनकी बुलेट प्रूफ जैकेट्स बुलेट्स को तो रोके सकती थी पर इन हमलावरों को नही.........चारो ओर चीख पुकार मच गई.......सब यहां वहां भागने लगे......कुछ ही सेकेंड्स में मधुमक्खियाँ अपने डंको से सबके थोबड़े सुजा चुकी थी......बस अगर कोई वहां सुरक्षित खड़ा था तो वह था पुष्पा.......एक भी मक्खी ने उसे नुकसान नही पहुँचाया था।

कांगा और उसके साथियों ने मक्खियो से बचने के लिए झरने की ओर भागते समय सिर उठा कर ऊपर देखा तो वह हक्के बक्के रह गए।

पहाड़ी पर सैकड़ो की तादाद में लोग खड़े थे......हाथों में गन्स के साथ साथ फावड़े,कुल्हाड़ी लिए हुए.....उन्ही में से कुछ लोग अपने साथ लाये हुए बड़े लकड़ी के डिब्बो में से इन मधुमक्खियों को यहां वहां उड़ा रहे थे।

दरअसल पुष्पा यहां अकेला नही आया था,उसकी गैंग के सैकड़ो मजदूर उसके साथ खड़े थे....और वह सब जंगल के तमाम गूढ़ रहस्यों से वाफिक थे......इन्ही रहस्यों में से एक था जंगल के कुछ खास हिस्सो में पाई जाने वाली किंजारो प्रजाति की मधुमखियाँ.....जिनकी एक बड़ी खेप वह अपने साथ लेकर आये थे.....यह दुर्लभ मधुमक्खियाँ इंसानी खून की प्यासी रहती है....और जहां भी उन्हें इंसानी गन्ध महसूस होती है....बिना देर किए टूट पड़ती है.........और इनसे बचने के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है,घने जंगलों में पाया जाने वाला एक पौधा...."चारकू" ....जिसके पत्तो के रस की गंध से यह मक्खियाँ दूर ही रहती है.......यहां आने से पहले पुष्पा और उसके सभी साथी इन्ही पत्तियों को निचोड़ कर उसका रस अपने शरीर पर लगा कर आये थे.......यही कारण था कि उन पर यह किंजारो मधुमक्खियाँ हमला नही कर पा रही थी।

और फिर हथियार छोड़ कर झरने के पानी मे गिरते पड़ते कांगा और उसके साथियों पर पुष्पा की गैंग टूट पड़ी.......और पुष्पा ने उस झरने से कांगा को खींच कर बाहर निकाला,जिसका हुलिया मधुमक्खियों ने बिगाड़ दिया था....पुष्पा ने अपने साथ लाई हुई एक बोतल में रखा चारकू पत्तियों का वह तरल पदार्थ उस पर उड़ेला और उसे घसीटते हुए पहाड़ी के पिछले हिस्से की ओर ले जाने लगा।

"कांगा, शुक्र मनाओ कि तेरे को जिंदा लाने का वादा कर के अपन यहां आया था....इसलिए तेरी सांसे अभी तक चल रही है.......नही तो इधर इन्ही जंगलों में समाधि बना डालता तेरी।......बोला था न तेरे को......अपन झुकेगा नही"

और फिर कुछ देर बाद,जंगल के एक बाहरी हिस्से में।

कैप्टन विराज पूरे फोर्स के साथ पुष्पा का वेट कर रहे थे.......पुष्पा का ट्रक वहां आकर रुकता है........और पुष्पा उसमे से कांगा को खींच कर बाहर निकाल कर विराज के सामने ला पटकता है........

"साब ध्रुव भाऊ से कहिए अपन ने अपना वादा पूरा किया......आपको जो करना इस गद्दार के साथ करिए.....और आगे भी कभी भी देश की खातिर कोई जरूरत अपनी पड़ी तो अपन को जरूत याद करें......अब चलता है अपन"

विराज पुष्पा को उसके द्वारा की गयी मदद के लिए आभार व्यक्त करता,उससे पहले ही वह वापस अपने ट्रक तक पहुंच गया था.....

विराज सिर्फ इतना बोल पाया

"पुष्पा, तुम देशभक्त हो.....पर ये तुम्हारा तस्करी का काम भी अवैध है.....ये सब बन्द कर दो.....खुद को।सरेंडर करके एक अच्छी जिंदगी जियो....हम तुम्हारी मदद करेंगे.....हम नही चाहते कि तुम्हारा जैसा एक।अच्छा इंसान पुलिस की गोली का शिकार होकर लावारिस मौत मरें।"

ड्राइविंग सीट पर बैठ चुके पुष्पा ने विराज की बात सुनकर एक खतरनाक सी स्माइल दी ,और फिर अपने उसी निराले अंदाज में चेहरे के नीचे हाथ घुमाते हुए रौबीले अंदाज में बोला

"पुष्पा......पुष्पराज.......मैं झुकेगा नही।"
पुष्पा का ट्रक कुछ ही सेकेंड्स में आंखों से ओझल हो।चुका था...उसके ट्रक में लगे म्यूजिक प्लेयर में तेज आवाज में चल रहे उसके पसंदीदा गाने ' तेरी झलक अशरफी श्रीवल्ली' की धुन अभी भी कानों में गूंज रही थी।

कैप्टन विराज के पास भी अधिक समय नही था........कांगा अभी बेहाल था.......तो विराज अपनी टुकड़ी के साथ उसे लेकर पास वाले आर्मी सेफ हाउस के लिए रवाना हो गया.....जहां उस से चांगली के बारे में सच उगलवा जा सके।

और उधर चाइना में ध्रुव अपने साथियों के साथ रात के गहराते अंधेरे के साथ साथ ही अपने मिशन को अंजाम तो पहुंचाने के अंतिम दौर में वुहान शहर में प्रवेश कर चुका था।

(कहानी अभी जारी रहेगी )