Is janm ke us paar - 10 in Hindi Love Stories by Jaimini Brahmbhatt books and stories PDF | इस जन्म के उस पार - 10

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इस जन्म के उस पार - 10

वो बोल ही रहा था की अचानक नंदिनी के हाथ से रौशनी निकली और आईने पर पड़ी उसके पड़ते ही आइना बोलने भी लगा वही प्यारी आवाज मे..!!!

(खास बात पहले ही बता दे की कहानी फलेशबैक मे चल रही है आई मीन की पिछले जन्म मे.but बीच बीच मे वीर की कॉमेंट्री चलती रहेगी 😄😄!!तो कृपया कंफ्यूज ना हो और कहानी एन्जॉय करें!)

१३हवीं सदी का युग जहाँ विजयनगर साम्राज्य हुआ करता था.. जिसमे संगम राजवंश., शाल्व राजवंश., तुलुव राजवंश., और अराविदु राजवंश ऐसे 4 राजवंशियों का शासन हुआ करता था। विजयनगर धन और धान्य से परिपूर्ण राज्य था जहाँ हर समृद्धि थी.. विजयनगर

दूसरा राज्य था चुनारगढ़..!!जो उसी की तरह काबिल राज्य था.

विजयनगर के महाराज मल्लिकार्जुन राय की लाडली पुत्री थी राजकुमारी अयंशिका.. देखने मे जितनी खूबसूरत उतनी ही हर कला मे निपूर्ण.. फिर चाहे रसोई हो या युद्धविद्या.!!वही दूसरी और चुनारगढ़ के महाराज रामदेव अराविदु के सुपुत्र और चुनारगढ़ के युवराज थे.. राजकुमार वरदान अराविदु.!!बड़े ही कुशल और निपुण योद्धा.!!ये कहानी इन दोनों की है.!!

विजयनगर :---

राजकुमारी गुस्से से अपने कमरे की हर चीज तोड़ रही थी की उसकी बचपन की दोस्त और बेहतरीन अइयारा चपला उसे रोक रही थी।

चपला :- रुक जाइये राजकुमारी.!!गुस्सा मत कीजिए.!!

अयंशिका😠 :- एक बात बताओ चपला.. हमारे चार कान है..!!

चपला :- नहीं.!!

अयंशिका 😠:- तो दो नाक तो होंगे ही.!!

चपला :-नहीं. राजकुमारी.!!

अयंशिका :- तो फिर पिताजी हमें यात्रा मे क्यों नहीं जाने दे रहे है.??

चपला🙂 :- राजकुमारी आप समझने की कोशिश तो कीजिये.. हमारे दुश्मन आपको निशाना बना सकते है इसलिए महाराज मना कर रहे थे.

अयंशिका😤 :- हम अपनी रक्षा कर सकते है.!!

"ये बात हम बखूबी जानते है., हमारी शेरनी.!!"🙂पीछे से आते महाराज मल्लिकार्जुन राय ने कहा जिन्हे देख चपला सर झुकाये साइड ख़डी हो गई.

अयंशिका नाराज़गी से अपने पिता की और देखती है। महाराज मल्लिकार्जुन राय😌,"ठीक है आप जा सकती है.!!"

अयंशिका ख़ुश होती तभी महाराज, "किन्तु.. हमारी एक शर्त है.!"

अयंशिका🤨, "केसी शर्त पिताश्री.?"

महाराज मल्लिकार्जुन:- यही की आप अकेली नहीं बल्कि एक सेना टुकड़ी के साथ पुरे संरक्षण मे जाएगी.!!

अयंशिका😔 :- पर पिताश्री.??

महाराज मल्लिकार्जुन :- अगर नहीं तो आप नहीं जा सकती.!!

अयंशिका कुछ सोच के हा कर देती है.😌 वो तैयारी कर रही थी यात्रा की चपला के साथ अपनी दोस्त माधवी और नीलाक्षी को भी ले चलती है..!!

वही इस तरफ चुनारगढ़ मे..!!नगर मे एक लड़का उधम मचाये भाग रहा था उसके पीछे सेना की एक टुकड़ी भाग रही थी... वो लड़का सबको चकमा दे भागे ही जा रहा था. या यु कहु की कोई भी सैनिक उसे पकड़ नहीं पा रगा था तभी एक प्रकाशवान गोले मे वो फ़स जाता है तो चीड़ के 😠, "धर्म.!!"

वहा एक और उसी की उम्र का लड़का, 😌"कितनी बार आपसे कहना पड़ेगा राजकुमार वरदान आप ऐसे नहीं घूम सकते.!!"

वो लड़का अपने जादू को हटाता है और वरदान को हाथ दे खड़ा करता है.. वरदान, "अगर तुम हमारे मित्र ना होते तो हम तुमको बताते धर्म.!!"धर्म भी वरदान का खास मित्र और बेहतरीन अइयार था.. वो अपने राजकुमार के लिए बहुत ही वफ़ादार था. दोनों महल आते है की महाराज राजकुमार को अपने कक्ष मे बुला लेते है.

वरदान अंदर आता है जहाँ बहुत सारे शामन्त और गुप्तेचर थे.. वरदान और धर्म अंदर आके प्रणाम 🙏🙏करते है.

महाराज रामदेव🙂 :- आइये वरदान.!!आपको एक जरुरी बात बतानी है.!!

सब चले जाते है की वरदान🙂 :- जी पिताजी.!!

महाराज रामदेव :- वरदान हमें सुचना मिली है की भुवनेश्वर की यात्रा मे हमारे विरोधी राज्य शाल्व के राजकुमार क्रूर सिंह शाल्व शिवलिंग को चोरी करने वाले है। ये हमारे राज्य की बहुत ही शोभा दाई यात्रा है वरदान जिसमे ना सिर्फ भावीको की भक्ति बल्कि हमारे राज्य की प्रतिष्ठा का भी सवाल है.!!हम चाहते है की.!!

वरदान 😤:- आप फ़िक्र ना करे पिताजी हम खुद जायेंगे इस यात्रा मे और उसकी हर योजना निसफल कर देंगे.!!

महाराज रामदेव उसके कंधे पर हाथ रख🙂.:- हम जानते है बेटे.!!जाइये विजयी भव :।

वरदान भी धर्म और अपने कुछ और मित्रो के साथ योजना बनाकर निकल पड़ता है जिसमे वो भेष बदल के जाने की योजना बनता है.. और बन जाता है बहुत बड़े धनीक का बेटा वरदान.!!और धर्म, संजय और शान उसके खास मित्र.!!


वही राजकुमारी अयंशिका भी निकल चुकी थी कुछ ही दूर जाके वो अपने सारे कपड़े चपला को पहना देती है।


(वीर :- ओह बेटे की ये दोनों तो बिलकुल तुम दोनों की तरह दीखते है.!!

नंदिनी 😲:- हा बिलकुल.!!

वीर 😉:- आयहांय मेरे दोस्त मतलब ते पुराने जन्म का लोचा है वैसे क्या तब भी तुम प्यार करते थे.


सूर्यांश उसे घूर के 😤:- अब देखने देगा तो पता लगेगा ना चुप हो के देख.!!

वीर चुप हो जाता है., और सब वापस आईने मे देखने लगते है।)


चपला😲 :- राजकुमारी ये.??

अयंशिका :- शशष.!!🤫आज से तुम राजकुमारी हो और हम तुम्हरी खास सेविका अयंशिका है समझी राजकुमारी चपला.!!!

चपला :- 😲हें...!!आप क्या.??


अयंशिका😌 :- हा हम चाहते है की हम आम लोगो की तरह यात्रा का आनंद ले..समझ आई बात और खबरदार अगर तुम मे से किसीने पिताश्री को बताया😠 तो.!!

सब उसकी बात मान जाते है. वही वरदान और अयंशिका दोनों ही यात्रा पर निकल चुके थे अपनी नियति से अनजान की आगे क्या होगा.??तो अयंशिका और वरदान निकल पड़ते है यात्रा मे.!!वहा एक साधु अपने शिष्य से कहते है.. आज वो मिलन पूर्णिमा की रात है जहाँ जो दोनों मिलेंगे वो जन्म जन्म के साथी बन जायेंगे.!सच्चे प्रेमी बनेगे वो दोनों !!आज वो योग है पर.. इस योग की ही वजह से उनकी जिंदगी मे परीक्षाये भी होंगी.. और फिर भी उनका प्यार अमर रहेगा.. हर हर महादेव 🙏🙏वो बोलने के बाद समाधी मे वापस चले गए..।

यहां रात को दोनों के काफिले रुके थे विश्राम के लिए की अयंशिका जुगनू ओ को पकड़ते हुए दूर निकल गई.. रात के पहर और ऊपर से अनजान जंगल मे सेर की आवाज से उसका ध्यान टुटा..!वो आसपास देख ही रही थी की उसकी नज़र उसके सामने से आ रहे शेर पर पड़ी.!!

अयंशिका पीछे हट रही थी पर उसकी पायल की आवाज से शेर उस और आ रहा था. अचानक किसीने अयंशिका को खिंच लिया और उसके मुँह पर हाथ रख दिया..!!"श.ष..!!आवज मत करना.!!"



================बाकि अगले भाग मे ====